जानिए कैसे करें वास्तु विज्ञान की सहायता द्वारा तनाव को दूर —-


प्रिय पाठकों/मित्रों, वास्तु दोष का  अर्थ हमेशा भिन्न भिन्न समस्याओं से घिरे रहना होता है ,घर मे तनाव और बिमारी के साथ बरकत की कमी भी वास्तु दोष से आती है । वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री बताते हैं कि आजकल कम जगह मे मकान बन रहे है ,ऐसी स्थिति मे वास्तु का पालन किया जाना सम्भव नही हो पा रहा हैं।
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वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री से जानिए वास्तुदोष निवारण के कुछ आसान/सरल प्रयोग–


आधुनिक परिवेश में अधिकांश स्त्री-पुरुष मानसिक तनाव से पीडित रहते है। मानसिक तनाव किसी भी आयु वर्ग के स्त्री-पुरुष को हो सकता है। पहले किशोर मानसिक तनाव की विकृति से सुरक्षित रहते थे, लेकिन उच्च शिक्षा पाने की गहरी चिंता में वे भी मानसिक तनाव से सुरक्षित नहीं रह पाते। मानसिक तनाव में स्त्री-पुरुष किसी गहरी चिंता में खोए रहते हैं। तनाव की इस विकृति के कारण उन्हें अपने भोजन, वस्त्र व दैनिक कार्यो के उत्तदरायित्व का कोई ज्ञान नहीं रहता।


जानिए मानसिक तनाव के कारण—-
कार्य-व्ववसाय, उच्च शिक्षा, जीवन में सबसे धनी बनने की आकांक्षा, उच्च पद पाने की प्रबल इच्छा, विभिन्न क्षेत्रों में असफलताओं के कारण मानसिक तनाव की उत्पत्ति होती है।
कुछ स्त्री-पुरुष अधिक संवेदशील व भावुक हाते है। ऐसे स्त्री-पुरुष छोटी-छोटी बातों पर इतने तनाव से घिरे जाते है कि उन्हें फिर अन्य किसी उत्तरदायित्व का ज्ञान नहीं रहता। मानसिक तनाव से शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत हानि होती है। मानसिक तनाव की अधिकता अनेक रोगों का शिकार बना सकती है। मानसिक तनाव के कारण अधिकतर स्त्री-पुरुष हदय रोग, उच्च रक्तचाप, शिरःशूल, अल्सर, मधुमेह रोग से पीड़ित होते है। मानसिक तनाव नवयुवतियों को योषापस्मार अर्थात हिस्टीरिया का शिकार बना देता है।


जानिए मानसिक तनाव के लक्षण :—-
मानसिक तनाव के कारण स्त्री-पुरुष के मस्तिष्क में गहरी निराशा जन्म लेती है। इन निराशाओं के कारण रोगी जीवन के सभी क्षेत्रों में असफल होता चला जाता है। किसी काम में उसकी रूचि नहीं रहती। जीवन का आनंद और उत्साह नहीं रह पाता। शारीरिक और मानसिक रूप से रोगी अधिक थकावट अनुभव करता है। किसी कार्य में सफलता की भावना ही उसके मस्तिष्क से नष्ट हो जाती है।


मानसिक तनाव की अधिकता रोगी को नपुंसकता का शिकार बना सकती है और किसी रोगीको आत्महत्या के लिए प्रेरित कर सकती है। मानसिक तनाव के कारण रोगी की रातों की नींद उड़ जाती हैं शारीरिक रूप से निर्बलता तीव्र गति से विकसित होती है। मानसिक तनाव के कारण युवावस्था में रोगी समय से पहले प्रौढ दिखाई देने लगात है। उसके चेहरे से खुशी ओर मुस्कान कोसों दूर चली जाती है। चेहरे की झुर्रिया व उसके सफेद बाल उसे अल्प आयु में प्रौढ़ बना देते है।


क्या खाएं?
* मानसिक तनाव से पीडित स्त्री-पुरुषों को गरिष्ठ खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
* दलिया, खिचड़ी आदि सुपाच्य भोजन का सेवन करना चाहिए।
* मानसिक तनाव को नष्ट करने के लिए रोगी को प्रातः सूर्योदय से पहले भ्रमण करने के लिए अवश्य जाना चाहिए।
* प्रातकाल स्वच्छ व शीतल वायु के वातावरण में भ्रमण करने से मानसिक तनाव नष्ट होता है।
* मानसिक तनाव के निवारण के लिए खूब जल पीना चाहिए।
* नदी में स्नान करने व तैरने से मानसिक तनाव नष्ट होता है।
* फल व हरी सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करना चाहिए।
* सब्जियों का सूप बनाकर सेवन करें।
* भोजन के साथ सुबह-शाम सलाद का अवश्य सेवन करें।
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वास्तु दोष मुक्ति वाले घर मै  तरक्की पर तरक्की करते चले जाना। तनाव का दूर होना, सुख समृद्धि की वर्षा  होते रहना। ऐसा घर या स्थान निश्चित रूप से मंदिर तुल्य ही माना  जाता है। हिन्दू शास्त्रों में से एक वास्तु शास्त्र के अनुसार घर बनवाते समय केवल डिजाइन या रंग ही नहीं, दिशाओं का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि गलत दिशाएं घर में वास्तु दोष उत्पन्न कर, घर की खुशियां छीन लेती हैं। इसलिए घर के मुख्य दरवाजे की दिशा से लेकर बेडरूम और रसोईघर-बाथरूम किस दिशा में हो इसका ध्यान रखें। सीढ़ियों एवं खिड़कियों की दिशा का सही होना भी बेहद आवश्यक है। 
               
जानिए वास्तु दोष से मुक्ति के कुछ सरल उपाय –
वास्तु शास्त्र की राय में भूखंड, यानी कि आपकी जमीन का वास्तु दोषों से मुक्त होना बेहद जरूरी है। भूखंड के आसपास भी कोई ऐसी वस्तु नहीं होनी चाहिए, जो नकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हो। ये चीजें घर को अशुभ प्रभाव देती हैं। 
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—- आप अपने भवन/घर/मकान  के सबसे उपरी हिस्से पर दक्षिण  की दिवार को सबसे ऊँचा रखें। यदि संभव न हो तो दक्षिण पश्चिम कोने में एक पाइप  लगाकर ऊँचा करें और उसमें सात रंगों वाला झंडा लगा दें। 
—–भूमि या कमरे के पूर्व उत्तर कोने  में किसी पात्र में 4 से 5  लीटर पानी रखें और रोज उसे बदलें इससे लक्ष्मी का आगमन बना रहेगा। 
—-लैट्रिन/शौचालय को कभी भी दक्षिण पश्चिम से उत्तर पश्चिम तक में निर्माण कराए किन्तु उसका टैंक उत्तर पश्चिम में ही करें। यदि निर्माण इससे भिन्न हो चुका है तो लैट्रिन/शौचालय के अन्दर किसी प्याली में ..0 ग्राम नमक ऐसी जगह रखें जो भिगे न और उसके दरवाजे पर दहाड़ते हुए शेर का चित्र चिपकादें । लैट्रिन/शौचालय का दरवाजा प्रायः बंद  ही रखा जाना हितकर होता है। 
—-पूर्व उत्तर दिशा और पूर्व दक्षिण दिशा हमेशा साफ सुथरा रखें और पूर्व दक्षिण के कोने में एक प्लेट रखें, उसमें फूल  की कुछ पंखुड़ी  बिखेर दें, उसके ऊपर उलटा करके एक गिलास रखें, गिलास के ऊपर सरसों तेल का दीपक जलाएं ऐसा लगातार 4. दिन सूर्य डूबने के बाद करें। इसका परिणाम आश्चर्यजनक ही दिखेगा। 
—तूलसी का पौधा स्वास्थ्य के लिए शुभ होता है। यदि कोई बहुमंजिली इमारत आपके सामने हो, तो फेंगशुई के अनुसार अष्ट कोणीय दर्पण, क्रिस्टल बाल तथा दिशा सूचक यंत्र लगा सकते हैं। बड़ा गोल आईना मकान की छत पर ऎसे लगाएं कि मकान की संपूर्ण छाया उसमें दिखाई देती रहे। 
—हल्दी को जल में घोलकर एक पान के पत्ते की सहायता से अपने सम्पूर्ण घर में छिडकाव करें. इससे घर में लक्ष्मी का वास तथा शांति भी बनी रहती है.
—किसी भी मकान  में सीढ़ी / जीना का निर्माण दक्षिण से पश्चिम की ओर जाते हुए ही शुभ माना  जाता है। जिने के नीचे  कोई कार्य नहीं होना चाहिए बल्कि वहां चीजें किसी डब्बे या कार्टून में करके रख दें। किसी कारण  ऐसा नहीं है तो अपने छत्त के ऊपर पूर्व उत्तर के कोने में एक  में तुलसी का पौधा लगादें और उसमें रोज सुबह जल डाला  करें। इसका परिणाम शांति समृधि में हाथों हाथ मिलेगा।
—-अपने घर में दीवारों पर सुन्दर, हरियाली से युक्त और मन को प्रसन्न करने वाले चित्र लगाएं. इससे घर के मुखिया को होने वाली मानसिक परेशानियों से निजात मिलती है.
—वास्तुदोष के कारण यदि घर में किसी सदस्य को रात में नींद नहीं आती या स्वभाव चिडचिडा रहता हो, तो उसे दक्षिण दिशा की तरफ सिर करके शयन कराएं. इससे उसके स्वभाव में बदलाव होगा और अनिद्रा की स्थिति में भी सुधार होगा.
—-अपने घर के ईशान कोण को साफ़ सुथरा और खुला रखें. इससे घर में शुभत्व की वृद्धि होती है
—-यदि आपके मकान  के अन्दर से  जल का निकास दक्षिण दीवार से होकर  है तो यह अफसोसजनक स्थिति है, इससे लक्ष्मी का नुक्सान होता ही रहेगा किन्तु लक्ष्मी को प्रसन्न करने का भी उपाय हो तो चिन्ता  करने की आवश्यकता नहीं होती। इसके लिए सायं को पहली रोटी गाय  को खिलाएं और आखरी रोटी कुत्ते को दें। माह में 6 बार भी ऐसा करते है तो लक्ष्मी प्रसन्न रहती ही हैं।
—-पति-पत्नी में प्रेम के लिए प्रेमी परिंदे का चित्र या मेडरिन बतख का जोड़ा रखें अथवा सपरिवार प्रसन्नचित मुद्रा वाला चित्र लगाएं। डायनिंग टेबल को प्रतिबिंबित करने वाला आईना आपके सद्भाव व भाग्य में वृद्धि करता है, इसे लगाएं।


  वास्तुविद पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि   वास्तु के सम्बन्ध मे हमारे पूर्वजो ने बहुत सा ज्ञान दिया है, और हम भी उनकी परम्पराओ और दिए ज्ञान अनुसार वास्तु दोष का निराकरण करते आ रहे है , पर वास्तु का रहस्य इतना कठिन है की हम हर पल कुछ नया ही सीखते जा रहे है ,पर अनुभव बढ़ता ही जाता है । 


वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कभी कभी वास्तु आपकी जन्म पत्रिका के दोष ,पारिवारिक स्थिति, घर के सदस्यों के प्रति आपका व्यवहार पर भी निर्भर करता है, जैसे आप पर किसी नकारात्मक ग्रह की दशा चल रही है और वो ग्रह आपके चतुर्थ भाव मे है तो घर मे तनाव होना सम्भव होता है । वैसे ही जब आप घर मे आते ही ऑफिस या दूकान का गुस्सा घर मे उतारते हो तो भी दोष लगता है। आप एक बात जान लीजिये की घर जितना साफ़ हो, उससे ज्यादा शांत होना जरूरी है, कई घरो मे सुबह से झगड़ा शुरू हो जाता है । 


  वर्तमान में  अक्सर घरो मे अंहकार के कारण तनाव बढ़ता है, पति पत्नी दोनों जॉब करते है, दोनों कमा रहे है, पर ज्यादा कमाई मेरी और मै घर का मालिक बस इतनी सी बात और हो जाता हैं झगड़ा/टेंशन/तनाव शुरू।


  वास्तुशास्त्री पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि  जब आप अपने माँ पिता ,बुजुर्गो की घर मे इज्जत नही करते, बहन बुआ और स्त्री का अपमान करते हैं तो उनकी आह या टीस या दुःख से जो घर मे नकारात्मक शक्ति उत्पन्न होती है वो भी दोष करती है ।   
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बस इतना ध्यान रखे की वास्तु दोष दूर करने हेतु जितना आप प्रयास कर रहे हो, उसके साथ ही घर के सदस्यों के सम्मान और प्यार की फ़िक्र भी करो, वास्तु हेतु कोई यन्त्र, मन्त्र और फेंगशुई के आइटम के साथ परिवार के सदस्यों की भावनाओ को समझ लेंगे तो घर स्वर्ग बन जायगा,और तनाव कोसो दूर भाग जायगा।सबसे आसान उपाय तुलसी के पौधे का बताया गया है, जिसके अनुसार घर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों ओर तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। तुलसी पवित्र पौधा है, इसके होने से नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है।
—-अपने घर के मेनडोर पर कोई पवित्र चिह्न जैसे स्वास्तिक, ऊं, तोलन, गणेश-लक्ष्मी, हनुमान जी की मूर्ति टांगे। 
— घर के मेन डोर पर ऐसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए जो आपके शरीर को टच करती हो। 
— हो सके तो घर के मुख्य द्वार पर नीबू-मिर्च बांध दे। 
— घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में, उत्तर दिशा में या पश्चिम दिशा में ही होना चाहिए। 
— भूलकर भी घर का मेन डोर साउथ यानी दक्षिण दिशा की ओर ना रखें। 
— घर के मेन डोर पर सोमवार को रूद्दाक्ष की माला टांग दे। 
—हमेशा अपने पलंग के सिरहाने लाल रंग का वस्त्र रखें। 
—कभी भी घर में पूरा अंधेरा ना रखें। 
—शाम के वक्त कभी भी घर में झाड़ू ना लगायें और अगर लगायें तो कूड़ा घर के बाहर ना फेंके। 
—- हमेशा अपने वर्किंग टेबल के पास भरा हुआ पानी का जग या गिलास रखें।


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यदि आप उपरोक्त प्रयोग/उपाय किसी अनुभवी और योग्य वास्तुशास्त्री के मार्ग दर्शन के मार्ग दर्शन में संपन्न करेंगें तो उचित रहेगा।।


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शुभम भवतु….कल्याण हो…


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