वास्तु दोष के कारण भी होती हें बीमारियां—
मानसिक हालत कमजोर होने की स्थिति में हम डिप्रेशन या अवसाद का शिकार हो जाते हैं। ऐसा होने पर व्यक्ति के विचारों, व्यवहार, भावनाओं और दूसरी गतिविधियों पर असर पड़ता है। डिप्रेशन से प्रभावित व्यक्ति अक्सर उदास रहने लगता है, उसे बात-बात पर गुस्सा आता है, भूख कम लगती है, नींद कम आती है और किसी भी काम में उसका मन नहीं लगता। लंबे समय तक ये हालत बने रहने पर व्यक्ति मोटापे का शिकार बन जाता है, उसकी ऊर्जा में कमी आने लगती है, दर्द के एहसास के साथ उसे पाचन से जुड़ी शिकायतें होने लगती हैं। कहने का मतलब यह है कि डिप्रेशन केवल एक मन की बीमारी नहीं है, यह हमारे शरीर को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। डिप्रेशन के शिकार किसी व्यक्ति में इनमें से कुछ कम लक्षण पाए जाते हैं और किसी में ज्यादा।
वास्तु दोष बन सकता है बीमारी की वजह—-
आमतौर पर शरीर में बीमारी होने पर हम उसके बायोलॉजिकल, मनोवैज्ञानकि या सामाजिक कारणों पर जाते हैं। यहां पर आज हम बीमारियों के उस पहलू पर गौर करेंगे, जो हमारे घर के वास्तु से जुड़ा है। कई बीमारियों की वजह घर में वास्तु के नियमों की अनदेखी भी हो सकती है। अगर आप इन नियमों को जान लेंगे और उनका पालन करना शुरू करेंगे तो आपको इन बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। जैसे वास्तु में यह माना जाता है कि अगर आप दक्षिण दिशा में सिर करके सोते हैं तो आपके स्वास्थ्य में सुधार होता है। जहां तक करवट का सवाल है तो वात और कफ प्रवृत्ति के लोगों को बाईं और पित्त प्रवृत्ति वालों को दाईं करवट लेटने की सलाह दी जाती है। सीढ़ियों का घर के बीच में होना स्वास्थ्य के लिहाज से नुकसान देने वाला होता है, इसलिए साढ़ियों को बीच के बजाय किनारे की ओर बनवाएं। इसी तरह भारी फर्नीचर को भी घर के बीच में रखना अच्छा नहीं माना जाता। इस जगह में कंक्रीट का इस्तेमाल भी वास्तु के अनुकूल नहीं होता। दरअसल घर के बीच की जगह ब्रह्मस्थान कहलाती है, जहां तक संभव हो तो इस जगह को खाली छोड़ना बेहतर होता है। घर के बीचोबीच में बीम का होना दिमाग के लिए नुकसानदायक माना जाता है। वास्तु के नियमों के हिसाब से बीमारी की एक बड़ी वजह घर में अग्नि का गलत स्थान भी है। जैसे कि अगर आपका घर दक्षिण दिशा में है, तो इसी दिशा में अग्नि को न रखें। रोशनी देने वाली चीज को दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना स्वास्थ्य के लिए शुभ माना जाता है। घर में बीमार व्यक्ति के कमरे में कुछ सप्ताह तक लगातार मोमबत्ती जलाए रखना भी उसके स्वास्थ्य के लिए शुभ होता है।
अगर घर का दरवाजा भी दक्षिण दिशा में है, तो इसे बंद करके रखें। यह दरवाजा लकड़ी का और ऐसा होना चाहिए, जिससे सड़क अंदर से न दिखे। घर में किचन की जगह का भी हमारे स्वास्थ्य से संबंध होता है। दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन होने से व्यक्ति अवसाद से दूर रहता है। पूरे परिवार के अच्छे स्वास्थ्य के लिए घर में दक्षिण दिशा में हनुमान का चित्र लगाना चाहिए।
यदि आपकी रसोई पूर्व दिशा में बनी हुई है तो इससे गृहस्वामिनी अनेक प्रकार से स्वास्थ्य की खराबियों से ग्रस्त रहेगी तथा सुखों के बावजूद अप्रसन्न रहेगी।स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा । एक बीमारी ठीक होने से पहले दूसरी बीमारी लग जाएगी । डॉक्टर से इलाज भी चलेगा , परंतु उचित लाभ नहीं मिलेगा ।
.- घर में यदि कोई हिंसक, जंगली खूंखार जानवर, पतझड़, कांटेदार पेड़-पौधे, रोते हुए उदास चेहरों की तस्वीरें अथवा कोई मूर्ति हो तो उसे हटा दें। ऐसी तस्वीरों से नकारात्मक ऊर्जा घर में फैलती है जिसका प्रभाव घर के सदस्यों पर भी पड़ता है और वे भी नकारात्मक सोचने लगते हैं।
.- जब भी पानी पीएं, अपना मुंह ईशान (उत्तर-पूर्व) की ओर रखें।
.- भोजन करते समय थाली आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) की ओर तथा अपना मुंह पूर्व की ओर रखें।
4- भूखण्ड के चारों कोने समकोण होने चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो तो सर्वप्रथम भूखण्ड को आयाताकार कर लें तथा बचे हुए भूभाग पर लॉन आदि बनाया जा सकता है।
5- यदि ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) न्यून हो तो उसके सामने के नैऋत्य कोण (पश्चिम-दक्षिण) को समकोण कर लें, दोष नहीं लगेगा।
6- ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में एक खड्डा या अण्डर ग्राउण्ड पानी का टैंक बनवा लें। टैंक की लंबाई-चौड़ाई भूखण्ड की लंबाई-चौड़ाई के अनुपात में ही रखें।
7- अगर आप अपना दाम्पत्य जीवन सुखमय बनाना चाहते हैं तो बेडरूम में फ्लावर पॉट अवश्य रखें लेकिन उसकी रोजाना सफाई अवश्य करें। सफाई नहीं करने से दाम्पत्य जीवन में खटास आ सकती है।
8– शयन कक्ष बहुत खास जगह होती है। यहां आप कपल फोटो लगा सकते हैं लेकिन पैरों की ओर नहीं लगाएं।
9- घर की खिड़कियों का आकार यदि घर के मुख्य द्वार से बड़ा हो तो घर के स्वामी को मानसिक परेशानियां तथा दिल से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
1.- घर के मुख्य द्वार से यदि रसोई कक्ष दिखाई दे तो घर की स्वामिनी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और उसके बनाए खाने को भी परिवार के लोग ज्यादा पसंद नहीं करते हैं।
11- ईशान्य कोण में कभी शौचालय ना बनाएं क्योंकि इससे घर की स्त्रियों को पेट से संबंधित बीमारिया होती है।
12- यदि आपकी रसोई बड़ी है तो आपको रसोई घर में बैठ कर ही भोजन करना चाहिए। इससे कुंडली में राहु के दुष्प्रभावों का शमन होता है।
13- पूजा करते समय यदि दिये को कभी दक्षिण में रखने से दुख और संताप की प्राप्ति होती है।
14- रात्रि में कभी वस्त्र बाहर ना सुखाएं। इन वस्त्रों के पहनने वालों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
15- अमावस्या को दूध का या सफेद चीज का दान आपके चंद्रमा को क्षीण करता है, जिससे आपकी आयु तथा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
1.- घर के मुख्य द्वार से यदि रसोई कक्ष दिखाई दे तो घर की स्वामिनी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और उसके बनाए खाने को भी परिवार के लोग ज्यादा पसंद नहीं करते हैं।
11- ईशान्य कोण में कभी शौचालय ना बनाएं क्योंकि इससे घर की स्त्रियों को पेट से संबंधित बीमारिया होती है।
12- यदि आपकी रसोई बड़ी है तो आपको रसोई घर में बैठ कर ही भोजन करना चाहिए। इससे कुंडली में राहु के दुष्प्रभावों का शमन होता है।
13- पूजा करते समय यदि दिये को कभी दक्षिण में रखने से दुख और संताप की प्राप्ति होती है।
14- रात्रि में कभी वस्त्र बाहर ना सुखाएं। इन वस्त्रों के पहनने वालों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं।
15- अमावस्या को दूध का या सफेद चीज का दान आपके चंद्रमा को क्षीण करता है, जिससे आपकी आयु तथा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव पड़ता है।