रोगी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के योग -(लग्न अथवा लग्नेश से)—
लग्न में स्थित बलवान ग्रह शीघ्र स्वास्थ्य लाभ देता है। और यदि लग्नेश और दशमेश मित्र हो तो भी, इसी प्रकार यदि चतुर्थेश और सप्तमेश के बीच मित्रता हो तो भी रोगी शीघ्र रोग मुक्त होता है, लग्नेश का चन्द्र के साथ संबंध हो और चन्द्र शुभ ग्रहों के प्रभाव में या केन्द्र में स्थित हो तो भी ऐसा होता है, इसी प्रकार शुभ ग्रहों के प्रभाव के अंतर्गत केन्द्र में लग्नेश और चन्द्र की स्थिति शीघ्र लाभ बताती है, इस योग में सप्तमेश वक्री नहीं होना चाहिए और सप्तमेश सूर्य या अष्टम भाव के स्वामी से प्रभावित नहीं होना चाहिए।
चन्द्रमा से रोग मुक्ति : —
अपनी राशि अथवा उच्च राशि में बलवान चन्द्रमा एक शुभ ग्रह के साथ संबंध बनाए तो रोगी जल्द रोग मुक्त होता है, चन्द्र चर अथवा द्विस्वभाव राशि में होकर, लग्न और लग्नेश ग्रहो द्वारा दृष्ट हो, तब ऐसा होता है। चन्द्रमा अपनी राशी में चतुर्थ भाव अथवा दशम भाव में स्थित हो तो भी रोगी जल्दी ठीक होता है व शुभ ग्रहो से दृष्ट चन्द्र अथवा सूर्य एक, चार या सातवें भाव में स्थित हो तो भी रोगी ठीक होता है।
देरी या कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं :—-
यदि लग्नेश और दशमें श के बीच अथवा चतुर्थेश और सप्तमेश के बीच शत्रुता हो तो रोग ओर बढ़ जाता है, यह सभी विषम लग्नों में सत्य होगा, जबकि सम लग्नों में वे मित्र होगे। षष्टेश रोग बताता है, और यदि किसी प्रश्न कुण्डली में षष्टेश का अष्टमेश अथवा द्वादशेश के साथ संबंध बनाए तो स्वास्थ्य लाभ की संभावनाएँ नहीं होती। लग्न में चन्द्र अथवा शुक्र हो तो रोगी जल्दी ठीक नहीं होता है, प्रश्न कुण्डली में लग्नेश एवं मंगल की युति का होना भी कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं देता है, द्वादश भाव में लग्नेश स्थित हो तो रोगी देर से ठ‍ीक होता है, इसी प्रकार यदि लग्नेश षष्टम, अष्टम भाव में स्थित हो और अष्टमेश केन्द्र में स्थित हो तो रोगी जल्दी ठीक नहीं होता है।
रोगी के मृत्यु की संभावनाएँ :—
लग्नेश, सप्तमेश से चतुर्थ, षष्ट भाव या सप्तम भाव में स्थित हो तो रोगी की मृत्यु की संभावनाएँ बढ़ जाती है, या अष्टमेश की अपेक्षा लग्नेश बलहीन हो तो भी ऐसा होता है, लग्नेश केन्द्र में स्थित हो और वक्री ग्रह अथवा अस्त ग्रह के साथ संबंध बनाए, लग्नेश और अष्टमेश युति में हो, क्रुर ग्रहों से पीडि़त होकर केन्द्र में स्थित होने पर रोगी ठीक नहीं होता है, यदि लग्न में चर राशि है तो प्रारम्भ में तो रोगी ठीक होता लगता है लेकिन रोग वापस आने से मृत्यु हो जाती है

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