>We , Vinayak Vastu Astro Shodh Sansthan,Jhalrapatan, Rajasthan(India) and Telenet Consultancy Services,Bhopal (MP) India, offer the Accurate Calculation for Astrology and related work like,Panchang making ,Astrology Call centers and Telecommunications and Television company’s, who are interested to get proper, natural and fast result for their Global Network,under International rights,show the Mr.Shyam Singh Thakur,IPR rights under the licence...
>ना ज़मीन, ना सितारे, ना चाँद, ना रात चाहिए,दिल मे मेरे, बसने वाला किसी दोस्त का प्यार चाहिए, ना दुआ, ना खुदा, ना हाथों मे कोई तलवार चाहिए,मुसीबत मे किसी एक प्यारे साथी का हाथों मे हाथ चाहिए, कहूँ ना मै कुछ, समझ जाए वो सब कुछ,दिल मे उस के, अपने लिए ऐसे जज़्बात चाहिए, उस दोस्त के चोट...
>आज के भौतिकवादी एवं जागरूक समाज में पति-पत्नी दोनों पढ़े लिखे होते हैं और सभी अपने अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति सजग होते हैं। परन्तु सामान्य सी समझ की कमी या वैचारिक मतभेद होने पर मनमुटाव होने लगता हैं। शिक्षित होने के कारण सार्वजनिक रूप से लड़ाई न होकर पति-पत्नी बेडरूम में ही झगड़ा करते हैं। कभी-कभी यह झगड़ा...
>एक औरत हूँ/ THE LEADY--------मैं एक बहन एक बेटी एक औरत हूँ एक औरत जो न जाने कब से नंगे पाँव रेगिस्तान की धदकती बालू मैं भागती रही है !मैं सुदूर उत्तर के गाँव से आई हूँ एक औरत जो न जाने कब से के धान खेतों मे, और चाय के बागानों मे, अपनी ताकत से ज़यादा मेहनत करती...
>मधुराष्टकं - श्री श्री वल्लभाचार्य द्वारा विरचित------ अधरं मधुरं वदनं मधुरं, नयनं मधुरं हसितं मधुरं। हृदयं मधुरं गमनं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं ॥१॥ अधर, वदन नयना अति मधुरा, स्मित मधुर, हृदय अति मधुराचाल मधुर, सब कुछ मधु मधुरा, हे मधुराधिपते! मधु मधुरावचनं मधुरं चरितं मधुरं, वसनं मधुरं वलितं मधुरं । चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं, मधुराधिपते रखिलं मधुरं...
>जब भी अपनों को आजमाया हे....हमने खुद से फरेब खाया हे.....जेसा चाहा उसे बनाया हे...जितना फ़ोलाद को तपाया हे.....चंद रोजा इस जिंदगानी का .........कोई मकसद समझ नहीं पाया हे..........जितने वाले खुद समझाते हे.......किस तरह से मुझे हराया हे........सारे बेज़ा उसूल लगते हे.......भूखे बच्चो को जब रुलाया हे.........हंसते हंसते निकल पड़े आँसू...........बीता लम्हा अब याद...
>मंगल दोष के विभिन्न प्रकार--क्यों जरूरी है मंगली का मंगली से विवाह :-जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। गोलिया मंगल 'पगड़ी मंगल' तथा चुनड़ी मंगल : जिस जातक की जन्म कुंडली में...
>***+*...** श्री रुद्राष्टकम ***+*** नमामीशमीशान निर्वाणरूपं। विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपं। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं। चिदाकाशमाकाशवासं भजेडहं॥१॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं। करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोडहं॥२॥ तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं। मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं। स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गंगा। लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥३॥ चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं। प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालं। मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं। प्रियं शंकरं...
Uncategorized
किसी मन्त्र जाप,उपासना अथवा कर्मकांड इत्यादि का हमे सही लाभ क्यों नहीं प्राप्त होता ?
admin - 0
किसी मन्त्र जाप,उपासना अथवा कर्मकांड इत्यादि का हमे सही लाभ क्यों नहीं प्राप्त होता ?
ऎसी स्थिति स्वभावत: किसी के भी मन को असमंजस में डाल देती है कि मन्त्र-तन्त्र, कर्मकांड,भक्ति,पूजा-उपासना इत्यादि की एक जैसी ही प्रक्रिया का अवलम्बन करने पर भी एक व्यक्ति को तो लाभ हो जाता है, जब कि दूसरे किसी अन्य को कोई सफलता नहीं मिलती,...
वास्तु के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य एवं बिना तोडफोड के दोष निवारण----
आज के जमाने में वास्तु शास्त्र के आधार पर स्वयं भवन का निर्माण करना बेशक आसान व सरल लगता हो, लेकिन पूर्व निर्मित भवन में बिना किसी तोड फोड किए वास्तु सिद्धान्तों को लागू करना जहाँ बेहद मुश्किल हैं, वहाँ वह प्रयोगात्मक भी नहीं लगता. अब व्यक्ति सोचता है...