आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा क्या हैं.?? इसके क्या प्रभाव एवं लाभ हैं..???


आश्विन मास की पूर्णिमा वर्षभर में आनेवाली सभी पूर्णिमा से श्रेष्ठ मानी गई है। इसे शरद पूर्णिमा या कोजागर पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन चंद्रमा का पूजन करना लाभदायी रहता है। मनुष्य की कामनाओं को पूर्ण करने वाली ,पूर्ण चन्द्र से युक्त ,अधूरेपन से पूर्णता की और ले चलने वाली तिथि को पूर्णिमा कहते हैं 


जैसा की सभी जानते हैं  पूर्णिमा पर चंद्रमा अपने पूर्ण कलाओं पर रहता है, जिस कारण समुद्र में ज्वार आता है। वनस्पति पर भी इसका गहरा असर होता है तथा वे तेजी से बढ़ती है। मन:शक्ति को प्रबल करने का सुअवसर चंद्रमा पृथ्वी का निकटतम उपग्रह है। पृथ्वी पर इसका विशिष्ट प्रभाव पड़ता है। 



ज्योतिष में इसे मन का देवता कहा गया है। आश्विन मास की पूर्णिमा को चन्द्र की किरणों के साथ अमृत बरसत है। चंद्र के प्रकाश में जागरण करने से जप-तप-ध्यान आदि में शीघ्र सफलता मिलती है। मन जब स्वस्थ रहता है तो सारे काम अच्छे होते हैं। 


इस रात जागरण करने से हमारे भीतर मन:शक्ति का संचार अधिक होता है। हमारे विचार सकारात्मक होते हैं। हर कार्य में सफलता अर्जित कर सकते हैं। धन की प्राप्ति में मन की भूमिका बहुत अधिक है।


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आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा पर क्या करें..???


—-शरद पूर्णिमा को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में सोकर उठें।
 —–पश्चात नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान करें।
 —–स्वयं स्वच्छ वस्त्र धारण कर अपने आराध्य देव को स्नान कराकर उन्हें सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करें।
 —-इसके बाद उन्हें आसन दें।
—अंब, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से अपने आराध्य देव का पूजन करें।
 —–इसके साथ गोदुग्ध से बनी खीर में घी तथा शकर मिलाकर पूरियों की रसोई सहित अर्द्धरात्रि के समय भगवान का भोग लगाएं।
 —–पश्चात व्रत कथा सुनें। इसके लिए एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाएं।
 —फिर तिलक करने के बाद गेहूं के .. दाने हाथ में लेकर कथा सुनें।
 —तत्पश्चात गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें,अंत में लोटे के जल से रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें।
 —-स‍‍भी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करें और रात्रि जागरण कर भगवद् भजन करें।
 —-चांद की रोशनी में सुई में धागा अवश्य पिरोएं।
 —निरोग रहने के लिए पूर्ण चंद्रमा जब आकाश के मध्य में स्थित हो, तब उसका पूजन करें।शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की चांदनी/रोशनी में साबूदाने की खीर बनाने की परम्परा है। 
—–मान्यता है कि चंद्र से झरने वाला अमृत खीर में उतरता है। 
——-आधी रात को भगवान को  साबूदाने की खीर का भोग लगाया जाता है तथा आरती आदि के बाद इसी खीर का प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है। 


चंद्रमा के प्रकाश में सूई में धागा पिरोने की प्रथा भी है। मान्यता है कि ऐसा करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
 —-रात को ही खीर से भरी थाली खुली चांदनी में रख दें।
 —दूसरे दिन सबको उसका प्रसाद दें तथा स्वयं भी ग्रहण करें।
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क्या करें इस शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी कृपा प्राप्ति के लिए..???


साल की अनेक पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा का अलग ही महत्त्व है | वर्षा ऋतू के बाद जाड़े की शुरुआत में शरद की ऋतू की इस पूर्णिमा के दिन चाँद से अमृत बरसता है | इस दिन दूध और चावल की खीर बनाकर चाँद की किरणों के नीचे रख दी जाती है और समझा जाता है की ओस की बूंदों के साथ चाँद से बरसा हुआ अमृत खीर में आ जायेगा | और इसे खाने से आयु बढ़ेगी | इस खीर को खाने से अस्थमा दूर होता है | खीर का सबसे अच्छा प्रभाव रात में चंद्रमा के अस्त होने पर .4 मिनट के अन्दर रहता है | सुबह भी खीर में असर तो रहता है लेकिन समय से खीर खाने से गजब का फायदा होता है |


भारत के अलावा विश्व के अनेक हिस्सों में शरद पूर्णिमा के साथ परम्परायें जुडी होने के तथ्य प्राप्त होते हैं | चाहे -पूर्वी चीन -कोरिया और जापान के बौद्धों की जेन शाखा हो या इटली के तांत्रिक विश्वासों का वैम्पायर सम्प्रदाय या अफ्रीका के आदिवासी कबीले -सभी जगह शरद पूर्णिमा से जुडी परम्परायें मिल जाती हैं |


इस रात्रि में लक्ष्मी पूजन के साथ श्रीयंत्र, कुबेर यंत्र की सिद्धि की जा सकती है | शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते हैं |शरद पूर्णिमा पर द्विग्रही योग में लक्ष्मी पूजन का विशेष महत्त्व है | महालक्ष्मी पूजन एवं स्रोत पाठ से धन धान्य की प्राप्ति की जा सकती है | रात में लक्ष्मी पूजन करें | श्री सूक्त एवं लक्ष्मी सूक्त के साथ विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने वाले पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा होती है |


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शरद पूर्णिमा का एक और महत्वपूर्ण कृत्य है—-


लक्ष्मी कुबेर की पूजा ,श्रीयंत्र और कुबेर यंत्र की सिद्धि और एक ही रात की पूजा में साल भर के लिये लक्ष्मी और कुबेर को मना लेने का सुन्दर अवसर प्राप्त होता है | इसके अलावा मनोबल की वृद्धि ,बेहतर स्मरण शक्ति ,अस्थमा रोग से छुटकारा , ग्रह बाधा से निवारण ,घर से दारिद्र्य के निष्कासन इत्यादि की क्रियायें की जा सकती हैं |


ये सब करने का मुहूर्त कब है ?
इसका सम्बन्ध चंद्रोदय -चंद्रास्त और गुरु के गोचर नक्षत्र के आठवें नक्षत्र में चंद्रमा के प्रवेश करने से है | रात में उसी समय खीर बनाना और सुबह चंद्रास्त के बाद जल्दी से जल्दी खा लेना चाहिये | पूजा इत्यादि भी इसी बीच करना चाहिये |


मां लक्ष्मी को मनाने का मंत्र—-


ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः


कुबेर को मनाने का मंत्र :—


ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन धान्याधिपतये |
धन धान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा | |
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शरद पूर्णिमा पर किस राशि के लोग क्या करें कि उन्हें खास फायदा हो ..??


मेष राशि :- बहन को कुछ गिफ्ट करें, २१ नीम की पत्तियाँ अपने घर में लाकर रखें और अगले दिन खीर खाने के बाद नदी में विसर्जित कर दें | खीर खाने के बाद गर्म पानी से स्नान करें | 
वृष राशि :- शिव जी के मन्दिर में दूध और गुड़ चढ़ाएं, इर्ष्या भाव से दूर रहें और सोने की कोई चीज पहने | 
मिथुन राशि :- छोटे बच्चों को कुछ दान करें, गंगा जल घर में रखें और चांदी पहने |
कर्क राशि :- बड़े भाई की पत्नी का आशीर्वाद लें | आज तीन काले कुत्तों को रोटी खिलायें | 
सिंह राशि :- घर में पूजा की जगह न बदलें | नंगे पैर किसी धर्म स्थान पर जायें |
कन्या राशि :- आज शाम उत्तर दिशा में एक मोमबत्ती जलाइये | हनुमान जी के मन्दिर में बेसन का लड्डू चढ़ाएं | 
तुला राशि :- आज किसी मजदूर को खाना खिलायें | नारियल नदी में प्रवाहित करें |
वृश्चिक राशि : आज शहद लाकर अपने कमरे के उत्तर के कोने में रखिये | पक्षियों को सतनजा ( सात अनाज डालें ) |
धनु राशि :- पूर्णिमा के दिन सूर्य की रोशनी सर पर न पड़ने दें, टोपी या पगड़ी लगायें | बन्दर को गेहूं खिलाएं |
मकर राशि :- बहन से झगड़ा ना करें | नारियल का तेल दान करें |
कुम्भ राशि :- दाहिने हाथ में लाल धागा पहने | दामाद को कुछ दान करें |
मीन राशि :- रात को खाना पकाने के बाद चूल्हे में दूध के छींटे मारे मिटटी के बर्तन में शहद भरकर वीराने में रख दें |

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जानिए की कैसा रहेगा 8 अक्तूबर 2.14  (बुधवार) को चन्द्रग्रहण का आप पर प्रभाव—-

इस वर्ष  8 अक्तूबर 2014  (बुधवार) को शरद पूर्णिमा की रात चांद की खूबसूरती को ग्रहण लगने जा रहा है। इससे अगस्त तारे के उदय और पूर्णचन्द्र की किरणों में नहाई हुई शरद पूर्णिमा इस बार देश के कई हिस्सों में खंडित होगी। रेवती नक्षत्र एवं मीन राशि में पडने वाला चंद्रमा शुरु से ही खंडित रहेगा।



8 अक्तूबर 2014  (बुधवार) को ग्रहण के दिन सूर्योदय के साथ ही सूतक आरम्भ हो जाएगा जो रात्रि 03 बजकर 04मिनट 20 सेकेण्ड तक रहेगा। 
ग्रहण काल की अवधि में शयन, स्त्री प्रसंग, उबटन लगाना वर्जित माना गया है।

गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार सामान्य दिनों की तुलना में चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म, जप, ध्यान, दान आदि लाख गुना और सूर्यग्रहणमें दस लाख गुना फलदायी होता है इसलिए ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अवश्य करें, ऐसा न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है।

कहां दिखेगा ग्रहण ?

इस दिन ग्रहण का स्पर्श दोपहर 2 बजकर 50 मिनट से आरंभ होगा। ग्रहण का मध्यकाल दोपहर बाद 04 बजकर 30 मिनट तक रहेगा और मोक्ष का समय शाम 06 बजकर 04 मिनट 20 सेकेण्ड होगा।

राजधानी दिल्ली में चन्द्र ग्रहण का आरम्भ सायंकाल चन्द्रोदय के साथ ही 06 बजकर 01 मिनट और 51 सेकेण्ड और समाप्ति भी शायं 6 बजकर 04 मिनट और 20 सेकेण्ड पर होगी। दिल्ली में यह ग्रहण केवल 02 मिनट 29 सेकेंड ही देखेगा।

भारत के पश्चिमी प्रदेशों पश्चिमी राजस्थान, सम्पूर्ण, गुजरात, कर्नाटक, केरल के पश्चिमी भाग, पश्चिमी मध्य प्रदेश एवं पश्चिमी महाराष्ट्र में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा क्योंकि यहाँ ग्रहण समाप्ति की अवधि के बाद चंद्रोदय होग। हरियाणा, हिमाचल, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, में ग्रस्तोदय ही रहेगा।

इस चंद्रग्रहण का इन राशियों पर होगा प्रभाव–

यह चन्द्रग्रहण बृषभ, सिंह, धनु, औरम कर राशि वालों के उत्तम तथा मेष, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, बृश्चिक और कुम्भ राशि वालों के लिए मध्यम रहेगा।

मीन राशि और की रेवती नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों के लिए कष्टप्रद रहेगा। 
ग्रहण सम्बन्धी सभी दोषों से बचने के लिए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ महामंत्र का जप श्रेष्ठ रहेगा।

अधिक जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग–“विनायक वास्तु टाइम्स” पर सम्पूर्ण लेख पढ़ें..

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