केसी होगी शिक्षा ..जानिए ज्योतिष से..????
ज्योतिष एवं शिक्षा के योग
प्रायः हम देखते हैं कि जिन व्यवसाय/पदों को प्राप्त करके भी हम छोड़ देते हैं या किसी अन्य व्यवसाय से जुड़ जाते हैं अथवा अनेक व्यवसाय एक साथ करने लग जाते हैं। इसका मुख्य कारण जातक की कुण्डली में ग्रहों की स्थिती होती हैं।
एक सभ्य, सुसंस्कृत एवं जिम्मेदार नागरिक बनाने...
केसी होगी शिक्षा ..जानिए ज्योतिष से..????
ज्योतिष एवं शिक्षा के योग
प्रायः हम देखते हैं कि जिन व्यवसाय/पदों को प्राप्त करके भी हम छोड़ देते हैं या किसी अन्य व्यवसाय से जुड़ जाते हैं अथवा अनेक व्यवसाय एक साथ करने लग जाते हैं। इसका मुख्य कारण जातक की कुण्डली में ग्रहों की स्थिती होती हैं।
एक सभ्य, सुसंस्कृत एवं जिम्मेदार नागरिक बनाने...
कब होगा आपको धन लाभ..????
1 धनभाव में बुध तथा शुक्र हो।
2 अष्ठम में शुभ ग्रह और केन्द्र में धनेश तथा लाभेश हो।
3 लाभ में धनेश तथा धन में लाभेश।
4 त्रिकोण या केन्द्र में लाभेश हो तथा एकादश में पाप ग्रह हो तो उक्त योगों में उत्पन्न व्यक्ति धनी होता है।
धन भाव में लग्नेश एवं लाभ भाव में धनेश तथा लाभेश लग्न में हो...
कब होगा आपको धन लाभ..????
1 धनभाव में बुध तथा शुक्र हो।
2 अष्ठम में शुभ ग्रह और केन्द्र में धनेश तथा लाभेश हो।
3 लाभ में धनेश तथा धन में लाभेश।
4 त्रिकोण या केन्द्र में लाभेश हो तथा एकादश में पाप ग्रह हो तो उक्त योगों में उत्पन्न व्यक्ति धनी होता है।
धन भाव में लग्नेश एवं लाभ भाव में धनेश तथा लाभेश लग्न में हो...
दान व दान के प्रकार .....
भारतीय संस्कृति मे दान का महत्व सर्वादिक बताया गया है हमारे यहाँ जप तप दान यज्ञ का बड़ा भारी प्रभाव है। जब औशधीयों द्वारा किसी बीमार व्यक्ति की व्याधी समाप्त नही होती तो दवा के साथ दुआ व दान की गरिमा को अधिक सफल माना गया है। हमारे यहाँ ग्रहों द्वारा पीडि़त व्यक्ति को...
दान व दान के प्रकार .....
भारतीय संस्कृति मे दान का महत्व सर्वादिक बताया गया है हमारे यहाँ जप तप दान यज्ञ का बड़ा भारी प्रभाव है। जब औशधीयों द्वारा किसी बीमार व्यक्ति की व्याधी समाप्त नही होती तो दवा के साथ दुआ व दान की गरिमा को अधिक सफल माना गया है। हमारे यहाँ ग्रहों द्वारा पीडि़त व्यक्ति को...
भोजन मोन रहकर क्यों करें..????
खाते समय न बोलना इसलिए अच्छा है कि मुंह की जूठन दूसरे पर नहीं पड़ती। बातचीत करने में प्रायः ऐसा
होता ही है। स्वच्छता में कमी आती है। बात तो ठीक है कि भोजन काल में मौन रहना चाहिये। पर सवाल है कि मौन रहें कैसे?
श्रीमती जी को वही तो मौका मिलता है बोलने का।
घर भर...
भोजन मोन रहकर क्यों करें..????
खाते समय न बोलना इसलिए अच्छा है कि मुंह की जूठन दूसरे पर नहीं पड़ती। बातचीत करने में प्रायः ऐसा
होता ही है। स्वच्छता में कमी आती है। बात तो ठीक है कि भोजन काल में मौन रहना चाहिये। पर सवाल है कि मौन रहें कैसे?
श्रीमती जी को वही तो मौका मिलता है बोलने का।
घर भर...
आईये जाने जन्म कुंडली के भाव और आजीविका के बारे में--
भाव और आजीविका विचार---
भावों के अनुसार आजीविका का विचार इस प्रकार किया जा सकता हैं: -
1 प्रथम भाव (लग्न): - इससे जातक के स्वरूप, मानसिक स्थिति, रूचि, स्वभाव, गुण, कार्यकुशलता, उन्नति आदि का विचार किया जाता हैं। ये विषय जातक के व्यवसाय को प्रभावित करते हैं। अतः व्यवसाय का विचार...
आईये जाने जन्म कुंडली के भाव और आजीविका के बारे में--
भाव और आजीविका विचार---
भावों के अनुसार आजीविका का विचार इस प्रकार किया जा सकता हैं: -
1 प्रथम भाव (लग्न): - इससे जातक के स्वरूप, मानसिक स्थिति, रूचि, स्वभाव, गुण, कार्यकुशलता, उन्नति आदि का विचार किया जाता हैं। ये विषय जातक के व्यवसाय को प्रभावित करते हैं। अतः व्यवसाय का विचार...