मेनका गांधी भारत की प्रसिद्ध राजनेत्री एवं पशु-अधिकारवादी हैं। पूर्व में वे पत्रकार भी रह चुकी हैं। किन्तु भारत की महिला प्रधान मंत्री इन्दिरा गांधी के छोटे पुत्र स्व॰ संजय गांधी की पत्नी के रूप में वे अधिक विख्यात हैं। दरअसल मेनका को मॉडलिंग के साथ – साथ लेखन का भी काफी शौक था. उस दौरान मेनका एक राजनीतिक पत्रिका ‘सूर्या’ की संस्थापक बनी. इस पत्रिका में इंदिरा गांधी का एक इंटरव्यू छपा था. जिससे कांग्रेस पार्टी को आम जनता के बीच अपनी छवि सुधारने में मदद मिली थी. यह संजय गांधी की अचानक मृत्यु थी जिसने मेनका को वर्ष .98. में राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर कर दिया. संजय की मृत्यु के बाद मेनका गांधी परिवार के साथ सारे संबंध तोड़ कर प्रधानमंत्री हाउस से बाहर निकल गई
     मेनका गांधी का जन्म दिल्ली के रहने वाले एक सिख परिवार में हुआ, इनके पिता भारतीय आर्मी अधिकारी थे और इनके अंकल एक मेजर जनरल थे|  मेनका बचपन से ही मॉडलिंग करने की शौकीन थी| मेनका अपने स्कूल में कई प्रतियोगिताओं में काफी बार हिस्सा भी लिया।

मेनका गांधी की शिक्षा 

     मेनका सबसे पहले दिल्ली लॉरेंस स्कूल में पढ़ी, इसके बाद की पढ़ाई के लिए वे महिलाओं के लेडी श्री राम कॉलेज में प्रवेश लिया, फिर उन्होंने जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, नई दिल्ली में जर्मन का अध्ययन किया| उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा लॉरेंस स्कूल, सांवर, हिमाचल प्रदेश से की; जो भारत के शीर्ष बोर्डिंग स्कूलों में से एक है, जहाँ भारत की कई प्रसिद्ध हस्तियों के बच्चों ने भी भाग लिया है।

मेनका गांधी का व्यक्तिगत जीवन

     मेनका जी की संजय गांधी जी के साथ पहली मुलाकात सन 197. में हुई थी, जब वो मेनका के अंकल मेजर जनरल कपूर के बेटे वीनू कपूर की शादी के दौरान एक कॉकटेल पार्टी में आये हुए थे| इससे पहले भी संजय गांधी ने मेनका को एक ब्रीफ स्टिंट मॉडलिंग कांटेस्ट के दौरान भी देखा था, और तभी वो मेनका से प्यार कर बैठे, फिर एक साल बाद संजय गांधी ने मेनका आनंद के साथ सितंबर सन 1974 में शादी कर ली, इसके बाद वे मेनका आनंद से मेनका संजय गांधी कहलाई जाने लगी| इन्होंने सन 198. में एक बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम वरुण गांधी हैं, ये भी राजनीति से संबंध रखते हैं और भारतीय जनता पार्टी के एक राजनेता हैं|

     संजय गांधी प्लेन उड़ाने के शौकीन थे और यही उनकी मौत का कारण भी बना। दिल्ली में विमान हादसे में सिर में आई चोटों के कारण उनकी मौत हो गई थी। कहा जाता है कि संजय की मौत की खबर कई घंटों बाद मेनका को दी गई। घटना के वक्त वरुण गांधी (संजय-मेनका गांधी के बेटे) मात्र 3 महीने के थे। संजय की मौत के बाद इंदिरा और मेनका में विवाद हुआ और 1981 में मेनका हमेशा के लिए वो घर और संपत्ति छोड़कर चली गईं।
     उन्होने अनेकों पुस्तकों की रचना की है तथा उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रायः आते रहते हैं। वे वर्तमान में भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं।मेनका गांधी का जन्म नई दिल्ली में हुआ था। उनकी शिक्षा लारेंस स्कूल, सनवर तथा तदोपरान्त लेडी श्रीराम कालेज, नयी दिल्ली में हुई। उन्होने तत्कालीन प्रधान मंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के छोटे बेटे संजय के साथ विवाह किया। एक आकस्मिक दुर्घटना में संजय गांधी के देहान्त के बाद वे सन 1982 में राजनीति में आयीं।

उपलब्धियां एवम पुरुस्कार

मेनका गांधी जी ने अपने अब तक के जीवन में निम्न अवार्ड एवं उपलब्धियां हासिल की हैं –

  • मेनका ने सबसे पहले ‘सुप्रीम मास्टर चिंग है इंटरनेशनल एसोसिएशन’ द्वारा 20,000 डॉलर के चेक के साथ शाइनिंग वर्ल्ड कम्पैशन अवार्ड जीता था.
  • इसके बाद सन 1992 में मेनका को अवार्ड मिला था, यह अवार्ड आरएसपीसीए की ओर से दिया गया लार्ड एर्स्किन अवार्ड था.
  • फिर मेनका को सन 1994 में साल की पर्यावरणविद और शाकाहारी के रूप में पुरस्कार दिया गया था.
  • इसके 2 साल बाद यानि सन 1996 में मेनका गांधी जी को ‘प्राणी मित्र’ पुरस्कार से नवाजा गया था. इसी साल महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन ने उन्हें पर्यावरणीय काम के लिए सम्मानित भी किया था.
  • सन 1999 में मेनका ने वीनू मेनन एनिमल एलाइज फाउंडेशन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड पर जीत हासिल की थी.
  • इसी साल भगवान महावीर फाउंडेशन के द्वारा उन्हें हिंसा और शाकाहार के क्षेत्र में बेहतरी के लिए सम्मानित किया गया. और साथ ही डेवलिबेन चैरिटेबल ट्रस्ट ने भी उन्हें सम्मानित किया.
  • मेनका ने सन 2001 में चेन्नई में अंतर्राष्ट्रीय महिला एसोसिएशन वुमन ऑफ़ द ईयर का अवार्ड भी अपने नाम किया.
  • इन सभी के अलावा पर्यावरण और पशु कल्याण क्षेत्र में मेनका गांधी जी के द्वारा किये गए कार्य के लिए उन्हें साल 2001 में दीनानाथ मंगेशकर आदिशक्ति पुरस्कार एवं रुक्मिणी देवी अरुंडेल एनिमल वेलफेयर अवार्ड प्रदान किया गया, फिर साल 2008 में इसी क्षेत्र में उन्हें एसीजी जयकार अवार्ड भी दिया गया।

मेनका गांधी की जन्म कुंडली

     मेनका गांधी का जन्म 26 अगस्त 1956 को नई दिल्ली में 4 बजे हुआ था।उनका जन्म लग्न कर्क ओर उनकी राशि मीन है। उनका जन्म नक्षत्र रेवती का चतुर्थ चरण हैं। श्रीमती मेनका गाँधी की कुंडली कर्क लग्न की है, यहाँ पर सप्तमेश जो राशि भी है शनि द्वितीय भाव में है और शत्रु सूर्य की सिंह राशि में सूर्य के साथ होकर बैठा है। शनि की तृतीय दृष्टि मंगल पर पड़ रही है, जो शुक्र की तुला राशि से है। वैधव्य योग के लिए सप्तमभाव स्त्री की कुंडली में पति का व पति की आयु का भाव लग्न से द्वितीय होता है। दाम्पत्य जीवन के कारक शुक्र का विशेष अध्ययन करना चाहिए। यदि ये भाव व ग्रह दूषित हो तो उपाय करना ही श्रेष्ठ होगा। यदि विवाह हो गया है तब भी उपाय कर वैधव्य योग से बचा जा सकता है।
सप्तम भाव का स्वामी मंगल होने से व शनि की तृतीय सप्तम या दशम दृष्टि पड़ने से वैधव्य योग बनता है। यदि इन पर गुरु या चन्द्रमा की दृष्टि पड़े, तो वैधव्य योग न बनते हुए पति को कष्टकारी पीड़ा भोगनी पड़ सकती है। सप्तमेश का संबंध शनि मंगल से बनता हो व सप्तमेश निर्बल हो तो वैधव्य का योग बनता है। ऐसी स्थिति वाली स्त्री कम उम्र में विधवा हो जाती है।
     सप्तम भाव पर शनि या मंगल की नीच दृष्टि पड़े व वहीं शनि मंगल का सप्तमेश से संबंध बनता हो, तब वैधव्य योग बनता है। जब सप्तमेश शनि मंगल को देखता हो, तब दाम्पत्य जीवन नष्ट होता है, कष्टमय होता है या वैधव्य योग बनता है। यदि गुरु चन्द्र में से कोई बली होकर द्वितीय भाव में हो तो वैधव्य टल जाता है। जिस स्त्री की कुंडली में द्वितीय भाव में मंगल हो व शनि की दृष्टि पड़ती हो व सप्तमेश अष्टम में हो या षष्ट में हो या द्वादश में होकर पीड़ित हो, तब भी वैधव्य आगे बनता है। शनि मंगल सप्तम भाव में एक साथ बैठे तो उसके पति की उम्र कम होगी। कर्क या शनि मंगल सप्तम भाव में हो व सप्तमेश भी नीच राशि वृश्चिक में हो, तो वैधव्य योग बनता है।
     मेनका गांधी हंसमुख और खुशमिजाज हैं एवं हंसने में संकोच नहीं करती तथा प्रायः अच्छा‘सेंस आफ ह्यूमर’ रखते हैं। मेनका गांधी का मन सौन्दर्य से अत्यन्त प्रभावित रहता है और मेनका गांधी इसे प्रमुखता से अपन आस-पास के वातावरण में दिखाते हैं। जो व्यक्ति अपने चारों ओर सुन्दरता ला सकता है, वह सदैव आनन्दोन्मुखी होता है।मेनका गांधी एक अच्छी संवाद शैली के लिए जाने जाती है और मेनका गांधी के कम्युनिकेशन स्किल इतने बेहतर होंगे कि वह मेनका गांधी को भीड़ में सबसे आगे लेकर जाएंगे। मेनका गांधी की बुद्धि तीव्र होगी और स्मरण शक्ति भी गजब की होगी इसी वजह से मेनका गांधी किसी भी बात को आसानी से और लंबे समय तक याद रख पाएंगे। मेनका गांधी के जीवन की यही सबसे बड़ी विशेषता होगी और उसी के बल पर मेनका गांधी अपनी शिक्षा को अच्छे से पूरा कर पाएंगे और उसमें सफलता अर्जित कर पाएंगे। मेनका गांधी के मन में शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त करने की भी इच्छा विशेष रूप से जागेगी। गणित, सांख्यिकी, तार्किक क्षमता आदि के मामले में मेनका गांधी काफी मजबूत साबित होगी और इन के दम पर अपनी शिक्षा में सफलता के झंडे गाड़ देंगे। मेनका गांधी को बीच-बीच में अपनी एकाग्रता को प्राप्त करने के लिए प्रयास करना होगा क्योंकि अत्यधिक सोच विचार करना मेनका गांधी को पसंद है, लेकिन यही मेनका गांधी की सबसे बड़ी कमजोरी भी है। इससे बचने का प्रयास करेंगे तो जीवन में और शिक्षा के क्षेत्र में उच्चतम शिखर पर पहुंच सकते हैं।

रेवती नक्षत्र का प्रभाव और महत्व 

  • रेवती नक्षत्र आकाश मंडल में अंतिम नक्षत्र है। यह मीन राशि में आता है। इसे दे, दो, चा, ची के नाम से जाना जाता है। रेवती नक्षत्र का स्वामी बुध है। बुध बुद्धि का कारक होने के साथ इसे वणिक ग्रह माना गया है। राशि स्वामी गुरु है। गुरु बुध की युति जिस भाव में होगी वैसा फल देगा। बुध-गुरु की युति वाला जातक विवेकवान, वणिक, सफल अधिवक्ता, व्यापारी भी होता है।
  • रेवती नक्षत्र के देवता पूषा  हैं तथा नक्षत्र स्वामी बुध है। इस नक्षत्र के प्रथम चरण के स्वामी गुरु हैं। रेवती नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा जातक ज्ञानी होता है, लग्न नक्षत्र स्वामी बुध नक्षत्र चरण स्वामी से शत्रुता रखता है। अत: गुरु की दशा अत्यंत शुभ फल देगी, गुरु की दशा में जातक को पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी एवं यह दशा जातक के लिए स्वास्थ्य वर्धक रहेगी। बुध की दशा मध्यम फल देगी।
  • रेवती नक्षत्र में जन्मे लोग बाहरी दुनिया के लिए जिद्दी और कठोर स्वभाव के होते हैं। ईश्वर में पूर्ण आस्था के कारण जीवन में सभी अड़चनों को साहस के साथ पार कर लेते हैं। कुशाग्र बुद्धि के कारण ऐसे लोग किसी भी प्रकार के कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त करने की योग्यता रखते हैं। रेवती नक्षत्र के जातकों को सरकारी नौकरी, बैंक, शिक्षा, लेखन, व्यापार, ज्योतिष एवं कला के क्षेत्र में कार्य करते देखा गया है। ऐसे लोगों के जीवन में 23वें वर्ष से 26वें वर्ष तक अनेक सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। परन्तु 26वें वर्ष के बाद का समय कुछ रुकावटों भरा रहता है जो कि 42वें वर्ष तक चलता है। 50 वर्ष के उपरान्त जीवन में स्थिरता, संतुष्टि  एवं शांति का अनुभव करते हैं। रेवती मीन राशि में 16 अंश 40 कला से 30 अंश तक के विस्तार क्षेत्र में आता है. रेवती का अर्थ धनी और जानी मानी प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता है, तो कुछ विद्वानों के अनुसार इसे शुभ परिवर्तन लाने वाला नक्षत्र भी कहा जाता है. इसके राशि पति देव बृहस्पति हैं और नक्षत्रपति बुध हैं. रेवती के अधिष्ठाता देवता पुशान हैं.
  • इस नक्षत्र के जातक पर गुरु और बुध दोनों का प्रभाव आता है. गुरु और बुध दोनों मित्र संबंध नहीं रखते है. इसलिए बुध महादशा के फल देखने के लिए इस नक्षत्र में जन्में व्यक्ति की कुंडली में गुरु और बुध की तात्कालिक स्थिति देखी जाती है।
  • रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले स्त्री और पुरुष दोनों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों के प्रति अधिक आकर्षण होता है। इसलिए इनके दोस्तों में विपरीत लिंग के व्यक्तियों की अच्छी संख्या होती है। रेवती नक्षत्र में जिनका जन्म होता है उन्हें खान-पान में अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है क्योंकि इन्हें उदर रोग होने की संभावना अधिक रहती है। यदि आपका जन्म रेवती नक्षत्र में हुआ है तो आप एक मध्यम कद और गौर वर्ण के व्यक्ति हैं। रेवती जातकों के व्यक्तित्व में संरक्षण, पोषण और प्रदर्शन प्रमुख हैं। वह निश्चल प्रकृति के होते हैं, जो किसी के साथ छल कपट करने में स्वयं डरता है। किसी की जरा सी विपरीत बात इनसे सहन नहीं होती है। क्रोध में आत्म नियंत्रण भी खो देते हैं, परन्तु क्रोध जितनी जल्दी आता है उतनी जल्दी चला भी जाता है। साहसिक कार्य और पुरुषार्थ प्रदर्शन की इनको ललक सदा ही रहती है।
  • आध्यात्मिक होते हुए भी इन लोगों का दृष्टिकोण व्यावहारिक होता है। इसी वजह से किसी भी बात को मानने से पहले खुद अच्छी तरह से जांच परख लेते हैं। रिश्तेदारों और मित्रों पर भी आंख बंद करके भरोसा नहीं करते हैं।
  • इस नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक दूसरों पर बहुत जल्दी विश्वास नहीं करता पर जब वह विश्वास कर लेता है तब पूर्ण रुप से करता है. रेवती नक्षत्र संतुलन प्रिय नक्षत्र है. इस कारण जातक समाज और समाज की परंपराओं के प्रति स्नेह और आदर रखता है. जातक सुरुचिपूर्ण कार्य करने वाला होता है. समझदारी से और परिस्थिति के अनुकूल काम करने वाला होता है.
  • रेवती नक्षत्र को शुभ नक्षत्रों की श्रेणी में रखा जाता है. इस नक्षत्र में जन्मा जातक दृढ़ आस्थावान होता है. विपरीत परिस्थितियों में भी मानसिक संतुलन और धैर्य बना कर रखता है. जातक संवेदनशील होता है संकट में पड़े लोगों की मदद को तत्पर रहने वाला होता है. वह सभी को स्नेह और सम्मान से देखता है. अति भावुक संवेदनशील होने के कारण वह जल्द ही आहत भी हो जाता है. उसका सभ्य व्यवहार सभी को आकर्षित करने वाला होता है।
    वे बुद्धिमान होने के साथ ही मनमौजी एवं स्वतंत्र विचारधारा में विश्वास रखते हैं। परिवार और अपने से जुड़े लोगों की मदद करने में कोताही नहीं करते हैं। इन लोगों के जीवनकाल में विदेश यात्राओं की संभावना ज्यादा होती है।

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