राहु को अंग्रेजी में ड्रैगन हेड के नाम से जाना जाता है.पौराणिक ग्रंथों में भी इसे सर्प का सिर कहा गया है.केतु के साथ मिलकर यह कालसर्प नामक अशुभ योग का निर्माण करता है.यह इसी प्रकार विभिन्न ग्रहों एवं स्थान में रहकर यह अलग अलग योग बनाता है.

अष्टलक्ष्मी योग – Ashtalakshmi yoga
वैदिक ज्योतिष में राहु नैसर्गिक पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है.इस ग्रह की अपनी कोई राशि नहीं है अत: जिस राशि में होता है उस राशि के स्वामी अथवा भाव के अनुसार फल देता है.राहु जब छठे भाव में स्थित होता है और केन्द्र में गुरू होता है तब यह अष्टलक्ष्मी योग (Ashtalakshmi yoga) नामक शुभ योग का निर्माण करता है. अष्टलक्ष्मी योग (Ashtalakshmi yoga) में राहु अपना पाप पूर्ण स्वभाव त्यागकर गुरू के समान उत्तम फल देता है. अष्टलक्ष्मी योग (Ashtalakshmi yoga) जिस व्यक्ति की कुण्डली में बनता है वह व्यक्ति ईश्वर के प्रति आस्थावान होता है.इनका व्यक्तित्व शांत होता है.इन्हें यश और मान सम्मान मिलता है.लक्ष्मी देवी की इनपर कृपा रहती है.

लग्न कारक योग – Lagna Karaka Yoga
राहु द्वारा निर्मित शुभ योगों में लग्न कारक योग ( Lagna Karaka Yoga) का नाम भी प्रमुख है. लग्न कारक योग ( Lagna Karaka Yoga) मेष, वृष एवं कर्क लग्न वालों की कुण्डली में तब बनता है जबकि राहु द्वितीय, नवम अथवा दशम भाव में नहीं होता है.जिस व्यक्ति की कुण्डली में लग्न कारक योग ( Lagna Karaka Yoga) उपस्थित होता है उसे राहु की अशुभता का सामना नहीं करना होता है. राहु इनके लिए शुभ कारक होता है जिससे दुर्घटना की संभावना कम रहती है.स्वास्थ्य उत्तम रहता है.आर्थिक स्थिति अच्छी रहती है एवं सुखी जीवन जीते हैं.

परिभाषा योग (Paribhasha Yoga)
जिस व्यक्ति की कुण्डली में राहु परिभाषा योग (Paribhasha Yoga) का निर्माण करता है.वह व्यक्ति राहु के कोप से मुक्त रहता है.यह योग जन्मपत्री में तब निर्मित होता है जब राहु लग्न में स्थित हो अथवा तृतीय, छठे या एकादश भाव में उपस्थित हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो.राहु का परिभाषा योग (Paribhasha Yoga) व्यक्ति को आर्थिक लाभ देता है.स्वास्थ्य को उत्तम बनाये रखता है.इस योग से प्रभावित व्यक्ति के कार्य आसानी से बन जाते हैं.

कपट योग (Kapata Yoga)
दो पापी ग्रह राहु और शनि जब जन्मपत्री में क्रमश: एकादश और षष्टम में उपस्थित होते हैं तो कपट योग (Kapata Yoga) बनता है.जिस व्यक्ति की कुण्डली में कपट योग (Kapata Yoga) निर्मित होता है वह व्यक्ति अपने स्वार्थ हेतु किसी को भी धोखा देने वाला होता है .इनपर विश्वास करने वालों को पश्चाताप करना होता है.सामने भले ही लोग इनका सम्मान करते हों परंतु हुदय में इनके प्रति नीच भाव ही रहता है.

पिशाच योग – Pishach Yoga
पिशाच योग (Pishach Yoga) राहु द्वारा निर्मित योगों में यह नीच योग है.पिशाच योग (Pisach Yoga) जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है वह प्रेत बाधा का शिकार आसानी से हो जाता है.इनमें इच्छा शक्ति की कमी रहती है.इनकी मानसिक स्थिति कमज़ोर रहती है, ये आसानी से दूसरों की बातों में आ जाते हैं.इनके मन में निराशात्मक विचारों का आगमन होता रहता है.कभी कभी स्वयं ही अपना नुकसान कर बैठते हैं.

चांडाल योग (Chandal Yoga or Guru Chandal Yoga)
चांडाल योग (Chandal Yoga) गुरू और राहु की युति से निर्मित होता है. चांडाल योग (Chandal Yoga) अशुभ ग्रह के रूप में माना जाता है. चांडाल योग (Chandal Yoga)जिस व्यक्ति की कुण्डली में निर्मित होता है उसे राहु के पाप प्रभाव को भोगना पड़ता है. चांडाल योग (Chandal Yoga) में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है.नीच कर्मो के प्रति झुकाव रहता है.मन में ईश्वर के प्रति आस्था का अभाव रहता है.

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