सुब्रह्मण्यम स्वामी का जन्म .5 सितंबर 19.9 ( गुरुुुवार) को म्य्लापोरे, चेन्नई, भारत में हुआ हैं।
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- उनकी कुंडली सिंह लग्न की है।
- स्वामी की कुंडली में लग्न में सूर्य और बुध का ‘बुद्धादित्य’ योग है, जिसके प्रभाव से उनको प्रखर बुद्धि और वाक्पटुता मिली है।
- लग्नेश, लग्नस्थ में ही स्थित हैं। इसी ने प्रखर वक्ता, अर्थशास्त्री, बनने में मदद की उनकी कुंडली में छठे भाव में पड़े उच्चे के मंगल ने उनको हमेशा अपने विरोधियों पर तीखे हमले करने की शक्ति दी है।
- धन भाव अर्थात दूसरे भाव मे कन्या राशि में चन्द्र, शुक्र की युति हैं। यहां चन्द्रमा, हस्त नक्षत्र के तृतीय चरम में स्थित हैं। उनका गण-देव, वर्ण – वैश्य, करण – कौलव, नाड़ी – आद्या, तत्व – अग्नि हैं।
- पराक्रम भाव, तृतीय में तुला का राहू स्थित हैं।
- 6ठे भाव मे मकर का मंगल एवम अष्टम भाव मे मीन का गुरु विराजित हैं।
- भाग्य स्थान, नवम में मेष के शनि केतु की युति स्थित हैं।
- मंगल और शनि का दृष्टि संबंध स्वामी को जिद्दी और कठोर स्वाभाव का व्यक्ति भी बनता है।
- स्वामी की कुंडली में वर्तमान में केतु की विंशोत्तरी महादशा (15 दिसम्बर ..19 से 15 दिसम्बर 2026 तक चल रही हैं) में शुक्र की अन्तर दशा चल रही है, 13 जुलाई 2021 तक।
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