हर साल .7 सितंबर को मनाई जाती है, इसे विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं. लेकिन इस बार विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को की जाएगी।

यह रहेगा श्री विश्वकर्मा पूजन का शुभ मुहूर्त
16 सितंबर, बुधवार – सुबह 1. बजकर 09 मिनट से लेकर 11 बजकर .7 मिनट तक।

हिन्दू पंचांग के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को विश्वकर्मा पूजा का पर्व मनाया जाता है। हर साल यह त्योहार दीपावली से लगभग एक महीने पहले मनाया जाता है। लेकिन साल .020 में मलमास लगने से आश्विन मास के दिन बढ़ गए हैं। इसलिए इस साल दीपावली और विश्वकर्मा पूजा के बीच लगभग दो महीने का अंतर आ गया है। विश्वकर्मा पूजा ऋषि विश्वकर्मा के पूजन का दिन है।

समस्त संसार भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित है। इनका जन्म समुद्र मंथन से हुआ था. हर प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का निर्माता इन्हें ही कहा गया है. इन्होंने ही लंका निर्माण भी किया था। भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार और वास्तुकार थे। उन्हें दुनिया का पहला इंजीनियर भी कहा जाता है। इस दिन उद्योग-फैक्ट्रियों की मशीनों समेत सभी तरह की मशीनों की पूजा की जाती है।

भगवान विश्कर्मा ही ऐसे देवता हैं, जो हर काल में सृजन के देवता रहे हैं. सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, जिनसे जीवन संचालित होता है वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है। भगवान विश्कर्मा की पूजा कर उन्हें सृजन के लिए धन्यवाद दिया जाता है।

भगवान विश्कर्मा की पूजा से व्यक्ति में नई ऊर्जा का संचार होता है और आने वाली सभी समस्याएं और रुकावटें दूर होती हैं। कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन कल कारखानों में पूजा करने से कारोबार बढ़ता है और कभी आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।

हस्तशिल्पी कलाकार भगवान विश्वकर्मा की जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है, इसे विश्वकर्मा पूजा के नाम से भी जानते हैं। लेकिन इस बार विश्वकर्मा पूजा 16 सितंबर को की जाएगी। इस दिन सभी निर्माण के कार्य में उपयोग होने वाले हथियारों और औजारों की पूजा की जाती है. उद्योग जगत के देवता भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उनकी विधि-विधान से पूजा करने से विशेष फल की प्राप्‍त‍ि होती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा खुश होते हैं, तो व्‍यवसाय में दिन दूनी रात चौगुनी तरक्‍की होती है. भगवान विश्वकर्मा ने पूरी सृष्टि का निर्माण किया, इन्हें सृष्टि का निर्माणकर्ता कहते हैं।इस दिन सभी कंपनियों, कारखानों और ऑफिस में भगवान विश्वकर्मा की पूजा जरूर करनी चाहिए इससे व्यापार में बढ़ोतरी होती है। जिन लोगों को अपना व्यवसाय में फायदा नहीं हो रहा है उन्हें इस दिन विश्वकर्मा जी की पूजा जरूर करनी चाहिए। केवल इतना ही नहीं इस दिन लोग अपने घरों में रखे अस्त्रों-शस्त्रों, मशीनों और औजारों की भी पूजा करते हैं। ताकि भगवान विश्वकर्मा की कृपा हमेशा उनके ऊपर बनी रहे।

ऐसा माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ब्रह्मांड की रचना की थी। कहते हैं कि भगवान शिव के लिए त्रिशूल और भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र की रचना भी विश्वकर्मा जी ने ही की थी। माना जाता है कि सोने की लंका का निर्माण भी विश्वकर्मा जी ने किया था। प्राचीन काल में वास्तु और शिल्प के क्षेत्र में उनका अद्भुत योगदान देखते हुए ही उन्हें वास्तुकारों और शिल्पकारों का गुरु कहा गया था। उन्हें आज भी विश्व का पहला इंजीनियर माना जाता है। कहते हैं कि उनकी कृपा से व्यक्ति शिल्पकला और वास्तुकला में सफलता को हासिल करता है।

कब मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा

विश्वकर्मा पूजा, यानी विश्वकर्मा जयंती हर साल कन्या संक्रांति के दिन 17 सितंबर को मनाई जाती है। लेकिन, इस साल भगवान विश्वकर्मा जयंती बुधवार, यानी 16 सितंबर को मनाई जाएगी।

कैसे हुआ भगवान विश्वकर्मा का जन्म

यह मान्यता है कि प्राचीन काल में सभी का निर्माण विश्वकर्मा ने ही किया था. ‘स्वर्ग लोक’, सोने का शहर – ‘लंका’ और कृष्ण की नगरी – ‘द्वारका’, सभी का निर्माण विश्वकर्मा के ही हाथों हुआ था। कुछ कथाओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा का जन्म देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से माना जाता है।

पूरे ब्रह्मांड के निर्माणकर्ता हैं विश्वकर्मा

हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा ने पूरे ब्रह्मांड का निर्माण किया है। पौराणिक युग में इस्तेमाल किए जाने वाले हथियारों को भी विश्वकर्मा ने ही बनाया था जिसमें ‘वज्र’ भी शामिल है, जो भगवान इंद्र का हथियार था। वास्तुकार कई युगों से भगवान विश्वकर्मा को अपना गुरु मानते हुए उनकी पूजा करते आ रहे हैं।

भूलकर भी नही करें, विश्वकर्मा जयंती के दिन ऐसे कार्य

मांस-मदिरा का न करें सेवन:
इस दिन मशीनों को पूरी तरह आराम देने के साथ ही, इस दिन तामसिक भोजन यानी मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही, अपने व्यापार और रोजगार को बढ़ाने के लिए इस दिन गरीब और असहाय लोगों को दान-दक्षिणा करना चाहिए।

रोजमर्रा इस्तेमाल वाली चीजों का करें सम्मान:
भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार माना जाता है। ऐसे में इस दिन किसी भी प्रकार के औजारों का इस्तेमाल न करें। भले ही ये उपकरण घर के ही क्यों न हों लेकिन उनके इस्तेमाल से भी बचना चाहिए। साथ ही, मशीनों को इधर-उधर बिखराने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा, अपने औजारों को किसी को भी उधार में न दें। इस दिन लोगों को अपने कारखाने और फैक्ट्रियां बंद रखनी चाहिए। ऐसा करने के साथ ही वहां मौजूद मशीनें, उपकरणों और औजारों की पूजा करने से घर में बरकत आती है। ऐसे में आज के दिन लोगों को औजारों और किसी भी प्रकार की मशीनों का इस्तेमाल करना वर्जित है।

घर में यूं करें पूजा:
इस दिन दफ्तर के साथ ही घर में भी सभी मशीनों की पूजा करनी चाहिए। चाहे बिजली के उपकरण हो या फिर बाहर खड़ी गाड़ी, विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी की सफाई करें। अगर जरूरी हो तो ऑयलिंग और ग्रीसिंग करें। इस दिन इनकी देखभाल किसी मशीन की तरह न करके, इस प्रकार करें जिससे प्रतीत हो कि आप भगवान विश्वकर्मा की ही पूजा कर रहे हों।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here