प्रेम विवाह (लव मेरिज ) करवाते हे –चन्द्र, शुक्र और मंगल का योग – डॉ. प्रदीप पंड्या 

प्रेम के लिए कोई स्पेशल डे या मुहूर्त मान्य नहीं होता है। यह तो दो व्यक्तियों के बीच हो जाता है। प्राचीन ग्रंथों में आठ प्रकार के विवाह संस्कारों को मान्यता दी गई है। इनमें ‘गंधर्व’ विवाह भी एक है। गंधर्व विवाह लव-मैरिज का पर्याय है। लव शब्द अपने आप में प्योर और डिवाइन है। ह्यूमन कल्चर को गतिशील रखने का आधार भी प्रेम है। 


प्रेम में सैक्रिफाइज और मर मिटने की भावना छुपी है। युवक और युवती को एक-दूसरे के प्रति जो आकर्षित करती है, उस फीलिंग्स का नाम प्रेम है। प्रेम हसबैंड-वाइफ, ब्रदर-सिस्टर, मदर-फादर के बीच भी होता है। स्नेह के आधार पर ही यह दुनिया टिकी हुई है। प्रेम ही धीरे-धीरे ‍कमिटमेंट और डेडिकेशन का रूप ले लेता है।


राशि चक्र बारह राशियों में डिवाइडेड है। किसी भी युवा की होरोस्कोप में लव मैरिज का योग है या नहीं यह जानकारी हमें राशियों की नेचुरल क्वॉलिटी से मिलती है। इन राशियों की स्टडी के बाद लव-मैरिज, लव-रिलेशन, लॉंग टर्म बॉंडिंग आदि की जानकारी मिलती है। लव होने या लव-मैरिज के लिए होरोस्कोप के सेंटर, फोर्थ, सेवंथ और ट्वेल्थ हाउस पर खास विचार किया जाता है। लव या लव-मैरिज का विचार नौ प्लेनेट में मून, मार्स और वीनस से किया जाता है। वीनस प्रेम का कारक है।


कुंडली में पाँचवाँ घर यानी फिफ्थ हाउस से गहरे लव रिलेशन का पता चलता है। जब कुंडली में मंगल यानी मार्स यदि सातवें घर या उसके मालिक से संबंध रखे तो युवा के लव रिलेशन बनते ही हैं या लव-मैरिज के योग बनते हैं। जब पंचमेश-सप्तमेश एवं शुक्र का शुभ संयोग होता है तो पति-पत्नी या प्रेमी-प्रेमिका में घनिष्ठ संबंध होते हैं। यानी सेवंथ हाउस के मालिक और फिफ्थ हाउस के मालिक के होरोस्कोप में वीनस से संबंध हो तो हसबैंड-वाइफ या लवर्स में मधुर संबंध होते हैं। यही कंडीशन लव-मैरिज भी करवाती है। 


शुक्र-चंद्र का कॉम्बिनेशन युवा में लव-एट्रैक्शन को जन्म देता है। वीनस और ज्यूपिटर का रिलेशन युवाओं में स्प्रिच्युअल लव का योग बनाता है। लव कैसा भी हो उसमें पर्मानेंसी होना जरूरी है। अतः लव में पीस और स्वीटनेस के लिए सेंटर हाउस से रिलेटेड स्टोन एंगेजमेंट या मैरिज के अवसर पर ‘कपल’ को अवश्य पहनना चाहिए।

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