जानिए कैसा हो आपके घर के शौचालय का वास्तु,
 वास्तु शास्त्र के अनुसार  —
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वास्तु एक ऐसा पुराना विज्ञानं है जो इंसान के जीवन में बहुत एहमियत रखता है। वास्तु के नियमों का पालन करने से मुसीबतें दूर रहती है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि वास्तु हर जगह काम आता है। वास्तुशास्त्र के निदान व केलकुलेशन के पीछे पूरी तरह से वैज्ञानिक दृष्टिकोण छिपा है। इसमें सूर्य की किरणों, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र तथा भौगोलिक स्थिति का पूरा-पूरा ध्यान निर्माण से पूर्व रखा जाता है। घर चाहे छोटा हो या बड़ा, उसमें रहना वाला हर व्यक्ति चाहता है की शुभ प्रभाव बना रहे। पण्डित दयानन्द जी के अनुसार यदि घर को बनाते समय ही वास्तु के नियमों का ध्यान रख लिया जाए तो कभी भी आप विनाश के कगार पर नहीं पहुंच पाएंगे।

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा भी निर्धारित है।चाहे वो घर का निर्माण हो, ऑफिस का या शौचालय का। हाँ आपने सही पढ़ा शौचालय बनाने में भी वास्तु काम आता है। 

वास्तु के अनुसार घर का नक्शा निर्धारित करते वक़्त शौचालय के बारे में भी सोचे।  वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा निर्धारित की हुई है। शौचालय को इस दिशा में बनाने से मुश्किलें कम होती है। प्रधान मंत्री के द्वारा शुरू किया हुआ स्वच्छ भारत अभियान भी शौचालय के तरफ ध्यान दे रहा है। इसीलिए वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानना जरूरी है। पहले लोग किसी भी दिशा में शौचालय बना लेते थे। लेकिन अब वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानने के बाद ही बनवाते है। 
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मित्रो वास्तु शास्त्र  के अनुसार शोचालय की जगह आप के घर मे कहा होनी चाहिए ओर   कहा नही होनी चाहिए ??😢😢


 यदि आपके घर की पूर्व दिशा में शौचालय है तो ये कष्ट कारी होगा स्वस्थ्य के लिए ओर सन्तान की तररकी में बाधा का कार्य करेगा साथ  ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करेगा । अगर आप के घर  पूर्व दिशा में शौचायल बनी हुई है तो शौचालय की छत में बांस का प्रयोग करके दुष्टप्रभावों को कम कर सकते है। 

आप के घर मे शोचालय अगर दक्षिण दिशा के मध्य है । ये भी समसिया ओ का कारक है । उसके प्रभावों को कम करने के लिये टॉयलेट के दरवाजे पर तांबे की पत्ती जड़वाने से कुछ राहत हो जाएगी।

शौचालय हमेशा एक के ऊपर एक बनवाना चाहिए।
शौचालय में ब्रश करते वटक आपका मुख उतर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
ईशान कोण में शौचालय नहीं बनवाना चाहिए। यह हानिकारक होता है।

आजकल टाॅयलेट और बाथरूम एक साथ बनवाने का चलन बढ गया है। लेकिन शौचालय और बाथरूम एकसाथ नहीं बनाने चाहिए। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो उनके बीच में एक दीवार अवश्य खड़ी करवाएं। शौचालय का निर्माण कभी ही मध्य स्थान, ईशान कोण, दक्षिण पश्चिम कोण या आग्नेय कोण की ओर नहीं होना चाहिए।

घर के मध्य भाग में शौचालय भूल से भी न बनवाएं। एक तो यह निर्माण की पूरी व्यवस्था को बिगाड़ देता है, वहीं इससे आपकी प्रगति में रुकावट आती है और घर के सदस्य हमेशा बीमार ही रहते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि दक्षिण पश्चिम कोण में बने शौचालय से हमेशा घर के मुखिया के स्वास्थ्य और जीवन में समस्याएं पैदा होती रहती हैं। इसके अलावा ईशान कोण पर होने से आर्थिक परेशानियां एवं मानसिक रूप से आप हमेशा अस्थिर बने रहते हैं।

कोशिश करें कि घर में शौचालय की सीट पश्चिमी या दक्षिणी दिशा में हो। दरअसल शौचालय का इस्तेमाल करते समय आपका चेहरा उत्तर, पश्चिम या दक्षिण दिशा में होना चाहिए। ऐसे कमोड का दक्षिण-पश्चिम में होना सबसे उत्तम होता है।

इसके अतिरिक्त घर में प्रवेश करते ही सामने शौचालय होना भी वास्तु शास्त्र में सही नहीं माना जाता। ऐसा होने से व्यक्ति को हमेशा ही पेट संबंधी बीमारियों का सामना करना पडता है।

उतर पश्चिम में शोचालय आप के ऊपर ऋण(कर्ज )  बढ़ा सकता है। आप की प्रॉपर्टी को बिका सकता है ।
वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है। शौचालय में राहु का वास होता है। अगर आप इन दोनों को एक साथ बनाते है तो चंद्रमा को राहु की वजह से ग्रहण लग जाता है। इसके कारन बहुत सारे दोष हो जाते है। इनका असर व्यक्ति के मन और स्वस्थ्य पर पढता है। इसलिए स्नानगृह और शौचालय अलग रखें।

सीढियों के नीचे कभी भी बाथरूम न बनवाएं, ये वास्तु की नजर से सही स्थान नही है।
हमेशा बाथरूम का दरवाजा बंद रखे ताकि नेगितिविटी आपके घर में न फैले। अगर आपका बाथरूम का दरवाजा हमेशा खुला रहता है तो इसका असर आपके व्यक्तिगत जीवन और आपके करियर पर पड़ता है।

वास्तु के नियमों के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा को  शोचालय (अशुद्धि विसर्जन) के लिए उपयुक्त माना जाता है।

यदि आपके घर  का निर्माण हो चुका है और आप वास्तुदोष से पीड़ित हैं तो शौचालय की उत्तर पूर्वी दीवार में एक दर्पण लगा लें।।

आप शोचालय की नकारात्मक ऊर्जा हो खत्म करने केलिए शोचालय में किसी छोटे डबे य्या मग आदि में सबूत फिटकरी भी रख सकते है।।
जानिए कैसा को आपके घर के शौचालय का वास्तु —
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आइए अब जानते है वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा कोनसी है?

वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा कोनसी है?

भारत के स्वतंत्रता के वक़्त यह माना जाता था की शौचालय घर के बाहर होना चाहिए। बड़े बुजुर्ग कहते थे की मूल-मूत्र त्यागने का कार्य घर के बाहर ही सही है। इसका एक कारण यह भी है की घर में पूजा घर होता है। लेकिन अब शौचालय कमरे के अंदर बनाया जाने लगा है। ऐसा बदलते समय के कारण हुआ है। किसी भी दिशा में लोग शौचालय बना लेते थे।

लेकिन वास्तु शास्त्र की बढ़ती हुई एहमियत के कारण सब बदल गया है। अब वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा तय करी जाती है।ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की शौचालय बनाते वक़्त शौचालय वास्तु पर ध्यान दिए जाने लगा है। वास्तुशास्त्र के अनुसार शौचालय घर के दक्षिण – पश्चमी दिशा के बीच में बनवाना चाहिए।वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा यही है। शौचालय वास्तु के अनुसार इस दिशा में शौचालय बनवाना लाभकारी होता है।
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वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जानना क्यों जरूरी है ?

वास्तु के नियमों का पालन करने से कोई हानि नहीं है। बल्कि आपको लाभ ही होता है। लेकिन इन नियमों का पालन ना करने की वजह से मुसीबतों का सामना जरूर करना पढ़ सकता है। इसलिए वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा का पालन करना जरूरी है।
शौचालय के मदद से आप अपनी जिंदगी से बेकार चीज़े बहार निकालते है। इस कार्य के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा उचित मानी जाती है। इसीलिए इसे वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा माना जाता है। इस दिशा में शौचालय बनाने से व्यक्ति अपनी बेकार और कष्टकारी चीज़ो का विसर्जन कर सकता है।  इसीलिए ख़राब ऊर्जा वाली जगह पर शौचालय का निर्माण होना चाहिए।

अगर शौचालय वस्तु के अनुसार शौचालय की दिशा में नहीं है तो:
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घरवालों के बीच मनमुटाव हो सकता है।
वैवाहिक जोड़े के बीच भी कलह हो सकता है।
व्यवसाय में हानि हो सकती है।
नौकरी या किसी भी पेशे में भी दिक्कतें आ सकती है।
परिवार के लोग रोग से पीड़ित रहते है।
ग्रह स्वामी में आत्मविश्वास की कमी है।
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शौचालय वास्तु —
वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा का पालन करना जरूरी है। शौचालय बनाते वक़्त इन बातों का जरूर ध्यान दीजिये:
शौचालय बनवाते वक़्त उसमे लगने वाले उपकरणों की वजह से नकारात्मक ऊर्जा नहीं पैदा होनी चाहिए। ऐसा अगर होता है तो घर के सदस्य बीमार रहते है।
घर में टॉयलेट और बाथरूम एक साथ मत बनाये। वास्तु के अनुसार ऐसा करने से वास्तु दोष होता है। इस वास्तु दोष की वजह से आपको कई मुसीबतों का सामना करना पढ़ता है। घर में कलह भी बना रहता है।
यह जरूर ध्यान रखें की शौचालय बनाने की वजह से सकरात्मक ऊर्जा नष्ट नहीं हो। ऐसा अगर होता है तो आपको आर्थिक मुसीबतें हो सकती है। इसके साथ साथ बरकत या सफलता में भी रुकावटें आती है। शौचालय के लिए हमेशा नकारात्मक ऊर्जा वाली जगह चुने।
शौचालय कभी घर के मुख्य द्वार के सामने नहीं बनाएं। ऐसा करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा आती है। यह हानिकारक होता है।
शौचालय और स्नानगृह कभी साथ में मत बनवाएं। स्नानगृह हमेशा घर के पूर्व दिशा में होना चाहिए। शौचालय हमेशा वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा निर्धारित की जगह पर बनवाएं।
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ऐसा हो बाथरूम वास्तु–
वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा जो निर्धारित है उसी का इस्तेमाल कीजिये।
वास्तु शास्त्र के अनुसार स्नानगृह में चंद्रमा का वास होता है। शौचालय में राहु का वास होता है। अगर आप इन दोनों को एक साथ बनाते है तो चंद्रमा को राहु की वजह से ग्रहण लग जाता है। इसके कारन बहुत सारे दोष हो जाते है। इनका असर व्यक्ति के मन और स्वस्थ्य पर पढता है। इसलिए स्नानगृह और शौचालय अलग रखें।
बाथरूम और टॉयलेट भी अलग होने चाहिए।
बाथरूम में पानी का बहाव उतर या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
बाथरूम का फर्श चिकना नहीं बनाएं। ऐसा करने से घरवालों को हानि हो सकती है। टाइल्स, मार्बल या ग्रेनाइट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
बाथरूम में टपकता हुआ नल नहीं होना चाहिए। अगर कोई नल ऐसा है तो उसको सही करवा लीजिये।
बाथरूम में लगी हुई खिड़की पूर्व दिशा में खुले तो अच्छा होता है।
हमेशा बाथरूम का दरवाजा बंद रखे ताकि नेगितिविटी आपके घर में न फैले। अगर आपका बाथरूम का दरवाजा हमेशा खुला रहता है तो इसका असर आपके व्यक्तिगत जीवन और आपके करियर पर पड़ता है।
आपके बाथरूम के बाहर कोई भी सजावट का सामान न रखे और न ही किसी देवता की मूर्ति या फोटो लगाये।
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वास्तु के अनुसार टॉयलेट —-
वास्तु के अनुसार टॉयलेट बनाना जरूरी और लाभदायक होता है। नीचे दिए हुए कुछ दिशाओं में टॉयलेट नहीं बनाना चाहिए। इन दिशाओं में शौचालय बनाने से मुसीबतें आती है। आइए जानते है इन दिशाओं के बारे में:

पश्चिम दिशा में शौचालय नहीं बनाना चाहिए। इस दिशा का प्रयोग करने की वजह से व्यक्ति को मनोवांछित फल नहीं मिलते।
उतर दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए। ऐसा करने से रोजगार की तकलीफें होती है। धन पाने में रुकावटें भी आती है।
शौचालय के लिए उतर-पूर्व दिशा भी उचित नहीं है। इस दिशा के इस्तेमाल से व्यक्ति की रोगो से बचने की क्षमता कम हो जाती है। घरवाले ज्यादातर बिमारियों से पीड़ित रहते है।
घर के पूर्व दिशा में शौचालय नहीं बनाएं। ऐसा करने पर घरवाले हमेशा थकान महसूस करते है। इस दिशा के प्रयोग से व्यक्ति के सामाजिक रिश्ते नष्ट हो जाते है।
यह ध्यान रखें की टॉयलेट कभी भी रसोई के सामने नहीं हो।
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वास्तु के अनुसार शौचालय के सीट की दिशा — 

टॉयलेट सीट की दिशा भी जरूरी है। आइए देखते है कोनसी है यह दिशा :
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पश्चिम या दक्षिण दिशा में टॉयलेट सीट रखनी चाहिए।
टॉयलेट सीट के लिए दक्षिण – पश्चिम सबसे उचित दिशा है।
टॉयलेट सीट का प्रोयग करते वक़्त आपका मुख दक्षिण या पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।
टॉयलेट सीट का प्रयोग करते वक़्त कभी भी मुख पूर्व दिशा की तरफ नहीं रखें। यह दिशा सूर्य भगवान् की है। अगर आप इस दिशा की तरफ मुख करके शौच करते है तो सूर्य देव का अपमान होता है। ऐसा करने से आपको कानूनी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
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वास्तु फॉर अटैच्ड बाथरूम एंड टॉयलेट —
ऐसे शौचलय की दीवारों का रंग सफ़ेद, हल्का नीला, हल्का पीला या आसमानी रंग होना चाहिए।
ऐसे व्यवस्था में वाशिंग मशीन के लिए दक्षिण या आग्नेय कोण सही दिशा होती है।
दर्पण हमेशा पूर्व या उतरी दिवार पर लगाना चाहिए।
वास्तु अनुसार अगर बाथरूम की दीवार और आपके पलग की दीवारे एक है तो आपको डरवाने सपने आने लगेंगे।
इस बात का ख़ास ख्याल रखे कि आपके बाथरूम का वश बेसिन और नहाने की जगह बाथरूम के पूर्व, उत्तर या उतर पूर्व में हो।
बाथरूम में अगर एग्जॉस्ट फैन है तो वो पूर्व या उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए ताकि वहां से आपके बाथरूम में फ्रेश हवा और सूरज की रोशनी आ सके।

आपके बाथरूम में वेंटिलेशन होना चाहिए।
बाथरूम का इंटीरियर करवाते वक्त इस बात का ध्यान रखे कि बाथरूम की टाइल्स काली या गहरी नीले रंग की न हो। आपके बाथरूम की दीवार भूरे रंग,क्रीम रंग या मिटटी के रंग से मिलता जुलता कोई रंग होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा
सीढियों के नीचे कभी भी बाथरूम न बनवाएं, ये वास्तु की नजर से सही स्थान नही है।
बाथरूम का दरवाजा लकड़ी का बना होना चाहिए न कि लोहे का , लोहे के दरवाजे नैगेटिव एनर्जी पैदा करता है जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नही होगा ।
वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में शौचालय हमेशा दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए।
शौचालय का गटर आपके घर के पश्चिम या उत्तर दिशा में होना चाहिए।
दक्षिण दिशा के अलावा शौचालय की खिड़कियाँ और दरवाजा किसी भी दिशा में हो सकते हैं
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वास्तु शास्त्र के अनुसार शौचालय —
शौचालय में पानी का बहाव उतर पूर्व दिशा से होना चाहिए।
अगर आप शौचालय में गीज़र लगवा रहे है तो शौचालय अग्नि कोण में बनवाएं। गीज़र के साथ वास्तु के अनुसार शौचालय की दिशा मानते है।
आज कल ज्यादातर लोग बैडरूम में शौचालय बनवाते है। यह गलत है। ऐसा करने से बैडरूम और बाथरूम की ऊर्जा में टकराव होता है। इसका घरवालों के स्वास्थय पर भी असर करता है। दोनों के बीच में एक चेंजिंग रूम बनवाएं। यह हमेशा ध्यान रखें की उपयोग के बाद शौचालय का दरवाज़ा बंद हो। ऐसे बाथरूम की खिड़कियां पूर्व दिशा में होनी चाहिए। एग्जॉस्ट फैन भी पूर्व दिशा में लगवाना चाहिए।
यह ध्यान रखें की जब आप सोये तब शौचालय का दरवाजा आपके मुख की तरफ नहीं हो।

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