जानिए मकर संक्रांति …5  कब मनाएं और क्या होगा आपकी राशि पर उसका प्रभाव..???


हमारे देश में मकर संक्रांति पर्व पर आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। पेंच लड़ाए जाते हैं। गीत संगीत होता है। कन्याएं जानवरों, पक्षियों और मछलियों को भोजन देती हैं। महिलाएं गुड़-तिल, खिचड़ी या विभिन्न प्रकार के मिष्ठान का इंतज़ाम करती हैं। कुल मिलाकर यह एक बड़ा रोमांचकारी अवसर होता है सबके लिए। हर तरफ हर्ष उल्लास का वातावरण बन जाता है।


इस वर्ष 2015 के जनवरी माह में 15 तारीख को विशेष संयोग बन रहा है। मकर संक्रांति का महापर्व इस बार साल 2015 में 15 तारीख को ही मनेगा। खास बात यह कि 15 तारीख को 15 वां नक्षत्र स्वाति और 15 मुहूर्त तिथि होगी। यही नहीं इस दिन पांचवां वार गुरुवार 10वीं तिथि का योग भी 15 होगा। 


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसारइस बार तिथि काल और सूर्य-पृथ्वी की गति के कारण इस बार एक बार फिर मकर संक्रांति का पर्व 15 तारीख को मनेगा। नववर्ष 2015 में मकर संक्रांति हाथी पर सवार होकर आएगी। पशु जाति की मकर संक्रांति, गोरोचन का लेप लगाकर लाल रंग के वस्त्र और बिल्व पुष्प की माला धारण कर आएगी। हाथ में धनुष लेकर लोहे के बर्तन में दुग्ध पान करती हुई बैठी हुई स्थिति में प्रौढ़ा अवस्था में रहेगी।


संक्रान्ति पर्व के दिन से शुभ कार्यो का मुहूर्त समय शुरु होता है. इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से निकल कर उतरायण में प्रवेश करते है. विवाह, ग्रह प्रवेश के लिये मुहूर्त समय कि प्रतिक्षा कर रहे लोगों का इन्तजार समाप्त होता है. इस दिन को देवता छ: माह की निद्रा से जागते है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना, एक नये जीवन की शुरुआत का दिन होता है. प्राचीन काल से ही इस दिन को शुभ माना जाता रहा है. हमारे ऋषियों और मुनियो के अनुसार इस दिन कार्यो को प्रारम्भ करना विशेष शुभ होता है. 


“मकर-संक्राति”अर्थात सूर्य का शनि की राशि “मकर” में प्रवेश होना। सिर्फ यही त्यौहार है जिसकी तारीख लगभग निश्चित है। यह “उत्तरायण पुण्यकाल” के नाम से भी जाना जाता है। इस काल में लोग गंगा-स्नान करके अपने को पाप से मुक्त करते है।


शास्त्रों में इस दिन को देवदान पर्व भी कहा गया है.सम्पूर्ण दिन पुण्यकाल हेतु दान, स्नान आदि का सर्वोत्तम मुहूर्त है. माघ मास में सूर्य जब मकर राशि में होता है तब इसका लाभ प्राप्त करने के लिए देवी-देवताओं आदि पृथ्वी पर आ जाते है. अतः माघ मास एवं मकरगत सूर्य जाने पर यह दिन दान- पुण्य के लिए महत्वपूर्ण है. इस दिन व्रत रखकर, तिल, कंबल, सर्दियों के वस्त्र, आंवला आदि दान करने का विधि-विधान है.


शास्त्रों में सूर्य को राज, सम्मान और पिता का कारक कहा गया है. और सूर्य पुत्र शनि देव को न्याय और प्रजा का प्रतीक माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में जिन व्यक्तियों की कुण्डली में सूर्य-शनि की युति हो, या सूर्य -शनि के शुभ फल प्राप्त नहीं हो पा रहे हों, उन व्यक्तियों को मकर संक्रान्ति का व्रत कर, सूर्य-शनि के दान करने चाहिए. ऎसा करने से दोनों ग्रहों कि शुभता प्राप्त होती है. इसके अलावा जिस व्यक्ति के संबन्ध अपने पिता या पुत्र से मधुर न चल रहे हों, उनके लिये भी इस दिन दान-व्रत करना विशेष शुभ रहता है.


सूर्य यूं तो 14 जनवरी को शाम 7.28 बजे मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार शास्त्रों में संक्रांति काल से पहले के 6 घंटे 24 मिनट और बाद 16 घंटे पुण्यकाल के लिए वर्णित हैं। खासकर ये समय सूर्योदय के समय सर्वश्रेष्ठ माना गया है। चूंकि संक्रांति काल संध्या काल में है, इसलिए इस दिन का कोई महत्व नहीं रहेगा, पुण्य काल का समय अगले दिन सुबह 11.28 बजे तक रहेगा।
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इस वर्ष 2015 में क्यों मनाएं मकर संकर्न्ति 15 जनवरी को..???


सूर्य 14 जनवरी 2015 की मध्यरात्रि 1:.0 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा। वर्ष 2015 के जनवरी माह में 15 तारीख को विशेष महासंयोग बन रहा है। मकर संक्रांति का महापर्व इस बार 2015 में 15 तारीख को ही मनेगा।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार विशेष बात यह कि 15 तारीख को 15 वां नक्षत्र स्वाति और 15 मुहुर्त तिथि होगी। यही नहीं इस दिन पांचवां वार गुरुवार व दशमी तिथि का योग भी 15 होगा। इस बार तिथि काल और सूर्य-पृथ्वी की गति के कारण इस बार एक बार फिर मकर संक्रांति का पर्व 15 तारीख को मनेगा।


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार सूर्य यूं तो 14/15 जनवरी की मध्यरात्रि 1:30 बजे मकर राशि में प्रवेश कर जाएगा। निर्णय सिंधु में संक्रांति काल से पहले के 6 घंटे और बाद 12 घंटे पुण्यकाल के लिए वर्णित हैं। चूंकि संक्रांति काल रात्रिकाल में है, इसलिए 14 जनवरी का कोई महत्व नहीं रहेगा,विषेष पुण्य काल 15 जनवरी को दोपहर 1:30 तक रहेगा एवं सामान्य पुण्यकाल सूर्यास्त तक रहेगा। उदय काल में संक्रांति का पुण्यकाल श्रेष्ठ माना गया है। इसी दिन दान-पुण्य का महत्व माना गया है। इसलिए 15 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी
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15 का मूलांक 6, ये प्रभाव होगा प्रभाव–


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार 15 का मूलांक 6 है और 6 अंक का स्वामी शुक्र रहता है। शुक्र सुंदरता, प्रकृति सौंदर्य और चकाचौंध का परिचायक है। शुक्र प्रकृति और उन्नति का ग्रह है। इस दि दान-पुण्य वि शेष फलदायी रहेगा। वहीं ये पर्व प्रगति कारक समृद्धिकारक माना गया है। 
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पूर्व  में संक्रांति का पर्व मनाए जाने का क्रम— 
16 व 17वीं शताब्दी में 9 व 10 जनवरी 
17 व 18वीं शताब्दी में 11 व 12 को 
18 व 19वीं शताब्दी में 13 व 14 जनवरी को 
19 व 20वीं शताब्दी में 14 व 15 को 
21 व 22वीं शताब्दी में 14, 15 और 16 जनवरी तक मनाई जाने लगेगी। 

हर दो सालवर्ष  में बदलेगा क्रम— 
अगले वर्ष  2016 में भी मकर संक्रांति 15 को ही मनेगी। फिर ये क्रम हर दो साल के अंतराल में बदलता रहेगा। लीप ईयर वर्ष आने के कारण मकर संक्रांति वर्ष 2017 व 2018 में वापस 14 को ही मनेगी। साल 19 व 20 को 15 को मनेगी। ये क्रम 2030 तक चलेगा।
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खगोलीय मत- अंतर आयन गति से—- 
मकर संक्रांति का अंतर पृथ्वी की आयन गति से होता है। आसमान का वर्नल इक्वीनोक्स (वैज्ञानिक गणना का एक काल्पनिक बिंदु) खिसकता रहता है। यह 26 हजार साल में एक बार आसमान का एक चक्कर पूरा करता है, जो हर साल 52 सेकंड आगे खिसक जाता है। समय के साथ बदलाव जुड़ते-जुड़ते करीब 70 से 80 साल में एक दिन आगे बढ़ जाता है।
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ज्योतिषीय मत-2080 से 15 जनवरी को ही 
ज्योतिषाचार्य पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष 50 विकला (5 विकला =2 मिनिट) पीछे रह जाती है, वहीं सूर्य संक्रमण आगे बढ़ता जाता है। हालांकि लीप ईयर में ये दोनों वापस उसी स्थिति में आ जाते हैं। इस बीच प्रत्येक चौथे वर्ष में सूर्य संक्रमण में 22 से 24 मिनिट का अंतर आ जाता है। यह अंतर बढ़ते-बढ़ते 70 से 80 वर्ष में एक दिन हो जाता है। इस कारण मकर संक्रांति का पावन पर्व वर्ष 2080 से लगातार 15 जनवरी को ही मनाया जाने लगेगा।
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जानिए मकर संक्रांति 2015 का सभी 12 राशियों पर प्रभाव—


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री के अनुसार…. 
मेष राशि  -सम्मान बढ़ेगा 
वृषभ राशि – तनाव की संभावना 
मिथुन राशि – धन लाभ होगा 
कर्क राशि -हानि की संभावना 
सिंह राशि -भूमि लाभ
कन्या राशि -समृद्धि की संभावना 
तुला राशि – आर्थिक लाभ होगा 
वृश्चिक राशि -चिंता बढ़ेगी,
धनु राशि -सुख मिलेगा 
मकर राशि – लाभ होगा
कुम्भ राशि -पदोन्नति होगी 
मीन राशि  -कष्ट मिलेगा 
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CONTECT—-..–09669290067 (M.P.) & . (RAJ.)


पंडित “विशाल”दयानन्द शास्त्री (ज्योतिष, वास्तु एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ)
मोनितीर्थ (मोनीधाम), गंगा घाट, मंगलनाथ मार्ग, संदीपनी आश्रम के निकट, 
उज्जैन (मध्यप्रदेश) पिन कोड–456006

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