किचन से प्रभावित होता है पति-पत्नी का स्वभाव……
व्यक्ति का स्वभाव और उसके घर की बीच गहरा संबंध होता है। जैसा घर होता है वैसा ही परिवार के सदस्यों का स्वभाव। वास्तु के अनुसार घर का हर हिस्सा, हर कमरा और किचन का अपना अलग महत्व होता है और यह सभी हमारे स्वभाव को प्रभावित करते हैं।
किचन घर का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता है। वास्तु के अनुसार किचन हमेशा आग्नेय कोण में होना चाहिए। कई लोगों के घर में वास्तु की जानकारी के अभाव में वास्तुदोष रहते हैं।
किचन आग्नेय कोण या दक्षिण-पूर्वी कोने में ही सबसे अच्छा रहता है लेकिन यदि किचन किसी और स्थान पर हो तो उसका अलग प्रभाव पड़ता है। किचन किस स्थान पर है? इसी बात से यह मालूम किया जा सकता है कि पति-पत्नी कितने खुश और शरारती हैं?
जिस घर में किचन दक्षिण या नैऋत्य कोण में होता है उस घर की मालकिन ऊर्जा से भरपूर, उत्साहित एवं शरारती मिजाज की होती है। वह हर पल को खुशी के साथ जीने वाली होती हैं और हमेशा अपने परिवार का ध्यान रखती हैं।
जिस घर का किचन वायव्य कोण में होता है, उसका मुखिया शरारती मिजाज और हमेशा खुश रहने वाला होता है। ऐसे घर के मालिक का स्वभाव शरारती होता है। उसका महिलाओं के प्रति विशेष झुकाव होता है।
आग्नेय कोण में किचन की यह स्थिति बहुत शुभ होती है । आग्नेय कोण में किचन होने पर घर की स्त्रियां खुश रहती हैं। घर में समस्त प्रकार के सुख रहते हैं।
इस दिशा में किचन होने से परिवार में मानसिक अशांति बनी रहती है। घर के मालिक को क्रोध अधिक आता है और उसका स्वास्थ्य साधारण रहता है।
जिस घर में किचन पश्चिम दिशा में होता है, उस घर का सारा कार्य घर की मालकिन देखती है। उसे काफी खुशियां प्राप्त होती हैं। घर की सभी महिला सदस्यों में आपसी तालमेल अच्छा बना रहते हैं परंतु खाने की बर्बादी ज्यादा होती है।
जिस घर में किचन उत्तर दिशा में होता है, उसकी स्त्रियां बुद्धिमान होती हैं। उस परिवार के पुरुष सरलता से अपना कारोबार करते हैं और उन्हें धनार्जन में सफलता मिलती है।
ईशान कोण में किचन होने पर परिवार के सदस्यों को सामान्य सफलता मिलती है। परिवार की स्त्रियां धार्मिक होती है, परंतु घर में कलह भी होती है। जिस घर में पूर्व दिशा में किचन होता है, उसकी आय अच्छी होती है। उस घर में पत्नी की ज्यादा बात मानी जाती है।