सूर्य एवं चंद्र ग्रहण पर विशेष निर्णय – जून ..20–
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(मंदसौर मध्य-प्रदेश से “ज्योतिष-मार्तंण्ड” ऋषिराज व्यास– कटक ओडिशा से ” ज्योतिर्विद्या-वाचस्पति”एस्ट्रो माननीय प्रफुल्ल कुमार जी दास साहब एवं जोधपुर “राजस्थान” से माननीय पंडितअभिषेक जी जोशी साहब के साथ )।
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(2) : पश्चात पहले मांद्य चंद्रग्रहण होगा उसके बाद खग्रास-खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा।
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विक्रम संवत 2077 के अंतर्गत भू-मंडल पर पांच ग्रहण का प्रारूप गणितागत रुप से प्राप्त हो रहा है।इसमें दो सूर्यग्रहण तथा तीन मांद्य चंद्रग्रहण होंगे!अस्तु ,,,
भारतीय भू-भाग पर एक सूर्य ग्रहण तथा दो मांद्य चंद्रग्रहण ही (दृश्य) होंगे। अर्थात् दिखाई देंगे।
“द्विपान्तारे ग्रहण सत्वेsपिदर्शन योग्यत्वायात्र पुण्यकाल:।।”
अर्थात एक सूर्यग्रहण की विशेष मान्यता नहीं रहेगी। तथा इस ग्रहण विषयक वेध-सूतक, यम-नियम, स्थान दानादि पुण्य कर्म,जप एव्ं अनुष्ठान हेतु कोई नियम पालन नहीं रहेगा।
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यह चंद्रग्रहण उत्तरी-अमेरिका, दक्षिणी-अमेरिका के पश्चिमी भाग, एव्ं रसिया के पूर्वोत्तर भाग सहित ग्रीनलैंड को छोड़कर भारत सहित संपूर्ण विश्व में दृश्य होगा। इस ग्रहण का धार्मिक-दृष्टि से कोई महत्व नहीं हे।इस कारण इसमें किसी भी प्रकार के यम- नियम सूतक आदि के पालन की आवश्यकता नहीं है।
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10:10 बजे AM मध्यकाल – 11:51 बजे AM “समाप्ति” मोक्षकाल- 13:41बजे PM पर होगा। ग्रहण का पर्वकाल 3 घंटा 31 मिनट।
(1) : मेष राशि– पराक्रम-वृद्धि, धनलाभ, सहयोग प्राप्ति,भातृसुख मैं वृद्धि, पुरुषार्थ-प्राप्ति, साहस की अधिकता।
(2) : वृषभ राशि– धनहानि , कौटुंबिक-कलह,राजभय,नेत्ररोग
(3) : मिथुन राशि– मान-प्रतिष्ठा पर आंच आना, सम्मानहानि, दुर्घटना-कारक, अपघात, स्वास्थ्य में नरमी, शारीरिक पीड़ा,।
(4) : कर्क राशि–निरंतर धन हानि, खर्च बेहताशा बढ़ जाना। अप्रत्याशित खर्च उभरकर सामने आना , मस्तिष्क या सिर पर चोट-चपेट, बाहरी संबंधों से परेशानी।
(5) : सिंह राशि– धनलाभ, संग्रहित बैंक बैलेंस में अभिवृद्धि, लोहे मशीनरी भूमि आदि से लाभ, शत्रुहानि, एव्ं सभी क्षेत्रों में सफलता का वातावरण निर्मित हो।
(6) : कन्या राशि — नवीन कार्य व्यवसाय की प्राप्ति, मान-प्रतिष्ठा में अभिवृद्धि, उच्च प्रतिष्ठित लोगों से मेलजोल बढ़ना,राज्यपक्ष से लाभ, कार्य व्यवसाय का विस्तार एवं सभी क्षेत्रों में लाभदायक वातावरण निर्मित हो।
(7) : तुला राशि- सम्मानहानि मान-प्रतिष्ठा पर आना अनर्गल झूठे आरोप लगना, राज्य कर्मचारियों से विरोध,धर्म में मन नहीं लगना, पिता से वैचारिक मतभेद एवं विरोध का वातावरण बना रहे,राजकीय एव्ं प्रशासनिक परेशानी उभर कर सामने आये, वाद-विवाद मुकदमें बाजी का भी प्रसंग निर्मित हो।
(8) : वृश्चिक राशि — स्वास्थ-कष्ट की अधिकता, सीने संबंधित रोग, निरंतर धनहानि, जेलयात्रा, चोरी आदि से हानि, मार्ग में बंधन, पारिवारिक विभाजन, वाद-विवाद, राजभय, जमानतीय बंधन।
(9) : धनु राशि– जीवनसाथी को मृत्यु तुल्य कष्ट, दुष्चरित्र स्त्रियों से संपर्क वृद्धि, वाद-विवाद दिनचर्या अस्त-व्यस्त, देनदारीयो में अभिवृद्धि, प्रतिद्वंद्विता का सामना, कर्जदारि का बढ़ना एवं पेट या गुदा संबंधित रोग।
(10) : मकर राशि- राजकीय बाद-विवादों में विजय, शत्रुपक्ष पर दबाव,कर्जदारि से राहत,बेंक बैलेंस में अभिवृद्धि,कोई आर्थिक योजना क्रियान्वित हो, शासकीय ऋणभार का लाभ प्राप्त हो। सभी क्षेत्रों में सुखदायक वातावरण बना रहे।
(11) : कुंभ राशि — चिंताप्रद, मन में कई प्रकार के विचार आना, बुद्धि में भ्रम, निर्णय न ले पाना, कोई न्यायायिक अथवा प्रशासनिक परेशानी उभरकर सामने आय, अनर्गल झूठे आरोप लगना, मस्तिष्क में भारीपन, संतान को पीड़ा।
(12) : मीन राशि-विध्वंस कारक, पारिवारिक कलह, पेतृक-संपदा का विभाजन,वाहन दुर्घटना, माता को मृत्यु तुल्य कष्ट, स्वयं को सीने संबंधित कष्ट, शीतरोग, तेज वायरल बुखार,धनहानि कारोबार चौपट होना।
यह ग्रहण संपूर्ण भारतीय भू-भाग सहित बांग्लादेश, म्यांमार श्रीलंका, मंगोलिया, थाईलैंड, मलेशिया,उत्तर-कोरिया, जापान, नेपाल, पाकिस्तान, इराक,ईरान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, पूर्वी ऑस्ट्रेलिया दक्षिणी-रूस,अफ्रीका आदि में खंडग्रास रूप में दृश्य होगा।
यह सूर्यग्रहण गर्भवती महिलाये ,धर्मगुरुओ, साधु-सन्यासी,धार्मिकनेता, उद्योगपति,राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, ग्रहमंत्री, मुख्यमंत्री, सहित मंत्रियों हेतु,नवविवाहित वर-वधु,कन्या, विवाह-योग्य वर-कन्या तथापि महिलाओं के लिये ग्रहण प्रतिकूल रहेगा। परिणामत: इन सभी को ग्रहण दर्शन योग्य नहीं है।अतः “ग्रहण-दृश्य” नहीं देखना चाहिये।
(2) : मास विचार– यह ग्रहण आषाढ़ मास में होने के कारण चीन,पुलिंद, कश्मीर, कंधार, देशों के लिए विध्वंस एवं दुर्भिक्ष का कारक है। कुप,वापी,नदी-प्रवाह के जल से आजीविका करने वाले माली एवं बागवानों का नाश हो।अत्यधिक वर्षा से फल-फूल की खेती या नष्ट हो जाये।
(3) : तिथि प्रभाव – अमावस्या तिथि के गंडांत में ग्रहण सर्वत्र अशांति प्रजा में महामारी।आदि अशुभ फल घटित हो। राजाओं में परस्पर युद्ध वैचारिक मतभेद एवं छत्र भंग हो।
(4) :अयन प्रभाव- दक्षिणायन में ग्रहण होने से शुद्र एवं वैश्य संप्रदाय को पीड़ा,गाय-भैंस, हाथी आदि पशुओं का नाश हो।
(5) : नक्षत्र प्रभाव- आर्द्रा नक्षत्र में ग्रहण होने से चोर-डकैत, ठग भेदिया-जासुस, मुखबिर,तंत्र-मंत्र करने वाले, न्यायाधीश,ग्राम-प्रधान, सरपंच,परस्त्री-गमन करने वाले, नाचगान से आजीविका प्राप्त करने वाले,मेडिकल-व्यवसायी एवं डॉक्टरों को पीड़ा हो।
(6) : ग्रहण मंडल प्रभाव- यह ग्रहण वायु मंडल के नक्षत्र में होने से प्रचनण्ड वायुवेग,गर्महवा तथा दक्षिण दिशा के निवासियों को अत्यधिक कष्ट हो। (7) : ग्रहण राशि का प्रभाव — यह ग्रहण मिथुन राशि पर हुआ हैं। इस कारण राष्ट्राध्यक्ष एवं राजमान्य नागरिको तथा यमुना नदी के तट पर बसे हुए व्यक्तियों को विशेष पीड़ा हो।
(8) : ग्रहण खांश प्रभाव– यह ग्रहण तृतीय खांश मे हो रहा है। परिणामत: मलेच्छ,शूद्र,मंत्री, प्रधानमंत्रीआदि के लिये समय विशेष कष्ट का रहे। मध्यप्रदेश सत्तारुढ़ प्रमुख को भारी विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़े। सत्ता परिवर्तन के साथ ही वर्तमान सत्तारुढ़ प्रमुख को पद च्युति का सामना करना पड़े। मध्य प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की प्रबल संभावना व्याप्त है।
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🏻” ग्रहण-पथ “निर्णय- सूर्य ग्रहण का पथ 21000 मीटर रहेगा अर्थात्- 21000 × 3 = 63000 × 3.25 = 204750 फीट या 21000 ÷ 1000 = 21किलोमीटर रहेगा।
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पुलिंद, विंध्याचल क्षेत्र के निवासियों एवं राजमान्य नागरिकों एवं राज्याध्यक्षो के लिये यह ग्रहण विनाश का कारण बनेगा। अस्मत और त्रिपुर क्षेत्र में धान्य की उपज अच्छी होगी। शेष क्षेत्र में खेतीयों की हानि होगी।
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10:19 -12:02 -13:49= 3:30
10:20-12:02-13 :48= 3:28
वाराणसी “काशी”
10:30 -12:18 -14:05= 3:45
हरिद्वार
10:23-12:04 -13:52 = 3:29
प्रयागराज
10:29 -12:16- 14:02= 3:33
जोधपुर
10:09- 11:47-13:36= 3:27
बांसवाड़ा
10:10 -11:49 -13:40 =3:30
चित्तौड़गढ़
10:10 -11:52 -13:40= 3:30
भोपाल
10:14 -11:58 -13:47 =3:33
उज्जैन
10:11 -11:52 -13:42=3:31
इंदौर
10:10 – 11:52 -13:42=3:32
रतलाम
10:10 -11:50 -13:41=3:31
झाबुआ
10:09 -11:51 -13:42=3:33
मंदसौर
10:09 – 11:51 -13:39=3:30
नीमच
10:10 -11:51 -13:40=3:30
धार
10:10 -11:52 -13:42=3:32
खंडवा खरगोन
10:09 -11:51 -13:42=3:33
नासिक
10:04 -11:42 -13:32=3:28
( जगन्नाथपुरी,कटक, भुवनेश्वर सहित निकटवर्ती क्षेत्र एवं समुद्री तटवर्तीय क्षेत्र )
” भुवनेश्वर “
ग्रहण-स्पर्श – 10:38:10
ग्रहण-मध्य – 12:25:59
ग्रहण-मोक्ष – 14:09:30
पर्वकालावधि- 3:31:19
नोट–कुछ राज्यों के प्रमुख तीर्थस्थल एव्ं नगरों का सूर्यग्रहण का स्पर्शादि पर्वकाल समयभारतीय स्टैंडर्ड टाइम में दिया गया है।
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दो मांद्य-चंद्रग्रहण के मध्य सूर्यग्रहण का तीव्र एवं व्यापक प्रभाव —
चंद्रग्रहण के बाद सूर्यग्रहण तथा सूर्यग्रहण के बाद चंद्रग्रहण होना पूर्णतया प्रतिकूलताप्रद वातावरण निर्मित हो सूर्यग्रहण समय शनि सहित कुल 4 ग्रह वक्री हैं। परिणामत: भारत-पाकिस्तान,अमेरिका-उत्तर कोरिया, तथा पाकिस्तान- अफगानिस्तान के मध्य युद्धभय का वातावरण निर्मित हो।सेना, पुलिस-प्रशासन तथा ग्रह एवं रक्षा विभाग में हलचल एवं सैनिकों की हानि हो अणु-परमाणु एवं हाइड्रोजन बमो के परीक्षण से संसार-वासी भय-ग्रस्त रहे। कहीं-कहीं दुर्भिक्ष-विध्वंस सहित महामारी का भय व्याप्त हो। मध्यप्रदेश एव्ं महाराष्ट्र एव्ं केन्द्र में सत्तादल प्रमुख विनाश एवं विध्वंस के कगार पर रहे। धनी संपन्न राष्ट्र अमेरिका एव्ं भारत को आर्थिक बदहाली का सामना करना पड़े।बेरोजगारी एवं खाद्यान्न की समस्या उभरकर सामने आये।धर्मगुरुओं पर अत्याचार एवं वरिष्ठ राजनेताओं की प्रतिष्ठा पर आंच। किसी राष्ट्रीय स्तर के नेता का अवसान भी संभावित।
“राजगृहे व्यापारे च सुखशांति भर्वतु।।”
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“चूड़ामणि योग”और दानादि-
यह सूर्यग्रहण रविवार को होने से चूड़ामणि योग प्रतिपादित हुआ है। परिणामत:इस योग में स्नान, दान,जप,हवन,अनुष्ठान,करना कोटीगुना फल प्रदान करता है।
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अत्र च — “स्नाने नेमित्तिके प्राप्ते नारी यदि रजस्वला।पात्रान्त स्नान्ं कृत्वा व्रत्ं चरेत्ं ।।”
अर्थात्—
भार्गवार्चन-दीपिका के “सूर्योदय-निबंध ” में लिखा है कि– ग्रहण में रजस्वला स्त्री को होम जब आदि का दोष नहीं है। ग्रस्त में तीर्थ से जल निकालकर पृथक स्नान करें। इसमें यदि ग्रहण में नैमित्तिक स्नान की प्राप्ति हो और स्त्री रजस्वला हो तो पात्र में धरे जल से स्नान करने के उपरांत व्रत करें।
( निर्णयसिंधु: प्रथम परिच्छेद: 1 पृष्ठ 96 )
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1 ग्रहण के स्पर्श समय देवता और पितर तृप्त होते हैं।मध्यकाल में मनुष्य और मोक्षकाल में राक्षस प्राप्त होते हैं। यह वृद्धवशिष्ट का कथन है ।।
( निर्णयसिंधु: प्रथम-परिच्छेद 1
पृष्ठ 94 )
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श्री विक्रम संवत 2077 आषाढ़ शुक्ल पक्ष तिथि पूर्णिमा नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा दिन रविवार दिनांक 5 : 07 : 2020 को मांद्य चंद्रग्रहण होगा।
भारतीय मानक स्टैंडर्ड समय अनुसार चंद्रग्रहण का स्पर्श प्रातः 8:35 बजे एवं मोक्ष दिन में 11:22 बजे होगा।
यह चंद्रग्रहण भारत ऑस्ट्रेलिया,ईरान,इराक, रूस, चीन, मंगोलिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार,नेपाल एवं श्रीलंका को छोड़कर संपूर्ण विश्व में दृश्य होगा। इस चंद्रग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। इस चंद्रग्रहण में किसी भी प्रकार का यम-नियम,सूतक आदि मान्य नहीं होगा।
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श्री विक्रम संवत 2077 कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिन सोमवार नक्षत्र रोहिणी दिनांक 30:11:2020 को मांद्य चंद्रग्रहण होगा।
भारतीय स्टैंडर्ड समय अनुसार चंद्र ग्रहण का स्पर्श दोपहर 13:02:00 बजे मोक्ष दिन में 17:23:00 बजे होगा। पर्व काल अवधि 4:23:00,,।
यह चंद्रग्रहण भारत में कारगिल,उत्तरकाशी,पुरोला लैंसडाउन,बरेली,अंबेडकरनगर (मह), कानपुर,चित्रकूट,रीवा, श्रीकाकुलम सहित इन नगरों से पूर्व के सभी नगरों में दृश्य होगा। परंतु पश्चिमी-दक्षिणी भारत, अफ्रीका,ऑस्ट्रेलिया,अंटार्कटिका आदि में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा। इस कारण इस ग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। वहीं इस चंद्रग्रहण में किसी भी प्रकार का यम-नियम सूतक आदि मान्य नहीं होगा।
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श्री संवत 2077 मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष तिथि अमावस्या दिन सोमवार नक्षत्र ज्येष्ठा परं विशाखा दिनांक 14:12:2020 को खग्रास खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा।
भारतीय स्टैंडर्ड समय अनुसार इस सूर्यग्रहण का स्पर्श शाम 19:54 बजे एवं मोक्ष रात्रि 24:23 बजे होगा।पर्वकाल अवधि 4:28:59,,।
यह सूर्यग्रहण दक्षिणी- अमेरिका मे एवं ब्राजील के दक्षिण भाग में , साउथ-अफ्रीका के दक्षिणी किनारे पर, तथा अंटार्कटिका महाद्वीप के उत्तरी किनारे पर ही दृश्य होगा। भारत में यह ग्रहण दृश्य नहीं होगा।इस कारण इस सूर्यग्रहण का धार्मिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है।अत: इस सूर्यग्रहण में किसी भी प्रकार का यम-नियम,सूतक आदि मान्य नहीं होगा।
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” सूर्यग्रहो यद रात्रौ दिवा चंद्रग्रहस्तथा। तत्र स्नान्ं न कुर्वीत दद्याद्दान्ं च न कचित्ं ।। ” इति षटत्रिशन्मतात्ं ।।
अर्थात्—
षटत्रिशत्ं का मत है– जब सूर्यग्रहण रात में तथा चंद्रग्रहण दिन में हो तो स्नान और दान नहीं करें।
( निर्णयसिंधु का प्रथम परिच्छेद– अथ सूर्यग्रहणे दीक्षा विचार: -पृष्ठ क्रमांक 15 / 113 )
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🏻 ग्रहण समय पवित्र-जल निर्णय–
” सर्वं गंगासम्ं तोय्ं ग्रहणे नात्रसंशय:। “
अर्थात्–
ग्रहण के समय सभी प्रकार का जल गंगाजल के समान पवित्र होता है।
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ग्रहण मोक्षकाल के बाद रोगी एवं वृद्ध को छोड़कर गर्म जल से स्नान नहीं करना चाहिये। ग्रहण में गंगादि, महानदियों, सरोवर, सागर आदि में स्नान करना चाहिये।
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“उपाकर्मणि तद्दिनभिन्न परं तत्र तन्निषेधादित्युक्त्ं प्राक “— (निर्णय सिंधु: पृष्ठ – 249)
अर्थात्–
ग्रहण-काल एव्ं सूतक-काल में श्राद्धकर्म करने का बड़ा महत्व है। केवल भोजन आदि का सर्वदा निषेध है।अतःसुखा अन्न्ं “आमान्न” से श्राद्धकर्म किया जा सकता है।श्रावण पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण हो तो उस दिन श्रावणी (उपाकर्म) वर्जित है।कुछ आचार्यो एवं विद्वानों का मत है कि- ग्रहण के सूतक-काल में देव प्रतिमा आदि स्पर्श करना वर्जित है।किंतु प्रतिमाओं का दर्शन किया जा सकता है। केवल ग्रहण-काल में ही प्रतिमाओं का दर्शन सर्वथा वर्जित है।
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🏻विशेष निर्णय — विक्रम संवत 2077 शक 1942 का वार फल का विचार करते समय वारेश ( वत्सराधिपति ) मंगल नही हो सकता ? कारण कि- दिनांक 24 : 03 : 2020 चैत्र कृष्ण अमावस्या समाप्ति 14: 58 बजे दोपहर Pm दिन मंगलवार को नवीन “आनंद-नामक” लुप्त-संवत्सर का आरंभ नही माना जा सकता।
ब्रह्माजी ने सूर्योदय व्यापीनि प्रतिपदा के समय ही सृष्टि की रचना आरम्भ की थी। इसलिये चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन सूर्योदय से ही नवीन संवत्सर का आरंभ होता है। वही ” उदयात उदयं वार: ” का वचन देखते हुए सूर्योदय के समय जो वार होगा वही वारेश होता है। किंतु अगर प्रतिपदा क्षय- तिथि हो तो चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या के समाप्ति काल के साथ ही नवीन ” संवत्सर ” आरंभ होता है। और उस दिन जो वार होता हे अर्थात वारेश होता है। वही वर्ष का राजा माना जाता है। तथा प्रतिपदा अहोरात्र होने से पहले दिन का वारेश होता है। (उर्वरित प्रतिपदा के दुसरे दिन का वारेश नही होता ) , हम संवत्सर आरंभ के दिन पंचांग का पूजन करते
समय ” वत्सराधिपति ” का पूजन भी प्राय: करते है।अब विचारणीय है कि वत्सराधिपति पूर्व दिन का कैसे हो सकता है ? कारण कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि क्षय नहीं है। ऐसी स्थिति में विक्रम संवत 2077 शक 1942 का वारेश अर्थात राजा ( राष्ट्राध्यक्ष ) बुध ही होगा। दिनांक 25 मार्च 2020 से दिनांक 12 मार्च 2021 तक विक्रम संवत 2077 प्रभावी रहेगा अत: राजा बुध ही रहेगा मंगल नहीं।
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