समीक्षा – स्पेशल ऑप्स: नीरज पांडे के शानदार डायरेक्शन में केके मेनन की अद्भुत अदाकारी।
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लाजवाब कहानी, थिलर, एक्शन, लोकेशन ।सब कुछ बेहतरीन।
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डिजिटल रिव्यू: स्पेशल ऑप्स (वेब सीरीज)
कलाकार: के के मेनन, करण टैकर, माहेर विज, मुजम्मिल इब्राहिम, विपुल गुप्ता, सज्जाद डेलाफ्रूज, विनय पाठक, रजत कौल, गौतमी कपूर और परमीत सेठी आदि।
निर्देशक: नीरज पांडे और शिवम नायर
ओटीटी: हॉट स्टार
रेटिंग: 4/5…
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कोरोना वायरस की वजह से अगर अभी आप लोग अपने घरों में हैं, तो काफी अच्छी बात है. इस समय घर में रहना सभी के लिए अच्छा है और इस खाली समय में अपनी मन पसंद चीजें कर सकते हैं. इन दिनों हॉटस्टार पर एक नई वेब सीरीज आई है, जिसका नाम है स्पेशल ऑप्स. अगर आप सोच कुछ देखने के बारे में सोच रहे हैं तो ये सीरीज एक अच्छा ऑप्शन है. पिछले कुछ समय में आई हिंदी वेब सीरीज में ये एक खास है. इसे नीरज पांडे ने डायरेक्ट किया है और केके मेनन इसमें मुख्य किरदार में हैं. मेंने यह सीरीज देख ली है और ये है 


मेंरा रिव्यू:
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यह है जासूसी फिल्मों के मास्टर नीरज पांडे की स्पेशल ऑप्स। इस सीरीज को देखते हुए आपको देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का अक्स सीरीज के मुख्य किरदार हिम्मत सिंह में नजर आ सकता है। और, अगर ऐसा होता है तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है।

स्पेशल ऑप्स के आठ एपीसोड का नामकरण और विस्तार नीरज ने इन्हीं की थीम पर किया है। कहानी, निर्देशन, अभिनय, संगीत और तकनीकी पक्ष, इन पांचों कसौटियों पर ये बिल्कुल खरी उतरती है।

दिल्ली में संसद भवन पर हुए हमले शुरू होने वाली यह वेब सीरीज किसी छठे आतंकवादी की तलाश में है जिसके वजूद को सारी दूसरी सरकारी एजेंसियां नकार चुकी हैं। केवल हिम्मत सिंह के अलावा।

फिर .9 वर्ष बाद सामने आती है हिम्मत सिंह की चुन चुनकर तैयार की हुई युवा एजेंटों की एक टोली, जिसका लीडर फारुख समझ आता है। फारुख का किरदार कर रहे करण टैकर के कुछ प्रभावशाली सीन इस ट्रेलर की जान हैं। इसके अलावा अविनाश बने मुजम्मिल इब्राहिम, बाला बने विपुल गुप्ता, रुहानी बनीं मेहेर विज और जूही बनीं सैयामि खेर सब इस ट्रेलर में अपने किरदार और अपने विस्तार को थोड़ा और स्पष्ट करते नजर आते हैं।

स्पेशल ऑप्स की कहानी है रॉ एजेंट हिम्मत सिंह की जिसके बारे में शो की शुरुआत में ही पता चल जाता है कि ये शख्स कराची में भी महीनों रह चुका है। इस पर इल्जाम ये है कि इसने देश के खजाने के .8 करोड़ रुपये खर्च कर दिए हैं और इसका हिसाब इसके पास नहीं है। वह कहता भी है, ‘जब हिसाब रखना न आता हो तो हिसाब देना बहुत मुश्किल हो जाता है।’ उसके खिलाफ जांच बैठी है और जांच समिति के सामने वह इन खर्चों को गिनाने के क्रम में अपने ऑपरेशन की कहानी सुनाता है, ये कहानी ही स्पेशल ऑप्स का विस्तार है।
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यह हैं कहानी “स्पेशल ops” की—

सीरीज में स्पेशल इंटेलिजेंस की कहानी को दिखाया गया है, एक आदमी है जो भारतीय खुफिया एजेंसी, RAW में काम करता है. वो साल 2.01 में संसद में जो अटैक हुआ था, उसके गुनहगार को पकड़ना चाहता है और उसके चक्कर में 19 साल तक काम में लगा रहता है. इसके लिए दुनियाभर में उसने अपने एजेंट्स बिछाए हुए हैं. केके मेनन मुख्य किरदार में हैं और उसी RAW एजेंट का किरदार निभा रहे हैं.

अभिनय के लिहाज से के के मेनन ने कमाल की एक्टिंग की है। देश के दुश्मनों को तलाशते एक रॉ एजेंट की कैसे अपनी बेटी से उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछताछ करते बोलती बंद हो जाती है, देखने लायक है। या फिर, अपनी पत्नी से उसके अंतरंग क्षणों के दृश्य भी खासे प्रभावशाली बन पड़े हैं। अजमल कसाब के उसकी शिष्टता की तारीफ करते ही कैसे वह तुरंत खालिस पुलिसिया भाषा में उससे बात करता है, वह भी देखने लायक है।

रॉ एजेंट बने करण टैकर ने इस सीरीज से मनोरंजन की दुनिया में शानदार वापसी की है। उनके किरदार को जमने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन जमता है तो फिर मामला जमा देता है। विनय पाठक ने दिल्ली पुलिस के दरोगा अब्बास शेख के किरदार में शानदार काम किया है। हिम्मत सिंह के पीछे लगी केंद्रीय मंत्री को उनके घर जाकर कायदे से समझाने वाला बहुत ही बहुत प्रभावशाली है। मुजम्मिल इब्राहिम, विपुल गुप्ता और सज्जाद डेलाफ्रूज ने भी सीरीज को प्रभावशाली बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कहानी देश और विदेश में समानांतर चलती है। विदेश में तमाम अलग अलग लोकेशन्स पर फिल्माए गए सीरीज के दृश्य बहुत ही भव्य स्तर पर शूट किए गए हैं। एक्शन दृश्य तो लाजवाब हैं हीं, सुधीर पलसाने और अरविंद सिंह की सिनेमैटोग्राफी सीरीज को बड़े परदे पर देखने के लिए ललचाती है। सीरीज की पटकथा के साथ साथ प्रवीण काठीकुलोठ की एडीटिंग सारे एपिसोड एक के बाद एक देखने के लिए रोके रहती है। फाल्गुनी ठाकोर के डिजाइन किए कपड़े किरदारों के हिसाब से बिल्कुल मुफीद हैं। अद्वैत का बैकग्राउंड म्यूजिक भी सस्पेंस बनाए रखने में बहुत मदद करता है। स्पेशल ऑप्स बिंज वाचिंग यानी कि पूरी सीरीज को एक साथ देखने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है।

सीरीज की पूरी कहानी उस एक शख्स को ढूंढने में ही बीत जाती है. एक एजेंट को कितनी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, कैसे एजेंट्स को इनपुट प्रोवाइड करने पड़ते हैं. ये सब इस सीरीज में है. साथ ही साथ आपको 2001 से 2019 तक के बड़े आतंकी हमले के बारे में जानने को मिलता है. फिर चाहे 2008 में मुंबई अटैक हो, अजमल कसाब की एंट्री हो. एक मजे की बात ये है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वो भाषण भी दिखाया गया है, जिसमें उन्होंने नोटबंदी का ऐलान किया था.
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इस वेब सीरीज में  दमदार क्या है?

इस सीरीज की सबसे दमदार बात है, इसका डायरेक्शन. बेबी, हॉलीडे, अ वेडनेसडे जैसी फिल्में बनाने वाले नीरज पांडे ने सीरीज बनाने के तरीके को सबसे सही से पकड़ा है. उन्हें पता था कि उनके पास 8 घंटे हैं और एक-एक करके परतें खोलनी हैं. इसलिए कई जगह कुछ बातें आपको तभी पता लगती हैं जब डायरेक्टर आपको बताना चाहता है. आप प्रीडिक्ट करना चाहते हैं लेकिन नहीं कर पाते हैं.
दूसरी सबसे शानदार बात है खुद केके मेनन एक रॉ अफसर के किरदार में. पूछताछ के सीन, रॉ वाला रौब, प्लानिंग, डायलॉग और बीच-बीच में दिल्ली वाली गालियां केके मेनन ने इस किरदार में पूरी जान डाली है. उनके अलावा विनय पाठक से आप जैसी उम्मीद करते हैं, वो अपने नाम और काम पर पूरी तरह से खरे उतरे हैं।

कहानी का मूल सूत्र ये है कि संसद पर हुए आतंकी हमले में हिम्मत सिंह को एक छठे आतंकी के होने का विश्वास है और उसकी खोज में वह पिछले 19 साल से लगा हुआ है। सीरीज की रिसर्च पर भी काफी मेहनत की गई दिखती है। संसद पर हमले का दृश्य दिखाते हुए असल घटना की तरह यहां भी एक महिला कांस्टेबल शहीद होती दिखाई जाती है। दुबई में बैठे लोगों के रिश्ते हिंदी सिनेमा के शाहरुख और एक बड़ी हीरोइन से बताए जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के एलान को भारत में रात के आठ बजे के हिसाब से दुबई में शाम 6..0 बजे ही दिखाया जाता है।

अभिनय के लिहाज से के के मेनन ने कमाल की एक्टिंग की है। देश के दुश्मनों को तलाशते एक रॉ एजेंट की कैसे अपनी बेटी से उसके बॉयफ्रेंड के बारे में पूछताछ करते बोलती बंद हो जाती है, देखने लायक है। या फिर, अपनी पत्नी से उसके अंतरंग क्षणों के दृश्य भी खासे प्रभावशाली बन पड़े हैं। अजमल कसाब के उसकी शिष्टता की तारीफ करते ही कैसे वह तुरंत खालिस पुलिसिया भाषा में उससे बात करता है, वह भी देखने लायक है।

रॉ एजेंट बने करण टैकर ने इस सीरीज से मनोरंजन की दुनिया में शानदार वापसी की है। उनके किरदार को जमने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन जमता है तो फिर मामला जमा देता है। विनय पाठक ने दिल्ली पुलिस के दरोगा अब्बास शेख के किरदार में शानदार काम किया है। हिम्मत सिंह के पीछे लगी केंद्रीय मंत्री को उनके घर जाकर कायदे से समझाने वाला बहुत ही बहुत प्रभावशाली है। मुजम्मिल इब्राहिम, विपुल गुप्ता और सज्जाद डेलाफ्रूज ने भी सीरीज को प्रभावशाली बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

कहानी देश और विदेश में समानांतर चलती है। विदेश में तमाम अलग अलग लोकेशन्स पर फिल्माए गए सीरीज के दृश्य बहुत ही भव्य स्तर पर शूट किए गए हैं। एक्शन दृश्य तो लाजवाब हैं हीं, सुधीर पलसाने और अरविंद सिंह की सिनेमैटोग्राफी सीरीज को बड़े परदे पर देखने के लिए ललचाती है। सीरीज की पटकथा के साथ साथ प्रवीण काठीकुलोठ की एडीटिंग सारे एपिसोड एक के बाद एक देखने के लिए रोके रहती है। फाल्गुनी ठाकोर के डिजाइन किए कपड़े किरदारों के हिसाब से बिल्कुल मुफीद हैं। अद्वैत का बैकग्राउंड म्यूजिक भी सस्पेंस बनाए रखने में बहुत मदद करता है। स्पेशल ऑप्स बिंज वाचिंग यानी कि पूरी सीरीज को एक साथ देखने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है।

साथ ही करण टैकर का एक एजेंट के रूप में काम शानदार है. सीरीज में उनके लुक्स आपको दीवाना बना देंगे. इनके अलावा दिव्या दत्ता, आदित्य सावंत, महर विज, सना खान भी आपको सीरीज में नजर आएंगे।

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