केतू —केतु का जीवन पर क्या प्रभाव ?। 
केतू क्यों रहस्यमई है 
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केतु के बुरे असर को कम करते हैं ये 8 आसान उपाय —

अनुभव आया है कि राहू हमारा पूर्व जन्म का हिसाब लेकर आता है । तीसरे छटे ग्यारवें घर का राहू शुभ फल दायक होता है ओर कन्या या मिथुन का हो ओर जादा शुभ फल देता है । राहू अगर शुभ हो तो केतू अच्छा नहीं होता । 

इसी तरह से चौथे या दसवें राहु धन सम्पदा प्रतिष्ठा तो देता है पर अप्राकृतिक मृत्यु भी देता है । राहू जब छठे हो तो केतु बारवें होकर मनुष्य विरक्त होकर ईश्वर ,मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर निकलता है । कई विद्वान ये भी कहते हैं कि ये जन्म उस जातक का मोक्ष का जन्म भी होता है । इनका कहीं भी मंगल से योग भयंकर संघर्ष ओर जीरो ओर हीरो की स्थिति जरूर देता है । शनि का योग भी परिणामों को बदल देता है ।
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  केतु नवग्रहों में एक छाया ग्रह है सभी ग्रह अस्त और वक्री समय समय पर होते रहते है लेकिन राहु और केतु ये दो ऐसे ग्रह है जो न कभी अस्त होते न कभी मार्गी होते यह सदैव ही वक्री रहते है।केतु का अपना कोई धड न होने से इसका अपना कोई अस्तित्व नही है धड न होने से इसके पास इसकी सोचने समझने की शक्ति नही है यह जिस राशि में या जिन ग्रहो के साथ बैठा होगा उसके अधिपति के अनुसार फल देगा

।राहु और केतु कभी अकेले नही होते है यह दोनों एक दूसरे से सप्तम स्थान पर होते है जब भी केतु अकेला कुंडली में बैठता है तब राहु इसे पूरी तरह प्रभावित करता है लेकिन केतु यदि .. भाव में बैठता है तब बेहद शुभ फल देता है।।                         
                                              
                  
केतु की महादशा शुभ रहेगी या अशुभ रहेगी या सामान्य शुभ-अशुभ रहेगी यह सब कुंडली में केतु की ग्रहो से सम्बन्ध, भाव/राशि स्थिति आदि पर निर्भर करता है।केतु पर गुरु की 5वीं या 9वीं दृष्टि केतु को शुभ फल देने वाला बना देती है ऐसी स्थिति में केतु जिस भाव में होगा उस भाव संबंधी शुभ फल देगा।।   
                                                                                                    
जैसे:-केतु दसवे भाव में हो और गुरु दूसरे भाव में बैठकर अपनी 9वीं दृष्टि से केतु को देखेगा तो दसवे भाव में बैठने से केतु एक तो नोकरी या जो भी कार्य छेत्र होगा उसकी वृद्धि करेगा साथ ही धन भाव में बेठे गुरु से गुरु की 9वीं दृष्टि से प्राप्त दृष्टि के बल से धनधान्य की वृद्धि करेगा क्योंकि गुरु दूसरे भाव(धन भाव) में बैठकर केतु को प्रभावित कर रहा है।
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केतु की महादशा 7 साल के लिए जातक पर आती है।यदि केतु अपनी उच्च राशि या किसी शुभ बली राशि में या वर्गोत्तम हुआ तब अपनी महादशा में जातक को सुखद फल और राजयोग देगा।केन्द्रेश त्रिकोण सम्बन्ध से युति या दृष्टि सम्बन्ध बनाने से अपनी महादशा में निश्चित ही राजयोग देगा बशर्ते केन्द्रेश त्रिकोणेश ग्रह बली हो और अस्त न हो आदि तरह से कमजोर या अशुभ न हो।।                                                                                         
12वे भाव का केतु यदि भाग्येश के साथ सम्बन्ध बनाए और भाग्येश बलि हो और केतु भी अनुकूल हो तब जातक का भाग्य अपने जन्म शहर से बाहर जाकर उदय होता है।केतु की महादशा तब ओर बेहतरीन शुभ फल देती है जब केतु किसी कारक या योगकारक उच्च या स्वग्रही ग्रह के साथ हो।इस तरह अन्य तरह से केतु की स्थिति केतु महादशा के फलो को निश्चित कर देती है।।   
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केतु बलवान होकर जिस भाव में हो उस भाव के एक भाव आगे और पीछे के भाव में एक एक शुभ ग्रह हो मतलब बली केतु शुभ  कर्तरी योग से युक्त हो तब इसकी महादशा बहुत ही शानदार फल देगी।., 6, 11 या 5,9,12 में यह शुभ कर्तरी योग की स्थिति में हुआ तब राजयोग देगा ही देगा।।
 केतु खास करके जब नवम स्थान से संबंध बनाता है तो व्यक्ति के पीछे एक साया चलता है बहुत मुश्किल से उस साया से छुटकारा पाता है जीवन में और हरेक कार्य में रुकावट पैदा करता है।

केतु 42 वर्ष की उम्र में अपना प्रभाव दिखाता हैं।
केतू एक छाया है उन लोगों से बहुत अच्छे से जान सकते हैं जिनकी कुंडली में केतु नवम स्थान में बैठा है।
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केतु ठीक करने का उपाय—

रोज सुर्य अस्त के बाद अपने दांतो  को  साफ करने से  आपका केतु ठीक होगा. ( अगर  आपका केतु 8th house में है तो  उसके के लिए  तो बहुत अच्छा होगा )

केतु के बुरे असर को कम करते हैं ये 8 आसान उपाय —

ज्योतिष शास्त्र में केतु को पाप ग्रह माना गया है। इसके प्रभाव से
व्यक्ति के जीवन में कई संकट आते हैं। कुछ साधारण
उपाय कर केतु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। ये उपाय
इस प्रकार हैं-
1- दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को व्रत
रखें।
2- भैरवजी की उपासना करें। उन्हें केले के
पत्ते पर चावल का भोग लगाएं।
3- प्रतिदिन शाम को गाय के घी का दीपक
तुलसी के पौधे के सामने लगाएं।
4- हरा रुमाल सदैव अपने साथ में रखें।
5- तिल के लड्डू सुहागिनों को खिलाएं और तिल का दान करें।
6- कन्याओं को रविवार के दिन
मीठा दही और हलवा खिलाएं।
7- बरफी के चार टुकड़े बहते पानी में
बहाएं।
8- कृष्ण पक्ष में प्रतिदिन शाम को एक दोने में पके हुए चावल
लेकर उस पर मीठा दही व काले तिल डाल
कर दान करें। अगर दान न कर पाएं तो यह दोना पीपल
के नीचे रखकर केतु दोष शांति के लिए प्रार्थना करें।

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