जब  आपकी हथेली में ऐसे चिन्ह तो इन हस्तरेखा वाले लोगों को होता है पूर्वाभास( मिलते हैं भविष्य के संकेत)
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कुछ लोगों के पास ऐसी शक्तियां जन्म से ही रहती हैं, जिनसे उन्हें भूतकाल और वर्तमान के साथ ही भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है। ऐसे लोगों की छठी इंद्री यानि सिक्स्थ सेंस एक्टिव रहता है। हस्तरेखा के अनुसार कुछ ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को आने वाले कल की जानकारी देते हैं।
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ज्योतिष विद्या में हस्तरेखा का स्थान काफी महत्वपूर्ण है। कुछ लोगों के पास भविष्य जानने की अद्भुत शक्तियां जन्म से ही रहती हैं। इन शक्तियों से उन्हें भूतकाल और वर्तमान के साथ ही भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है, जिसे छठी इंद्रिय कहा जाता है। ऐसे लोगों की छठी इंद्रिय सक्रिय रहती है। कुछ लोग विशेष साधना से छठी इंद्रिय को जागृत कर लेते हैं। अद्भुत शक्ति वाले लोगों की हथेलियों में निशान त्रिभुज और चतुर्भुज की तरह दिखाई देते हैं।

इस लेख में ऐसी ही शक्तियों के योगों की जन्मपत्रिका में तथा लक्षणों की हस्तरेखा में व्याख्या की जाएगी|
जन्मपत्रिका में लग्न रुचि को दर्शाता है| पंचम बुद्धि एवं ज्ञान, अष्टम गूढ़ विद्या तथा नवम भाव आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाता है| शनि गूढ़ विद्याओं और ऐसी शक्तियों का कारक होता है| चन्द्रमा मन का कारक है, जो इन शक्तियों को घटित करने में मदद करता है| गुरु अध्यात्म शक्तियों का कारक होता है|
चूँकि कई बार पूर्वाभास तथा अदृश्य शक्तियों के होने का अहसास अध्यात्म शक्ति के पुष्ट होने पर भी होता है, अत: नवम भाव तथा गुरु से भी यह विचार किया जाना चाहिए| 

शनि एवं चन्द्रमा की राशियॉं होने के कारण कर्क, मकर एवं कुम्भ तथा शनि के नक्षत्र पुष्य, अनुराधा एवं उत्तराभाद्रपद से भी इन योगों का विचार किया जाना चाहिए|
उपर्युक्त भाव, ग्रह, राशि तथा नक्षत्रों का विशेष योग ही पूर्वाभास तथा अदृश्य मृत आत्माओं के अहसास का कारण बनता है|
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ये विशेष योग निम्नलिखित हैं :–
.. शनि-चन्द्रमा की युति अष्टम भाव में हो तथा अष्टमेश का सम्बन्ध नवम अथवा पंचम भाव से हो|
.. गुरु नवमेश हो या नवम भाव से सम्बन्ध बनाता हो| राहु या शनि में किसी एक ग्रह का सम्बन्ध गुरु के साथ हो तथा अष्टमेश पंचम से सम्बन्ध बनाता हो|
.. अष्टम भाव अथवा भावेश का सम्बन्ध शनि तथा पंचम और नवम भाव से हो|
4. लग्नेश-पंचमेश तथा नवमेश अष्टम भाव में हों तथा अष्टमेश बली हो|
5. चन्द्र-राहु की युति अष्टम भाव में हो तथा गुरु-शनि का सम्बन्ध भी त्रिकोण भावों से होता हो|
6. पंचमेश-अष्टमेश का भाव परिवर्तन हो तथा चन्द्रमा शनि अथवा राहु से सम्बन्ध बनाता हो|
7. नवमेश-अष्टमेश का राशि परिवर्तन हो तथा लग्नेश का सम्बन्ध शनि से हो|
8. शनि-चन्द्रमा की युति पंचम भाव में हो तथा अष्टमेश का सम्बन्ध किसी भी प्रकार से पंचमेश अथवा लग्नेश से हो|
9. गुरु लग्न में हो, शनि अष्टम भाव में हो, अष्टमेश चन्द्रमा के साथ नवम अथवा पंचम भाव में हो|
1.. गुरु, शनि, चन्द्रमा तथा राहु की युति अष्टम भाव में हो|
11. कुम्भ अथवा कर्क राशि अष्टम भाव में स्थित हो तथा शनि-चन्द्रमा की युति त्रिकोण अथवा अष्टम भाव में हो|
12. मकर, कुम्भ अथवा कर्क राशि अष्टम भाव में स्थित हो तथा शनि का सम्बन्ध गुरु, चन्द्रमा एवं त्रिकोण भावों से हो|
13. कर्क लग्न अथवा मिथुन लग्न में शनि-चन्द्रमा की युति हो तथा राहु-गुरु के मध्य भी किसी प्रकार का सम्बन्ध हो|
14. शनि-चन्द्रमा की युति शनि के नक्षत्रों (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा भाद्रपद) में हो तथा गुरु-शनि के मध्य किसी प्रकार का सम्बन्ध हो|
15. पुष्य नक्षत्र अष्टम अथवा नवम भाव मध्य में हो तथा शनि-गुरु एवं चन्द्रमा की युति त्रिकोण भाव में हो|
16. राहु के नक्षत्र अष्टम अथवा नवम भाव मध्य में हों तथा राहु-गुरु की युति भी इन्हीं भावों में बनती हो|
17. राहु, शनि, गुरु तथा चन्द्रमा सभी ग्रह राहु तथा शनि के नक्षत्रों में स्थित हों|
18. राहु-गुरु की युति राहु के नक्षत्रों में तथा शनि-चन्द्रमा की युति शनि के नक्षत्रों में हो|

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उपर्युक्त सभी योगों में व्यक्ति पूर्वाभास तथा अदृश्य शक्तियों को महसूस करने वाला होता है| यह स्थिति शनि तथा गुरु के बली होने पर स्थित होती है| इन शक्तियों के गुण अल्प मात्रा में कई व्यक्तियों में पाए जाते हैं, लेकिन इनकी पूर्णता गिने-चुने व्यक्तियों में ही होती है| कई मनुष्यों में यह शक्ति अध्यात्म में प्रवृत्त होने के पश्‍चात् आती है| वे अध्यात्म में आने के कुछ ही दिनों पश्‍चात् दुनियाभर के सभी सुखों को भूलकर अपनी इन्हीं शक्तियों को जाग्रत करने में लग जाते हैं| गुरु कृपा से शीघ्र ही उन्हें ऐसी शक्तियॉं प्राप्त हो जाती है| 

जब उनकी जन्मपत्रिका के अनुसार शनि आदि ग्रह तथा अष्टमेश आदि ग्रहों की दशाएँ आती हैं, तो इन्हें ऐसी शक्तियों का ज्ञान अधिक रूप से स्पष्ट होने लगता है| जब शनि अथवा इन शक्तियों के कारक ग्रह अष्टम भाव अथवा इससे त्रिकोण भावों में गोचर अथवा विचरण करते हैं| तब भी वह इन शक्तियों को महसूस कर सकता है|

जन्मपत्रिका के समान ही यह लक्षण हस्तरेखाओं में भी देखे जा सकते हैं| हस्तरेखा में भी उपर्युक्त ग्रह ही इसके कारक होते हैं| हस्तरेखा अध्ययन में मस्तिष्क रेखा का इस शक्ति में विशेष महत्त्व है| जब किसी व्यक्ति के हाथ में मस्तिष्क रेखा, गुरु, शनि तथा चन्द्र ग्रह का एक विशेष संयोग बनता है अथवा इन पर कुछ विशेष चिह्न होते हैं, वही इन शक्तियों को दर्शाते हैं| जब यह लक्षण पूर्ण रूप से पुष्ट होकर हाथ में ऩजर आए, वही समय इस शक्ति के भी परिलक्षित होने का समझना चाहिए| 
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ऐसे लक्षण निम्नलिखित हैं —

1. मस्तिष्क रेखा गुरु पर्वत अथवा शनि पर्वत के नीचे से प्रारम्भ होते हुए चन्द्रमा पर्वत के मूल तक आती हो तथा स्वास्थ्य अथवा भाग्य रेखा से मिलकर इस पर त्रिकोण का चिह्न बनता हो|
2. शनि पर्वत के मूल में ‘क्रॉस’ का चिह्न बनता हो तथा मस्तिष्क रेखा पुष्ट हो|
3. गुरु एवं शनि पर्वत पुष्ट हों तथा मस्तिष्क रेखा शनि मूल से प्रारम्भ होती हो|
4. गुरु एवं शनि पर्वत पर ‘चतुर्भुज’ अथवा ‘त्रिभुज’ का चिह्न हो|
5. चन्द्रमा से प्रारम्भ पुष्ट भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा विदीर्ण करते हुए शनि रेखा के साथ त्रिभुज अथवा चतुर्भुज का चिह्न बनाती हो|
6. शनि पर्वत के नीचे क्रॉस का चिह्न हो तथा शनि रेखा मस्तिष्क रेखा को विदीर्ण करती हो|
7. चन्द्रमा पुष्ट होने के साथ ही विस्तृत हो तथा उस पर त्रिभुज अथवा चतुर्भुज का चिह्न हो|
8. सूर्य रेखा पुष्ट होकर मस्तिष्क रेखा से सम्बन्ध बनाए तथा शनि पर्वत पुष्ट हो|
9. राहु पर्वत पर क्रॉस का निशान हो तथा राहु पर्वत से निकलकर कोई रेखा मस्तिष्क रेखा को विदीर्ण करती हो|
उपर्युक्त लक्षणों के अतिरिक्त हस्त में और भी कई लक्षण होते हैं, जिनके फलस्वरूप यह शक्ति मानव में उत्पन्न होती है| इसके लिए उसके हाथ, अंगुलियॉं आदि की स्थिति भी देखनी चाहिए|
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इस प्रकार जन्मपत्रिका और हस्त में पाए जाने वाले योग और लक्षणों के आधार पर व्यक्ति के पूर्वाभास और अदृश्य शक्तियों को पहचानने की क्षमता को जाना जा सकता है| इन शक्तियों का अहसास व्यक्ति सदैव महसूस नहीं कर सकता है| किसी निश्‍चित समय में जब इन शक्तियों को दर्शाने वाले कारक ग्रह अथवा हस्त लक्षण जाग्रत होते हैं, तभी व्यक्ति इन शक्तियों को पहचानने लगता है| जब ये लक्षण लुप्त हो जाते हैं और कारक ग्रहों की दशावधि निकल जाती है, तब यह शक्ति नहीं रहती है।

यदि किसी व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत पर क्रॉस का निशान हो एवं मस्तिष्क रेखा भी साफ-सुथरी हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास हो सकता है।
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हथेली के शनि पर्वत यानी मध्यमा उंगली के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चतुर्भुज का चिह्न बना हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।

मित्रों, हाथ में कुछ ऐसी हस्तरेखा होती है, जो व्यक्ति को आनेवाले समय में होनेवाली घटनाओं का पूर्वाभास करवा देती है। जिसके हाथ में इस प्रकार की ऐसी रेखा हो तो ऐसे लोगों को पूर्वाभास होता है। ऐसे लोगों को समय से पहले ही घटनाओं का ज्ञान हो जाता है जिसे पूर्वाभास कहते हैं। अर्थात ऐसे लोगों को मिलने लगते हैं भविष्य में होनेवाली घटनाओं के संकेत।।

कुछ लोगों के पास ऐसी शक्तियां जन्म से ही रहती हैं। जिनके बदौलत उन्हें भूतकाल और वर्तमान के साथ ही भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है। ऐसे लोगों की छठी इन्द्रिय यानि सिक्स्थ सेंस एक्टिव रहता है। हस्तरेखा के अनुसार कुछ ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को आने वाले कल की जानकारी देते हैं।।
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हस्तरेखा के अनुसार कुछ ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को आने वाले कल की जानकारी देते हैं। यदि किसी व्यक्ति के हाथों में शनि पर्वत मतलब मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर क्रास का निशान हो एवं इसके साथ ही मस्तिष्क रेखा भी साफ-सुथरी और पुष्ट हो तो ऐसे व्यक्ति को कोई भी घटना घटित होने से पहले ही उसका पूर्वाभास हो जाता है।।

यदि किसी व्यक्ति की हथेली में गुरु पर्वत यानी इन्डेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चर्तुभुज बना हुआ दिखाई देता है तो ऐसे इंसान को भी भविष्य के संकेत दिखाई देते हैं। हथेली में शनि पर्वत यानी मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चर्तुभुज का चिन्ह बना हो तो भी ऐसे व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।।

जिन लोगों की हथेली का शनि पर्वत पुष्ट हो एवं इसके साथ ही सूर्य रेखा (रिंग फिंगर यानी अनामिका अंगुली के नीचे वाले भाग पर सूर्य रेखा होती है) अर्थात रिंग फिंगर के क्षेत्र से निकलने वाली रेखा मस्तिष्क रेखा से जुड़ जाए तो ऐसे लोगों को भी आने वाले समय में घटने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है।।
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यदि हथेली के चन्द्र पर्वत यानि अंगूठे के दूसरी ओर वाले भाग पर त्रिभुज या चतुर्भुज हो तो उन लोगों को भी पूर्वाभास होता है। जिन लोगों के हाथों में ऐसे चिन्ह होते हैं उन लोगों के पास विशेष शक्ति होती है। जब वे इन शक्तियों को पहचानने लगते हैं तब उन्हें पूर्वाभास होने लगता है। कई बार ग्रहों की स्थिति बदलने के बाद ये चिन्ह मिट जाते है तब यह शक्तियां भी नहीं रहती हैं। इसके साथ ही हथेली की अन्य दशाओं से भी यहां बताए गए प्रभाव बदल भी सकते हैं।।
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यदि किसी व्यक्ति की हथेली के गुरु पर्वत यानी तर्जनी उंगली के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चतुर्भुज बना हुआ दिखाई देता है, तो ऐसे जातक को भी भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत दिखाई देते हैं।

जिन लोगों की हथेली का शनि पर्वत पुष्ट हो एवं सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से जुड़ जाए तो ऐसे लोगों को भी आने वाले समय का पूर्वाभास हो जाता है।
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कहां होती है सूर्य रेखा —
अनामिका उंगली के नीचे वाले भाग पर जो रेखा होती है, उसे सूर्य रेखा कहते हैं। अनामिका उंगली को सूर्य की उंगली भी कहा जाता है। यदि हथेली के चंद्र पर्वत यानी अंगूठे के दूसरी ओर हथेली के अंतिम भाग पर त्रिभुज या चतुर्भुज का निशान हो, तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।

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यदि किसी व्यक्ति के हाथों में शनि पर्वत यानी मध्यमा उंगली के नीचे वाले पर्वत पर क्रॉस का निशान हो एवं मस्तिष्क रेखा भी साफ-सुथरी हो, तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है। ऐसे व्यक्ति को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले से ही आभास हो जाता है।
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जिन लोगों के हाथों में ऐसे निशान होते हैं, उनके पास विशेष शक्ति होती है। इस शक्ति से उन्हें पूर्वाभास होने लगता है। कई बार ग्रहों की स्थिति बदलने के बाद ये निशान मिट भी जाते हैं। तब ये शक्तियां भी असर दिखाना बंद कर देती हैं।
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जिन लोगों को अपनी छठी इंद्रिय जागृत करनी है, उन्हें प्रतिदिन योग और ध्यान करना चाहिए। जैसे-जैसे व्यक्ति योग और ध्यान में पारंगत होता जाएगा, वैसे-वैसे उसकी छठी इन्द्रिय को बल मिलने लगेगा और पूर्वाभास होना प्रारंभ हो जाएगा। इस कार्य में समय अधिक लगता है क्योंकि ध्यान पूरी एकाग्रता के साथ किया जाना चाहिए। जब ध्यान किया जाए तब मन में कोई विचार नहीं होना चाहिए। चित्त पूरी तरह से शांत होना चाहिए।

आज इस लेख में( तस्वीरों में देखिए ऐसे संकेत)…कुछ लोगों के पास ऐसी शक्तियां जन्म से ही रहती हैं, जिनसे उन्हें भूतकाल और वर्तमान के साथ ही भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है। ऐसे लोगों की छठी इंद्री यानि सिक्स्थ सेंस एक्टिव रहता है। हस्तरेखा के अनुसार कुछ ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को आने वाले कल की जानकारी देते हैं। यहां तस्वीरों में देखिए ऐसे संकेत…
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जिन लोगों के हाथों में ऐसे चिन्ह होते हैं उन लोगों के पास विशेष शक्ति होती है। जब वे इन शक्तियों को पहचानने लगते हैं, उन्हें पूर्वाभास होने लगता है। कई बार ग्रहों की स्थिति बदलने के बाद ये चिन्ह मिट जाते है तब यह शक्तियां भी नहीं रहती हैं। इसके साथ ही हथेली की अन्य दशाओं से भी यहां बताए गए प्रभाव बदल भी सकते हैं।
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– यदि किसी व्यक्ति के हाथों में शनि पर्वत मतलब मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर क्रास का निशान हो एवं इसके साथ ही मस्तिष्क रेखा भी साफ-सुथरी और पुष्ट हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।
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– यदि किसी व्यक्ति की हथेली के गुरु पर्वत यानी इन्डेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चर्तुभुज बना हुआ दिखाई देता है तो ऐसे इंसान को भी भविष्य के संकेत दिखाई देते हैं।
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– हथेली के शनि पर्वत यानी मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चर्तुभुज का चिन्ह बना हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।
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– जिन लोगों की हथेली का शनि पर्वत पुष्ट हो एवं इसके साथ ही सूर्य रेखा (रिंग फिंगर यानी अनामिका अंगुली के नीचे वाले भाग पर होती है सूर्य रेखा) अर्थात रिंग फिंगर के क्षेत्र से निकलने वाली रेखा मस्तिष्क रेखा से जुड़ जाए तो ऐसे लोगों को भी आने वाले समय का आभास हो जाता है।
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– यदि हथेली के चन्द्र पर्वत यानि अंगूठे के दूसरी ओर वाले भाग पर त्रिभुज या चतुर्भुज हो तो उन लोगों को भी पूर्वाभास होता है।

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