समझें नजर दोष निवारण के लिये नमक, मिर्च और

राई से की जाने वाली उतारा विधी को

इस विधि के लिए आपको किन वस्तुओं की आवश्यकता है ?
  1. समुद्री नमक – . चम्मच
  2. राई – 2 चम्मच
  3. सुखी लालमिर्च नीचे दिए विवरण अनुसार
  4. लकड़ी की चोटी चौकी – .
  5. विधि करने के लिये व्यक्ति जो कि किसी भी प्रकार के आवेश से ग्रसित ना हो।
  6. जलते हुए कोयले

मिर्चों की संख्या अनुभव किए जा रहे कष्ट की तीव्रता पर निर्भर करता है । विधि में कष्ट की तीव्रता अनुसार कितनी संख्या में मिर्च का उपयोग किया जाए इसके लिए मार्गदर्शक सूत्र नीचे दी गई सारणी में हैं ।

कुदृष्टि (नजर) दोष के लिये प्रथम कृत्य – प्रार्थना करना जिसकी कुदृष्टि उतारनी है उसे श्री हनुमानजी से प्रार्थना करनी चाहिए  मैं (अपना नाम लें) प्रार्थना करता हूं मुझे लगी कुदृष्टि उतर जाए और (जो कुदृष्टि उतार रहा है उसका नाम लें) पर किसी भी प्रकार का अनिष्ट प्रभाव न पडे। जो कुदृष्टि उतार रहा है वह श्री हनुमानजी से प्रार्थना करे कि उस पर कष्टदायक नकारात्मक शक्ति का कोई प्रभाव न हो।

द्वितीय कृत्य – अपना स्थान ग्रहण करें जिस अनिष्ट शक्ति से आवेशित व्यक्ति की कुदृष्टि उतारनी है उसे लकडी की चौकी पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर, घुटनों को छाती से लगा कर उकडू बैठने के लिए कहें ।

तृतीय कृत्य –  विधि करना जो व्यक्ति कृत्य कर रहा हो उसे दूसरे व्यक्ति के समक्ष खडा होना चाहिए। जितनी मात्रा में रवेदार नमक और राई मुट्ठी में लिए जा सकते हैं वह दोनों हाथों में लें। अपने सामने दोनों मुट्ठियां गुणाकार चिन्ह के आकार में रखें। दोनों मुट्ठियां बाधित व्यक्ति के मस्तक से पैरों तक एक दूसरे की विपरीत दिशा में घुमाते हुए नीचे लाएं एवं धरती का स्पर्श करें। हाथों को केवल प्रारंभ में गुणाकार स्थिति में रखा जाता है, किंतु जैसे ही क्रिया का आरंभ होता है और हाथ विलग होते हैं, एक साथ दाहिनी मुट्ठी घडी की दिशा में तथा बांयीं मुट्ठी घडी की विपरीत दिशा में मस्तक से पैरों तक घुमाएं। धरती को स्पर्श करने के उपरांत पहले की तरह क्रिया करते हैं अर्थात हांथों को अलग कर एक साथ, दायीं मुट्ठी को घडी की दिशा में तथा बायीं मुट्ठी को घडी की विपरीत दिशा में पैरों से मस्तक तक ले जाते हैं। कुदृष्टि (नजर) उतारने की विधि करते समय यह बोलें ‘‘ आगंतुकों की, अशरीरी आत्माओं की, वृक्ष की, आने-जानेवालों की, विशिष्ट स्थान की लगी कुदृष्टि (नजर) उतर जाए और इसकी रोगों अथवा चोट से रक्षा हो ।’’

मुट्ठियों को घुमाने एवं धरती को स्पर्श करने का कारण – बताए अनुसार मुट्ठियों को घुमाने से, अनिष्ट स्पंदन कुदृष्टि (नजर) उतारने वाले पदार्थ में सोख लिए जाते हैं तदुपरांत धरती को स्पर्श कराने पर वे धरती द्वारा खींच लिए जाते हैं। मुट्ठियों को कितनी बार घुमाना है यह इस बात पर निर्भर करता है कि नजर की तीव्रता कितनी है। जादू-टोना करने वाले प्राय: काला जादू विषम (odd) संख्या में करते हैं अत: मुट्ठियों को विषम संख्या में घुमाना चाहिए।

चतुर्थ कृत्य – अंत में मुट्ठियों में लिए हुए सभी पदार्थ एक साथ सिगडी अथवा तवे पर जलते हुए कोयले पर डाल दें।

ये क्रिया केवल परोपकार के लिए ही प्रयोग में लाये।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here