हमारे ग्रंथ पुराणों आदि में वास्तु एवं ज्योतिष से संबंधित गूढ़ रहस्यों तथा उसके सदुपयोग सम्बंधी ज्ञान का अथाह समुद्र व्याप्त है जिसके सिद्धान्तोंपर चलकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी, समृद्ध, शक्तिशाली और निरोगी बना सकता है। प्रभु की भक्ति में लीन रहते हुए उसके बताये मार्ग पर चलकर वास्तुसम्मत निर्माण में रहकर और वास्तुविषयक जरूरी बातों को जीवन में अपनाकर मनुष्य अपने जीवन को सुखी व सम्पन्न बना सकता है। सुखी परिवार अभियान में वास्तु एक स्वतंत्र इकाई के रूप में गठित की गयी है और उस पर गहन अनुसंधान जारी है। असल में वास्तु से वस्तु विशेष की क्या स्थित होनी चाहिए। उसका विवरण प्राप्त होता है। श्रेष्ठ वातावरण और श्रेष्ठ परिणाम के लिए श्रेष्ठ वास्तु के अनुसार जीवनशैली और ग्रह का निर्माण अतिआवश्यक है। इस विद्या में विविधताओं के बावजूद वास्तु सम्यक उस भवन को बना सकते हैं। जिसमें कि कोई व्यक्ति पहले से निवास करता चला आ रहा है। वास्तु ज्ञान वस्तुतः भूमि व दिशाओं का ज्ञान है। यहाँ वास्तुशास्त्र की प्रमुख सैद्धांतिक बातें आपको बता रहे हैं, आप मकान में बिना तोड-फोडकिये ही वास्तु दोषों से छुटकारा पाकर चमत्कारिक रूप से जीवन में सुख-समृद्धि ला सकते हैं। घर का मुख्य द्वार किसी अन्य के मुख्य द्वार के सामने नहीं बनाना चाहिए। घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना अति शुभ रहता है। तथा घर के आंगन का कुछ भाग मिट्टी वाला होना चाहिए अथवा .. से 15 गमले पौधे वाले होने चाहिए। ईशान कोण किसी भी घर का मुख स्थान कहा जाता है। इसलिए इस कोण को सदा स्वच्छ एवं पवित्र रखना चाहिए। रसोईघर मुख्यद्वार के ठीक सामने नहीं बनाना चाहिए। पूजाघर, रसोई एवं शौचालय को पास-पास नहीं बनाना चाहिए। विद्युत उपकरणों को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में ही रखें। घर में टूटे-फुटे बरतन, टूटा दर्पण, टूटी चारपाई नही रखनी चाहिए, इससे घर में दरिद्रता का वास होता है। रात्रि में झूठे बरतनों को नहीं रखना चाहिए। दर्पण व नल ईशान कोण में रखें। सैप्टिक टैंक वायव्य कोण या आग्नेय कोण में न रखें। किसी भी मकान में दरवाजे व खिडकियाँ ग्राउण्ड लोर में ही अधिक रखने चाहिए, उसके बाद ऊपर के लोरों में कम करते जाना चाहिए। बच्चों के अध्ययन की दिशा उत्तर या पूर्व होती है। यदि बच्चे इन दिशाओं की ओर मुँह करके अध्ययन करते हैं तो स्मृति बनी रहती है। घर में पौंछा लगाते समय उसमें सांभर नमक अथवा सैधा नमक डाल दें इससे कीटाणु पैदा नहीं होते हैं। कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठें। इससे शारीरिक पीड़ा (अधिकांश सिर दर्द) होती है। जल निकास सदा उत्तर या पूर्व में रखें। अगर घर में कई घड़ियां हैं और वे ठीक से नहीं चल रही हैं तो उन्हें तुरन्त ठीक करायें, क्योकि घड़ियाँ गृहस्वामी के भाग्य को तेज या मंदा करती हैं।शौचालय सीड़ियों के नीचे नहीं बनाना चाहिए। पति-पत्नी में माधुर्य सम्बंधों के लिए शयन कक्ष के नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में प्रेम-व्यवहार करते पक्षियों का जोडा रखना चाहिए। सोते समय सिरहाना पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखें। उत्तर या पश्चिम में रहने से रोग उत्पन्न होते हैं। पूर्व की ओर सिर करके सोने से विद्या, दक्षिण की ओर रखने से धन व आयु की बढ़ोतरी होती है। उत्तर की ओर सिर करके सोने से आयु की हाँनि होती है। विद्यार्थियों को सदैव पूर्व की ओर सिर करके ही सोना चाहिए। घर अन्य सदस्यों को दक्षिण की ओर सिर करके सोना चाहिए। अन्नभंडार, गौशाला, रसोईघर, गुरूस्थल व पूजागृह जहाँ हो उसके ऊपर शयनकक्ष न बनायें। यदि वहाँ शयनकक्ष होगा तो धन-सम्पदा का नाश हो जायेगा।सवेरे पूर्व दिशा में व रात्रि के समय पश्चिम दिशा में मलमूत्र विसर्जन करने से आधा सीसी (सर दर्द ) का रोग होता है।घर में बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। मूर्ति की अधिकतम लम्बाई गृहस्वामी के बारह अंगुल ही होनी चाहिए। घर में पूजास्थल में किसी देवता की एक से अधिक मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। पूर्व की ओर मुँह करके भोजन करने से आयु, दक्षिण की ओर मुँह करके भोजन करने से प्रेम, पश्चिम की ओर मुँह करके भोजन करने से रोग एवं उत्तर की ओर मुँह करके भोजन करने से धन व आयु की प्राप्ति होती है। घर में सात्विक प्रवृति के पक्षियों के जोड़े वाला चित्र रखें। इससे परिवार में वातावरण माधुर्यपूर्ण रहेगा। घर के मुख्यद्वार पर नींबू या संतरे क पौधा लगाने से घर में सम्पदा की वृद्धि होती है। घर के अग्नेय कोण ( दक्षिण-पूर्व ) में धातु का कटोरा रखें और उसमें जो मार्ग में पडेहुए सिक्के मिलें उन्हें डालते रहना चाहिए, ऐसाकरने से घर में आकस्मिक रूप से धनागमनहोने लगता है।घर के मुख्य द्वार पर बाहर की ओरपौधे लगायें।घर के ड्राईंगरूम में परिवार के सभीसदस्यों का हंसमुख चित्र लगाने से परिजनों में माधुर्यभाव बना रहता है। घर में पौछा व झाडू खुले स्थान में ही रखें। खासकर भोजनकक्ष में कभी नहीं रखना चाहिए, इससे अन्न व धन की हानि होती है। रात को झाडू को बिस्तर के नीचे नहीं रखना चाहिए, ऐसा करना बीमारी को निमंत्रण देने जैसा है। शौच से निवृत होने के बाद शौचालय का द्वार बन्द कर दें। यह नकारत्मक ऊर्जा का प्रतीक है। घर के ड्राईंगरूम में परिवार के सदस्यों का सामूहिक हसमुख चित्र लगायें तथा दिन मेंएक समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ भोजन करना चाहिए। इससे परस्पर संबंधों में प्रगाढ़ता आती है।