जानिए काकण सूर्यग्रहण .. जून 2.20 का प्रभाव, सूतक, नियम, उपाय आदि को–
आगामी 21 जून 2020, (रविवार) आषाढ़ कृष्ण अमावस्या को होने जा रहा सूर्यग्रहण भारत में खंडग्रास के रूप में ही दृश्य होगा। ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि यह सूर्य ग्रहण गंड योग और मृगशिरा नक्षत्र में होगा।
पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की यह ग्रहण क्योंकि मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लग रहा है इसलिए मिथुन वालों पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा।
भारत में इस सूर्यग्रहण का आरम्भ प्रातः 10 बजकर 1. मिनट से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। भारत के अतिरिक्त यह खंडग्रास सूर्यग्रहण विदेश के कुछ क्षेत्रों में भी दिखाई देगा।इस ग्रहण का व्यापक प्रभाव भारत, दक्षिण पूर्वी यूरोप, अफ्रीका, अफगानिस्तान, चीन, पाकिस्तान, वर्मा पर दिखाई देगा।
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उज्जैन में कब देखा जा सकता है सूर्य ग्रहण–
उज्जैन में पूर्ण ग्रहण शुरू होगा 21 जून सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर एवम
ग्रहण का मध्य दोपहर 11 बजकर 52 मिनट पर होगा ।
पूर्ण ग्रहण की समाप्ति दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर होगी आंशिक ग्रहण की समाप्ति।
इस ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 32 मिनट की होगी।इसके बाद साल के अंत में एक और सूर्य ग्रहण होगा।
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ग्रहण का स्पर्श जयपुर में 10.13 मिनट प्रातः, ग्रहण का मध्य 11.56 एवं ग्रहण का मोक्ष दोपहर 1 बजकर 31 मिनट में होगा।
कब लगेगा इस सूर्य ग्रहण का सूतक–
सूर्यग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले लग जाता है। इस सूर्यग्रहण का सूतक 20 जून को रात्रि 10 बजकर 14 मिनट से आरम्भ हो जाएगा, जो कि सूर्यग्रहण ग्रहण के समाप्त होने तक रहेगा।
21 तारीख को देश की राजधानी दिल्ली में सुबह 9 बजकर 15 मिनट से यह ग्रहण आरंभ हो जाएगा। इस ग्रहण का परमग्रास 99.4 प्रतिशत रहेगा, यानी कुछ स्थानों पर सूर्य पूरी तरह छुप जाएगा। यह ग्रहण करीब 5 घंटे, 48 मिनट 3 सेकंड का रहेगा।
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दो चंद्र ग्रहण के बाद जब पूर्ण ग्रहण होता है तो चंद्रमा सूर्य को कुछ देर के लिए पूरी तरह ढक लेता है। हालांकि, आंशिक और कुंडलाकार ग्रहण में सूर्य का केवल कुछ हिस्सा ही ढकता है। 21 जून को पड़ने जा रहा सूर्य ग्रहण कुंडलाकार है। कुंडलाकार ग्रहण ‘रिंग ऑफ़ फायर’ बनाता है, लेकिन यह पूर्ण ग्रहण से अलग होता है।
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यह होगा इस कंकण सूर्य ग्रहण का भारत देश के ऊपर प्रभाव–
ग्रहण के समय 6 ग्रहों का वक्री होना इस बात का संकेत दे रहा है कि प्राकृतिक आपदाओं यथा समुद्री चक्रवात, तूफान, अत्यधिक वर्षा, महामारी आदि से जन-धन की हानि हो सकती है। पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार वर्ष 2020 में मंगल अग्नि तत्व का प्रतीक है और यह जलीय राशि में 5 मास तक रहेंगे इस कारण सामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा और महामारी का भय बना रहेगा।इस ग्रहण के समय कुल 6 ग्रह वक्री होंगेऔर ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में बैठकर सूर्य चंद्रमा बुद्ध व राहू को देख रहा होगा , जो अच्छा संकेत नहीं है। इससे समंदर में चक्रवात, तूफान, बाढ़ वह अत्यधिक बारिश जैसे प्राकृतिक प्रकोप के आसार बनेंगे।
ज्योतिर्विद पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया की इस सूर्य ग्रहण काल में शनि और गुरु का मकर राशि में वक्री होने से पडोसी देशों में राजनितिक उठापठक से भारत को चिंता बनी रहेगी। शनि मंगल और गुरु इन तीनों ग्रहों के प्रभाव से देशों में आर्थिक मंदी का असर बना रहेगा बना रहेगा। चीन की सामरिक गतिविधिया जल, थल और आकाश में बढ़ने से पडोसी देशो के मध्य चिंता का कारण बनेगा।इस ग्रहण के कारण भारत का पड़ोसी देशों से संबंध प्रभावित हो सकता है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सरकार का प्रयास बाधित होगा। कोरोना से बड़ी संख्या में लोग पीड़ित हो सकते हैं जिससे सरकार को नई रणनीति तैयार करनी होगा।शनि, मंगल और गुरु के प्रभाव से विश्व के कई बड़े देशों में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक देखने को मिलेगा। लेकिन स्वतंत्र भारत की कुंडली के ग्रह गोचर की स्थिति के मुताबिक भारत के लिए राहत की बात यह होगी कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। विश्व में भारत की साख भी बढ़ेगी।
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जानिए सूर्य ग्रहण के बाद क्या करें ?
सूर्यग्रहण के समाप्त होने के बाद किसी पवित्र नदी यथा गंगा, नर्मदा, रावी, यमुना, सरस्वती, पुनपुन इत्यादि में स्नान करें। यह संभव न हो तो तालाब, कुएं या बावड़ी में स्नान करें। यदि यह भी संभव न हो तो घर पर रखे हुए तीर्थ जल मिलाकर स्नान करना चाहिए।
ग्रहण के समय हमें शुभ कार्य करना चाहिए। यह शुभ कार्य कल्याण प्रदान करने वाला होता है। ग्रहण के सूतक तथा ग्रहण काल में व्यक्ति को अपनी इच्छापूर्ति के लिए स्नान, ध्यान, मन्त्र, स्तोत्र-पाठ, मंत्रसिद्धि, तीर्थस्नान, हवन-कीर्तन, दान इत्यादि कार्य करना चाहिए। ऐसा करने से सभी प्रकार के बाधाओं से निवृत्ति एवं सुख की प्राप्ति होती है।
पंडित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार इस ग्रहण को धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चंद्र ग्रहण के मात्र 16 दिन बाद लग रहा है जो कि हिंदू काल गणना के मान से एक पाक्षिक (15 दिन) की अवधि पूरी होने पर लगेगा। दूसरा यह ग्रहण कंकणाकृति होगा एवं भारत में खंडग्रास रूप में दिखाई देगा। गत चंद्र ग्रहण में तो सूतक मान्य नहीं था लेकिन सूर्य ग्रहण में सूतक का काल मान्य होगा। इसकी अवधि 12 घंटे पहले से ही लग जाएगी। यह ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप एवं पूरे एशिया में देखा जा सकेगा। पिछले साल के आखिरी सप्ताह और इस साल के पहले सप्ताह में ग्रहण का संयोग था। पहले सूर्य ग्रहण उसके बाद चंद्र ग्रहण लगा था। अब इस बार पहले चंद्र ग्रहण लगा है और उसके बाद सूर्य ग्रहण होगा। इसके बाद आगामी 5 जुलाई को एक बार फिर से चंद्र ग्रहण लगेगा।
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अलग-अलग मान्यताएं–
ग्रहण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं।जैसे आमतौर लोग पर घर पर रहना पसंद करते हैं और ग्रहण के समय कुछ भी खाने से बचते हैं।इसके अलावा, दरभा घास या तुलसी के पत्तों को खाने और पानी में डाल दिया जाता है, ताकि ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सके।कई लोग ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान करने में विश्वास करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। इसी तरह सूर्य देव की उपासना वाले मंत्रों का उच्चारण भी ग्रहण के दौरान किया जाता है।
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जानिए कैसा रहेगा सूर्यग्रहण का सभी राशियों पर प्रभाव—-
मेष : राजकीय सम्मान पाने की प्रबल संभावना है।
वृषभ : आर्थिक परेशानी और व्यापार में नुक्सान हो सकता है संभाल कर रहें।
मिथुन : किसी अप्रिय घटना-दुर्घटना के शिकार हो सकते है सावधानी रखें सब ठीक होगा।
कर्क : शरीर में कहीं चोट लग सकती है ।
सिंह : दाम्पत्य का सुख मिलेगा परन्तु वाणी में मधुरता बनाएं रखें।
कन्या : आपके लिए शुभ रहेगा। बंधु-बांधव का सहयोग मिलेगा।
तुला : वाद-विवाद से बचें। क्रोध के कारण नुक्सान हो सकता है।
वृश्चिक : आप अचानक किसी परेशानी में फंस सकते हैं ।
धनु : दाम्पत्य जीवन खटास आ सकती है। पत्नी वा पत्नी को कोई गिफ्ट दें।
मकर : आपके लिए यह ग्रां शुभ फल देने वाला होगा।
कुंभ : तनाव व मानसिक परेशानी हो सकती है।
मीन : अनियोजित खर्च से आप परेशान हो सकते हैं ।
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सूर्यग्रहण के बाद क्या-क्या दान करें ?
ग्रहण समाप्ति होने के बाद स्वर्ण, कंबल, तेल, कपास या मच्छरदानी का दान करना चाहिए।
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सूतक एवं ग्रहणकाल में क्या नहीं करें ?
धार्मिक आस्थावान प्रवृत्ति के लोगो को अपने कल्याण के लिए सूतक एवं ग्रहणकाल में ऐसे किंचित कार्य है जिसे नहीं करना चाहिए। ग्रहण शुभ एवं अशुभ दोनों फल प्रदान करता है। अतः अब आपके ऊपर निर्भर करता है कि आपने किस फल के अनुरूप कार्य किया है।
ग्रहण काल का अन्न अशुद्ध हो जाता ही इस कारण ग्रहण के समय भोजन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से आप अनेक प्रकार के रोगों से ग्रसित हो सकते है। ग्रहण या सूतक से पहले ही यदि सभी खाने वाले पदार्थ यथा दूध दही चटनी आचार आदि में कुश रख देते है तो यह भोजन दूषित नहीं होता है और आप पुनः इसको उपयोग में ला सकते है।
सूतक एवं ग्रहण काल में छल-कपट, झूठ, डिंग हाँकना आदि से परहेज करना चाहिए।
ग्रहण काल में मन तथा बुद्धि पर पड़ने वाले कुप्रभाव से बचने के लिए जप, ध्यानादि करना चाहिए है।
व्यक्ति को मूर्ति स्पर्श, नाख़ून काटना, बाल काटना अथवा कटवाना, निद्रा मैथुन आदि कार्य बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए।
इस काल में रति क्रिया से बचना चाहिए। ग्रहण काल में शरीर, मन तथा बुद्धि के मध्य तालमेल बनाये रखना चाहिए।
मन-माने आचरण करने से मानसिक तथा बौद्धिक विकार के साथ-साथ शारीरिक स्वास्थ्य का भी क्षय होता है। अत एव हमें अवश्य ही ग्रहणकाल में मन,वचन तथा कर्म से सावधान रहना चाहिए।
इस समय बच्चे, वृद्ध,गर्भवती महिला, एवं रोगी को यथानुकूल खाना अथवा दवा लेने में कोई दोष नहीं लगता है।