जानिए होली …5  का शुभ मुहूर्त और कैसे मनाये होली ?
होली पर क्या करें.क्या ना करें..???


होली भारत के सबसे अहम धार्मिक पर्वों में से एक है। होली की पूर्व रात्रि यानि होली पर्व के एक दिन पहले रात के समय होलिका दहन किया जाता है। प्राचीन काल से चली आ रही इस रीति को बेहद विशेष माना जाता है।
बसंत ऋतू के आते ही राग, संगीत और रंग का त्यौहार होली, खुशियों और भाईचारे के सन्देश के साथ अपने रंग-बिरंगी आंचल में सबको ढ़क लेती है। हिन्दुओं का यह प्रमुख त्यौहार होली हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस पवित्र त्यौहार के सन्दर्भ में यूं तो कई कथाएं इतिहासों और पुराणों में वर्णित है, परन्तु हिन्दू धर्म ग्रन्थ विष्णु पुराण में वर्णित प्रहलाद और होलिका की कथा सबसे ज्यादा मान्य और प्रचलित है।
होली के अवसर पर सतरंगी रंगों के साथ सात सुरों का अनोखा संगम देखने को मिलता है। इस दिन रंगों से खेलते समय मन में ख़ुशी, प्यार और उमंग छा जाते हैं और अपने आप तन मन नृत्य करने को मचल जाता है। दुश्मनी को दोस्ती के रंग में रंगने वाला त्यौहार होली देश का एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जिसे देश के सभी नागरिक उन्मुक्त भाव और सौहार्दपूर्ण तरीके से मानते हैं। इस त्यौहार में भाषा, जाति और धर्म का सभी दीवारें गिर जाती है, जिससे समाज को मानवता का अमूल्य सन्देश मिलता है।होली की रात्रि चार पुण्यप्रद महारात्रियों में आती है। होली की रात्रि का जागरण और जप बहुत ही फलदायी होता है।



होली आनन्द और उल्लास का वो पर्व है जो सारे देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है | बंगाल को छोड़ कर पूरे देश में होली जलाई जाती है | बंगाल में इस दिन श्री कृष्ण की प्रतिमा को झूला झूलाने का प्रचलन है | हालाँकि वहां भी तीन दिन के लिये पूजा मण्डप में अग्नि जलाई जाती है | होली के मौजूदा स्वरुप का जिक्र जैमिनी गृह सूत्र , (1 /. /15 -16) काठक गृह सूत्र (73 /1 ) लिंग पुराण , बाराह पुराण , हेमाद्रि ,और भविस्योत्तर पुराण के अलावा वात्स्यायन के काम सूत्र में भी आया है |


निर्णय सिन्धु पृष्ठ 227 , स्मृति कौस्तुभ पृष्ठ (516 से 519 ) और पुरश्चरण चिन्तामणि के पृष्ठ (३०८ से ३१९ ) पर होली का वर्णन अत्यन्त विस्तार से होता है | भविस्योत्तर पुराण और कामसूत्र ने इसका सन्बन्ध वसन्त ऋतु के आगमन से कर दिया वास्तव में होलिका हेमन्त यानि पतझड़ के आगमन की सूचना देती है और बसन्त की प्रेममय काम लीलाओं की घोतक है | मस्ती से भरे गाने रंगों की फुहार और संगीत बसन्त के आने के उल्लास पूर्ण समय का परिचय देते है | जो रंगों से भरी पिचकारियों और अबीर गुलाल के आपसी आदान प्रदान को प्रकट होती है | कहीं कहीं दो तीन दिन तक मिट्टी का कीचड़ और गानों से मतवालें होकर होली का हुडदंग मचाते है | कहीं कहीं लोग भद्दे मजाकों और अश्लील गानों से अपनी कैथरिसिस करते है |




कब करना चाहिए होलिका दहन…???
होलिका दहन प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भ्रद्रारहित काल में होलिका दहन किया जाता हैं ऎसा धर्म सिंधु में निहित है. यदि प्रदोष के समय भद्रा व्याप्त हो और भद्रा निशीथकाल अर्थात अर्ध रात्रि से पूर्व ही समाप्त हो रही हो तो भद्रा के पश्चात तथा आधी रात से पूर्व ही होलिका दहन किया जाना चाहिए ऎसा शास्त्रों में बताया गया है. लेकिन यदि भद्रा आधी रात से पहले समाप्त न हो और अगले दिन की सुबह तक व्याप्त हो और अगले दिन पुर्णिमा प्रदोषव्यापिनी भी नहीं हो तो ऎसी स्थिति में पहले दिन ही भद्रा का मुख छोड़कर प्रदोषकल में होलिका दहन कर लेना उचित होता है.ऎसा माना जाता है कि भद्रा समय में होलिका का दहन करने से क्षेत्र विशेष में अशुभ घटनाएं होने की सम्भावना बढ जाती है. इसके अलावा चतुर्दशी तिथि, प्रतिपदा में भी होलिका का दहन नहीं किया जाता है. तथा सूर्यास्त से पहले कभी भी होलिका दहन नहीं करना चाहिए. होलिका दहन करने समय मुहूर्त आदि का ध्यान रखना शुभ माना जाता है


जानिए होलिका दहन का मुहूर्त इस वर्ष 2015  का —
नारद पुराण के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को भद्रारहित प्रदोष काल में होलिका दहन करना चाहिए।
इस वर्ष वर्ष 2015 में होलिका दहन 05 मार्च को किया जाएगा। इस दिन भद्रा प्रात: काल 10 बजकर 29 मिनिट तक रहेगी. भद्रा के मुख का त्याग करके निशा मुख में होली का पूजन करना शुभफलदायक सिद्ध होता है,ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी पर्व-त्योहारों को मुहूर्त शुद्धि के अनुसार मनाना शुभ एवं कल्याणकारी है.विधिवत रुप से होलिका का पूजन करने के बाद होलिका का दहन किया जाता है. होलिका दहन सदैव भद्रा समय के बाद ही किया जाता है. इसलिये दहन करने से भद्रा का विचार कर लेना चाहिए.
होलिका दहन के लिए विशेष मुहूर्त का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 19 मिनट से लेकर रात्रि 8 बजकर 48 मिनट तक का है। 
अगले दिन 6 मार्च 2015 को रंगवाली होली खेली जाएगी।


जानिए होलिका दहन विधि—-
नारदपुराण के अनुसार इस दिन सब प्रकार की लकड़ियों और उपलों आदि को इकट्ठा करना चाहिए। इसके बाद मंत्रों द्वारा अग्नि में विधिपूर्वक आहुति देने के बाद होलिका में आग लगानी चाहिए और फिर होलिका की परिक्रमा करते हुए उत्सव मनाना चाहिए।


प्राचीन प्रहलाद और होलिका की कथा—–


कथानुसार श्रीहरि विष्णु के परम भक्त प्रहलाद का पिता दैत्यराज हिरण्यकश्यप नास्तिक और निरंकुश था। उसने अपने पुत्र से विष्णु भक्ति छोड़ने के लिए कहा परन्तु अथक प्रयासो के बाद भी वह सफल नहीं हो सका। तदुपरांत हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे की भक्ति को देखते हुए उसे मरवा देने का निर्णय लिया। लेकिन अपने पुत्र को मारने की उसकी कई कोशिशें विफल रहीं इसके बाद उसने यह कार्य अपनी बहन होलिका को सौंपा। होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह कभी जल नहीं सकती। 
होलिका अपने भाई के कहने पर प्रहलाद को लेकर जलती चिता पर बैठ गई। लेकिन इस आग में प्रहलाद तो जला नहीं पर होलिका जल गई। तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी है।


इसी घटना के स्मरण स्वरुप लोग होली की पिछली रात को होलिका जलाते हैं और अगले दिन रंग और गुलाल से एक दूसरे के साथ होली खेलते हैं।


जानिए की होली के दिन क्या करें :- ——


होली के जलने के बाद वहां से आग अपने घर लानी चाहिये | घर में गोबर के उपले से आग जला कर उसमे नारियल की गरी और गेहूं की बाली भून कर खानी चाहिये | होली के दिन ऐसा करने से दीर्घायु और समाज में सम्मान प्राप्त होता है | यह क्रिया रात में होली जलने के बाद और सूर्योदय के पहले करनी चाहिये |
रात में होली जलाने के बाद भोर के समय घर के बीच एक चौकोर टुकड़ा साफ़ करके उसमे ‘ क्लीं ’ लिख कर उसमे कामदेव का पूजन करना चाहिये | कामदेव को पांच अलग – अलग रंग के फूल अबीर, गुलाल, सुगंध और पक्वान अर्पित करने चाहिये | पूजा के उपरान्त पति देह में रति का वास हो जाता है | ये होली का परम आवश्यक कृत्य है |


जानिए की होली क्यों खेलें..???


(1) – जाड़े के बाद शरीर की सफाई
(2) – तन के साथ मन की भी सफाई
(3) – Catharsis
(4) – शत्रुता के भाव और शत्रु का अन्त
(5) – मैत्री और मुदिता का उदय


होली के दिन दिन क्या करें और क्या न करें..???


(1) सबसे पहली बात यह है कि रंग जरुर खेले इस दिन रंग खेलने से जीवन में खुशियों के रंग आते है और मनहूसियत दूर भाग जाती है | अगर आप घर से बाहर जा कर होली नहीं खेलना चाहते हैं तो घर पर ही होली खेलिये लेकिन खेलिये जरुर |
(2) सुबह सुबह पहले भगवान को रंग चढ़ा कर ही होली खेलना शुरू कीजिये |
(3) एक दिन पहले जब होली जलाई जाये तो उसमे जरुर भाग लें | अगर किसी वजह से आप रात में होलीं जलाने के वक्त शामिल न हो पायें तो अगले दिन सुबह सूरज निकलने से पहले जलती हुई होली के निकट जाकर तीन परिक्रमा करें | होली में अलसी , मटर ,चना गेंहू कि बालियाँ और गन्ना इनमे से जो कुछ भी मिल जाये उसे होली की आग में जरुर डालें |
(4) परिवार के सभी सदस्यों के पैर के अंगूठे से लेकर हाथ को सिर से ऊपर पूरा ऊँचा करके कच्चा सूत नाप कर होली में डालें |
(5) होली की विभूति यानि भस्म (राख) घर जरुर लायें पुरुष इस भस्म को मस्तक पर और महिला अपने गले में , इससे एश्वर्य बढ़ता है |
(6) घर के बीच में एक चौकोर टुकड़ा साफ कर के उसमे कामदेव का पूजन करें |
(7) होली के दिन दाम्पत्य भाव से अवश्य रहें |
(8) होली के दिन मन में किसी के प्रति शत्रुता का भाव न रखें, इससे साल भर आप शत्रुओं पर विजयी होते रहेंगे |(9) घर आने वाले मेहमानों को सौंफ और मिश्री जरुर खिलायें, इससे प्रेम भाव बढ़ता है |


जानिए कैसे बनाये सरल/ प्राकृतिक रंग..???
बाजारू केमिकलों से युक्त रंगों के बदले पलाश के फूलों के रंग से अथवा अन्य प्राकृतिक रंगों से होली खेलनी चाहिए। इससे सप्तरंगों व सप्तधातुओं का संतुलन बना रहता है।
ये हैं कुछ अन्य कुछ प्राकृतिक रंगः— 
—-मेंहदी पाउडर के साथ आँवले का पाउडर मिलाने से भूरा रंग। चार चम्मच बेसन में दो चम्मच हल्दी पाउडर मिलाने से अच्छा पीला रंग बनता है। 
—-बेसन के स्थान पर आटा, मैदा, चावल का आटा, आरारोट या मुलतानी मिट्टी का भी उपयोग किया जा सकता है।
—दो चम्मच हल्दी पाउडर दो लीटर पानी में डालकर अच्छी तरह उबालने से गहरा पीला रंग प्राप्त होता है।
—-आँवला चूर्ण लोहे के बर्तन में रात भर भिगोने से काला रंग तैयार होता है।


जानिए की किस रिश्ते के किस अंग में रंग लगायें :—-
माता – पैर ,पिता -छाती ,
पत्नी / पति – सर्वांग ,बड़ा भाई -मस्तक ,
छोटा भाई – भुजायें,
बड़ी बहन – हाथ और पीठ,
छोटी बहन – गाल,
बड़ी भाभी / देवर – हाथ और पैर (ननद और देवरानी सर्वांग में )
छोटी भाभी -सर और कन्धे (ननद सर्वांग में रंग लगायें )
चाची / चाचा – सर से रंग उड़ेले ,
साले सरहज – कोई अंग बचने न पायें
ताई / ताऊ – पैर और माथे पर ,
मामा / मामी – बच कर जाने न पायें ,
बुआ / फूफा – जी भर कर रंग लगायें,
मौसी , / मौसा – डिस्टेन्स मेन्टेन करके रंग लगायें ,
पड़ोसी- सिर्फ सूखा रंग ही लगायें उसमे इत्र जरुर डालें ,
मित्र – मर्यादायें भूल कर रंग लगायें ,
बॉस – माथे पर टिका लगायें ,
बॉस की पत्नी – हाथ में रंग का पैकेट देकर नमस्कार कर लें , शिष्टाचार की सीमा के अन्दर रंग लगायें ,
अनजाने व्यक्तियों को – सामाजिक मर्यादा और शिष्टाचार का पूरा ध्यान रखें |


एक बार फिर दोहरा दूं पति -पत्नी को आपस में जी भर कर होली खेलना अत्यन्त शुभ शकुन माना जाता है |
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जानिए आपके जीवन में विविध रंगों का विविध प्रभाव—


प्रत्येक रंग का अपना विशेष महत्त्व है एवं रंगों में परिवर्तन के माध्यम से अनेक मनोविकार तथा शारीरिक रोगों का शमन संभव है। विविध रंगों का विविध प्रभाव निम्नानुसार है।


पीला रंगः—– पीले रंग में क्षमा, गंभीरता, स्थिरता, वैभवशीलता, आदर्श, पुण्य, परोपकार जैसे गुण विद्यमान हैं। इस रंग से उत्साह, संयम और सात्त्विकता बढ़ती है। यह रंग जागृति और कर्मठता का प्रतीक है। इसका प्रेम-भावनाओं से संबंध है। उपासना-अनुष्ठानों में यह बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने वाला, आरोग्यवर्धक तथा विद्यार्थियों के लिए विचारशक्ति, स्मरणशक्ति बढ़ाने में यह विशेष रूप से उपयोगी माना गया है। यह कृमिनाशक भी है।जिन घरों में कलह होते हैं वहाँ यदि घर की दीवाली पर पीला रंग पोत दिया जाय तो आशा की जाती है कि उपद्रव या मनोमालिन्य शांत हो जायेंगे। अपराधजन्य शिकायतों में, चंचलता, उद्विग्नता, तनाव, वासनात्मक आवेश में पीले रंग से लाभ होता है। गर्भिणी स्त्रियों को पीला रंग अधिक उपयोगी सिद्ध होता है।


नीला रंगः—– इस रंग से उदारता, व्यापकता, सूक्ष्मता, सौन्दर्य और अंतर्मुखी जीवन की प्रेरणा मिलती है। विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण में नीले रंग का विशेष प्रभाव देखा गया है।


हरा रंगः—– चंचलता, कामनाशीलता और विनोदप्रियता आदि गुणों से भरपूर है। हरे रंग में ताजगी, प्रसन्नता, आनंद, स्फूर्ति एवं शीतलता का प्रभाव है। प्रकृति की हरियाली देखने पर मन को बड़ी शांति, प्रसन्नता मिलने के साथ जीवन की थकावट दूर होती है। मानसिक शांति के लिए आमतौर से नीले या हरे रंग का प्रयोग किया जा सकता है।


श्वेत रंगः—– यह ज्ञान, मधुरता, गंभीरता, शांति, शीतलता, सौंदर्य, तृप्ति, शीघ्र प्रभाव और पवित्रता का बोधक है। सफेद रंग में सादगी सात्त्विकता, सरलता की क्षमता है। श्वेत वस्त्र दूसरों के मन में द्वेष, दुर्भाव नहीं लाते।


लाल रंगः—– आक्रमकता, हिंसा, उग्रता, उत्तेजना, क्रोध, कामविकार, संघर्ष, स्फूर्ति और बहिर्मुखी जीवन का प्रतीक है। लाल रंग के कपड़े पहनने वाले लोग गुस्सेबाज देखे जाते हैं। लाल बल्ब जलाना भी क्रोध को बढ़ाने वाला है। इसलिए लाल कपड़े और लाल बल्ब से अपने को बचाइये।


केसरिया रंगः—– वीरता और बलिदान का प्रतीक है। इसीलिए लाल व केसरिया दोनों रंग युद्ध में प्रयुक्त होते हैं।


गुलाबी रंगः—— गुलाबी रंग में आशाएँ, उमंगे और सृजन की मनोभूमि बनाने की विशेषता है। गुलाबी प्रकाश से पौधे अच्छी तरह उगते हैं, पक्षियों की संख्या में वृद्धि होती है, ज्वर, छोटी चेचक, कैंसर जैसी बीमारियों पर भी आशातीत लाभ होता है।


गेरूआ रंगः—– यह रंग पवित्र, सात्त्विक जीवन के प्रति श्रद्धा, प्रेम भाव जगाता है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस रंग का महत्त्व हिन्दू धर्म ने स्वीकारा है।


चाकलेटी रंगः—- इसमें एकता, ईमानदारी, सज्जनता के गुण हैं।
काला रंगः तमोगुणी रंग है। इससे निराशा, शोक, दुःख एवं बोझिल मनोवृत्ति का परिचय मिलता है।


नारंगी रंगः—- जीवन में आत्म-विश्वास तथा साहस की जानकारी देता है। नारंगी रंग मनीषा चिह्न है। साधु, संत, त्यागी, वैरागी लोकसेवी इसे सम्मानपूर्वक धारण करते हैं।नारंगी रंग की बोतल में सूर्यकिरणों में रखा हुआ पानी खाँसी, बुखार, न्यूमोनिया, श्वासरोग, गैस बनना, हृदयरोग, अजीर्ण आदि रोगों में लाभदायक है। इससे रक्तकणों की कमी की पूर्ति होती है। इसका सेवन माँ के स्तनों में दूध की वृद्धि करता है।
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जानिए की किस राशि वाले किस रंग से होली खेले..???


(1) मेष – लाल
(2) वृष – नीला
(3) मिथुन – हरा
(4) कर्क – गुलाबी
(5) सिंह – आंरेन्ज
(6) कन्या – हरा
(7) तुला – नीला
(8) वृश्चिक – मैरून
(9) धनु – पीला
(10) मकर – नीला
(11) कुम्भ – परपल
(12) मीन – पीला
आप चाहें तो अपने रंगों अबीर गुलाल में खुशबू मिला सकते है |


जानिए किस राशि वाले रंग में कौन सी खुशबू मिलायें..????


(1) मेष – गुलाब
(2) वृष – चमेली
(3) मिथुन – चम्पा
(4) कर्क – लवैन्डर
(5) सिंह – कस्तूरी
(6) कन्या – नाग चम्पा
(7) तुला -बेला
(8) वृश्चिक – रोज मैरी
(9) धनु — केसर
(10) मकर -मुश्कम्बर
(11) कुम्भ – चन्दन
(12) मीन – लैमन ग्रास


जानिए की किस रंग के कपड़े पहने..??/


(1) मेष – कॉटन लाल या मैरून
(2) वृष – सिल्क सफेद या स्काईब्लू
(3) मिथुन – सिन्थैटिक ग्रीन
(4) कर्क- कॉटन सफेद / पिंक
(5) सिंह -लिनिन ऑरेन्ज / सफेद
(6) कन्या – ग्रीन कॉटन
(7) तुला – स्काईब्लू / सफेद सिल्क
(8) वृश्चिक – मैरून या ब्राउन कॉटन
(9) धनु – सिल्क क्रीम
(10) मकर – सिन्थैटिक ब्लू या brown
(11) कुम्भ – ब्लू या black
(12) मीन – सिल्क golden yellow


क्या करें होली खेलने के बाद…???
नहा धो कर आप साफ सुथरे अच्छे से कपड़े पहनेगें लेकिन वो कौन सी चीज है जो अपनी ड्रेस में लगाने या रखने से होली के दिन साल भर के लिये आपकी किस्मत संवार दे :-
मेष :- नये कपड़े पहन कर सीधे घर के मन्दिर में जायें और भगवान का आशीर्वाद लें |
वृष :- नये कपड़े पहनने के तुरन्त बाद सीढ़ियां चढ़ें या गणेश जी के दर्शन करें |
मिथुन :- खजूर खायें या मोज़े जरुर पहनें |
कर्क :- केसर की पत्ती मुंह में डालें |
सिंह :- लाल सिन्दूर का टीका मस्तक पर लगायें |
कन्या :- कपूर को हाथ में मसल कर सूंघना चाहिये |
तुला :- शहतूत खाना चाहिये |
वृश्चिक :- सर पर टोपी लगाना या पगड़ी बांधना विशेष शुभ होता है |
धनु :- नये कपड़े पहनने के बाद बांई आंख से चांदी को स्पर्श करना शुभ होगा |
मकर :- नये कपड़े में एक पेन लगाकर घर से निकले |
कुम्भ :- नये कपड़े पहनने से पहले चेहरे को दही से धोना चाहिये और कपड़ो पर सुगन्ध जरुर लगानी चाहिये |
मीन :- नये कपड़े पहनने के बाद थोड़ा गुड़ खाना शुभ रहेगा |


जानिए की किस राशि वाले को क्या खिलायें…????
मेष – मसूर की दाल की बनी कोई चीज
वृष – कोई सुगन्धित मिठाई
मिथुन – मूंग की दाल से बनी कोई चीज
कर्क – दूध से बनी कोई चीज
सिंह – गरम -गरम कोई चीज
कन्या – पिस्ते से बनी कोई मिठाई
तुला – दही या मलाई से बनी कोई चीज
वृश्चिक – कोई ऐसी चीज जिसमे लाल मिर्च पड़ी हो
धनु – केसर से बनी कोई मिठाई या गुझिया
मकर – चाँकलेट या काली मिर्च से बनी कोई चीज
कुम्भ – दही बड़े या कोई चीज जिसमे काला नमक
मीन – बेसन से बनी कोई मिठाई


यूँ तो होली में हमारे घर में तरह -तरह के पकवान बनाने और खिलाने का रिवाज है | लेकिन सवाल ये है कि वो कौन सी चीज है जो आप अपने हाथ से उठा कर मेहमानों को पेश करें जिससे आपकी किस्मत और मेहमानों की तबियत दोनों ही खिल उठें |
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होली खेलने में यह सावधानी रखें, स्‍वस्‍थ रहें—-
—-रंग खेलने से पहले नारियल, सरसों या जैजून की तेल सिर से लेकर पांव तक पूरे शरीर पर लगा लें।
—–पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें।
—-रंग खेलने के बाद आटा, हल्‍दी, मलाई और नींबू का उबटन बनाकर उससे धीरे-धीरे रंग छुडाएं। अगर शरीर में कहीं पर रंग नहीं छूट रहा है, तो उसके साथ जबरदस्‍ती न करें।
—तली-भुनी चीजों की जगह सिकंजी, लस्‍सी, मट्ठा, छांछ और फल आदि का सेवन करें।
—–रंगों के कारण अगर शरीर पर किसी तरह की एलर्जी दिखाई दे, तो तुरंत किसी डॉक्‍टर से सम्‍पर्क करें।
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यह करें होली पर —–
—हमेशा होली सूखे और हर्बल या प्राकृतिक गुलाल से खेलें।
—रंग खेलते समय मर्यादा का ध्‍यान अवश्‍य रखें।
—-रंग डालते समय या गुलाल लगाते समय इस बात का अवश्‍य ध्‍यान रखें कि रंग या गुलाल किसी की आंखों में न जाए।
—अपने घर पर या दूसरों के घर खाने-पीने में विशेष सावधानी रखें। हल्‍कीऔर सुपाच्‍य चीजों का सीमित मात्रा में सेवन करें।
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क्‍या न करें होली पर —
—-तेज, हानिकारक और केमिकल वाले रंगों का प्रयोग न करें।
—-कीचड़, तारकोल और गंदी चीजों से होली बिलकुल न खेलें।
—-जिसे रंग पसंद न हो, उस पर रंग कतई न डालें। किसी-किसी को रंगों से एलर्जी होती है। ऐसा व्‍यक्ति अगर रंग डालने से मना करता है, तो उसके साथ जबरदस्‍ती न करें।
—–सर्दी-जुकाम, बुखार और दमा से पीडि़त व्‍यक्ति पर भी रंग न डालें, उसे नुकसान हो सकता है।
—-होली पर किसी तरह के नशे का सेवन न करें।
—-अधिक तली-भुनी चीजों का सेवन न करें।
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जानिए कुछ होली पर किये जाने वाले लाभकारी उपाय—
जानिए की होली के अवसर पर क्या उपाय करके आप फायदा उठा सकते है..???


होली के मौके पर होलिका दहन की ख़ास है | चौराहे पर जली हुई होली की आग से मन्त्रो के अनुष्ठान करके प्यार , पैसा और शोहरत पाई जा सकती है | किसी को अपने वश में किया जा सकता है | और बुरे ग्रहों के उपचार किये जा सकते है | साल की चार महत्वपूर्ण तान्त्रिक रातों में एक होली की भी रात होती है | इस दिन कोशिश करके अपनी उन्नति का रास्ता खोला जा सकता है | दूसरों के ब्लैक मैजिक से बचा जा सकता है | माता सरस्वती और माता महालक्ष्मी की कृपा पाई जा सकती है |


(1) बॉस वशीकरण – बॉस की फोटो लेकर उसपर घी और शहद लगाकर मिट्टी के कुल्हड़ में रखें इसके ऊपर दही भर दें और उस पर थोड़ी सी होली की भस्म दाल दें | उस कुल्हड़ का मुंह लाल कपड़े से बांध कर किसी ऊँची जगह पर रख दें | ऐसा करने से बॉस आपके वश में हो जायेंगे | लेकिन खबरदार ; बॉस को अपने वश में करना तो ठीक है लेकिन अगर आपने अपनी स्थिति का दुरूपयोग किया तो इसके भयंकर परिणाम हो सकतें हैं |
(2) मुकदमा जीतने के लिये – होली की आग लाकर उसके कोयले से स्याही बनाकर लोहे की सलाई से मुकदमा नम्बर और शत्रु पक्ष का नाम सात कागजों पर लिख कर पुन: होली की अग्नि के पास जायें और सात परिक्रमा करें, हर परिक्रमा पर एक कागज़ होली की आग में डाल दें तो शत्रु स्वयं समझौता कर लेता है और मुक़दमे में सफलता मिलती है |
(3) दूसरे के तंत्र मंत्र से बचने के लिये – काली नजर से बचाव :- होली की आग से अंगारे लाकर उसे पीस कर उससे स्याही बनावें एक सफ़ेद कपड़े पर एक मनुष्य की आकृति बना कर उसमे काले तिल भर कर पुन: होली में डाल दें तो दूसरे का किया धरा नष्ट हो जाता है |
(4) बुरी नजर से बचाव :- एक मुट्ठी काले तिल, छः काली मिर्च, छः लौंग, एक टुकड़ा कपूर बच्चे या बड़े के ऊपर से उतार कर होली में डाल दें, पुरानी बुरी नजर उतर जायेगी और आगे भी बचाव होगा |


(5) अपने बिजनेस को बुरी नज़र से बचाने के लिये :- एक दिन पहले फिटकरी के छ:टुकड़े अपनी दुकान , शोरुम या office में रात में छोड़ दे | होली की शाम उन्हें ले जाकर कपूर , अलसी , गन्ने के टुकड़े और गेहूं के साथ मिला कर होली में डाल दें तो आपके बिजनेस को दूसरों की नज़र नहीं लगेगी |


(6) बच्चे का मन पढाई में मन लगाने के लिये :- एक 4 मुखी और एक ६ मुखी रुद्राक्ष के बीच में गणेश रुद्राक्ष लगवा कर बच्चे को पहनायें फिर उसे होली की अग्नि के करीब ले जाकर सात चक्कर लगवायें |हर बार बच्चा एक मुट्ठी गुलाल होली की ओर उछालता जाये इससे विद्या प्राप्ति की बाधा दूर होगी और पढ़ाई में ध्यान लगेगा |
(07 ) जीवन में कामयाबी हासिल करने के लिये :- होली की आग से कोयला लाकर चूर्ण करके उसके आगे नृसिंह के तीन नामों का जप करे – ये हैं , उग्रं ,वीरं,महाविष्णुं | जप की संख्या 10 ,000 है | फिर जब जरुरत हो इस चूर्ण को गाय के घी के साथ तिलक लगाकर काम पर जायें तो हर काम में कामयाबी मिलती है |
(08) व्यापार में फायदा उठाने के लिये :- छ: बाली अलसी और तीन बाली गेंहू को होली की आग में जला लें – आधी जली हुई बालियों को लाल कपड़े में लपेट कर अपनी शॉप या शो रूम में ले जाकर रखने से business बढ़ता है |


(09) अचानक धन लाभ के लिये :- पत्तियों सहित गन्ना ले जा कर होली की आग में इस तरह डाल दें कि गन्ने कि पत्तियां आग में जल जायें | बचे हुये गन्ने को लाकर घर के साउथ वेस्ट कार्नर में खड़ा कर दीजिये | जल्दी ही आपको धन लाभ होगा |
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यह रखे सावधानी होली खेलने में और खेलने के बाद——
जानिए की कैसे मनाएं हेल्दी होली…????


लीजिये हर साल की तरह फिर होली आ गई है। होली का नाम आते ही दिमाग में आती है खूब सारी मस्ती, ढेर सारे रंगों में रंगा पूरा माहौल और खिलखिलाते चेहरे। ऐसा क्यों न हो, आखिर होली का त्योहार ही ऐसा होता है। पर मौसम के बदलते मिजाज के कारण कभी मौसम का ठंडा हो जाना तो कभी गरम। ऐसे में कभी पानी, कीचड़, गुब्बारों और कैमिकल युक्त रंगों से गीली होली खेलना तो कभी अबीर गुलाल से सूखी होली, इसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य और त्वचा पर पड़ता है। वैसे तो होली प्रेम, भाईचारे और रंगों का त्‍यौहार है। परंतु कभी-कभी कुछ नासमझ और नादान लोग इसे कष्‍टदाय बना देते हैं, जिससे होली की खुशी अधूरी रह जाती है।इसीलिए अक्सर लोग होली के बाद बीमार हो जाते हैं और खराब रंगों के कारण त्वचा पर जलन, खारिश और लाल चकत्ते आदि भी पड़ जाते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि होली के बाद शरीर किन-किन बीमारियों से ग्रसित हो सकता है और उनका कैसे करें बचाव।


होने वाली बीमारियां—-होली का मौका है यानी खूब सारी मस्ती, खूब सारा खाना और फिर थकान। ऐसे में कहीं आप बीमार न पड़ जाएं। होली के बाद अक्सर लोग कुछ न कुछ बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं, जैसे सांस लेने में दिक्कत होना, त्वचा की बीमारी, आंखों की बीमारी, फूड पॉइजनिंग, वायरल फीवर और गला खराब होना।


—कैसे होता है नुकसान—
अच्‍छे रंगों की जगह कुछ लोग कीचड़, तारकोल, ग्रीस और अन्‍य हानिकारक केमिकल द्वारा होली खेलते हैं। यह चीजें जिस किसी के शरीर पर भी पड़ती हैं, उसे नुकसान पहुंचाती हैं।
कुछ लोग जबरदस्‍ती रंग लगाने की कोशिश कर ते हैं। इस कोशिश में कभी-कभी रंग आंखों में या नाक में चला जाता है और नुकसान पहुंचाता है।
कुछ लोग अनाप शनाप भांग या शराब पी लेते हैं, जिससे वे अपना नुकसान तो करते ही हैं, दूसरों की भी होली खराब करते हैं।
कभी-कभी कुछ लोग बहुत अधिक मीठा और तला-भुना खा लेते हैं, जो उन्‍हें तकलीफ देता है।


सांस लेने में दिक्कत——
अक्सर देखने में आता है कि जिन्हें पहले से सांस लेने में दिक्कत होती है अथवा यूं कहें कि जो अस्थमेटिक  हैं, उन पर सूखे रंगों का भी प्रभाव पड़ता है, क्योंकि जो रंग मिलावटी हैं, उनमें कैमिकल होता है। वे मुंह या सांस के जरिये अंदर जाते हैं व एलर्जी पैदा करते हैं। ऐसे लोगों को अस्थमेटिक हो जाती है।


बचाव:— ऐसे लोगों को सूखे व हर्बल रंगों से ही होली खेलनी चाहिए। यदि मास्क पहन कर होली खेल सकते हैं तो और भी अच्छा रहेगा।


आंखों की समस्या—-
सूखा रंग या गीला रंग आंखों में चला जाए तो आंखों में लाली, चुभन, सूज जाना आदि समस्याएं आ ही जाती हैं। यहां तक कि आंखों का अल्सर तक हो सकता है। कभी-कभी देखने में आता है कि चार-पांच लोग एक व्यक्ति को पकड़ कर अच्छे से रंगते हैं। ऐसे में आंखों में भी कैमिकल युक्त गीला रंग जाना स्वाभाविक है।


बचाव:—- कोशिश करें जब कोई रंग लगा रहा हो तो आंखें बंद कर लें, ताकि रंग अंदर न जा सके। यदि रंग चला जाये तो ठंडे पानी से धोएं व आंखों को रगड़ें नहीं। डॉंक्टर को दिखाएं।


फूड पॉइजनिंग—–
होली का दिन ही ऐसा होता है कि लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग लगाते हैं और मेजबान उन्हें खाने को विभिन्न प्रकार के नाश्ते, चाय, कॉफी, ठंडई आदि देते हैं। अत: डीप फ्राइड चीजों में कौन सा तेल इस्तेमाल हुआ है, बाजार की मिठाई में कितना रंग पडम है आदि चीजें पेट को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी हैं। इसके अलावा रंग भरे हाथों से नाश्ता उठाना ठीक नहीं। उस हाथ से खाने से वह सीधे पेट में पहुंचता है, जिससे फूड पॉइजनिंग हो सकती है। कुल मिलाकर बदहजमी, खट्टी डकार, छाती में जलन, दस्त आदि भी इस मौके पर हो जाते हैं।


बचाव:—- यदि हाथ खराब है तो पेपर नेपकिन से स्नैक्स उठाएं अथवा हाथ धोकर ही उठाएं। आपका पेट तले-भुने व चटपटे मसालेदार चीजों को सहन नहीं कर पाता तो अच्छा रहेगा कि घर से थोड़ा खाकर ही चलें। कभी कोल्ड ड्रिंक्स तो कभी चाय-कॉफी न पिएं। बाहर तली हुई चीजों से परहेज करें। विकल्प के रूप में थोड़े से ड्राई फ्रूट या बिस्कुट खाएं।


वायरल फीवर—-
बदलते मौसम में वायरल फीवर का प्रकोप वैसे भी ज्यादा रहता है, पर होली के समय इसलिए बढ़ जाता है, क्योंकि लोग कभी गीले रंगों से होली खेलने लगते हैं तो कभी सूखे से और फिर गीले से। शरीर के तापमान में बदलाव होता है, जिससे बुखार आ जाता है। इसमें सिर दर्द, जोड़ों में दर्द, गला खराब होना व बुखार आना आम है।


बचाव:— रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं। शरीर के तापमान को ठीक रखें। ज्यादा थकाने वाले काम न करें। खूब सारा पानी पिएं। ठंडी चीजें व ड्रिंक्स न पिएं।


गला खराब होना व जुकाम हो जाना—-
जिन लोगों की प्रतिरोधक क्षमता क्षीण होती है, उन्हें जल्दी ही एलर्जी और संक्रमण लग जाता है। मुख्य रूप से होली के दौरान ठंडा और गर्म एक साथ ले लेने से गला खराब हो जाता है और जुकाम भी हो जाता है।


बचाव:—- आराम से होली खेलें व गर्म व ठंडी चीजों का सेवन एक साथ न करें। हल्का व सुपाच्य भोजन करें। मौसम के अनुकूल कपड़े पहनें। खांसते-छींकते समय मुंह पर कपड़ा अवश्य रखें।


इन बातों का रखें खास ख्याल—–
होली के बाद शरीर के रंगों से मुक्ति पाना एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए क्या करें, क्या नहीं, इस बात की भी जानकारी हासिल कर लें।


त्वचा का खराब होना—-
हमारे यहां होली दो तरह के रंगों से खेली जाती है-सूखे व गीले रंगों से। गीले रासायनिक रंग शरीर पर जहां भी लग जाते हैं, वहां की त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं, पर सूखे रंग भी ऐसे मिलावटी पदार्थों से बनाये जा रहे हैं, जो ज्यादा देर तक त्वचा के संपर्क में रहें तो त्वचा फट जाती है। रंगों के प्रभाव से त्वचा पर स्थाई या अस्थाई तौर पर लाल-लाल चकत्ते या दाने भी उभर आते हैं। गुलाल की ही बात करें तो उसमें एक चमकीला पदार्थ अभ्रक होता है, जो खुरदरा होता है। यह मिलावटी गुलाल यदि देर तक त्वचा में रह जाये तो त्वचा एकदम खुश्क हो जाती है व फटने लगती है। बाल भी धोने के बाद रुखे व खुरदरे लगने लगते हैं। अत: होली खेलने से पहले ही त्वचा का बचाव करें।


बालों पर लगाएं तेल—-
अपने खूबसूरत बालों को रंगों के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए उन पर नारियल का तेल अच्छी तरह लगा लें, ताकि रंग सीधे बालों के संपर्क में न आएं। इससे सिर धोने पर रंग आसानी से निकल जायेगा। अच्छा हो कि कैप पहनें। यदि संभव हो तो बालों पर हेयर बैंड जरूर लगा लें।


बाद में क्या करें—–
होली खेलने के बाद बालों के सूखे रंग को ऐसे ही झाड़ें। फिर गुनगुने पानी और शैम्पू से धोएं। यदि गीला रंग हो तो पहले गुनगुने पानी से रंग को निकालें, फिर माइल्ड हेयर शैम्पू से धोएं। धोने के बाद बालों में कंडीशनर अवश्य लगाएं।


रखें नाखूनों का ख्याल—-
नाखूनों पर पक्का रंग चढ़ जाता है तो वह जल्दी नहीं उतरता। नाखूनों के चारों तरफ वैसलीन अच्छी तरह लगाएं व उन पर नेलपॉलिश लगा लें। इससे नाखूनों पर रंग नहीं चढ़ेगा।


बाद में क्या करें—
होली खेलने के बाद नेलपॉलिश रिमूवर से नेल पेंट उतार लें। यदि नाखूनों के आसपास की त्वचा पर रंग चढ़ गया हो तो नींबू रगड़ कर छुड़ाएं।


आप सभी को होली की हार्दिक शुभ कामनाएं….

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