वर्ष ..20  का श्रावण (सावन) महीना –  विशेष जानकारी 
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हिंदू धर्म के अनुसार, श्रावण को शिवत्व के अनुरूप वर्ष का सबसे पवित्र महिना माना जाता है, तथा साप्ताहिक दिन सोमवार को शिव की उपासना का दिन माना गया है। इस प्रकार श्रावण माह के सोमवार की महत्ता और भी अधिक हो जाती है।
 
श्रावण को साधारण बोल-चाल की भाषा मे सावन कहा जाता है, अतः सावन के सोमवार भगवान शिव के सबसे प्रिय दिन माने जाते हैं। भगवान शिव को श्रावण मास अतिप्रिय है। इस दौरान बरसात का मौसम होता है और वातावरण में शीतलता होती है। शिव जीवन में सुख, सफलता, शीतलता और समृद्धि लाने वाले देवता हैं।
वे अपने भक्त पर शीघ्र कृपा करते हैं। अगर उनके प्रति सच्ची श्रद्धा हो तो वे अपने भक्त के हर कष्ट का निवारण कर सकते हैं।
 

इस बार श्रावण 2020 में सोमवार का अद्भुत संयोग बन रहा है। छह जुलाई (सोमवार) को सावन की शुरुआत होगी और तीन जुलाई सोमवार को इसका समापन होगा। इस दौरान पांच सोमवार पड़ेगा।  पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि सावन का महीना छह जुलाई 2020 से शुरू होने जा रहा है।
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पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण महीने को देवों के देव महादेव भगवान शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें श्रावण महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।
अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के श्रावण महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया।
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उत्तराखंड और नेपाल मे सावन के सोमवार की तिथियाँ निम्न प्रकार हैं–
सोमवार, 22 जून 2020
सोमवार, 29 जून 2020
सोमवार, 06 जुलाई 2020
सोमवार, .. जुलाई 2020
सोमवार, 20 जुलाई 2020
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सावन के सोमवार व्रत राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली एवं बिहार के अनुसार–
सोमवार, 06 जुलाई 2020
सोमवार, 13 जुलाई 2020
सोमवार, 20 जुलाई 2020
सोमवार, 27 जुलाई 2020
सोमवार, 03 अगस्त 2020
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सावन के सोमवार पंश्चिम एवं दक्षिण भारत के अनुसार-
सोमवार, 20 जुलाई 2020
सोमवार, 27 जुलाई 2020
सोमवार, 03 अगस्त 2020
सोमवार, 10 अगस्त 2020
सोमवार, 17 अगस्त 2020
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तीन कृष्ण पक्ष व दो शुक्ल पक्ष में होगा व्रत—
पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इस बार श्रावन में पांच सोमवार का व्रत होगा। जिसमें तीन कृष्ण पक्ष व दो शुक्ल पक्ष में होगा। उन्होंने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा, महामृत्युंजय मंत्र जाप व अभिषेक आदि करने से प्राणी सभी प्रकार के बाधा व रोग से मुक्त हो जाते हैं।
 
इसके बाद दूसरा सोमवार 13, तीसरा 20, चौथी 27 व पांचवीं सोमवार तीन अगस्त 2020 को है। तीन अगस्त 2020 को सावन का समापन होगा। इसी दिन श्रावणी पूर्णिमा है और बहन अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधेंगे। 
 
इस वर्ष रक्षाबंधन हेतु मुहूर्त प्रात: 8.30 बजे से लेकर रात्रि 8.20 मिनट तक रहेगा।
इस शुभ मुहूर्त में बहने अपने भाइयों को राखी बांध सकेंगे। उन्होंने बताया कि सावन में बारिश होने का योग है। साथ की गृह प्रवेश आदि शुभ कार्य होंगे।
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समझें श्रावण पूर्णिमा के महत्व को–
पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार पूर्णिमा की प्रत्येक तिथि शुभ और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। लेकिन श्रावण पूर्णिमा की अपनी अलग विशेषता है। इस दिन देश भर में विशेषकर उत्तर भारत में रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। यही तिथि दक्षिण में नारियली पूर्णिमा और अवनी अवित्तम के रूप में मनाई जाती है। मध्य भारत में इसे कजरी पूनम तो गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कुछ क्षेत्रों में यज्ञोपवीत पूजन एवं उपनयन संस्कार करने का विधान भी है। जप-तप, दान-दक्षिणा के लिये यह तिथि श्रेष्ठ मानी ही जाती है। इसी दिन अमरनाथ यात्रा का समापन भी होता है। चंद्रदोष से मुक्ति के लिये भी यह तिथि श्रेष्ठ मानी जाती है।
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जानिए श्रावण पूर्णिमा व्रत व पूजा विधि–
श्रावण मास की पूर्णिमा पर वैसे तो विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न पर्वों के अनुसार पूजा विधियां भी भिन्न होती हैं। लेकिन चूंकि इस दिन रक्षासूत्र बांधने या बंधवाने की परंपरा है तो उसके लिये लाल या पीले रेशमी वस्त्र में सरसों, अक्षत, रखकर उसे लाल धागे (मौली या कच्चा सूत हो तो बेहतर) में बांधकर पानी से सींचकर तांबे के बर्तन में रखें। भगवान विष्णु, भगवान शिव सहित देवी-देवताओं, कुलदेवताओं की पूजा कर ब्राह्मण से अपने हाथ पर पोटली का रक्षासूत्र बंधवाना चाहिये। तत्पश्चात ब्राह्मण देवता को भोजन करवाकर दान-दक्षिणा देकर उन्हें संतुष्ट करना चाहिये। साथ ही इस दिन वेदों का अध्ययन करने की परंपरा भी है। इस पूर्णिमा को देव, ऋषि, पितर आदि के लिये तर्पण भी करना चाहिये। इस दिन स्नानादि के पश्चात गाय को चारा डालना, चिंटियों, मछलियों को भी आटा, दाना डालना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि विधि विधान से यदि पूर्णिमा व्रत का पालन किया जाये वर्ष भर वैदिक कर्म न करने की भूल भी माफ हो जाती है। मान्यता यह भी है कि वर्ष भर के व्रतों के समान फल श्रावणी पूर्णिमा के व्रत से मिलता है।
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2020 में श्रावणी पूर्णिमा–
साल 2020 में श्रावणी पूर्णिमा 03 अगस्त को है। इस बार सूर्योदय से पहले ही भद्रा समाप्त हो रही है इसलिये यह पूर्णिमा बहुत ही शुभ है। 
 
पूर्णिमा तिथि आरंभ –  21:31:02 बजे (02 अगस्त 2020) 
 
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 21:30:28 बजे (03 अगस्त 2020)
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श्रद्धालुओं की संख्या में आयेगी कमी—
 
कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष सावन में श्रद्धालुओं की संख्या में काफी कमी आने की संभावना है।  कोरोना के कारण मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, यूपी आदि जगहों के श्रद्धालुओं में काफी कमी आयेगी।
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी लोक डाउन के बाद श्रद्धालुओं हेतु खुल गया है।
इसलिए 30 जून 2020 के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।

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