भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है हरतालिका व्रत। इस वर्ष यह व्रत .. अगस्त 2.20 यानी आज मनाई जा रही हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंभी आयु के लिए व्रत रखती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए माता पार्वती ने इस व्रत को किया था। कुंवारी कन्याएं भी अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और राजस्थान में खास तौर पर मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार हरितालिका तीज को सबसे बड़ी तीज माना जाता है।
यह व्रत सावन की हरियाली तीज से अलग है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छा वर पाने के लिए लड़कियां भी हरतालिका तीज का व्रत रखती है। हरतालिका के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। प्रत्येक पहर में भगवान शंकर का पूजन और आरती होती है। कई जगह की परंपरा की मानें तो इस दिन पंचामृत भी बनता है। जिसमें घी, दही, शक्कर, दूध, शहद का इस्तेमाल होता है। हरतालिका तीज के दिन सुहागिन महिलाओं को सिंदूर, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, काजल आदि भी दिए जाते हैं।
जानिए आखिर क्यों हुआ इस व्रत का नाम हरतालिका
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिवजी की वेशभूषा और उनका रहन-सहन राजा हिमाचल को पसंद नहीं था। उन्होंने इस बात की चर्चा नारदजी से की तो उन्होंने उमा का विवाह भगवान विष्णु से करने की सलाह दी। माता पार्वती भगवान शिव को अपना पति मान चुकी थीं। इसलिए उन्होंने विष्णुजी से विवाह करने से मना कर दिया। तब माता पार्वती की सखियों ने इस विवाह को रोकने की योजना बनाई।
माता पार्वती की सखियां उनका अपहरण करते जंगल ले गईं, ताकि उनका विवाह विष्णुजी से न हो सके। सखियों के माता पार्वती का हरण किया इसलिए इस व्रत का हरतालिका तीज पड़ गया। जंगल ने माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रुप में पाने के लिए तप किया और फिर शिवजी ने उन्हें दर्शन देकर पत्नी के रूप में अपना लिया।
हरतालिका तीज कर दिन जरूर करें ये काम
- इस दिन महिलाएं हरे रंग की चूड़ियां और मेहंदी पहनती हैं। मेहंदी सुहाग का प्रतीक है। हरतालिका तीज के दिन हरे रंग का विशेष महत्व होता है।
- हरतालिका तीज व्रत में रात में भजन-कीर्तन करना शुभ माना जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
- हरतालिका तीज की पूजा 21 अगस्त 2020 को सुबह 5.54 से 8..0 तक कर सकते हैं।
- 21 अगस्त को 2020 तृतीया तिथि 11:03 PM तक है इसके बाद चतुर्थी लग जाएगी।
- सिद्ध योग 02:01 दोपहर तक है। वहीं सुबह 10.54 से 12.29 तक राहुकाल रहेगा।
हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त
सुबह 5 बजकर 54 मिनट से सुबह 8:30 मिनट तक।
शाम को हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त-
शाम 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक।
तृतीया तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त की रात रात 2 बजकर 13 मिनट से।
तृतीया तिथि समाप्त- 22 अगस्त रात 11 बजकर 2 मिनट तक।
इस दिन विशेष रूप से गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। व्रत करने वाली महिला सूर्योदय से पूर्व ही उठ जाती हैं और स्नान-ध्यान कर श्रृंगार करती हैं। एक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव जी को पति के रूप मे पाने के लिए कठिन तपस्या की थी लेकिन उस समय पार्वती की सहेलियां ने उन्हें अगवा कर लिया था। उन्होंने हरतालिका शब्द की व्याख्या करते हुए बताया कि हरत का अर्थ होता है अगवा करना तथा अलिका का अर्थ होता है सहेलिओं द्वारा अपहरण करना। जिसे हरतालिका कहा जाता है।
इस दिन गौरी शंकर की विशेष पूजा की जाती है। दिन में कथा सुनने के बाद महिलाएं निर्जला रहकर पूरे दिन व्र रखती हैं। अगले दिन सुबह ही व्रत खोला जाता है। पूजन के लिए गौरी-शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। इसके साथ मां पार्वती को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है।
इस तरह करें हरितालिका तीज पूजन
- हरतालिका तीज पर बालू रेत से भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं.
- प्रतिमा बनाने के बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती को एक चौकी पर स्थापित कर दें.
- इसके बाद उस चौकी पर एक चावलों से अष्टदल कमल बनाएं और उस पर कलश की स्थापना करें.
- कलश की स्थापना करने से पहले उसमें जल, अक्षत, सुपारी और सिक्के डालें और उस पर आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल भी रखें
- इसके बाद चौकी पर पान के पत्ते रखकर उस पर अक्षत रखें. इसके बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती को स्नान कराएं.
- सभी भगवानों को स्नान कराने के बाद उनके आगे घी का दीपक और धूप जलाएं, इसके बाद भगवान गणेश और माता पार्वती को कुमकुम का तिलक लगाएं और भगवान शिव को चंदन का तिलक लगाएं.
- तिलक करने के बाद सभी भगवानों को फूल व माला चढ़ाएं, इसके बाद भगवान शिव को सफेद फूल अर्पित करें.
- इसके बाद भगवान गणेश को दूर्वा और भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग और शमी के पत्ते अर्पित करें.
- भगवान शिव को यह सभी चीजें अर्पित करने के बाद भगवान गणेश और माता पार्वती को पीले चावल अर्पित करें और भगवान शिव को सफेद चावल अर्पित करें.
- इसके बाद सभी भगवानों को कलावा अर्पित करें और भगवान गणेश और भगवान शिव को जनेऊ अर्पित करें
- जनेऊ अर्पित करने के बाद माता पार्वती को श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें, इसके बाद बाद सभी भगवानों को फल अर्पित करें.
- फल अर्पित करने के बाद हरतालिक तीज की कथा पढ़े या सुने.
- इसके बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और उन्हें मिष्ठान अर्पित करें और हाथ जोड़कर प्रणाम करें.
राशि अनुसार यह मंत्र देगा लाभ
(इस वर्ष हरतालिका तीज पर्व पर ऐसे करें शिव आराधना)
- मेष : ‘ॐ शिवाय नम:’ का जप करें व सेबफल चढ़ाएं।
- वृषभ : ‘ॐ हवि नम:’ का जप करें व दूध की मिठाई चढ़ाएं।
- मिथुन : ‘ॐ अनघ नम:’ का जप करें व शहद चढ़ाएं।
- कर्क : ‘ॐ तारक नम:’ का जप करें व मिश्री चढ़ाएं।
- सिंह : ‘ॐ कपाली नम:’ का जप करें व अनार चढ़ाएं।
- कन्या : ‘ॐ वामदेव नम:’ का जप करें व घी चढ़ाएं।
- तुला : ‘ॐ श्रीकंठ नम:’ का जप करें व दही चढ़ाएं।
- वृश्चिक : ‘ॐ अज नम:’ का जप करें व मौसंबी चढ़ाएं।
- धनु : ‘ॐ शितिकंठ नम:’ का जप करें व केला चढ़ाएं।
- मकर : ‘ॐ मृगपाणी नम:’ का जप करें व नाशपाती चढ़ाएं।
- कुम्भ : ‘ॐ अव्यय नम:’ का जप करें व नारियल चढ़ाएं।
- मीन : ‘ॐ महादेवाय नम:’ का जप करें व चीकू चढ़ाएं।
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
- गीली काली मिट्टी या बालू रेत।
- बेलपत्र,
- शमी पत्र,
- केले का पत्ता,
- धतूरे का फल एवं फूल,
- अकांव का फूल,
- तुलसी,
- मंजरी,
- जनैऊ,
- कलेवा/लच्छा या नाड़ा,
- वस्त्र,
- सभी प्रकार के फल एवं फूल पत्ते,
- श्रीफल,
- कलश,
- अबीर,
- चंदन,
- घी-तेल,
- कपूर,
- कुमकुम,
- दीपक,
- फुलहरा
- विशेष प्रकार की पत्तियां