इत्र के दीवानों में शायद ही कोई होगा जिसने “रूह गुलाब” का नाम ना सुना हो। इस बेशकीमती इत्र की मांग बेशक अब घटने लगी है, लेकिन इसकी कीमत सोने-चांदी की कीमतों को टक्कर देती है। .. ग्राम इत्र की कीमत 18000 रूपए तक पहुंच गई है। हाल ही निर्यात पर लगी पाबंदी के कारण निर्यात घटने और घरेलू बाजार में कैमिकल व अल्कोहल परफ्यूम से मिल रही चुनौतियों के बावजूद “गुलाब सिंह जौहरी मल” इस प्रीमियम ब्रांड की कीमतों से समझौता करने को तैयार नहीं है।

कुछ साल पहले रूह गुलाब की छोटी सी डिब्बी आम बाजारों में आसानी से देखी जा सकती थी। इसमें छोटी सी ब्रश लगी होती थी। लेकिन अब यह नहीं मिलता है, विदेशी बाजारों में तो प्राय लुप्त हो चुका है। जबकि घरेलू मोर्चे पर कारोबार को विस्तार देने की इजाजत नहीं है।

इसका कारण इसकी बड़ी लागत भी है। फर्म का दावा है कि रूह गुलाब की 5 ग्राम मात्रा के लिए ही खास किस्म के 40 किलोग्राम गुलाब खर्च करने पड़ते हैं। दिल्ली के बाजार दरीबा कलां में स्थिति दुकान के मालिकों में से एक ने बताया, “रूह गुलाब हमेशा से ही आम आदमी की पहुंच से बाहर रहा है। इसकी कीमत फिलहाल 10 ग्राम के लिए 18000 रूपए है।”

हिन्दू धर्म में सुगंध या खुशबू का बहुत महत्व माना गया है। वह इसलिए कि सात्विक अन्न से शरीर पुष्ट होता है तो सुगंध से सूक्ष्म शरीर। यह शरीर पंच कोष वाला है। जड़, प्राण, मन, विज्ञान और आनंद। सुगंध से प्राण और मनोमय कोष पुष्ट होता है। इसलिए जिस व्यक्ति के जीवन में सुगंध नहीं उसके जीवन में शांति भी नहीं। शांति नहीं तो सुख और समृद्धि भी नहीं।

सुगंध का प्रभाव या असर 

सुगंध से आपना मस्तिष्क बदलता है, सोच बदलती और सोच से भविष्य बदल जाता है। सुगंध आपके विचार की क्षमता पर असर डालती है। यह आपकी भावनाओं को बदलने की क्षमता रखती है।

जानिए खुशबू या सुगंध के लाभ

सुगंध के चमत्कार से प्राचीनकाल के लोग परिचि‍त थे तभी तो वे घर और मंदिर आदि जगहों पर सुगंध का विस्तार करते थे। यज्ञ करने से भी सुगंधित वातावरण निर्मित होता है। सुगंध के सही प्रयोग से एकाग्रता बढ़ाई जा सकती है। सुगंध से स्नायु तंत्र और डिप्रेशन जैसी बीमारियों को दूर किया जा सकता है।

सुगंध हमारा सबसे मजबूत मेमोरी ट्रिगर है, जो साउंड और साइट से सात सेकंड जल्दी माइंड तक ट्रेवल करता है। लेकिन इसका प्योरेस्ट फॉर्म सिंथेटिक परफ्यूम नहीं बल्कि पारम्परिक अंदाज में बना अत्तर है। इंडिया और मिडिल ईस्ट दुनिया में इत्र या अत्तर के सबसे बड़े मार्किट माने जाते हैं। लेकिन हिंदुस्तान में बहुत काम परिवार और उनसे भी कम मेन्यूफेक्चरर्स बचे हैं जिन्हें अब भी इत्र बनाने की कला से लगाव है। जबकि प्योरेस्ट इत्र की कीमत .0 से 35 लाख प्रति लीटर तक जाती है। आज हाई लाइफ में मिलिए शहर के कुछ चुनिंदा अत्तर मेन्यूफेक्चरर्स से, जो इस तरह के इत्र को तिजारा, सवाई माधोपुर, नागौर और कन्नौज के पुराने परिवारों से बनवाते हैं।

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