क्या ज्योतिष की नजर में .5 मई के बाद कोरोना का हो जाएगा समाधान ???
 
 कहा जाता है कि जहां से विज्ञान सोचना बंद कर देता है, वहां से अध्यात्म और धर्म की शुरुआत होती है। ऐसे में कोरोना जैसी महामारी को लेकर ज्योतिषाचार्यों ने भी अपनी-अपनी गणनाएं शुरु कर दी हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार यह प्रकोप राहु, केतु और मंगल ने मिलकर बृहस्पति को प्रताड़ित कर दिया है। इसी कारण यह महामारी फैली है। इसका प्रकोप अप्रैल माह से भारत से धीरे-धीरे कम होना शुरु हो जाएगा लेकिन इसका पूर्ण समाधान 15 मई के बाद जब बृहस्पति और शनि की यूति ऊंचाई पर पहुंचेगी, तब हो पाएगा, तब तक लोगों को स्व केन्द्रीत रहने पर ही ध्यान देना होगा।

इस संबंध में उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि कोरोना की राशि मिथुन बनती है। वायरस को राहु केतु से संबंधित माना जाता है। केतु धनु में गुरु के साथ है और राहु मिथुन राशि में है तथा मिथुन का स्वामी बुध पिछ्ले दिनों कुंभ राशि मे बक्री थे।

मिथुन राशि पर मंगल, गुरु केतु और उसके स्वामी बुध व राहु पर शनि तथा सूर्य का प्रभाव 15 मार्च ..20 तक था। अब सूर्य मीन में है और मिथुन व राहु पूरी तरह से मंगल, शनि, केतु, गुरु से प्रभावित हो रहे हैं। इसिलिए कोरोना यानी राहु भीषण रुप से फैल रहा है और दुनिया के बाद भारत मे महामारी बनने को सक्रिय हो चुका है।

उन्होंने कहा कि भारत में बीमारी को हरा दिया जायेगा, क्योंकि .0 मार्च 2020 से मकर राशि में गुरु, मंगल और शनि की यूति होने जा रही। इससे राहु का प्रकोप शांत होने लगेगा, जो शनि अभी अकेले है। वहां उसके साथ गुरु व मंगल होंगे तो इससे मिथुन राशि पर से प्रभाव हट जायेगा। जीव जगत भी राहु के प्रभाव से दूर हो जायेगा। अब मकर में मंगल के आने से शनि जो की राहु को सपोर्ट व शक्ति दे रहा है। वह रुक जायेगा तथा मंगल यानी चिकित्सा और पुलिस की सख्ती से कंट्रोल होने लगेगा।

देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमित मामलों की संख्या बहुत ही बढ़ गई हैं। एक तरफ जहां वैज्ञानिक, शोधार्थी और डॉक्टर्स इस बीमारी को हराने की कोशिश में लगे हैं, वहीँ ज्योतिषशास्त्र भी कोरोना को लेकर भारत के उज्जवल भविष्य की कामना कर रहा है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी कि माने तो भारत में कोरोना का प्रवेश और निकास दोनों ग्रहों पर आधारित है। बताया जा रहा है कि भारत का प्रभाव लग्न ‘वृषभ’ में आना देश के लिए अच्छी खबर ला सकता हैं।
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भारत से टल सकती है मुसीबत—

ज्योतिषी पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार जीव उत्पति के कारक शुक्र 28 मार्च को दोपहर बाद 3 बजकर 36 मिनट पर मेष राशि की यात्रा समाप्त करके अपनी स्वगृही राशि वृषभ में प्रवेश कर रहे हैं। अपनी राशि वृषभ में शुक्र 4 माह 3 तक की लंबी अवधि तक बने रहेंगे। इस राशि पर गोचर करते समय ये 13 मई 2020 को वक्री होंगे और पुनः 25 जून 2020 को मार्गी होकर 1 अगस्त 2020 की सुबह मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, वक्री-मार्गी अवस्था में इतनी अवधि तक अपने घर में शुक्र का गोचर करते रहना भारतवर्ष की जन्मकुंडली के लिए किसी वरदान साबित हो सकता है।

शुक्र ग्रह करेगा कल्याण—
ज्योतिषशास्त्र सृष्टि में शुक्र को जीवाश्म का कारक मानता है। यह जीवाश्म पृथ्वी पर किसी भी आकार में हो सकता है, फिर वो चाहे अणु से भी छोटा हो या बड़े से बड़ा ही क्यों न हो। तरह तरह के वायरस में भी शुक्र के ही प्रभाव देखे जाते हैं। भारत की जन्म लग्न वृषभ में शुक्र का आना और मालव्य जैसे योगों का निर्माण करना देश के लिए अच्छा संकेत है।


इस महामारी पर विजय के सम्बंध में  ज्योतिष कहता है कि भारत की प्रभाव राशि कर्क से लाभ स्थान में शुक्र का गोचर करना भी भारत को अति आर्थिक क्षति ना होने पाए इसे रोकने में मदद करेगा। यदि देश की जनता केंद्र सरकार के बताए गए नियमों का पालन करती है तो अति शीघ्र भारतवर्ष में बढ़ रहे कोरोना जैसे महामारी के मरीजों पर विराम लग जाएगा और हम इस महामारी पर विजय प्राप्त करेंगे।

उन्होंने कहा कि 30 मार्च 2020 के बाद आने वाला स्पताह में कोरोना का कहर घटने लगेगा, तथापि जब 14 अप्रैल 2020 से सूर्य मेष में उच्च का होगा तो शनि और उसका केंद्र सम्बंध होने से तथा जीवों की आत्मशक्ति प्रबल होने से भी इस महामारी को रोकेगा और भारत को सुरक्षित कर लिया जायेगा। हालांकि थोड़ी बहुत इसकी चिंता जून अन्त तक रहेगी, लेकिन 14 अप्रैल 2020 से सिस्टम चलने लगेगा ,पूरा देश पटरी पर लौट आयेगा।

वैदिक ज्योतिष शास्त्रो के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस का असर 30 मार्च के बाद से खत्म होने लगेगा। ग्रहों की चाल से इस महामारी का इलाज निकलेगा और यह समस्या  धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।

 ज्योतिष के अनुसार आद्रा नक्षत्र में राहु का संचरण काल 11 सितंबर 2019 से शुरू होने के बाद से इसका असर पूरे विश्व में दिखने लगा था। इसका प्रभाव पूरे विश्व में 22 मई 2020 तक रहेगा। भारत की कुंडली के हिसाब से नवम भाव में गुरु बृहस्पति के आने से राहु ग्रह यानि कोरोना के असर से राहत महसूस होगी। इस पर जीत हासिल कर भारत सभी के लिए आदर्श साबित होगा।

रूद्र राहु के देवता हैं। वह हलाहल विष पीने वाला भगवान है। राहु सभी प्रकार के जहर और इसलिए वायरस पर शासन करता है। इसलिए जैसे ही राहु ने अरुद्र नक्षत्र में प्रवेश किया, वायरस के बीज अंकुरित होना शुरू हो गए। चीनी डॉक्टरों ने आधिकारिक तौर पर दिसंबर की शुरुआत में इसे वायरस घोषित कर दिया था लेकिन अब समाचारों के अनुसार चीनी अधिकारियों द्वारा इस खबर को कुछ समय के लिए दबा दिया गया था।

अब जब यह 22 अप्रैल 2020 को मृगसिरा नक्षत्र में जाएगा तब कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो जाएगा क्योंकि मृगशिर पर अमृत के देवता सोमा का शासन है। इसलिए हमारे पास अभी भी 22 अप्रैल 2020 तक जाने के लिए एक महीना है इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सलाह दी गई सभी सावधानी बरतें।

राहु का संबंध धुएं और आसमान दोनों से है। ऐसे ही कोई वायरस हवा में कहीं भी पहुंच जाता है। शनि हवा में पैदा हुए कण हैं, जो इसको फैलाने में मदद करते हैं। अभी राहु अपनी उच्च राशि मिथुन में गोचर कर रहे हैं, जो भारत की कुंडली का दूसरे घर हैं यह आम इंसान के मुंह और नाक के ग्रह का भी घर है। इस घर में चंद्र उच्च के और बृहस्पति कारक ग्रह हैं। शनि अपनी मकर राशि में हैं और ये हमारी ऑक्सीजन को प्रभावित करते हैं। जिसका कारक ग्रह बृहस्पति है। नाक के जरिए सांस लिया जाता है और ऑक्सीजन शरीर तक पहुंच कर जीवन प्रदान करती है।

कोरोना वायरस का हमला श्वास के जरिए मानव शरीर में पहुंच कर नुकसान पहुंचा रहा है। पूरे ब्रह्मांड की ऑक्सीजन पर बृहस्पति का स्वामित्व स्थापित है। ऑक्सीजन बारिश के कारण पैदा होती है, जिससे पेड़-पौधे फलते-फूलते हैं और स्वच्छ वायु देते हैं। जिसका कारक ग्रह चंद्र है। वर्तमान समय में भारत पर कोरोना वायरस का असर शुरू हो चुका है।चंद्र और बृहस्पति दोनों ग्रह उत्तर दिशा को केंद्रित करते हैं। भारत में इसका असर उत्तरी भारत में ज्यादा होगा जैसे कि दिल्ली, हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर। होली के बाद इसका असर बढ़ा। अमावस्या से यानि कि 24 मार्च 2020 से इस कोरोना वायरस को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

लेकिन 29 मार्च 2020 की शाम 7 बजकर 8 मिनट पर बृहस्पति का मकर में प्रवेश शनि-मंगल के इस उबाल पर पानी डाल देगा। शनि-बृहस्पति की युति आज के डरावने परिदृश्य में ठंडी हवा की बयार की तरह आएगी और मरहम लगाएगी और इस महामारी की मारक तासीर में कमी आएगी। 

ज्योतिष ग्रंथो में राहु-केतु दोनो को बैक्टीरिया, वायरस या संक्रमण दायक या कारक ग्रह माना जाता है। राहु को रोगों का रायता फैलाने वाला क्रूर ग्रह  बताया गया है। 
संक्रमण/इंफेक्शन से उत्पन्न रोग और छिपी/दबी हुई सभी बीमारियों का ग्रह माना गया है। राहु के द्वारा होने वाली बीमारियों का समाधान,  तो सहज मिल भी सकता है, किंतु केतु एक गूढ़ रहस्यमयी भ्रमित करने वाला ग्रह है। केतु के कारण होने वाली बीमारियों का उपाय आसानी से मिल पाना असंभव प्रतीत होता है।
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गुरु-केतु की युति…बनाती है-चंडाल योग

गुरु अर्थात बृहस्पति जीव और जीवन का कारक ग्रह है जो सन्सार के सभी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व  करता है इसलिए जब भी गोचर में गुरु-केतु की युति होती है, तब ऐसे काल में  अत्यंत खतरनाक और जानलेवा संक्रमण दुनिया भर में क्षण भर में फैलते हैं, जिन्हें खोज  पाना अथवा चिन्हित करना एवं उसका इलाज ढूढ़  पाना संदिग्ध होता है। इसमें भी विशेष बात यह है कि इसलिए जब भी ब्रह्माण्ड में यह योग होता है, तो गुरु-केतु की चांडाल युति में बहुत ही विचित्र तरह की रहस्मयी बीमारियां या संक्रमण अचानक पनप जाते हैं, जिनका वैज्ञानिकों के पास कोई तोड़ या समाधान नहीं होता।
इस प्रकार के इन्फेक्शन का इलाज आसानी से नहीं
मिल पाता इस समय कोरोना वायरस के साथ कुछ-कुछ ऐसा ही हो रहा है ।

4 मई 2020 की शाम 7 बजकर 59 मिनट पर जब मंगल शनि से पिंड छुड़ाएगा और कुंभ राशि में जाएगा, विश्व की नकारात्मकता में सहसा कमी आएगी और शुभ फलों में इज़ाफ़ा होगा और मई के मध्य में परिस्थितियां बदल जाएंगी। 

सितारों का यह संकेत है कि इस महामारी का अंत एक झटके में हो जाएगा। तब तक सावधानी आपके कष्ट में कमी का माध्यम ।

30 मार्च 2020 से बृहस्पति अपनी नीच राशि में प्रवेश करेंगे, जहां शनि देव पहले से ही बैठे हैं। आठवें भाव में मंगल और केतु अंगारक दोष बना रहे हैं। ग्रहों के इस प्रभाव के परिणाम स्वरूप आमजन मानस को अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ेंगे। दिन के बजाय रात में करोना वायरस का असर ज्यादा रहेगा, लेकिन जैसे-जैसे गर्मी का मौसम बढ़ेगा तो इसके प्रभाव में कटौती होनी शुरू हो जाएगी। 13 अप्रैल 2020 से सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे तो कोरोना वायरस का अंत शुरू होगा। इसके लिए हर व्यक्ति को अपना चंद्र और बृहस्पति शुभ स्थिति में रखने की अवश्यकता है।

हम भारत की बात करें तो 13 अप्रैल 2020 के बाद सूर्य मेष राशि में प्रवेश करने जा रहा है। जी हां, प्राप्त जानकारी के अनुसार, मेष राशि में सूर्य उच्च का माना जाता है। सूर्य ग्रह को जी दर्शन कहा जाता है। इसकी वजह से दोपहर 2 बजे के बाद भारत में कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही 15 अप्रैल 2020 के बाद भारत में इस वायरस के बढ़ते मामले रुक जाएंगे। अब दूसरे देशों की बात करें तो वे अधिक पीड़ित हो सकते हैं।

वर्तमान में 22 मार्च 2020 से 4 मई 2020 तक शनि और मंगल एक साथ में मकर राशि में एक साथ रहेंगे और साथ में गुरु महाराज भी रहेंगे ।उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि आगामी 04 मई 2020 को मंगल अपनी मकर राशि को छोड़ कर कुम्भ में चला जायेगा । उसी  सूत्र के अनुसार 22 मार्च के बाद से भारत व विश्व में आई इस महामारी ने विकराल रूप धारण किया हुआ है और आप सब देखिये इस ग्रहों के साथ जब गुरु 29 मार्च की रात से मकर राशि में अपना आगमन किया तो शनि व मंगल व गुरु एक साथ और राहु सामने इसलिए एक वाइरस के रूप में विश्व में महामारी का भयंकर रूप धारण कर लिया है ।

चूंकि कोई महामारी अब फैली ओर उसका अनुसन्धान करने का प्रयास किया तो पुस्तकें पढ़ने का मन बनाया और उसमें एक सिद्धान्त मिला जो गजब की बात मिली।

 जब जब शनि और गुरु एक साथ युति करते है या आमने सामने आते है तो उस समय एक नाटकीय परिवर्तन होता है यह परिवर्तन उस समय ही होता है जब उस समय मंगल साथ में हो या सामने हो तो नाटकीय, हिंसक ओर ऐतिहासिक परिदृश्य के रूप में जाना जाता है । 

वर्तमान में जो गोचर चल रहा है, उसके अनुसार 13 अप्रैल 2020 तक समय दुनिया के लिए ज्यादा सावधानी का है। उसके बाद सूर्य दो हफ्ते के लिए स्थिति में काफी सुधार करेंगे। सूर्य की आभा को भी उसका कोरोना कहा जाता है। इस कोरोना के चक्र की शुरुआत 26 दिसंम्बर 2019 के सूर्यग्रहण से हुई है। जब सूर्य, चंद्र और बृहस्पति ये तीनों ग्रह बुध के साथ मूल नक्षत्र में राहु, केतु और शनि ग्रसित थे। मूल का अर्थ जड़ होता है। 

इसे गंडातंका नक्षत्र कहा जाता है जो प्रलय दर्शाता है। इस पर देवी निरति का अधिपत्य है। निरति का संबंध धर्म के अभाव से है। इनका जन्म समुद्र मंथन में कालकूट विष से हुआ था। इन्हें अलक्ष्मी भी कहा जाता है। ये विध्वंस की देवी हैं और इनकी दिशा दक्षिण-पश्चिम है। भारत के भी दक्षिण-पश्चिमी राज्यों में इनका प्रकोप दिख रहा है। उक्त सूर्य ग्रहण के ठीक 14 दिन बाद चंद्रग्रहण भी पड़ा। ये सभी ग्रह फिर से राहु, केतु और शनि से पीड़ित हुए। 

जैसे ही 15 जनवरी 2020 को केतु अपने मूल नक्षत्र में पहुंचे कोरोना वायरस ने रंग पकडऩा शुरू कर दिया। यह वुहान से बाहर अन्य स्थानों पर भी फैलना शुरू हुआ। केतु 23 सितम्बर तक इसमें गोचर करेंगे और यह समय एहतियात वाला है। राहु-केतु दोनों को रुद्र ग्रह बोला जाता है। यह शब्द संस्कृत की धातु रुद् से उत्पन्न है जिसका अर्थ है रोना। राहु सूर्य और चंद्र को नुकसान पहुंचाता है तो केतु नक्षत्रों को। 


इस पूरे समय में राहु प्रलय के नक्षत्र अद्रा में चल रहे हैं। 20 मई तक वह इसी नक्षत्र में रहेंगे। इस नक्षत्र पर शिव का तांडव रूप है। इसका संबंध तारकासुर के साथ है, जिसे ब्रह्मा से अमरत्व मिला था। शिव पुत्र ही उसका वध कर सकता था, इसलिए देवों के सेनापति कार्तिकेय का जन्म हुआ। इस तरह यह समय एक महापुरुष के आने का भी संकेत कर रहा है। रुद्र हमेशा समाधिलीन शांत माने जाते हैं मगर राहु का वहां से गुजरना उन्हें उद्दीप्त कर रहा है। 

इस रूप में उनकी शक्ति काली हैं। शिव जब रुद्र रूप धारण करते हैं तो प्रकृति में सब तरफ तांडव होता है। राशियों पर भी इसका अच्छा-बुरा प्रभाव दिखता है। आद्रा से गुजरकर राहु भाद्रपद की ऊर्जा को खराब करते हैं। यह अस्पताल के बेड और मरीज की शैया का प्रतीक है। गुरु का उत्तरअषाढ़ा नक्षत्र में गोचर करना भी भाद्रपद को परेशानी में डालता है। इससे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।
यहां पर यह सूत्र लागू हुआ है तो इसका मतलब यह महामारी 4 मई 2020 तक पूरे विश्व को अपनी आगोश में ले लेगी और मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा होगी । अब आप ये मत कहना कि यह बात पहले क्यों नहीं बताई गई थी । अरे भाई कोई मुसीबत या कोई दुर्घटना सामने आती है तो उसका अनुसन्धान किया जाता है और आगे से ऐसी दुर्घटना होने से पहले सूचित किया जा सकता है ।


होनी अनहोनी भगवान के हाथ होती है पर लोगों को ज्योतिष परविश्वास रहना जरूरी है मैं पहले भी आपको चेता देता हूँ कि सामने 2020 और 2021 में शनि और गुरु व मंगल फिर आपने सामने या एक साथ होंगे वह तारीख भी आपके सामने रख दी जाएगी 

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि यह महामारी 22 मार्च 2020 से एक बार फिर 30 मार्च 2020 से विकराल रूप धारण करते हुए 4 मई 2020 तक अपने भयानकता से मानव जीवन पर एक संकट को स्थापित करेगी उसके बाद धीरे धीरे 14 मई 2020 को जब गुरु वक्री होंगे फिर अपनी ताकत कम करती हुई विश्व को आगोश में लेना बंद कर देगी ऐसा विश्वास है दावा नहीं । 

बचा रहे है सूर्य—-
सूर्य भी भाद्रपदा नक्षत्र से गुजर रहे हैं। वह इस सौरमंडल में ऊर्जा का स्रोत हैं। इसी वजह से बड़ी संख्या में मरीज ठीक भी हो रहे हैं। सूर्य की इस स्थिति की वजह से 28 व 29 मार्च को चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ बड़ी उपलब्धियां हो सकती हैं। मगर 31 मार्च से 13 अप्रैल तक सूर्य रेवती नक्षत्र में होंगे। यह मोक्ष का नक्षत्र है। यहां सूर्य कमजोर होंगे और संकट बड़ा रूप ले सकता है। मगर 14 अप्रैल से 27 अप्रैल तक वह अपनी उच्च राशि मेष के नक्षत्र अश्विनी से गोचर करेंगे। इस समय में कोई बड़ी उपलब्धि मिल सकती है।

पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि वृषभ लग्न की भारत की कुंडली में नवम भाव में आकर मंगल और गुरु की शनि से युति होगी जो कि महामारी के रूप में फैले कोरोना के प्रकोप को कम करेंगे। बाद में 14 अप्रैल 2020 को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश और 26 अप्रैल को बुध के भी मेष राशि में आकर सूर्य से युति करने के साथ तापमान में तेजी से वृद्धि होगी और भारत को कोरोना के कहर से मुक्ति मिल जाएगी। लेकिन यूरोप, चीन और अमेरिका में कोरोना का असर केतु के आगामी सितंबर महीने में धनु राशि में गोचर करने तक बना रह सकता है।

रूद्र राहु के देवता हैं। वह हलाहल विष पीने वाला भगवान है। राहु सभी प्रकार के जहर और इसलिए वायरस पर शासन करता है। इसलिए जैसे ही राहु ने अरुद्र नक्षत्र में प्रवेश किया, वायरस के बीज अंकुरित होना शुरू हो गए। चीनी डॉक्टरों ने आधिकारिक तौर पर दिसंबर की शुरुआत में इसे वायरस घोषित कर दिया था लेकिन अब समाचारों के अनुसार चीनी अधिकारियों द्वारा इस खबर को कुछ समय के लिए दबा दिया गया था।

अब जब यह 22 अप्रैल 2020 को मृगसिरा नक्षत्र में जाएगा तब कोरोना वायरस का प्रभाव कम हो जाएगा क्योंकि मृगशिर पर अमृत के देवता सोमा का शासन है। इसलिए हमारे पास अभी भी 22 अप्रैल 2020 तक जाने के लिए एक महीना है इसलिए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सलाह दी गई सभी सावधानी बरतें।
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उत्तराषाढा नक्षत्र के अधिपति भगवान सूर्य हैं। जब तक शनि इस नक्षत्र में रहेंगे, तब तक प्रकार से दुनिया त्रस्त और तबाह हो जाएगी। अभी जनवरी 2021 तक शनि, सूर्य के नक्षत्र रहेंगे।
अभी यह अंगड़ाई है-  22 मार्च 2020 को शनि के साथ मङ्गल भी आ जाएंगे। मङ्गल भूमिपति अर्थात
पृथ्वी के स्वामी है। इन दोनों का गठबंधन और भी
नये गुल खिलायेगा। मकर मङ्गल की उच्च राशि भी है।
अनेकों अग्निकांडों से, जंगल में आग आदि विस्फोटों से सृष्टि थरथरा जाएगी। इस समय कोई देश परमाणु हमले भी कर सकता है। शनि-मंगल की युति यह बुद्धिहीन योग भी कहलाता है।

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2020-क्लेश ही क्लेश, नो पीस…
गुरु-केतु की युति से निर्मित चांडाल योग राजनीति में बम विस्फोट करता रहेगा। राज्य सरकारों की अदला-बदली का रहस्मयी खेल चलता रहेगा। कुछ बड़े राजनेताओं, पुलिस अधिकारीयों, न्यायधीशों के जेल जाने से देश में अफरा-तफरी का माहौल बनेगा। दुनिया के कई देशों में बमबारी हो सकती है। गृहयुद्ध, कर्फ्यू आदि लग सकता है। कुछ देश अपने ही नागरिकों को मारने का भरसक प्रयास करेंगे। मानव संस्कृति के लिए ये वक्त बहुत भयानक होगा।शनि के संग मङ्गल की युति किसी अप्रिय घटना का इतिहास बनाता है। इस समय ऐसी घटनाएं उन फर्जी लोगों के साथ ज्यादा होंगी, जो बाला जी की अर्जी लगाकर, अपनी मनमर्जी से चलते हैं। यह समय बहुत भय-भ्रम, आकस्मिक
दुर्घटनाओं के वातावरण से भरा होगा।
किसी-किसी देश में इमरजेंसी जैसा माहौल हो सकता है। कुछ देश टूट भी सकते हैं। बंटबारे की भी संभावना सम्भव है।
कोरोना वायरस जैसी महामारी के साथ-साथ और भी बीमारियां मानव जाति को खत्म कर सकती हैं,
जो लोग अधार्मिक हैं। वेद एवं ज्योतिष कालगणना अनुसार कलयुग में जब सूर्य-शनि एक साथ शनि
की राशि मकर में होंगे। राहु स्वयं के नक्षत्र आद्रा में परिभ्रमण करेंगे और विकार या विकारी नाम सम्वत्सर होगा।
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क्या है  विकार नामक सम्वत्सर- 
जैसे साल में बारह महीने होते हैं, वैसे ही सम्वत्सर ६० होते है। यह वर्ष में 2 आते हैं। तीस साल बार पुनः प्रथम सम्वत्सर का आगमन होता है।बविकार या विकारी नामक हिन्दू धर्म में मान्य संवत्सरों में से एक है। यह 60 संवत्सरों में तेतीसवाँ है। इस संवत्सर के आने पर विश्व में भयंकर विकार या वायरस फैलते हैं। इसीलिए इसे विकारी नाम सम्वत्सर कहा जाता है। जल वृष्टि या वर्षा अधिक होती है। 

मौसम में ठंडक रहती है। इस समय पृथ्वी/प्रकृति के स्वभाव को समझना मुश्किल होता है। विकार नामक सम्वत्सर के लक्षण/फल माँस-मदिरा सेवन करने वाले दुष्ट व शत्रु कुपित दुःखी या बीमार रहते हैं और श्लेष्मिक यानि कफ, सर्दी-खांसी,जुकाम का पुरजोर संक्रमण होता है।
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यह बड़े-बड़े चांडाल, फ्रॉड, बेईमान दयाहीन, अहंकारी लोगों को सड़कों पर लाकर खड़ा कर देगा। बीमारियों के इलाज से कई जन हैंड to माउथ हो जाएंगे। भयानक गरीबी, मारकाट फैलने का भय हो सकता है। एक आंख में सूरज थामा,  दूसरे में चंद्रमा आधा। चारों वेदों में सूर्य को ऊर्जा का विशाल स्त्रोत और महादेव की आंख माना है।

दीर्घमायुर्बलं वीर्यं व्याधि शोक विनाशनम् 
सूर्य पादोदकं तीर्थ जठरे धारयाम्यहम्।।
 
भावार्थ: सूर्य ही एक मात्र ऐसी शक्ति है,
जो देह को रोगरहित बनाकर लंबी उम्र, बल-बुद्धि एवं वीर्य की वृद्धि कर सभी व्याधि-विकार, रोग-बीमारी, शोक-दुःख का विनाश कर देते है। 
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संक्रमण/वायरस प्रदूषण नाशक सूर्य…
सूर्य एक चलता-फिरता, मोबाइल प्राकृतिक चिकित्सालय है। सूर्य की सप्तरंगी किरणों में अद्भुत रोगनाशक शक्ति होती है।

अथर्ववेद (3.7) में वर्णित है-

 ‘उत पुरस्तात् सूर्य एत, दुष्टान् च ध्नन् 
 अदृष्टान् च, सर्वान् च प्रमृणन् कृमीन्।’

 अर्थात- सूर्य के प्रकाश में, दिखाई देने या न
दिखने वाले सभी प्रकार के प्रदूषित जीवाणुओं-कीटाणुओं और रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता है।
सूर्य की सप्त किरणों में औषधीय गुणों का अपार भंडार है। प्रातःकाल से सूर्यास्त के मध्य भगवान सूर्य अनेक रोग उत्पादक विषाणुओं-कीटाणुओं तथा संक्रमणों का नाश करते हैं। वात रोग, त्वचा के विकार और किसी भी तरह के संक्रमण या वायरस मिटाने के लिये सूर्य की किरणें सर्वश्रेष्ठ ओषधि है।
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वास्तव में, पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को समाप्त होने में दो से अधिक महीने तक का समय लग सकता है। ज्योतिष के अनुसार, उनके अनुसार, जून से जुलाई के बीच, दुनिया को इस वायरस से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा। इसके साथ ही इस दौरान इस वायरस की दवा मिलने की भी उम्मीद है। साथ ही भारत को दुनिया से पहले इस वायरस से छुटकारा मिल जाएगा। खैर, क्या होगा यह तो आप समय ही बता पाएंगे।

वैदिक शास्त्रों के अनुसार, इस समय विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना या श्रीरुद्रम का पाठ करना स्वास्थ्य समस्याओं के लिए महान उपचार हैं। यदि ये लंबे संस्कृत श्लोक आपके लिए कठिन हैं, तो ओम नमो नारायणाय या ओम नमो भगवते वासुदेवाय या शिव मंत्र जैसे ओम नमः शिवाय या महा मृत्युंजय मंत्र आदि का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना अच्छा संरक्षण है।

।।शुभमस्तु।।
।।कल्याण हो।
सावधान रहे। सुरक्षित रहें।
घर पर ही रहें।

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