जन्म कुंडली के .. भावों और सूर्य का प्रभाव एवम उपाय , व्यवसाय/रोजगार–
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प्रतिष्ठा का प्रतीक हैं सूर्य देव 

मित्रो आज से हम सूर्य देव के बारे  जन्म कूण्डली के  12 भावो कैसे फल देते है इसके बारे  जनाना शरू करंगे । आज हम कूण्डली के प्रथम भाव मे सूर्य के होने पर क्या फल मिलते है जानेंगे । उस पहले हम जानते है सूर्य के बारे में 

#सूर्य सिंह राशि मे 1 से 2. अंश तक मूल त्रिकोण के माने जाते है और 21 से .0 अंश तक स्वक्षत्रि  होते है। मेषे राशि के 10 अंश तक सूर्य उच्च के तुला के 10 अंश तक नीच के होते है । 

सूर्य को महर्षि कश्यप का वंशज होने के नाते कश्यप गोत्रीय कहा जाता है। सूर्य देव शनि के पिता भी है इनका अधिकार अमाशय पर रहता है और पेट सम्बधी विकृतियों का परिचालन भी करते है। सूर्य देव पुल्लिंग ओर राजस गुण वाले है । सुर्य का गुरु के साथ सात्विक ,चद्रं के साथ राजस  ओर मंगल के साथ तामस व्यवहार है ।शनि ,शुक्र ,राहु ,केतु  के साथ उनकी शत्रुता है ।

जन्म कूण्डली में अपने से सातवे घर को  अपनी पूर्ण द्र्ष्टि से देखते है । विशोंतरी दशा अनुसार सूर्य की महादशा 6 वर्ष की होती है ।

सूर्य देव नीच राशि गत होने पर किडनी जरूर खराब करते है य्या पथरी का रोग जरूर देते है।  सूर्य अगर तुला राशि मे 10 से 20 अंश तक हो तो एपेंडिक्श एवम किडनी का रोग होता है । अगर तुला के सूर्य पर तुला के ही शनि  ,राहु , केतु ,पाप ग्रह हो तो जातक की किडनी 20 से 22 वर्ष की आयु से पहले खराब हों सकती है । 6, 7 , 8 घर के सूर्य पर भी विशेष ध्यान देना चईये । आइए आज जानते है सूर्य के प्रथम भाव मे होने पर फलित के बारे में ।
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लग्न (प्रथम भावस्थ सुर्य )
जिन जातकों के लग्न में सूर्य होता है  उंनको विवाह सम्बधित पेरशानी आती है ।  लग्न का सूर्य जातक को अपनी आत्मा से अधिक जुड़ाव करवाता है या कह ले कि आत्मा की अधिक सुनने वाला होता है। जातक के सिर पर बाल कम होते है। लग्नस्थ सूर्य आंखों में भी रोग देता है। क्रोध की अधिकता  ,लंबे कद वाला एवम क्षमा करने वाला होता है । किसी के अंडर में रहकर इनको काम करना पसंद नही है । सूर्य के साथ मंगल की युति हो तो जातक के आंखों का ऑपरेशन ,मोतियाबिंद ओर सिर पर भारी चोट के संकेत करता है। वे लग्न में सूर्य उच्च राशि मे होने पर इज्जत खूब देता है। एवम राजनीतिक प्रभाव बहुत रखता है।  सूर्य ईगो का भी कारक है  ईगो तो पेर्शनल्टी में होगा ही साथ ही जो ईगो आपके अंदर है वे आप के जीवन साथी के अंदर भी होगा ।उच्च के सूर्य पर किसी शुभ ग्रह की द्र्ष्टि पड़ रही होतो जातक बहुत विद्धवान होता है। नीच के सूर्य पर नीच के ही मंगल की दशम ग्रह में बैठकर द्र्ष्टि डालता ह तो जातक के आंख कान वे दिमाग   सम्बधित रोग देता है। कर्क राशि का सूर्य लग्न में बैठकर  जातक को विद्धवान तो करता है । पर जातक को रन्तोधि जरूर करता है। मकर राशि का सूर्य लग्न में बैठकर ह्रदय रोग देता है  मीन का सूर्य विपरीत लिंग के प्रति आसक्त करता है। अगर लग्न में कण्या राशि सूर्य हो तो जातक को कण्या सन्तति अधिक होती है।
लग्नेश सूर्य जातक को  विशाल ललाट वाला  कंठ नेत्र में तिल एवम किशोर अवस्था मे बहुत हीं कष्ट देता है। ऐसा जातक अपने पिता की सेवा करने वाला । अपने अतीम समय मे अपनीं ओलाद के लिए धन जरूर छोड़ कर जाता है।
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सूर्य( in 2nd house ) #दूसरे  #भाव  में 

कुण्डली के दूसरा भाव से हम देखते है हमारे परिवार को हमारी वाणी को हमारे धन को ओर जितनी भी कीमती वस्तु ऐ है रत्न ज्वेलरी कीमती सामान दूसरे भाव से देखा जाता है । आप के  चहरे के तेज को आप की वाणी को  आप के धन संचय को दूसरे भाव से देखा जाता है । अब समझेते है कि सूर्य दूसरे भाव मे होने पर क्या फल देता है।
सूर्य अग्नि प्रदान ग्रह है आप के चहरे पर तेज अधिक होगा  सूर्य दूसरे भाव मे होने से आप अपने परिवार का नेतृत्व करंगे या फिर आप के पिता नेतृत्व करंगे मुख्य भूमिका में होंगे । आप के पिता की वैल्यू आप के परिवार में होगी या आप की सबसे अधिक वैल्यू आप के परिवार में होगी
धन भाव मे सूर्य धन को इक्कठा नही करने देता है। लाख कमाये लाख खर्च हो जाते है । लेकिन सूर्य उच्च या उच्च नवंमांश का होकर स्थत्ति हो स्वग्रही हो तो जातक धन संग्रह जरूर करता है।
सूर्य दूसरे भाव  में आप की वाणी में घमंड बढयेगा जब भी आप किसी से बात करंगे अपना रोब जरूर रखंगे अपना अपने परिवार का रोब जरूर करंगे । आप बहुत अच्छे  फिलॉस्फर   होंसकते है।
 सूर्य के साथ बुध दूसरे भाव मे हो तो जातक को अच्छे बुरे का पहले से ही अभाष  हो जाता है।  ऐसे जातक के मुह से बाते सत्य ही निकलती है। लेकीन भाई बन्धु में सम्बंध मधुर नही रहते । सूर्य के साथ चन्द्र होने पर आंख सम्बधि रोग होगा एवम ऑपरेशन भी होंसकता है । मंगल सूर्य की युति धन के लिए ठीक नही है । मुँह सबंधित रोग भी दे सकती है ।
सूर्य अगर मेष ,सिंह, धनु राशि का  दूसरे भाव मे हो तो जातक काम चोर होता है  लेकिन उसको बड़ा बनने की प्रबल इच्छा लगी रहती है। पृथ्वी तत्व राशि वर्षभ ,कण्या ,वे मकर राशि मे हो तो आर्थिक दृष्टिकोण से चिंतित रहता है । ऐसे जातक कितनी भी मेहनत कर ले फिंर भी धन का अभाव बना रहता है।  जलतत्व राशियों में यानी कर्क, वर्सचिक, मीन  होने पर जातक राजकीय सेवा में उच्च पद पाता है और धन भी इक्कठा करता है। लेकिन जीवन का मध्य काल रोगों से पीडित रहता है। परिवार में किसी  प्रिये की मौत का आघात सहन करना पड़ता है। पैतृक सम्पति से  वंचित रहना पड़ता हैं ।
मेष का सूर्य सिंह  का सूर्य दूसरे भाव मे आप की आवाज में दम देगा आप  की वाणी से आप के चहरे के तेज से लोगो  प्रभावित होंगे आकर्षित होंगे। दूसरा भाव दूसरी शादी के लिए भी देखा जाता है । और सूर्य उच्च का है य्या स्वराशी है तो होंसकता जो भी आप की पोजिशन है वेल्यू है जो भी आप की रॉयल्टी है वो दूसरे शादी के बाद प्राप्त कर ले। सूर्य दूसरे भाव मे आप के परिबार के तेज बढ़ाता है आप के चहरे के तेज को बढ़ाता है आप की वाणी में घमंड भी देता है । तो आप अपनी वाणी में सरलता रखें । संयम से विन्रम होकर अपनी वाणी को काम मे ले ।।
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सूर्य और #कुण्डली का #तीसरा #भाव 

आज की हमारी  पोस्ट है तीसरे भाव मे सूर्य के होने पर जीवन में  क्या प्रभाव होता है । सूर्य जैसे कि आप जानते है कारक है पिता का आत्मा का मान सम्मान का आप के ego  (घमंड) का  
तीसरे  भाव का सम्बंध है। मीडिया से विज्ञापन से माकेर्टिंग से तर्क वितर्क से है हाथ के द्बारा किये जाने वाले जितने भी कार्य है उनका सम्बंध तीसरे भाव से है आप के भाई बहन का सम्बंध भी तीसरे भाव से है ।छोटी यात्राएं आदि से है। आप के  साथ काम करने वाले सहकर्मियों का सम्बंध भी तीसरे भाव से है। 
सूर्य जब कूण्डली के तीसरे भाव मे आएगा तब जो लोग आप के  साथ काम करते है वे लोग थोड़ा सा आप से दबा हुआ महशुश करंगे सूर्य के प्रभाव के कारण ये होगा आप के भाई भी आप के प्रभाव  के कारण थोड़े दबे हुए रहंगे यहाँ आप की ego बाहर निकल कर आयेगी ।आप अपने सह कर्मियों को ज्यादा महत्व नही देंगे क्यों कि आप ये समझन्गे की जो क्षमता आप मे है वो उनमें में नही है । जिस जातक की कूण्डली में तीसरे घर मे सूर्य होता है ये भाई यो  पर विशेष खराब होता ह । विशेषकर बड़े भाई को  म्रत्यु तुल्य कष्ट  सहन करना पड़ता है। सूर्य अगर पुरुष राशि मे हो तो जातक अपनी माता पिता की अकेली सन्तान होता है  लड़ाई झगड़े कोर्ट कचहरी में जीत होती है।  अपवाद स्वरूप जातक के भाई हो तो कभी एक साथ नही रहंगे  । दोनो का विभाजन शांति पूर्ण हो जाता है। यदि सूर्य तीसरे  घर मे स्त्री राशि का हो तो बंटवारे के समय झगड़ा जरूर होता है वाद विवाद कोर्ट में सुलझता है। स्त्री राशि वाले जातक को धन की कमी नही होती लेखन कला में बहुत निपुण होता है । लेकिन आलस्य के कारण लेखन नही करता ।
तीसरे भाव का सूर्य जातक को बहुत क्रेटिव बनाता है  ।प्रसिद्धि भी दिलाता है ।अभिनेता के गुण देता है । पत्रकार ,न्यूज़ एंकर ,tv कलाकार  भी बना सकता है । तर्कवितर्क की क्षमता में माहिर करता है।
ऐसा जातक मित्रो का हितैषी ,स्त्री पुत्रो से युक्त धनी , धर्यवान, क्षमाशील , होता है। 
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सूर्य और कुण्डली का चतुर्थ भाव (4th हाउस) 

इस पोस्ट के द्वारा हम समझेंगे चतुर्थ भाव मे सूर्य होने पर क्या फल मिलता है।
सबसे पहले समझते है चतुर्थ भाव को चतुर्थ भाव का सम्बध हमारे सुख से है । माता गाड़ी भूमि वहान से है किसी भी चीज को पाकर आप सुख  महसूस करते है उसका सम्बध चतुर्थ भाव से है । चतुर्थ भाव का सम्बध आप की शुरवाती शिक्षा से भी है ।
सूर्य पिता, आत्मा , ego  अहम  का कारक है । राजा ,राजनीति का कारक भी है । चतुर्थ भाव का सम्बंध आप के घर से है और सूर्य का सम्बध  अहम  से है । आप को अपने घर को लेकर अहम रहेगा आप लोगो के  बीच अपने आप को बड़ा दिखाना पसन्द करंगे घर को लेकर गाड़ी को लेकर । आप अपने शहर समाज के लोगो के बीच सब से खास बनना पसन्द करंगे  like a king  चतुर्थ भाव मे शुभ ग्रह की दृष्टि के प्रभाव में सूर्य बहुत अच्छे फल देता है ।सूर्य राजा है जातक को राजा के समान जीवन यापन करवाता है। लेकिन माता पिता में किसी एक का ही सुख देता है । चतुर्थ सूर्य जातक को ऐसा अधिकार दिलाता है। जिस से समाज मे शहर में नाम बहुत ऊंचा होता है । समाज मे प्रतिष्टित होता है।  राज्य सता धन पाकर मानं सम्मान से सम्पन्न होता है। मित्रो के द्वारा जातक को बहुत सहायता मिलती है । सूर्य के साथ मंगल भी हो तो जातक को जमीन से बहुत लाभ होता है। सूर्य कारक है पिता का चतुर्थ भाव कारक है जमीन का आप के  पिता  बिल्डर हो सकते है मत्स्य पालन में हो सकते है शिक्षक हो सकते है।  जातक बहुत भावुक प्रवर्ति ओर दुसरो पर जल्दी विश्वास करने वाला होता है। सूर्य के साथ राहु, मंगल, शुक्र , होने पर हार्ट अटेक य्या सीने सम्बधित रोग देता है।  सूर्य के साथ केवल राहु  अचानक से प्रसिद्धि फेम दिला सकता है ।  शराबी भी बना सकता है। अशुभ अवस्था के सूर्य के साथ अगर पापी ग्रह भी हो तो मन को भी शांति नही रहती ।  सूर्य  के साथ केतु होने पर   आप को अपना ज्ञान नही होगा  आप मे आत्म विश्वास की कमी हो सकती है ।  चित सदा अशांत रहता है।  सूर्य के साथ शनि य्या सूर्य पर शनि की दृष्टि जातक के प्रगति के पथ पर देरी का कार्य करेगी 35 वर्ष की आयु तक सफलता में  देरी संघर्ष अधिक रह सकता है। 
सूर्य का चतुर्थ भाव मे होना ये भी दर्शाता है कि आप के घर मे आप के परिवार को माता लीड करेगी । य्या आप की माता राजनीति में पद रह सकती लोकल लीडर शिप में हो  सकती है कुलमिलाकर आप मे आप की माता में लीडर शिप क्षमता होगी  जो राजनीति में लीडरशिप में  टीचर ,प्रोफ़ेसर, स्कूल निर्माता आदि में  सफ़लता मिल सकती है। स्वराशी सूर्य आपको  को दम्भी बनाता है। व्यर्थ ही अपने बंधु बांधवों से झगड़ा करता है। वर्सचिक य्या कुम्भ  राशि का सूर्य जातक को सुख अनुभव नही करवाता । बाल्यावस्था में ही उस से अपने पिता की मृत्यु का शोक सहन करना पड़ता है। वर्षभ राशि का सूर्य हो तो बहु पत्नी योग बनता है। य्या जातक अन्य स्त्रियों से योन सम्बध रखता है। 
चतुर्थ सूर्य होने के कारण जातक बचपन मे अभावग्रस्त रहकर दुख उठाता है। लेकिन जवानी में अपने भुजबल से आवास आदि का सुख प्राप्त करता है। मध्यम आयु में वाहन सुख भी मिलता है।  लेकिन बुढ़ापे में कष्ट मिलता है अगर भावुकता छोड़ दे तो सुखी होता है।।
तो भावुक ज्यादा नही रहे। 
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सूर्य और #कुण्डली का #पंचम  #भाव 

#आज की पोस्ट से हम जानेंगे सूर्य कूण्डली के  पंचम भाव मे होने पर  क्या फल देता है ।
#पंचम भाव का सम्बंध है ज्ञान से कला (art ) से आप के certive टेलेंट से  आप की सन्तान से है प्रतियोगिता से पूर्व जन्म के सिंचित पुण्य से है। राजनीति में रुचि बड़े पर्दे की कलाकारी से है।आप  की सिक्षा से आप की बुद्धि से है। 
#सूर्य कारक है आत्मा का पिता का टलेंट का पंचम भाव का सूर्य आप को बहुत अच्छा कलाकार बना सकता है। अच्छा अभिनेता बड़ा राजनैतिज्ञ भी, स्टेज पर अपना परफॉर्मेंस देने में माहिर बनाता है। सूर्य का पंचम भाव मे होना ये भी दर्शाता है कि आप भाग्य शाली इंसान भी है।  #सूर्य अग्नि प्रभाव वाली राशियों में होने पर जैसे मेषे, सिंह ,धनु  में होने पर प्रथम सन्तान के लिए कष्ट कारी होता है। सूर्य केतु के साथ होने पर सन्तान होने में दिक्कत 
#पंचम भाव का सूर्य सन्तति सुख में कमी करता है । ऐसे जातक की स्त्री को गर्भ पात भी हो सकता है। लेकिन पंचम सूर्य एक पुत्र सन्तान जरुर देता है।
ऐसे में पंचम भाव के भाव पति का कूण्डली में शुभ होना जरूरी है । सन्तान के कारक गुरु अगर पंचम में हो या द्र्ष्टि करते है तो सन्तान होने में  दिक़्क़त नही होगी  ।पंचम भाव में सूर्य के होने से जातक बहुत जल्दी आवेश में आने वाला होता है। दूसरों के प्रति जातक का आचरण अच्छा होता है।ब्रह्मांड में सूर्य सबसे तेजस्वी ग्रह माना जाता हैं। सूर्य के इस प्रभाव से पंचम भाव का सूर्य जातक को प्रखर बुद्धि का बनाता है। ऐसे जातक के दिमागी कार्यो का मुकाबला कोई नहीं कर सकता। पंचम सूर्य पापी ग्रहों के साथ  हो या स्वराशी में हो तो ह्रदय रोग से देता है। य्या फिंर सन्तान की कोई बीमारी को लेकर जातक दुखी रहता है। पंचम ग्रह में 4 ,5 ग्रह का एक साथ होना भी अशुभ होता है। सूर्य धन के मामले में जातक को थोड़ा कृपण बनाता है पर कुशल व्यपारी एव सन्तति वान होता है। सूर्य शयेर सट्टा लॉटरी के द्वारा लाभः भी देता हैं।
सूर्य पंचम भाव में अपने मित्रराशि में स्थित होने से जातक को विद्या एवं बुद्धि की शक्ति प्राप्त होती हैं। संतान से सुख मिलता हैं तथा वह साहसी होता है।
सूर्य पंचम भाव में शत्रुराशि में होने से जातक के विद्या अध्ययन में बाधाएँ आती है तथा संतान से कष्ट मिलता है।
तुला का सूर्य अपनी नीच राशि मे होता है जातक को सन्तान से कष्ट और विधा अध्यन में रुकावट बाधा ये झेलनी पड़ती है।
सूर्य पिता का कारक है सन्तान भाव मे होने ये दर्शाता है कि जातक के पिता य्या जातक की सन्तान में कलाकार के गुण होंगे । उन में कोई अपना खाश टेलेंट होगा । पंचम भाव प्रेम रोमंटिक एक्टिविटी का भाव भी है सूर्य का वहां होना  ये दर्शाता है कि आप प्रेम में आत्मीक जुड़ाव मसहूस करंगे ।  आप का व्यवहार काफी हद तक बच्चो के तरह होगा जन्म से गुणी योग्य टैलेंटेड होंगे।।
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सूर्य और #कूण्डली का 6th #हाउस 

#आज हम बात करंगे कूण्डली 6th भाव की जिसमे सूर्य के होने से क्या फल मिलता है। 
#आइए जानते 6th भाव से क्या देखा जाता है।
  
6th भाव  रोग ,शत्रु ,ऋण का भाव है लड़ाई झगड़े का भाव है  कोर्ट मुकदमा, तलाक प्रदूषण और छोटे पालतू जानवरों का भाव है । 6th भाव मिनिस्ट्री सर्विस का भाव भी है। जॉब वर्क का भाव भी है।
#सूर्य   आत्मा  ,पिता ,सरकार  आत्म विश्वास ,अहम का कारक है ।

#अगर 6th भाव मे सूर्य अपनी उच्च राशि स्वराशी मित्र राशि मे होने पर  आप को सरकारी शत्र में सफलता नोकरी मिल सकती है। सूर्य अगर शत्रु राशि मे हो तो आप को  विवादों में लड़ाई झगड़े में मुकदमे में भी फसा सकता है। और सूर्य अगर नीच राशि मे हो तो पिता के साथ विवाद करा सकता है । पिता को स्वस्थ्य सम्बधित समसिया भी हो सकति है अगर नवम भाव का भाव पति कूण्डली में सही नही है तो।
 #सूर्य अगर 6th भाव में नीच का है तो आप को जमीन जायदाद में नुकसान मिलेगा । ह्रदय सम्बधित समसिया आप को हो सकती है । आप का आत्म विश्वास कमजोर हो सकता है।
#पुलिस ,कोर्ट मुकदमे आदि में आप का आना जाना लगा रहेगा। अगर 6th भाव मे सूर्य अच्छी स्थत्ति में है तो आप के पिता पुलिस, सेना , वकील ,डॉक्टर य्या कोई मिनिस्ट्री सर्विस में हो सकते है य्या आप स्वयं इनमे सफलता पा सकते है। सूर्य के साथ शनि है य्या शनि की द्र्ष्टि है तो आप सरकारी शत्र में सफल तो होंगे पर देरी से ओर हो  सकता है आप को ड्यूटी लम्बी करनी पड़े ओवर टाइम करना पड़े। कार्य शत्र में अधिक महेनत शनि बढा देगा।
6th भाव मे सूर्य होने से जातक के  दुश्मन अधिक होंगे । रास्ते में चलते चलते जातक लड़ाई झगड़े कर लेता है। 6th भाव मे सूर्य मामा ओर मौसी पर भारी होता है। सूर्य के साथ बुध हो तो जातक बड़ा लेखक होता है। धन की कमी नही रहती एक दिन अच्छी प्रसिद्वि भी मिलती है। अच्छी या बुरी किसी भी लाइन में प्रसिद्ध  होता है। पेट सम्बधित रोग भी हों सकते हैं ।अगर सूर्य पुरुष राशि मे है तो जातक खाना बहुत खाता है  जिसे लिवर पेट मे जलन अजीर्ण आदि रोग हो सकते है। अच्छी स्थत्ति में सूर्य कोर्ट केस आदि में विजय भी दिला देता है। स्पस्टवादी होता है जिसके के कारण शत्रु अधिक बन जाते है।।
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कुण्डली* *का* *सप्तम* *भाव* *ओर*  *सूर्य* 

#आज हम बात करंगे कुंडली के सप्तम भाव मे सूर्य देव विराजित होने पर क्या फल हो सकते है।

#सप्तम भाव का सम्बध हमारे जीवन साथी से है हमारे व्यपार से है व्यपारिक साझेदारी से है यानी लाइफ पाटनर एंड बिजनेस पाटनर से है। सप्तम भाव का सम्बंध कानून से है । डीलिंग से है ।

#सूर्य कारक है आत्मा का पिता का अहम EGO  का आत्म विश्वास का 

#सप्तम भाव में सूर्य  अधिकतर अशुभ ही फल देता है । स्त्री की कुण्डली में हो तो विशेष कर अहित ही करता है । विवाह होने में बहुत विलम्ब करता है। अगर विवाह हो भी जाता है तो पति और पत्नी दोनों के बीच अहम का टकराव रहता है ।
 क्यों कि दोनों के अंदर ego बढेगा सूर्य अहम ego का कारक है सूर्य  राजा है । सोच पहले अपने बारे में होगी । अपने मान संम्मान के बारे में अपनी वैल्यू के बारे में  सोचेंगे ।  तलाक की सम्भवना भी बढ़ जाती है। य्या फिर शादी का शरुवाती जीवन ठीक नही होगा । अग्नि तत्व राशि( मेष ,सिंह ,धनु)   का सूर्य विवाह में देरी करवाता है। अपवाद के तौर पर दो विवाह करवा देता है। सूर्य के साथ शनि राहु हो तो सर्प दंश दोष होता है।  मंगल सूर्य की युति विवाह जीवन के लिए ठीक नही होगी । अधिकतर केश में 2 विवाह होते देखे है। गुप्तांगों में  रोग समसिया भी देती है ये युति। अगर सप्तम भाव मे पुरष राशि का सूर्य हो तो जीवनपर्यन्त  उतार चढ़ाव रहता है।   सप्तम भाव मे सूर्य होने पर जातक जातिका का विवाह 24 य्या 28 वर्ष बाद करने पर अशुभ फल कम मिलते है।  
#सप्तम भाव किसी भी राशि का सूर्य हो फिर भी किसी के साथ व्यपारिक साझेदारी ( पाटनरशिप )ने करे अन्यथा उसमे आप को नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैवाहिक जीवन के लिए अपने जीवन साथी को भावना को समझे उनको मान सम्मान दे उनको वैल्यू दे रिस्ते काफी हद तक सही रहंगे क्यों कि सूर्य मान संम्मान चाहता है पैसा नही ।
 #सप्तम में सूर्य होने से आप का जीवन साथी आप के  पिता सुर्य पिता का भी कारक है आप का बिजनेश पाटनर बहुत ज्यादा टैलेंट वाले होंगे । डील मेकर होंगे य्या किसी आर्ट कला में निपुण होंगे लाइक आर्किटेक ,कानून में जानकर  व्यापारिक ज्ञान ,आदि ओर ये सब गुण आप मे भी हो सकते है।
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अष्टम #भाव और #सूर्य 

मित्रो आज हम बात करंगे कुण्डली अष्टम भाव मे सूर्य होने पर क्या फल मिलते है।
#अष्टम भाव का सम्बध खुफिया तोर पर किये गए कार्यो से है छुप कर किये जाने वाले कार्यो से हे । जीवन मे आने वाले बड़े परिवर्तन से है । जैसे बाढ़ सुनामी आदि का आना । अष्टम भाव सम्बंध तन्त्र मन्त्र ज्योतिष गूढ ज्ञान  से है। अष्टम भाव आप के गुप्तागों का भाव है। आप के ससुराल का भाग है आप के पत्नी के द्वारा की गई बचत का भाव है । आप की पत्नी की वाणी का भाव है। सरकार के टैक्स विभाग से है बीमा से है खुफिया , खोज शोध , आदि विभाग से है। और खतरनाक कार्यो से है। 
#सूर्य का सम्बध पिता से है आप की आत्मा का कारक है सूर्य आप के अहम का कारक है  आप के आकर्षक का कारक है सूर्य ।
 आप की रुचि तन्त्र मन्त्र ज्योतिष गूढ विधा में हो सकती है । आप खुफिया विभाग जैसे cid जैसे विभाग में बीमा ऑफिस  य्या कोई खतरनाक कार्यो में जिसमे जीवन को खतरा अधिक हो ऐसे कार्यो में हो सकते है। आप के पिता का भी सम्बंध ऐसे विभाग से हो सकता है य्या उनके द्वारा किये जाने वाले कार्य का लोगो को स्पस्ट रूप से पता नही लगेगा ।
तांत्रिक कार्य य्या पुलिस सेना आदि में खुफिया कार्य आदि कुछ ऐसा जो सीक्रिट रहे। 
#अष्टम भाव मे सूर्य हो या कोई पापी ग्रह अष्टम भाव मे शुभ नही माने जाते सिंह लग्न हो और सूर्य अगर अष्टम भाव मे हो तो जातक बाल्यवस्था में ही स्वस्थ्य कमजोर रहता है ।वैसे सूर्य को अष्टम का दोष नही लगता  सूर्य अग्नि राशि यो में हो तो बुरा फल अधिक देता है । घर की सीक्रिट बाते बाहर चली जाती है घर के नोकर विश्वस्थ नही रहते धोखा देते हैं।  ऐसे जातक अत्यधिक  विश्वाशी होने के कारण कई बार इनको परेशानियां उठानी पड़ती है। सूर्य अष्टम में है और सप्तमेश पीड़ित है तो पत्नी से भी सम्बध मधुर नही रहते ।  आप की पत्नी की वाणी में अहम होगा ईगो होगा आप की अपने ससुर से कम बनेगी  आप के ससुराल में  कोई भी सदस्य  कला , राजनीति ,सूर्य से सम्बंधित कार्यो में जुड़ा हुआ होगा ।  सिंह का सूर्य मेष का सूर्य जातक को एक बार जीवन मे धन के दृष्टिकोण से कमजोर जरूर करता है।  सूर्य अष्टम में होने से जातक को आग का  खतरा होगा  बमविस्फोट ज्वलनशील पटाखे आग आदि से ऐसे जातक को सतर्क रहना चाइए  ।वर्षभ कण्या राशि का सूर्य लम्बा रोग देता है।  सूर्य अष्टम में होने से जातक को रीड की हड्डी से सम्बंधित समसिया य्या रोग हो सकता है  या हार्ट से सम्बंधित समसिया हो सकती है उम्र के अंतिम पड़ाव में जातक को धन की कमी होती है। सूर्य अष्टम में होने के कारण जातक में सम्भोग करने की क्षमता अधिक  होगी और ऐसे में अधिक स्त्री सम्भोग के कारण गुप्त रोगी भी हो सकता हैं। ऐसा जातक विद्ववानों का आदर करने वाला होता है।  सूर्य और चंद्र कण्या राशि मे होकर अष्टम भाव मे हो तो जातक की म्रत्यु विष के द्वारा किसी जहरीली चीज के सेवन स हो सकति है। जातक का आत्म विश्वास खतरे वाले कार्यो में अधिक रहेगा।।
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सूर्य और #कुण्डली का #नवम भाव 

#आज हम बात करंगे कुंडली के #नवम भाव  मे #सूर्य देव विराजीत होने पर क्या #फल प्रदान करते है।

 #नवम भाव का सम्बंध  #धर्म से है #पिता से है #गुरु से है #उच्च शिक्षा (high education)  से विदेश ट्रेवेल से है और जो भी ज्ञान की बात हम को सीखने को मिलती है उसका सम्बंध नवम भाव से है।

#सूर्य  #पिता ,#आत्मा, #अहम, #आत्मसमान का कारक ग्रह है ।

 सूर्य नवम भाव मे विराजित होने पर जातक एक अच्छा #शिक्षक , अच्छा #गुरु या #पण्डित हो सकता है ।  जातक किसी कॉलेज उच्च शिक्षण संस्थान में बड़े पद पर कार्यरत हो सकता है । #सरकारी विभाग में अच्छे पद पर कार्यरत हो सकता है।  
आप के पिता आप के गुरु #आइडियल  हो सकते है  उनकी य्या अपने #गुरु की सलाह को आप अपने जीवन मे बहुत अधिक महत्व देंगे परन्तु जैसे जैसे बड़े होंगे ये कम होने लग जायेगा #सूर्य नवम भाव मे होने पर अपने कारक भाव मे होगा कारक भाव नाशाय के अनुसार #सूर्य यहाँ होने के  कारण आप के विचार बाद में पिता य्या गुरु से इतना मेल नही रखंगे जिसके कारण आप मे ego का टकराव रह सकता है । 
 
#अगर सूर्य #पीड़ित अशुभ अवस्था मे है तो पिता से सुख मिलने में भी कमी करता है। किसी एक भाई से कम बनती है। लेकिन जातक देवता ओ की पूजा करने वाला जातक अपने धर्म के साथ अन्य धर्मों का भी आदर करने वाला होगा और परिवार के लोगो का हित चाहने वाले होंगे ।

 #जातक #देव ,#ब्राहाण #गो माता की #सेवा सत्कार में कोई कमी नही रखता ।
 सिंह का मेष का सूर्य जातक के पिता  की समाज मे  कार्य क्षत्र में अच्छी स्थिति को दर्शाता है। शिक्षक  या सरकारी अधिकारी भी हो सकते है। उच्च या स्वराशी सूर्य के कारण जातक अपने मन की बात कभी नही छुपा सकता ऐसा जातक  योगी तपस्वी सदाचारी होता है नेता वे वाहन सुख से युक्त होता है। जातक सोच का दायरा बढ़ा होगा  समाज मे कुछ नया करने की सोच होगी।  
सूर्य को तपस्या का कारक माना गया है इसलिये नवम भाव के सूर्य के प्रभाव से जातक ईश्वर और साधुओं का भक्त होता है। जातक योगी, तपस्वी तथा ध्यान करने वाला होता है।
नीच राशि का सूर्य होने पर  दान पुण्य तो जातक करता है पर उसमे आडम्बर होगा प्रदर्शन करने  कि भावना रहेगी  ओर  जातक इसमें में सफल भी हो जाता है और सकुर्म करने वाला माना जाता है और  लोगो से मान प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।  
अगर सूर्य वायु तत्व राशि मे हो तो जातक लेखन का कार्य करता है ।भूमि तत्व राशि मे होने से वाणिज्य , कृषि  जलतत्व राशि मे हो तो कवि नाटक कलाकार अग्नि तत्व राशि मे सेना ,पुलिस जैसे विभाग में हो सफ़लता प्राप्त कर सकता है।
जातक के पिता को अपने ज्ञान नॉलेज को लेकर अहम रह सकता है। य्या वे अपने आप को सब से ज्ञानी ओर कुछ खाश व्यतित्व समझने वाले होंगे।
सिंह लग्न में ही अगर सूर्य शनि की युति नवम भाव मे हो तो जातक को विवाह  में बहुत तकलीफ आती है । शनि अस्त हो तो जातक की शादी गरीब घर मे  होती है इसके साथ ही अगर बुध भी बैठे है तो बहन य्या बुआ के कारण जातक दुखी होता है।।
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कूण्डली का #दशम भाव और #सूर्य 

#मित्रो आज हम बात करंगे #कूण्डली के #दशम भाव मे #सूर्य देव   विराजित होने पर क्या फल प्रदान करते है। 
सबसे पहले समझेते है दशम भाव के बारे में  दशम भाव का सम्बंध सरकार से है सत्ता से है #सरकारी क्षेत्र सरकारी नोकरी से है । आप के स्टेटस से है आप  की सामाजिक वैल्यू से है । दशम भाव नवम भाव का दूसरा भाव है यानी आप के पिता के धन( बचत) का भाव है । दशम भाव #सातवे भाव से चतुर्थ है । दशम भाव आप की पत्नी के मा का पत्नी के सुख का  भाव भी है 

#सूर्य पिता का आप की #आत्मा का आपके आत्मसम्मान का आप के अहम का आप के हुनर का कारक ग्रह है।
अब जब कूण्डली के दशम भाव  में सूर्य विराजीत होंगे तो आप को सरकार सत्ता #राजनीति में य्या किसी बड़ी कम्म्प्मी में उच्च पद मिलता है लाइक CEO  य्या जातक स्वयं अपने कारोबार में अच्छी स्थत्ति हासिल करता है।  सूर्य दशम भाव में दिग्बल प्राप्त कर लेता है ।
जिसके कारण सूर्य यहा #शक्तिशाली माना जाता है। ऐसा जातक #विद्ववान् सचरित्र एवम तजस्वी होता है । शुरावती जीवन में सुखी लेकिन बुढ़ापे में समय कष्ट दाई होता है।  घुटनो से सम्बंधित समसिया भी होती है  । ये सब कुछ वेसे ही होता है जैसे सूर्य उदय होने पर ओर मध्याहा  में #तेज अत्यंत तेज होकर पश्चिम की ओर जाता हुआ तेजस्विता हीन हो जाता है।
 #जीवन मे अतः काल मे रोगी ओर अर्थ का अभाव भी होता है। सूर्य मेष सिंह और मित्र राशि का अच्छी स्थत्ति में माना जाता है । ऐसी स्थत्ति में जातक लोगो को अपने तरीके से लीड करता है  राहु की युति य्या द्र्ष्टि #सम्बंध से सूर्य होने पर जातक में लीडरशिप भावना तेज होगी । समाज सोसायटी में जातक श्रेष्ठ बनाना चाहेगा । लोगो की बातो को इतना महत्व नहीं देगा।  दशम भाव मे  सूर्य हो तो आप के #पिता सरकारी क्षेत्र में  #राजनीति में कलाकारी में अभिनय में सफल होंसकते है य्या किसी बड़ी कम्पनी य्या करोबार को लीड करते होंगे। सूर्य  शत्रु राशि मे होने से सूर्य की इस स्थत्ति के कारण आप लोगो की बातों को समझने वाले होंगे उनके साथ मिलकर काम करने वाले होंगे आप लोगो को क्या पसन्द है वही करंगे जैसे कोई नेता करता है दशम में सूर्य अपनी नीच राशि तुला में होने से आप किसी गलत तरीके से अपनी स्थत्ति पोजिशन को बनायेगे ।

वृश्चिक का सूर्य जातक को वैध बना देता है उसके सेवाकाल में कई उतार चढ़ाव जीवन मे आते है। 
#सूर्य राज कृपा कारक है अशुभ अवस्था मे होने और राजभंग योग बना देता है। #अग्नि तत्व राशि मे होने पर जातक को सेना पुलिस  आदि में जाने से लाभ मिलता है।  अगर #जल तत्व राशि मे सूर्य हो तो शराब के व्यपार से जातक लाभः प्राप्त करेगा
 यदि सूर्य #पृथ्वी  तत्व राशि मे होगा तो जातक को राज्य में उच्च पद प्राप्त होगा वायु तत्व राशि मे होने पर जातक शासन को  लीड करेगा। सूर्य दशम में हो और दशम घर का स्वामी अगर केंद्र भावो में हो तो ये सूर्य की स्थत्ति बहुत ही #शानदार मानी जायेगी । जातक अच्छी स्थत्ति हासिल करता है अपने कार्य क्षेत्र में ओर दशम भाव का भाव पति अगर 6,8,12 में हो तो थोड़ा कमजोर स्थति मानी जायेगी । सूर्य अगर शनि के साथ है तो 35 वर्ष की आयु तक संघर्ष देगा लेकिन उसके बाद जातक को बहुत अच्छी सफलता मिलेगी जो टिकाऊ रहेगी जातक छवि बहुत अच्छी मानी जायेगी।।
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कुंडली का #एकादश #भाव और #सूर्य 

#एकादश भाव का #सम्बंध #लाभ से है । हमे  मिलने वाले #पुरष्कार अवार्ड आदि से है बड़े भाई से है और पिता के भाव नवम से तीसरे होने के कारण हमारे पिता के भाई यानी हमारे अंकल (काका) से भी है #एकादश भाव का सम्बंध लार्ज #नेटवर्क सिस्टम से है ग्रुप से है बहुत बड़े #नेटवर्क सर्कल से है। आप की इच्छाओं का भाव है। आप के इनकम ऑफ सोर्स का भाव है। 
#सूर्य आप की #आत्मा है आप के #पिता का कारक है आप का अहम है आप का #आत्म सम्मान है Ego है। 

#सूर्य एकादश भाव मे होने से आप बहुत बड़े #नेटवर्कर हो सकते है बड़ी बड़ी डील करने में माहिर हो सकते है। एकादश भाव मे सूर्य होने से जातक की मान सम्मान #इज्जत बहुत  होती है। लेकिन बड़े भाई और अंकल के लिए सूर्य की 11th में स्थिति ठीक नही उनके लिए कष्टकारी हो सकती है।  मेष ओर सिंह का सूर्य आप को प्रसिद्धि दे सकता है लेकिन जानता के साथ रहकर काम करने से ये हो सकता है क्यों कि एकादश भाव का काल पुरुष की कुंडली अनुसार शनि की राशि का स्थान है वहाँ सूर्य अपने शत्रु के भाव मे  है तो एक राजा जनता के बीच होगा ऐसे बड़े नेटवर्क सर्कल में जहां राजा की पेर्शनल्टी भी फीकी या दब जाती है । आप को लोगो के साथ मेँनेज कर के  चलना पड़ेगा आप अगर यहाँ अहम दिखावोगे तो आप कुछ नही पा सकते है। 
पुरष राशि यानी मेष ,मिथुन सिंह तुला धनु कुम्भ  का सूर्य होने पर जातक को कड़े संघर्ष के बाद सम्पति मिलती है । अगर सूर्य अग्नि तत्व राशि मे हो तो पुत्र की चिंता रहती है।
ऐसे में पुत्र का न होना होकर खत्म हो  जाना अथवा अयोग्य होना भी हों सकता है। 
#यदि #नीच राशि मे सूर्य है तो धन मान सम्मान सभी कुछ देता है ऐसे जातक का स्वभाव हठी होता है। आर्थिक दृष्टि से ऐसा जातक सम्पन्न रहता है।परिवार के लोगो के साथ उसके वैचारिक मत भेद बने रहते है।  लेकिन अपने स्वतंत्र चिन्तन   के कारण वह लोगो मे प्रसंशा पाता रहता है।
 #एकादश यानी लाभ स्थान में सूर्य के साथ अगर मंगल युति करे तो लड़  झगड़ कर जातक अपना लाभ कर लेगा और राहु के साथ है तो #जातक #षड्यंत्र के द्वारा, #चीटिंग करके अपना फायेदा उठा लेगा । राहु मंगल स युति अथवा द्रष्टि सम्बध एकादशं के सूर्य पर जातक को कान अथवा हाथ  सम्बधी रोग दे सकता है। यहाँ सूर्य धीरे धीरे लाभ देगा रातों रात आप की इच्छायें पूर्ण नही होगी । 
लाभ स्थान में प्रायः सभी ग्रह सुभ माने जाते है लाभ स्थान में सूर्य होने और जातक को कोर्ट कचहरी ओर शत्रु ओ से भी धन लाभ होंसकता है।

विशेष –  #एकादश भाव में #सूर्य की स्थिति को पद, अधिकार, #सम्पन्नता, साहस तथा बुद्धिमता से शत्रुओं पर विजयी प्राप्त करने की क्षमता, संतति पक्ष से पीड़ित परन्तु पुत्र की प्राप्ति वाला बताया गया है. वह अन्य ग्रहों की परिस्थितियों के कारण संपन्न, सुन्दर पत्नी वाला तथा राजनीतिक प्रभाव वाला भी हो सकता है।
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#कूण्डली का 12 वा #भाव और #सूर्य #देव 

#आज हम जानेंगे कूण्डली के 12 भाव मे सूर्य होने से  क्या फल मिलते है। 
#आइए जानते है 12 वे भाव का।सम्बंध #आध्यत्म से #विदेश #सेटलमेंट से है #अस्पताल से है आप के द्वारा की गई कल्पनाओं से है । #खोज से है आप के सपनो से है आप की नींद से है। जो भी आप कल्पना करते है जो भी सपने आप देखते है उसका सम्बंध 12 वे भाव से है। नुकसान से है  #परदेश गमन से है  #संन्यास से है  #अनैतिक आचरण से है  व्यसन, गुप्त शत्रु, शैय्या सुख से है । 12वे भाव से आत्महत्या, जेल यात्रा, मुकदमेबाजी का विचार किया जाता है। इससे हमें व्यय, हानि, दंड, गुप्त शत्रु, विदेश यात्रा  त्याग, असफलता, नेत्र पीड़ा, षड्यंत्र, कुटुंब में तनाव, दुर्भाग्य, जेल, अस्पताल में भर्ती होना, बदनामी, भोग-विलास, बायाँ कान, बाईं आँख, ऋण आदि के बारे में जाना जाता है।

#सूर्य आप की #पहचान है #आप की #आत्मा है आप के #पिता का कारक है आप  का #आत्मविश्वास है । आप के #अहम का कारक है । 

#सूर्य अगर 12 वे भाव मे है तो आप एक बहुत अच्छे #आध्यात्मिक गुरु हों सकते है #दार्शनिक (philosfer)  हो सकते है। आप #कलाकार हो सकते है।  12वे भाव मे सूर्य का होना इतना शुभकर नही माना जाता है। अगर शुभ स्थति में है तो हो सकता है आप का विदेश सेटलमेंट हो जाये अपने जन्म स्थान से दूर कही जाकर और वहाँ जाकर आप बहुत अच्छी पद #प्रतिष्ठा प्राप्त कर ले । वहा की सरकार के द्वारा आप पद पोजिशन मिल जाये । 12वा भाव एक आंख कारक भी है सूर्य अगर अशुभ स्थत्ति में है तो #आंखों को चश्मा लग सकता है एक आंख की रोशनी में कमी करता है। अगर सूर्य नीच राशि य्या अशुभ  स्थत्ति में है तो पिता के कारण आप को जन्म स्थान से दूर विदेश में अलग   रहना पड़ सकता है।  
सूर्य अगर नीच है अशुभ है तो होंसकता है वहाँ की सरकार के द्वारा आप को पनिशमेंट मिल  जाए इसी स्थिती में अगर राहु सूर्य के साथ है तो जातक को जेल की हवा खानी पड़ सकती है। स्त्री सुख में भी कमी लाता है। जातक  बिना सोचे समझे धन का व्यय करता रहता है। सूर्य का सम्बंध कूण्डली के पंचम भाव से भी है ऐसे में आप की सन्तान पढ़ाई लिखाई के कारण जॉब के कारण आप से दूर रह सकती है। सूर्य का 12 वे भाव मे होना पिता पुत्र के लिए ठीक नही माना जाता है। अगर सूर्य  मेष, सिंह, धनु  में हो तो जातक की आंख के लिए ठीक नही है । पिता से विचारो के मेल में कमी हों सकती है। जातक अभिमानी हो सकता है। सूर्य अगर मिथुन तुला कुंम्भ में हो तो जातक धन का व्यर्थ व्यय करता है ।लेकीन अपने समाज मे मान सम्मान प्राप्त करता हैं ।
सूर्य अगर पृथ्वीतत्व राशियों में हो जातक अपने लक्ष्य को सदा सम्मुख रचने वाला विचारपूर्वक कार्य करने वाला होता है। जो भी विघ्न अथवा संकट आते है जातक उंनको शांति पूर्बक दूर करने का प्रयत्न करता हैं ।धन की इच्छा उसको बनी रहती है। सत्कर्मों पर भी धन खर्च करता है। अगर शनि के साथ हो तो रोग का भय रहता है।  सूर्य चद्रं शनि युक्त हो तो जातक दिवालिया होंसकता है। सूर्य चद्रं व्ययः स्थान में एक साथ होने पर जातक को नेत्र हीन कर देते है।। सूर्य आप की पहचान है। 12 वे भाव का सूर्य आप को असप्ताल की जॉब दे सकता है 
आप जेल काराग्रह य्या विदेश में जॉब पा सकते है। या विदेश जाकर अपनी पहचान बना सकते है।

#मित्रो आज हम कूण्डली के 12 वे भाव में सूर्य देव विराजीत होने पर क्या फल प्रदान करते है उसके बारे में बात  किये ओर इसके  साथ ही  आज सूर्य के 12  भावो में होने पर क्या फल मिलते है कि  पोस्ट सीरीज समाप्त हो चुकी है  आप सब का बहुत बहुत स्नेह मिला और आप सब ने बहुत ही मान सम्मान मुझे दिया पोस्ट पर आप सब ने कमन्ट्स के माध्यम से अपनी कूण्डली अनुसार सूर्य की स्थत्ति भी रखी जानने का प्रयास भी किया । मेने कोशिश की सब को जवाब भी दिया और जिनको नही दे पाया उन से क्षमा चाहता हु समय की व्यस्ता के कारण जवाब नही दे पाया हूं। आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद एवम आभार इसी तरह मनोबल बढाते रहे।। 
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#बुध को #ठीक कर के #आप #अपनी #वाणी तो #ठीक कर लोगे पर #सूर्य आप को आंखों में आँखे डाल कर आप की  बात को मनवा ने की #क्षमता प्रदान करता है। सूर्य आप का आत्म विश्वास है।

#सूर्य #सरकार, #सिस्टम  #सता, #पिता, #आत्मा, #ह्रदय  #आदि का #कारक है।
#सूर्य को नित्य जल  से अर्घ दे। सनातन धर्म में ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व बताया गया है। ज्योतिष में भगवान सूर्यदेव को सभी ग्रहों का राजा माना जाता है। इसी कारण सूर्य की पूजा से कुंडली के सभी ग्रह दोष दूर हो सकते हैं। वहीं जातक का आने वाला कल शुभदायी हो जाता है।

 #भगवान #सूर्य  देव को मनाने का सबसे सरल और कारगर उपाय है कि रोजाना अलसुबह नित्यक्रिया से निवृत्त होकर सबसे पहले स्नान करें।
फिर भगवान सूर्य को अघ्र्य अर्पित करें। जो लोग ये छोटा सा कार्य हर रोज करते हैं, वे घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान प्राप्त करते हैं। सूर्य की कृपा से घर में खुशहाली आती है। अधूरे कार्य जल्द पूर्ण होते है
सबसे पहले अलसुबह सूर्योदय से पहले  उठें।  फिर उदय होते हुए सूर्य के दर्शन करे सूर्य नमस्कार करे फिर  स्नान करें। 
 नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल भी डालें। और साफ वस्त्र धारण करें।
 इसके बाद सूर्यदेव के सामने आसन बिछाएं।
 आसन पर खड़े होकर तांबे के बर्तन में पवित्र जल भरें।
उस जल में थोड़ी सी मिश्री भी मिलाएं। मान्यता है कि सूर्य को मीठा जल चढ़ाने से जन्मकुंडली के मंगल दोष दूर होते हैं।
 जब सूर्य से नारंगी किरणें निकली रही हों यानी सूर्योदय के समय दोनों हाथों से तांबे के लोटे से जल ऐसे चढ़ाएं कि सूर्य जल की धारा में दिखाई दे। 
 जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र भी बोलना चाहिए।

1. सूर्य अघ्र्य मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणाध्र्य दिवाकर:।।
 सूर्याय नम:,  आदित्याय नम:,  नमो भास्कराय नम:।
अघ्र्य समर्पयामि।।

#अर्घ देने के पश्चात जो जल जमीन पर गिरता है उसको अपने हाथों की अंगुलियों से छूकर अपनी आंखों और मस्तिक पर लगाये। ताकि दिए अर्घ्य की ऊर्जा आप को मिले ।य्या आप कोई पात्र रख के उस मे भी कर सकते फिंर उस जल को किसी गमले य्या पौधे में अर्पित कर सकते है। 

यदि सूर्य आपकी जन्म कुण्डली में योगकारक ग्रह है उस पर पाप प्रभाव  पड़ रहा है तो उसको बलवान किया जाना चाइए  सूर्य से सम्बंधित रत्नादि धारण कर के ओर जिस ग्रह की युति अथवा द्रष्टि के  द्वारा  योगकारक सूर्य  को पीड़ा हो रही है उन ग्रहो की शांति कराई जानी चाइए।।

अनुभव के आधार पर अगर बात करू तो सूर्य को अपने अनुकूल करने का सब से सटीक उपाय है सूर्य उदय से पहले उठना उदय होते हुए सूर्य के दर्शन करना ।।  

ब्रह्म मुहूर्त  ( सूर्य उदय होने से पहले का समय ) में उठकर टहलने से #शरीर में #संजीवनी शक्ति का संचार होता है। यही कारण है कि इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है। इसके अलावा यह समय अध्ययन के लिए भी सर्वोत्तम बताया गया है क्योंकि रात को आराम करने के बाद सुबह जब हम उठते हैं तो शरीर तथा मस्तिष्क में भी स्फूर्ति व ताजगी बनी रहती है। ब्रह्ममुहूर्त के धार्मिक, पौराणिक व व्यावहारिक पहलुओं और लाभ को जानकर हर रोज इस शुभ घड़ी में जागना शुरू करें तो बेहतर नतीजे मिलेंगे।

सूर्योदय से पहले उठें। माना जाता है जो लोग सूर्योदय के बाद उठते हैं उनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है। इसलिए रविवार से शुरू करके रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाना चाहिए और सूर्य मंत्र ऊँ भास्कराय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।

सबको नमस्कार करे । नमस्कार करने से हमारा अहंकार नष्ट होता है। विनय गुण नम्रता विकसित होती है एवं मन शुद्ध होता है।

अत: प्रथम नमस्कार अपनी ओर से ही करना चाहिए। बड़ों को प्रणाम अथवा चरण स्पर्श करने से आयु, सम्मान, तेज और शुभ कार्यों में वृद्धि होती है।

सूर्य नमस्कार करना ।। 
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#ज्योतिष में  #सूर्य  के #कारक तत्व एवम #व्यवसाय 

 सूर्य ज्योतिष में पिता, पुत्र, हृदय और सत्ता का कारक ग्रह है। सत्य को सूर्य से देखा जाता है। इसका तीखा स्वाद है। सूर्य के प्रभाव के बिना पृथ्वी अंधकारमय है। सृष्टि के सभी पेड़–पौधे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा आपको आक्सीजन देते हैं जिससे यह जीवन सृष्टि चला करती है। सूर्य की किरणें मानवता के लिए वरदान है। इसलिए, सूर्य को पूरे संसार का पालक कह सकते जन्मकुंडली का विचार करते समय ज्योतिष गण सूर्य का विचार पहले करते हैं। यह पूर्व दिशा में स्थान बली बनता है। राशि चक्र की 5वीं राशि यानी सिंह पर इसका आधिपत्य है। इसलिए, सिंह राशि में सूर्य स्वगृही बनता है। मेष राशि में यह  उच्च का हो जाता है। यानी यह बहुत ही अच्छी स्थिति में पहुंचकर अति शुभ हो जाता है। वहीं तुला राशि में सूर्य नीच का गिना जाता है। इसके अलावा, सिंह  राशि में सूर्य में 0 से 10 अंश या डिग्री तक मूल त्रिकोण का होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देखा जाए तो जातक की कुंडली में सूर्य के एक अच्छी स्थिति में होने पर जातक को यश, मान, कीर्ति और प्रतिष्ठा वगैरह प्राप्त होता है। मानन शरीर में पेट, आंख, हड्डियों, हृदय व चेहरे पर इसका आधिपत्य माना जाता है।


 कुंडली में खराब सूर्य के लक्षण तो सरदर्द,बुखार, हृदय से जुड़ी समस्या और आँखों की समस्या आदि हो सकती है।सूर्य में से निकलने वाली किरणें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अन्य ग्रहों को प्रकाशित करती है। इसलिए ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह का प्रभाव महत्वपूर्ण कहा गया है। 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य यानी आत्मा और चंद्रमा यानी मन।
सूर्य अगर योगकारक होकर आप की कु डली में शुभ भावस्थ हो और अंश बल में कमजोर हो तो सूर्य को बल प्रदान करने के लिए आप माणिक्य रत्न धारण कर सकते है।
सूर्य से अगर पॉजीटिव परिणाम लेने है सूर्य अगर नीच राशि मे है अशुभ भावस्थ है तो एक मुखी रुदाक्ष धारण कर सकते है।
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#सूर्य से #जुड़े #व्यवसाय  की #जानकारी

 सूर्य उन्न्त दर्जे के काम धंधे को दर्शाता है. बहुत स्थानों से संबंधित होने वाला होता है. सूर्य स्वयं राजा है व राजपुरूष है इसलिए जब सूर्य से संबंधित व्यवसाय के बारे में विचार किया जाता है तो उन कार्यों का संबंध राज्य से अवश्य आता है. अगर सूर्य बलवान है तो सरकार से अच्छे लाभ की प्राप्ति में सहायक बनता है. यदि मध्यम बली हो तो व्यक्ति को राज्याधिकारी बनता है,

सूर्य अग्नि तत्व है मंगल और केतु के साथ मिलकर अग्नि संबंधी कामों जैसे बिजली के सामान का काम, तोप या बंदुक का काम, रेस्टोरेंर या हलवाई संबंधी कार्य दे सकता है. सूर्य के साथ पंचमेश या नवमेश का संबंध बनता हो तो जातक अपने पिता या पारीवारिक काम को आगे बढ़ सकता है।

सूर्य वैद्यक से भी संबंधित होता है अत: जब कुण्डली में चिकित्सा संबंधी योगों का निर्माण हो रहा हो और उनके साथ सूर्य संबंध बना रहा हो तो जातक डाक्टर अथवा वैद्य क्षेत्र में भी काम कर सकता है. सूर्य एक सात्विक ग्रह है अत: जब यह गुरू या नवमेश आदि ग्रहों के साथ हो तो धार्मिक काम धन्धों का भी कारक बन सकता है. मंदिर का पुजारी या धर्म संस्था से जुडा़ हो सकता है.

सूर्य लकडी़ का भी कारक है अत: जब सूर्य चतुर्थेश होता है या चौथे भाव से संबंध बनाता है तो जातक लकडी़ बेचने के काम को भी कर सकता है, फर्नीचर बेचने वाला या इमारती लकडी़ बनाने का काम कर सकता है. चौथे भाव से घर के पुर्ननिर्माण इत्यादि से संबंधित होता है जहां इसका योगदान हो सकता है.
सूर्य आत्मा के कारक ग्रह है. व्यक्ति की आजीविका में सूर्य सरकारी पद का प्रतिनिधित्व करता है. व्यक्ति को सिद्धान्तवादी बनाता है. इसके अतिरिक्त सूर्य कार्यक्षेत्र में कठोर अनुशासन अधिकारी, उच्च पद पर आसीन अधिकारी, प्रशासक, समय के साथ उन्नति करने वाला, निर्माता, कार्यो का निरिक्षण करने वाला बनाता है. 
कुण्डली में सूर्य के बल के मुताबिक जीवन में शक्ति होती है जिस कुंडली में सूर्य कमजोर रहता है वह जातक शारीरिक रूप से कमजोर होता है इसलिए वह पूर्ण फल नहीं दे पाता. कुंडली का अध्ययन करते समय कुंडली में सूर्य की स्थिति, बल तथा कुंडली के दूसरे शुभ तथा अशुभ ग्रहों के सूर्य पर प्रभाव को ध्यानपूर्वक देखना अति आवश्यक होता है।

अगर जातक की कुंडली में यह सूर्य शक्ति वाला हो तो सरकारी नौकरी मिलने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। समाज में यश–कीर्ति, मान–प्रतिष्ठा का हकदार बन जाता है। लेकिन, यदि यही सूर्य आपकी कुंडली में दुर्बल और शक्तिहीन होकर पड़ा है तो यह जातक के लिए स्वास्थ्य की समस्या खड़ी कर सकता है। ध्यान रहे – सूर्य पीड़ित होने पर जातक की आंखों में पीड़ा, सरदर्द, हृदय की धड़कनों में अनियमितता के साथ ही पाचन तंत्र से जुड़ी समस्या आदि को उपजा सकता है।

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