आदि काल से ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रत्न धारण करने की परंपरा है। कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह नुकसानदेह भी हो सकता है। हिन्दू धर्म में रुद्राक्ष को बहुत पवित्र और पूज्यनीय माना जाता है. रुद्राक्ष के विषय में कहा जाता है की इसका उद्भव भगवान शंकर के आंसुओं से हुआ है. इसी कारण से इसको रुद्राक्ष नाम से जाना जाता है. रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को कई प्रकार से लाभ होता है, रुद्राक्ष कई मुखी होते है जो अलग अलग प्रकार के फल प्रदान करते है।
     रुद्राक्ष धारण करने से ना केवल राहु, शनि, केतु, मंगल जैसे क्रूर ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाले रोगों व संकटों का नाश होगा, जीवन के संघर्षों से आपको राहत मिलेगी, साथ ही अकाल मृत्यु, दुर्घटनाओं को रोकेगा शिव का एक चमत्कारी रुद्राक्ष, सकन्ध पुराण और लिंग पुराण में कहा गया है कि रुद्राक्ष से आत्मविश्वास और मनोबल बढ़ता है, कार्य, व्यवसाय, व्यापार में अपार सफलता दिलवाता है, रुद्राक्ष सुख समृद्धि प्रदान करता है, साथ ही साथ पाप, शाप, ताप से भी भक्त की रक्षा करता है।
 
     हम आपको बता दें कि रुद्राक्ष भारत, नेपाल, जावा, मलाया जैसे देशों में पैदा होता है, भारत के असाम, बंगाल, देहरादून के जंगलों में पर्याप्त मात्र में रुद्राक्ष पैदा होतें है, रुद्राक्ष का फल कुछ नीला और बैंगनी रंग का होता है जिसके अन्दर गुठली के रूप में स्थित होता है शिव का परम चमत्कारी दैविक रुद्राक्ष, लेकिन रुद्राक्ष का एक हमशक्ल भी होता है जिसे भद्राक्ष कहा जाता है, पर उसमें रुद्राक्ष जैसे गुण नहीं होते, शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष की क्षमता उसके मुखों के अनुसार ही होती है।
 
      रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर इक्कीस मुखी तक प्राय: मिल जाते है, सबकी अलौकिकता एवं क्षमता अलग अलग होती है, हिमालय की तराइयों से प्राप्त रुद्राक्ष की महिमा सबसे बड़ी कही गई है, दस मुखी और चौदह मुखी रुद्राक्ष अतिदुर्लभ कहे गए है, पंद्रह से ले कर इक्कीस मुखी तक के रुद्राक्ष साधारणतय: नहीं मिल पाते, और एक मुखी की तो महिमा ही अपरम्पार है, जिसे मिल जाए उसे जीवन में फिर कुछ और पाना शेष नहीं रहता, वो केवल अत्यंत भाग्य वाले को ही मिल पाता है।
      रुद्राक्षों में नन्दी रुद्राक्ष, गौरी शंकर रुद्राक्ष, त्रिजूटी रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, लक्ष्मी रुद्राक्ष, त्रिशूल रुद्राक्ष और डमरू रुद्राक्ष भी होते है, जो अंत्यंत दैविक माने गए हैं.  रुद्राक्ष का प्रयोग औषधि के रूप में तो होता ही है साथ ही इसे धारण भी किया जाता है या पूजा के लिए,माला के रूप में प्रयुक्त होता है,स्फटिक शिवलिंग, बाण लिंग अथवा पारद शिवलिंग को स्थापित कर यदि रुद्राक्ष धारण कर लिया जाए तो वो व्यक्ति सम्राटों जैसा बैभव प्राप्त कर लेता है।
 
     रुद्राक्ष ऐसा तेजस्वी मनका है जिसका उपयोग बड़े बड़े योगी संत ऋषि मुनि महात्मा परमहंस तो करते ही है साथ ही साथ तांत्रिक अघोरी जैसी वाममार्गी विद्याओं के जानकार भी इसके चमत्कारी प्रभावों के कारण इसकी महिमा गाते फिरते है, भारत के सिद्ध रुद्राक्षों का प्रयोग तो आज विश्व के हर कोने में बैठा व्यक्ति कर ही रहा है, तो आप और हम इसके दिव्य गुणों से दूर क्यों रहें? 
 
     स्कंध पुराण में कार्तिकेय जी भगवान शिव से रुद्राक्ष की महिमा और उत्पत्ति के बारे में प्रश्न पूछते है तो स्वयं शिव कहते है कि “हे षडानन कार्तिकेय ! सुनो, मैं संक्षेप में बताता हूँ, पूर्व काल में युद्ध में मुश्किल से जीता जाने वाला दैत्यों का राजा त्रिपुर था. उस दैत्यराज त्रिपुर नें जब सभी देवताओं को युद्ध में परास्त कर कर स्वर्ग पर अधिकार कर लिया. तो ब्रह्मा, विष्णु, इन्द्र, प्रमुख देवगण तथा पन्नग गण मेरे पास आ कर त्रिपुर का बध करने के लिए मेरी प्रार्थना करने लगे. देवताओं की प्रार्थना सुन कर संसार की रक्षा के लिए मैं बेग से अपने धनुष के साथ सर्व देवमय भयहारी कालाग्नि नाम के दिव्य अघोर अस्त्र को ले कर दैत्य राज त्रिपुर का बध करने के लिए चल पड़ा. लेकिन उसे हम त्रिदेवों से अनेक वर प्राप्त थे, इसलिए युद्ध में लम्बा समय लगा, एक हजार दिव्य वर्षों तक लगातार क्रोद्धमय युद्ध करने से व योगाग्नि के तेज के कारण अत्यंत विह्वल हुये मेरे नेत्रों से व्याकुल हो आंसू गिरने लगे, योगमाया की अद्भुत इच्छा से निकले वो आंसू जब धरा पर गिरे और बृक्ष के रूप में उत्त्पन्न हुये, तो रुद्राक्ष के नाम से विख्यात हो गए, ये षडानन रुद्राक्ष को धारण करने से महापुण्य होता है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है, रुद्राक्षों के दिव्य तेज से आप कैसे दुखों से मुक्ति पा कर सुखमय जीवन जीते हुये शिव कृपा पा सकते हैं।
 
  • यदि रुद्राक्ष को राशि, ग्रह और नक्षत्र के अनुसार धारण करने से उसकी फलों में कई गुणा वृद्धि हो जाती है. ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रुद्राक्ष बहुत उपयोगी होता है. कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त रुद्राक्ष धारण करना अमृत के समान होता है. 
  • रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है, इसे धारण करने से व्यक्ति उन सभी इच्छाओं की पूर्ति कर लेता है जो उसकी सार्थकता के लिए पूर्ण होती है. रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान नहीं होता यह किसी न किसी रूप में व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति कराता है.
  • कई बार कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के उपरांत भी उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार उचित नहीं होता  इसलिए इन योगों के अचित एवं शुभ प्रभाव में वृद्धि के लिए इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण किए जा सकते हैं और यह रुद्राक्ष व्यक्ति के इन योगों में अपनी उपस्थित दर्ज कराकर उनके प्रभावों को की गुणा बढा़ देते हैं. अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी रुद्राक्ष लाभकारी होता है.
  • इसी प्रकार अंक ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण कर सकता है. क्योंकि इन अंकों में भी ग्रहों का निवास माना गया है. हर अंक किसी ग्रह न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है उदाहरण स्वरुप अंक एक के स्वामी ग्रह सूर्य है और अंक दो के चंद्रमा इसी प्रकार एक से नौ तक के सभी अंकों के विशेष ग्रह मौजूद हैं. अतः व्यक्ति संबंधित ग्रह के रुद्राक्ष धारण कर सकता है. इसी प्रकार नौकरी एवं व्यवसाय अनुरूप रुद्राक्ष धारण करना कार्य क्षेत्र में चौमुखी विकास, उन्नति और सफलता को दर्शाता है.
  • वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है।
  • कुंडली में त्रिकोण सर्वाधिक बलद्गााली माना गया है। त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव। लग्न अर्थात जीवन आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि, विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह का रुद्राक्ष धारण करना सर्वाधिक शुभ है।
  • कई बार देखने में आता है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार अशुभ होता है।
  • उदाहरण के रूप में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेद्गा हो, तो अद्गाुभ और चंद्र सप्तमेद्गा हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेद्गा-एकादद्गोद्गा होने पर भी लग्नेद्गा शनि का शत्रु होने के कारण अशुभ नहीं होता।
  • गुरु तृतीयेद्गा-व्ययेद्गा होने के कारण अत्यंत अद्गाुभ होता है। ऐसे में मकर लग्न के जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज धारण करना अशुभ है।
  • परंतु यदि मकर लग्न की कुंडली में गजकेसरी, लक्ष्मी या बुधादित्य जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, मंगल या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाद्गाुभ प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए । अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के लिए चार और एक मुखी रुद्राक्ष।
  • व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में प्रगति पाने के लिए भी रुद्राक्ष धारण कर सकता है जिससे उसे अपने कार्य में सफलता प्राप्त होती है. आइये जानते है की किस क्षेत्र के व्यक्ति को कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए?

समस्या/आवश्यकता/परेशानी/व्यवसाय अनुसार इन रुद्राक्ष को धारण करने से होगा लाभ

विद्या बुद्धि एवं सफलता प्राप्ति हेतु रुद्राक्ष

विद्या,ज्ञान व बुद्धि की प्राप्ति के लिए तीन मुखी व छ: मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसे धारण करने से तीब्र बुद्धि होती है व अद्भुत स्मरण शक्ति प्राप्त होती है, जो पढाई में कमजोर हों वे इसे अवश्य धारण करें,बहुत ज्यादा लाभ मिलेगा, तीन मुखी या छ: मुखी रुद्राक्ष धारण, करने से रचनात्मक कार्यों में भी बहुत लाभ मिलता है, जैसे यदि आप फैशन डिजाइनर हो, सौन्दर्य जगत से जुड़े हो, लेखक या सम्पादक हों, चित्रकार या अनुसंधानकर्ता हों तो ये रुद्राक्ष आपको बहुत लाभ प्रदान करेंगे,

रोजगार,व्यक्तित्व विकास एवं इन्टरवियू में सफलता हेतु रुद्राक्ष

यदि आप अपना चौमुखी विकास करना चाहते हों तो या रोजगार पाना चाहते हों तो नौ मुखी, चार मुखी या फिर तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करें, इसे धारण करने से सहनशीलता,बीरता,साहस,कर्मठता में बृद्धि होती है, इसका सबसे बड़ा गुण ये भी है की ये रुद्राक्ष संकल्प शक्ति में बृद्धि करते हैं जिससे आप अपने लक्ष्य तक जरूर पहुंचते ही है, बेरोजगार या नौकरी की तलाश कर रहे व्यक्ति को इससे उत्तम रोजगार प्राप्त होता है, यदि आप बार बार इन्टरवियू में असफल हो रहे हों तो इनमेंसे कोई एक रुद्राक्ष तुरंत धारण करेने से लाभ मिलेगा, यदि आप जीवन में आगे की बजाय पीछे की और जा रहे हों तो इन रुद्राक्षों को धारण करने से उन्नति अवश्य मिलेगी।

सामाजिक,पारिवारिक समस्याओं एवं विवाह सम्बन्धी समस्याओं के लिए रुद्राक्ष

यदि आपका विवाह नहीं हो पा रहा है या विवाह के बाद गृहस्थी सुखी नहीं है, आपके सम्बन्ध अपने रिश्ते नाते वालों के साथ ठीक नहीं हैं या समाज में शत्रु ही शरु हो गए हों, तो आपको दो मुखी रुद्राक्ष या गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करना चाहिए,इसे धारण करने से घर में होने वाले परस्पर झगड़ों से मुक्ति पाई जा सकती है, ये रुद्राक्ष पति-पत्नी, पिता-पुत्र, भाई-बहन,गुरु शिष्य अथवा मित्रों आदि के साथ के मतभेदों को दूर करता है, लड़के लड़कियों के विवाह में अनावश्यक विलम्ब हो रहा हो तो इसे जरूर धारण करवाएं लाभ मिलेगा, आप मंगलबार के दिन इनमे से कोई भी रुद्राक्ष धारण करें

 दुर्घटना से बचाव, बुरी नजर, जादू-टोनों, बुरे ग्रहों से बचाव व अपनी सुरक्षा हेतु रुद्राक्ष

यदि आप अपनी सुरक्षा को ले कर बहुत चिंतित हों,  वाहन चलने से घबराते हों, बार-बार दुर्घटनाएं होती हों, कुंडली हमेशा ही कोई नीच ग्रह या बाधा बनी रहती हो, भाग्य आपका साथ न दे रहा हो, जादू-टोनों से या फिर बुरी नजर से परेशान हों, भूत प्रेत अथवा सांप चूहे छिपकली से डर लगता हो, तो आपको ग्यारह मुखी या फिर दस मुखी रुद्राक्ष धारण काना चाहिए, यदि घर में बुरे साए का वास हो जो आपको परेशान करता हो तो सभी पारिवारिक सदस्य इसे धारण करें, यदि आप पवित्रता से रख सकते हैं तो वाहन अथवा तिजोरी की चाबी में छल्ले के रूप में भी आप इसका प्रयोग कर सकते हैं

 प्रेम प्राप्ति अथवा आकर्षण हेतु रुद्राक्ष

यदि आप किसी से प्रेम करते है और चाहते है की आपका प्रेम परिणित हो अथवा आप आकर्षण प्राप्त करना चाहते हों, तो छ: मुखी या तेरह मुखी रुद्राक्ष धारण करें, आप थियेटर या मंच से जुड़े हुये हों, धर्माचार्य हों या शिक्षक हों, मार्केटिंग या प्रचार माधयमों जैसे टीवी रेडिओ फिल्म आदि से जुड़े हैं तो आप ये रुद्राक्ष धारण कर लाभ पा सकते हैं, आपका प्रेम सम्बन्ध यदि टूट गया है, या आपके जीवन में कोई है जिसे आप खोना नहीं चाहते तो ये रुद्राक्ष फायदेमंद रहेगा

अखंड धन लाभ एवं कार्य व्यवसाय, व्यापार से लाभ प्राप्त करने हेतु रुद्राक्ष

यदि आप व्यापारी हैं कोई व्यवसाय करते हैं, कोई कंपनी चलाते है, या कोई निजी व्यवसाय करते है जिससे आपको धन लाभ की आकांक्षा है, तो आप सातमुखी, ग्यारह मुखी,गणेश रुद्राक्ष अथवा लक्ष्मी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, इन रुद्राक्षों को धारण करने से गरीवी का नाश होता है, जिस व्यवसाय में आप हैं उसी से आपको लाभ मिलने लगता है, आपका यश, मान, प्रतिष्ठा ऐसी बढती है की हर ओर से धन ही धन आने लगता है,आपके जीवन के सुखों में ओर अधिक बृद्धि होती है

रोगमुक्ति, स्वास्थ्य व लम्बी आयु हेतु रुद्राक्ष

यदि सदा तरह-तरह के रोगों से ही घिरे रहते हों, बीमारियाँ आपका पीछा ही नहीं छोड़ रही हों, यदि आप मानसिक रूप से भी परेशान ही रहते हों, चिंताएं खाए जा रही हों, कुंडली या क्रूर ग्रह अकाल मृत्यु का संकेत दे रहे हों तो आपको चौदह मुखी या आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अकाल मृत्यु को टालने की इनमें अभूतपूर्व क्षमता है, रोग नाश के साथ-साथ जीवन की विकट परिस्थितियों में उचित निर्णय लेने की क्षमता भी प्रदान करता है

समाजसेवा, शासन-प्रशासन, सत्ता  या राजनीती में सफलता हेतु रुद्राक्ष

 यदि आप समाज सेवी हैं और अपने कार्यों को तीब्रता से करना चाहते हैं, शासन प्रशासन में अपनी पकड मजबूत करना चाहते हैं, आप युवा नेता या गहरे राजनीतिज्ञ हैं और अपने क्षेत्र के मुकाम को हासिल करना चाहते हैं, तो आपको बारह मुखी या सात मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इससे व्यक्ति की कीर्ति, यश, सूर्य के सामान चमकने लगती है, इसे धारण करने से बाणी में चातुर्य आता है संबोधन में आकर्षण पैदा होता है, आप अपनी गहरी छाप सब पर छोड़ सकते हैं

मुसीबत से या कोर्ट कचहरी मुकद्दमों से शीघ्र मुक्ति हेतु रुद्राक्ष

यदि आप पर कोई मुसीबत आन पड़ी हो कोई रास्ता न सूझ रहा हो या आप कोर्ट कचहरी के मामलों में फँस गए हों, आपका धैर्य जबाब देने लगा हो, जीवन केवल संघर्ष ही रह गया हो, अक्सर हर जगह अपमानित ही महसूस करते हों, तो आपको सात मुखी, पंचमुखी अथवा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने चाहियें, समस्याओं के मध्य से भी तुरंत हल निकाल आएगा।

अंकशास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण 

अंक ज्योतिष के अनुसार जातक को अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। . से 9 तक के अंक मूलांक होते हैं। प्रत्येक अंक किसी ग्रह विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे अंक 1 सूर्य, . चंद्र, . गुरु, 4 राहु, 5 बुध, 6 शुक्र, 7 केतु, 8 शनि और 9 मंगल का। अतः जातक को मूलांक, भाग्यांक और नामांक से संबंधित ग्रह के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।  कार्य-क्षेत्र के अनुरूप रुद्राक्ष कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है।
किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है। 
  • नेता-मंत्री-विधायक सांसदों के लिए – 1 और 14 मुखी।
  • प्रशासनिक अधिकारियों के लिए – 1 और 14 मुखी।
  • जज एवं न्यायाधीशों के लिए – 2 और 14 मुखी।
  • वकील के लिए – 4, 6 और 13 मुखी।
  • बैंक मैनेजर के लिए – 11 और 13 मुखी।
  • बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के लिए – 4 और 11 मुखी।
  • चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए – 4, 6, 8 और 12 मुखी।
  • एकाउन्टेंट एवं खाता-बही का कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए – 4 और 12 मुखी।
  • प्रोफेसर एवं अध्यापक के लिए – 4, 6 और 14 मुखी।
  • गणितज्ञ या गणित के प्रोफेसर के लिए – 3, 4, 7 और 11 मुखी।
  • इतिहास के प्रोफेसर के लिए – 4, 11 और 7 या 14 मुखी।
  • भूगोल के प्रोफेसर के लिए – 3, 4 और 11 मुखी।
  • क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनोग्रॉफर के लिए – 1, 4, 8 और 11 मुखी।
  • ठेकेदार के लिए – 11, 13 और 14 मुखी। प्रॉपर्टी डीलर के लिए – 3, 4, 1. और 14 मुखी।
  • दुकानदार के लिए – 10, 13 और 14 मुखी। मार्केटिंग एवं फायनान्स व्यवसायिओं के लिए – 9, 12 और 14 मुखी।
  • पुलिस अधिकारी के लिए – 9 और 13 मुखी।
  • पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए – 4 और 9 मुखी।
  • डॉक्टर एवं वैद्य के लिए – 1, 7, 8 और 11 मुखी।
  • जीशियन (डॉक्टर) के लिए – 10 और 11 मुखी।
  • सर्जन (डॉक्टर) के लिए – 10, 12 और 14 मुखी।
  • नर्स-केमिस्ट-कंपाउण्डर के लिए – 3 और 4 मुखी।
  • दवा-विक्रेता या मेडिकल एजेंट के लिए – 1, 7 और 10 मुखी।
  • मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए – 3 और 10 मुखी।
  • मेकैनिकल इंजीनियर के लिए – 10 और 11 मुखी।
  • सिविल इंजीनियर के लिए – 8 और 14 मुखी।
  • इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए – 7 और 11 मुखी।
  • कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए – 14 मुखी और गौरी-शंकर।
  • कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर के लिए – 9 और 12 मुखी।
  • पायलट और वायुसेना अधिकारी के लिए – 10 और 11 मुखी।
  • जलयान चालक के लिए – 8 और 12 मुखी।
  • रेल-बस-कार चालक के लिए – 7 और 10 मुखी।
  • उद्योगपति के लिए – 12 और 14 मुखी।
  • संगीतकारों-कवियों के लिए – 9 और 13 मुखी। लेखक या प्रकाशक के लिए – 1, 4, 8 और 11 मुखी।
  • पुस्तक व्यवसाय से संबंधित एजेंट के लिए – 1, 4 और 9 मुखी।
  • दार्शनिक और विचारक के लिए – 7, 11 और 14 मुखी।
  • होटल मालिक के लिए – 1, 13 और 14 मुखी। रेस्टोरेंट मालिक के लिए – 2, 4, 6 और 11 मुखी।
  • सिनेमाघर-थियेटर के मालिक या फिल्म-डिस्ट्रीब्यूटर के लिए – 1, 4, 6 और 11 मुखी।
  • ज्योतिषी के लिए – 1, 4, 11 और 14 मुखी रुद्राक्ष ।
  • पुरोहित के लिए – 1, 9 और 11 मुखी।
  • ज्योतिष तथा धार्मिक कृत्यों से संबंधित व्यवसाय के लिए – 1, 4 और 11 मुखीll
  • जासूस या डिटेक्टिव एंजेसी के लिए – 3, 4, 9, 11 और 14 मुखी।
  • सोडा वाटर व्यवसाय के लिए – 2, 4 और 12 मुखी।
  • फैंसी स्टोर, सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री के विक्रेताओं के लिए – 4, 6 और 11 मुखी रुद्राक्ष।
  • कपड़ा व्यापारी के लिए – 2 और 4 मुखी।
  • बिजली की दुकान-विक्रेता के लिए – 1, 3, 9 और 11 मुखी।
  • रेडियो दुकान-विक्रेता के लिए – 1, 9 और 11 मुखी।
  • लकडी़ या फर्नीचर विक्रेता के लिए – 1, 4, 6 और 11 मुखी।
  • जीवन में सफलता के लिए – 1, 11 और 14 मुखी।
  • जीवन में उच्चतम सफलता के लिए – 1, 11, 14 और 21 मुखी।
  • विशेष : इनके साथ-साथ 5 मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जाना चाहिए।

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