. जून,..11– को शनि जयंती है। इस दिन शनि की विशेष पूजा और ज्योतिषीय उपाय बहुत फायदेमंद साबित होंगे। जिन लोगों पर अभी शनि की साढ़े साती चल रही है, उन्हें इस दिन शनि की आराधना करनी चाहिए। शनि की साढ़ेसाती हमेशा ही अशुभ फल देने वाली नहीं होती। शनि अपने गोचर प्रभाव के कारण कुछ कठोर दंड जरूर देता है लेकिन जो जातक धैर्य, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी से अपना काम करता है, उन्हें शनि अपने दृष्टि प्रभाव से हर कार्य में सफल कर देता है।

वर्तमान में शनि कन्या राशि में भ्रमण कर रहा है। इस राशि वालों को साढ़ेसाती का दूसरा ढैय्या चल रहा है। सिंह राशि वालों को साढ़ेसाती का उतरता हुआ अन्तिम (तीसरा) ढैय्या चल रहा है और तुला राशि वालों को साढ़ेसाती का पहला ढैय्या चल रहा है। इन राशियों पर साढ़ेसाती चलने के साथ साथ मिथुन और कुंभ राशि पर भी शनि का असर रहेगा। यह असर 15 नवंबर तक इन राशियों पर रहेगा।

15 नवंबर को शनि तुला राशि में प्रवेश करेगा। तब कन्या राशि वालों को शनि का उतरता हुआ अंतिम ढैय्या रहेगा। तब तुला राशि वालों को दूसरा ढैय्या चलेगा। 15 नवंबर से वृश्चिक राशि वाले जातको को शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी।

शनि के बुरे असर से बचने के साढ़ेसाती के उपाय-

सिंह राशि-

इस राशि वालों को साढ़ेसाती का अंतिम चरण चल रहा है इससे सिंह राशि वालों को पैसों से संबंधित समस्याओं से जुझना पड़ रहा है। आमदनी कम और खर्च ज्यादा हो रहा है। मानसिक तनाव भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए ये उपाय करें

– प्रति शनिवार तेल में अपना चेहरा देखकर किसी गरीब को तेल दान करें।

– हर शनिवार को काली वस्तुओं का दान करें। जैसे काले तिल, काले वस्त्र, काला कंबल, काला कपड़ा, काली छतरी का दान करें।

– प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।

कन्या राशि-

इस राशि वालों को साढ़ेसाती का दूसरा चरण चल रहा है। इस समय कन्या राशि वालों पर शनि देव का विशेष प्रभाव पड़ रहा है। इससे इन लोगोंं का परिवारिक और व्यवसायिक जीवन बिगड़ रहा है। शत्रु भी बढऩे लगे हैं। इसलिए इस राशि वालों को ये उपाय करने चाहिए

– हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।

– शनिदेव को तेल चढ़ाएं।

– काली गाय को घास खिलाएं।

– शनिवार के दिन व्रत करे और लोहे का दान दें।

तुला राशि-

इस राशि वालों पर अभी शनि का पहला ही ढैय्या शुरू हुआ है संघर्ष, परेशानि और मेहनत के दिन अभी शुरू ही हुए हैं इसलिए अभी से इस राशि वालें ये उपाय करें

– काले कुत्ते को तेल की रोटी खिलाएं।

– भैरव मन्दिर में जलते दीपक में तेल डालें।

– तवा अंगीठी आदि का दान दें।

– किसी लंगड़े व्यक्ति को शनि की वस्तुओं का दान दें।

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शनि जयंती पर किस राशि के लोग पहनें शनि का रत्न ?—-

शनि जयंती पर्व है।बुधवार होने के साथ अमावस्या का योग बन रहा है। इस योग में शनि देव की पूजा और दान करने से उसका पूरा फल मिलेगा। दोपहर 1 बजे तक सार्वाथसिद्धि योग बना रहेगा।

ज्योतिष में इस योग को महत्वपूर्ण योग में से एक माना है। सार्वाथसिद्धि योग में शनि देव का रत्न पहनने से रत्न का पूरा असर आपको दिखने लगेगा। जानिए किस राशि वालों के लिए कैसा रहेगा शनि का रत्न (नीलम) पहनना।

मेष- मेष राशि वालों के लिए शनि का रत्न लाभदायक हो सकता है। शनि की महादशा में रत्न पहनने से लाभ बढ़ता है और नौकरी पेशा लोगों को कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।

वृष- इस राशि के लोग शनि रत्न नीलम के साथ हीरा भी पहने तो इनको हर तरफ  से सफलता मिलेगी। बिजनेस और नौकरी में लाभ चाहते हैं तो किसी विद्वान को अपनी कुंडली दिख कर नीलम पहन लें आपको लाभ होगा।

मिथुन- नीलम रत्न शनि की दशा में पहनने से मिथुन राशि वालों के धन और भाग्य में वृद्धि होगी। शनि जयंती पर इस राशि वालों को पहनना चाहिए।

कर्क- कर्क राशि वालों को शनि का रत्न नही पहनना चाहिए इनके  लिए शनि का रत्न अशुभ फल देने वाला रहेगा। शनि जयंती पर इस राशि वालें बस शनि से संबंधित दान दें।

सिंह- इस राशि का स्वामी सूर्य शनि का शत्रु ग्रह है इसलिए सिंह राशि के जातक नीलम नही पहनें। इस राशि वालों को भी र्सिफ शनि के उपाय करना चाहिए।

कन्या- नवंबर में इस राशि वालों पर शनि का अंतिम ढैय्या रहेगा जो कि लाभ देने वाला रहेगा। वैसे भी नीलम रत्न कन्या राशि वालों के लिए स्वास्थ्य की हानी करने वाला होता है इससे पेट के रोग होने की भी संभावना रहती।

तुला- तुला राशि वालों के लिए शनि राजयोग कारक है। शनि का रत्न पहनने से तुला राशि वालों के पद, प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी और स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।

वृश्चिक- शनि के रत्न से इस राशि वालों को धन लाभ तो नही होगा लेकिन भूमि, मकान, वाहन आदि से संबंधित लाभ जरूर देगा।

धनु- इस राशि के लोगों के लिए नीलम पहनना शुभ नही रहता है। इससे शत्रु बढ़ते हैं। मेहनत करने के बाद भी पूरे परिणाम नही मिलते।

मकर- इस राशि का स्वामी शनि है इसलिए मकर राशि वालों के लिए नीलम रत्न धारण करना अत्यंत शुभ होगा। इससे इनके स्वास्थ्य, धन, आयु, विद्या में वृद्धि होगी।

कुंभ- शनि की राशि होने के कारण इस राशि के लोगों के लिए नीलम बहुत फायदेमंद रहेगा। इससे धन में वृद्धि होगी। खर्च कम होगा।

मीन- मीन राशि के लोगो को नीलम रत्न नहीं पहनना चाहिए। इससे धन लाभ नही होता परेशानियां आने लगती है। नीलम से स्वास्थ्य में हानि हो सकती है।

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शनि जयंती कल: इस पूजा से होगा हर दुःख दूर—–शनि जयंती (1 जून, बुधवार) के दिन शनिदेव के निमित्त व्रत करने से सभी प्रकार के शनि दोष दूर हो जाते हैं हर कार्य में सफलता मिलती है। शनिदेव के निमित्त व्रत करने की विधि इस प्रकार है-

शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें। सूर्य आदि नवग्रहों को नमस्कार करते हुए श्रीगणेश भगवान का पंचोपचार(स्नान, वस्त्र, चंदन, फूल, धूप-दीप) पूजन करें। इसके बाद एक लोहे का कलश लें और उसे सरसों या तिल के तेल से भर कर उसमें शनिदेव की लोहे की मूर्ति स्थापित करें तथा उस कलश को काले कंबल से ढंक दें।

इस कलश को शनिदेव का रूप मानकर षोड्शोपचार(आह्वान, स्थान, आचमन, स्नान, वस्त्र, चंदन, चावल, फूल, धूप-दीप, यज्ञोपवित, नैवेद्य, आचमन, पान, दक्षिणा, श्रीफल, निराजन) पूजन करें। यदि षोड्शोपचार मंत्र याद न हो तो इस मंत्र का उच्चारण करें-

ऊँ शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवंतु पीतये।

शंय्योरभिस्त्रवन्तु न:।।

ऊँ शनिश्चराय नम:।।

पूजा में मुख्य रूप से काले गुलाब, नीले गुलाब, नीलकमल, कसार, खिचड़ी(चावल व मूंग की) अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र से क्षमायाचना करें-

नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोस्तुते।

नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोस्तुते।।

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च।

नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो।।

नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोस्तुते।

प्रसादं कुरूमे देवेशं दीनस्य प्रणतस्य च।।

इसके बाद पूजा सामग्री सहित शनिदेव के प्रतीक कलश को(मूर्ति, तेल व कंबल सहित) किसी योग्य ब्राह्मण को दान कर दें। इस प्रकार पूजन के बाद दिन भर निराहार रहें और यथाशक्ति इस मंत्र का जप करें-

ऊँ शं शनिश्चराय नम:।

शाम को सूर्यास्त से कुछ समय पहले अपना व्रत खोलें। भोजन में तिल व तेल से बने भोज्य पदार्थों का होना आवश्यक है। इसके बाद यदि हनुमानजी के मंदिर जाकर दर्शन करें तो और भी बेहतर रहेगा।

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शनि जयंती आज : न्याय का महा दिवस दुर्लभ संयोग—–न्याय का महा दिवस दुर्लभ संयोग—–शनि जयंती के दिन दुर्लभ संयोग पड़ने के कारण इस बार शनि जयंती न्याय की दिशा में महादिवस साबित होगी। ज्योतिषों की मानें तो वर्षो से न्याय की आस लिए लोगों के लिए बुधवार का दिन निर्णायक साबित हो सकता है। ग्रहों की ऐसी महादशा बन रही है, जिसके कारण लोगों को निष्पक्ष और सकारात्मक न्याय मिलने के आसार हैं।


बुध ग्रह की मित्र राशि में शनि कराएगा न्यायिक हल : —–


इस समय शनि अपने मित्र बुध की राशि कन्या में वक्री होकर चल रहे हैं। 1. जून से शनि मार्गी हो जाएंगे। शनि को न्याय का और बुध को बुद्धि का देव कहा जाता है। दोनों एक साथ मिलकर आज न्याय की दिशा में सकारात्मक स्थिति का निर्माण करेंगे। 


बुध को शनि जयंती पड़ना दुर्लभ संयोग है। बुध और शनि का मेल होने से न्यायोचित कार्यो की सफल दशा निर्मित होती है। ये शनि जयंती विशेषकर वर्षो से न्याय की अपेक्षा कर रहे लोगों के लिए शुभकारक होगी। न्यायपालिका को बुध से सुबुद्धि मिलेगी एवं न्यायकर्ताओं को ग्रह दशाओं के कारण निष्पक्ष न्याय करने की प्रेरणा मिलेगी। 


शनि जाप करना लाभकारी : —–


शनि का अगर किसी पर प्रभाव है तो बेहद परेशानी उठानी पड़ सकती है, वहीं शनि की मेहरबानी व्यक्ति के लिए शुभता का प्रतीक बन सकती है। शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है। शनि जयंती पर ओम शम शनैश्चरैय नम: मंत्र का जाप करना लाभकारी है। ढैया और साढ़ेसाती वाली राशियों के व्यक्तियों को शनि की आराधना लाभप्रद रहेगी। 


मिथुन एवं कुंभ को ढैया शनि और सिंह को पैर पर साढ़ेसाती, जो कि 14 नवंबर से उतर जाएगा। कन्या को पेट पर साढ़े साती एवं तुला को मस्तिष्क पर शनि का प्रथम चरण साढ़ेसाती है। इन लोगों को शनि जयंती पर पूजन करने पर विशेष लाभ होगा।


12 राशियों पर प्रभाव (शनि आराधना के बाद) ————


मेष : शत्रु विनाश, रोग क्षय



वृषभ : विद्या एवं पद की प्राप्ति


मिथुन : सुख प्राप्ति


कर्क : भाई सुख


सिंह : कार्य में सफलता


कन्या : पेट रोग में लाभ


तुला : मानसिक शांति 


वृश्चिक : आय वृद्धि


धनु : राज्य सम्मान


मकर : भाग्योदय


कुंभ : लाभ


मीन : पारिवारिक शांति

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शनि शान्ति के उपाय —बिगड़े हुए शनि अथवा इसकी साढ़ेसाती के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए अनेक सरल और मनोवैज्ञानिक उपाय हैं । जैसे अपना काम स्वयं करना, फिजूलखर्च से बचना, कुसंगति से दूर रहना, बुजुर्गों का आदर करना, दान पुण्य के तौर पर दीन दुखी की सहायता करना, अन्न- वस्त्र दान समाज सेवा व परोपकार से अभिप्रेरित होकर शनि का दुष्प्रभाव घटता जाता है। अनेक सज्जन शनिवार के दिन तेल खिचड़ी फल सब्जी आदि का भी दान कर सकते हैं । 


शनि दान जप आदि करने से साढ़ेसाती के फल पीडादायक नहीं होते हैं। गुरूद्वारा मंदिर देवालय तथा सार्वजनिक स्थलों की स्वयं साफ सफाई करने रोगी और अपंग व्यक्तियों को दान देने से भी शनि की शांति होती है।

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ज्येष्ठ मास अमावस्या बुधवार 1 जून को शनिदेव की जयंती और वट सावित्री अमावस्या का संयोग हो रहा है। इसके साथ ही खंडग्रास सूर्यग्रहण भी पड़ रहा है, जो कि भारतवर्ष में नहीं दिखेगा। शनि जयंती के दिन भगवान शनिदेव के पूजन-अर्चन का फल कई गुना हो जाता है। इसके साथ ही ज्ञान,बुद्धि एवं प्रगति के स्वामी गुरू का भी शनि के नक्षत्र में होने से इस वर्ष का शनि जन्मोत्सव आलस्य, कष्ट, विलंब, पीड़ानाशक होकर भाग्योदय का कारक बनेगा।

शनि जयंती पर हनुमान जी एवं पीपल के पूजन का भी विशेष महत्व है। वट सावित्री अमावस्या होने के कारण महिलायें अपने पतियों की लम्बी आयु व खुशहाली के लिये बरगद के पेड़ का पूजन अर्चन कर उसमें धागा लपेटेंगी।

शनिदेव का पूजन कैसे करें?

शनि जयंती पर शनिदेव के मंदिर में जाकर पूजन-अर्चन करें तो उसका विशेष फल प्राप्त होता है। यदि मंदिर न जा सकें तो घर में लकड़ी के पट्टे पर काले कपड़े को बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा या फोटो अथवा एक सुपारी रखकर पूजन करें।

शनिदेव का जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से अभिषेक कर इमरती, तेल से तली वस्तुओं का नैवेद्य लगायें। नैवेद्य से पूर्व उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल और फल अर्पित करें। 

वट सावित्री पूजन की विधि

स्त्रियां बरगद के चौबीस फल और चौबीस पूड़ियां अपने आंचल में रखकर आधे वट देवता को अर्पित करती हैं। एक लोटा जल, हल्दी, रोली लगाकर फल-फूल, धूप-दीप से पूजन करती हैं, जिसके बाद कच्चे सूत को हाथ में लेकर वट देवता की परिक्रमा करती हैं, हर परिक्रमा में एक चना वट देवता को अर्पित करती हैं।

परिक्रमा पूरी होने पर सत्यवान व सावित्री की कथा सुनती हैं, जिसके बाद बारह धागों वाली माला को वट देवता को अर्पित करती हैं और एक स्वयं पहनती हैं। पूजन समाप्त होने के बाद व्रतधारी स्त्रियां चने, वृक्ष की बौंड़ी को जल से निगलती हैं। इस प्रकार उनका व्रत संपन्न होता है। सावित्री अमावस्या के दिन लक्ष्मी-नारायण की भी पूजा-अर्चना की जाती है।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

वर्जन-शनि जयंती और वट सावित्री अमावश्या का महासंयोग इस बार सौभाग्यवती नारियों के साथ-साथ सभी जातकों के लिये शुभ रहेगा। पुरुष शनिदेव का और स्त्रियां वट देवता का पूजन-अर्चन करें।

पं.रोहित दुबे

एक माह में दो ग्रहण प्रकृति,पहाड़,जीव,जल,नदी व वृक्षों के लिये हानिप्रद होते हैं । दोनों ग्रहण बुधवार को पड़ रहे हैं, इसलिये जल, तेल, हरी वस्तुएं, शाक-सब्जी एवं वनस्पतियों को खराब करेंगी।

डॉ.बालगोविन्द शास्त्री

ग्रहण का प्रभाव भारत वर्ष में न पड़ने के कारण शनि जयंती का पुण्य बढ़ जायेगा। शनिदेव के साथ हनुमान जी का पूजन-अर्चन करने से जातकों के कष्ट, रोग, दरिद्रता का निवारण होगा और सौभाग्य बढ़ेगा।

पं.राजकुमार शर्मा शास्त्री

वट वृक्ष सौभाग्य का प्रतीक है, इसीलिए महिलाएं यह व्रत रखती हैं। भारत वर्ष में कहीं भी ग्रहण का प्रभाव नहीं दिखाई देगा। अत: इसका दोष जातकों पर लेश मात्र भी नहीं पड़ेगा।

आचार्य वासुदेव शास्त्री

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शनि शांति यंत्र
शनि यंत्र को ईशान दिशा की ओर मुंह करके कुश के आसन पर बैठकर शनिवार को रिक्ता [4, 9, 14] तिथि को प्रदोष काल में एक चौकोर काले पत्थर की पट्टी [शिला] पर कोयले से लिखें। यंत्र लिखकर उसे व्यक्ति के ऊपर सात बार घुमाकर किसी कुए या जलाशय में डाल दें। इसके प्रभाव से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या आदि की अनिष्टता शांत होती है।


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शनि यंत्र

शनि यंत्र त्रिलोह या लोहे में बनाया जाता है | इसके लिए सबसे उत्तम मुहूर्त शनि रोहिणी अमृत सिद्ध योग एवं शानिपुष्य है इसके अंको का कुल योग ३३ होता है | इस यंत्र को सिद्ध करने के लिए शनि मंत्र के २३ हज़ार जप करने चाहिए | जप के दशांश हवन, मार्जन, तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन करना चाहिए |

मंत्र

‘ओम खां खीं खौं स: शनैश्चराय नम: ‘
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शनि के दोषों को दूर करता है शनि यंत्र—-


यंत्रों का विधिवत पूजन करने से अशुभ ग्रह भी शुभ फल देने लगता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपकी कुंडली में शनि अशुभ है तो आपको हर कार्य में असफलता ही हाथ लगती है या सोचे गए कार्य देर से होते हैं। कभी वाहन दुर्घटना, कभी यात्रा स्थागित तो कभी क्लेश आदि से परेशानी बढ़ती जाती है। ऐसी स्थिति में ग्रह पीड़ा निवारक शनि यंत्र की पूजा प्रतिष्ठा करने से अनेक लाभ मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति पर शनि की ढैय़ा या साढ़ेसाती चल रही है तो शनि यंत्र की पूजा करना बहुत लाभदायक होता है।

ऐसे करें पूजा

श्रद्धापूर्वक इस यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा। इसके साथ ही प्रतिदिन शनि स्त्रोत का पाठ करें।

मृत्यु, कर्ज,  मुकद्दमा, हानि, क्षति, पैर आदि की हड्डी तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों के लिए शनि यंत्र की पूजा फायदेमंद होती है। नौकरी पेशा लोगों को उन्नति भी शनि द्वारा ही मिलती है अत: यह यंत्र बहुत उपयोगी है।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि प्रतिकूल होने पर अनेक कार्यों में असफलता देता है, कभी वाहन दुर्घटना, कभी यात्रा स्थागित तो कभी क्लेश आदि से परेशानी बढ़ती जाती है ऐसी स्थितियों में ग्रह पीड़ा निवारक शनि यंत्र की शुद्धता पूर्ण पूजा प्रतिष्ठा करने से अनेक लाभ मिलते हैं। यदि शनि की ढै़या या साढ़ेसाती का समय हो तो इसे अवश्य पूजना चाहिए।

उपयोग से लाभ——–

श्रद्धापूर्वक इस यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलायें नीला, या काला पुष्य चढ़ायें ऐसा करने से अनेक लाभ होगा। मृत्यु, कर्ज, केश, मुकद्दमा, हानि, क्षति, पैर आदि की हड्डी, बात रोग तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों हेतु यंत्र अधिक लाभकारी होगा। नौकरी पेशा आदि के लोगों को उन्नति भी शनि द्वारा ही मिलती है अतः यह यंत्र अति उपयोगी यंत्र है जिसके द्वारा शीघ्र ही लाभ पाया जा सकता है।

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