गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरुवे नमः ॥"
" गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर सभी गुरुजनों को सादर चरण वंदन.. नमन.. अभिनन्दन .."
आप सभी को'गुरु पूर्णिमा' के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाये एवं बधाईयाँ.....
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में
है जीत तुम्हारे हाथों में, है हार तुमहारे हाथों में ॥
मेरा...
राशि के हिसाब से जानिए कैसे खुश करें शनिदेव को---राजेश शर्मा
शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है,तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है,तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है,ऐसा ऋषि महात्मा कहते हैं. शनि ग्रह के प्रति अनेक कथाऐ...
नागदेवता--खींवराज शर्मा----
हिन्दू धर्म मान्यता है कि पृथ्वी शेषनाग के सिर पर रखी है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि पाप कर्म बढ़ते हैं तो शेषनाग क्रोधित होकर फन हिलाते हैं और इससे पृथ्वी भी डगमगा जाती है। इस पुरातन मान्यता में छुपे भय से भी नाग पूजा की पंरपरा आगे बढ़ी। वास्तव में इस मान्यता का व्यावहारिक रुप यही...
क्या इशारा करता है बार-बार घड़ी का खराब होना..
by Vikas Nagpal
क्या आपके ऑफिस, घर या हाथ की घड़ी बार बार खराब हो जाती है? तो इसे अनदेखा न करें। ये शनि के बुरे असर का भी परिणाम हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार मशीनें और चुंबक शनि की वस्तुएं मानी गई हैं इसलिए शनि को घड़ी का भी कारक...
वास्तु-शास्त्र : उपयोगी सुझाव---
वास्तु-शास्त्र वह विधा है जिसके माध्यम से चेतन-पुंज मनुष्य जड़बाह्य संसार से अपना तारतम्य बैठाता है और सकारात्मक सामंजस्य स्थापित करता है। वास्तुशास्त्र वास्तव में प्रकृतिचर्या का एक अंग है। इसके द्वारा हम प्रकृति से अपने अटूट नाते को सुदृढ़ बनाते हैं। तथाकथित सभ्यता की दौड़ में हम प्रकृति से बहुत दूर आ गए हैं और...
हस्तरेखा में शनि रेखा का प्रभाव-दुष्प्रभाव
आकाश में भ्रमण कर रहे शनि ग्रह की रेखा भी विशिष्ट है। यह बल्यधारी ग्रह अपने नीलाभवर्ण और चतुर्दिक मुद्रिका-कार आभायुक्त बलय के कारण बहुत ही शोभन प्रतीत होता है। यह ग्रह अपनी अशुभ स्थिति में मनुष्य को ढाई वर्ष, साढे सात वर्ष, अथवा उन्नीस वर्षों तक अत्यधिक पीडा देता है परंतु शुभ स्थिति...
संतान और कालसर्प योग----
संतानहीनता दाम्पत्य जीवन का दुःखद पहलू हैं । ज्योतिष शास्त्र में संतान सुख के लिए जातक की जन्म कुण्डली में पंचम भाव, पंचमेश एवं गुरू की स्थिति का आंकलन कर विचार किया जाता हैं ।
संतान सुख से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पहलू कालसर्प योग जो कि संतान सुख से वंचित रखने में अपनी भूमिका अदा करता...
चाईनीज क्योर क्यों ? भारतीय क्यों नहीं ? चीनी वास्तु कला और भारतीय वास्तु शास्त्र
वास्तु शास्त्र आज बहुत ही प्रचलित है।
भारतीय वास्तु शास्त्र को हम वास्तु शास्त्र के नाम
से जानते हैं। इसके अनुसार भवन निर्माण से पहले
वास्तु शास्त्र के नियमों पर ध्यान देना चाहिए। परन्तु
चीनी वास्तु कला जिसे हम ‘फैंगशुई’ के नाम से
जानते हैं जिसमें निर्मित भवन वास्तु...
ज्योतिष और आध्यात्म विज्ञानं का सम्बन्ध---(ज्योतिष अर्थात अध्यात्म)
जगत में न मालूम कितनी घ्वनियां है जो चारों तरफ हमारे गुजर रही है। भंयकर कोला हाल है—वह पूरा कोलाहल हमें सुनाई नहीं पड़ता, लेकिन उससे हम प्रभावित तो होते हे। ध्यान रहे, वह हमें सुनाई नहीं पड़ता, लेकिन उससे हम प्रभावित तो होते हे। वह हमारे रोएं-रोएं को स्पर्श करता...
हस्तरेखा में अंगुली की जानकारी ---
हस्त रेखा विज्ञान बहुत प्राचीन विज्ञान है। किसी भी व्यक्ति के हाथ के गहन अध्ययन द्वारा उस व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों के बारे में आसानी से बताया जा सकता है। हस्त रेखा में अंगुलियों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। अंगुलियों के द्वारा व्यक्ति का पूरी तरह...