होलिका दहन …7 


होली है भई होली है, मस्तानों की टोली है, कोई रंगों में सराबोर है, किसी की भीगी चोली है। 
अपनी खुशी, अपनी मस्ती और अपने उत्साह, उमंग को पिचकारी से छोड़ता हुआ सबको अपने रंग में रंगने को आतुर होली का त्यौहार सर पर आन खड़ा है।


प्रिय पाठकों/मित्रों, हमारे देश भारत में वैसे तो हर त्यौहार का अपना एक रंग होता है जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि असल रंगों का भी एक त्यौहार पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के मानने वाले मनाते हैं। यह है होली का त्यौहार इसमें एक और रंगों के माध्यम से संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस एक रंग के हो जाते हैं वहीं दूसरी और धार्मिक रूप से भी होली बहुत महत्वपूर्ण हैं।होली, इस त्यौहार का नाम सुनते ही अनेक रंग हमारी आंखों के सामने फैलने लगते हैं। हम खुदको भी विभिन्न रंगों में पुता हुआ महसूस करते हैं। लेकिन इस रंगीली होली को तो असल में धुलंडी कहा जाता है। होली तो असल में होलीका दहन का उत्सव है जिसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान के प्रति हमारी आस्था को मजबूत बनाने व हमें आध्यात्मिकता की और उन्मुख होने की प्रेरणा देता है।


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार, होलिका दहन, जिसे होलिका दीपक और छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, को सूर्यास्त के पश्चात प्रदोष के समय, जब पूर्णिमा तिथि व्याप्त हो, करना चाहिये। भद्रा, जो पूर्णिमा तिथि के पूर्वाद्ध में व्याप्त होती है, के समय होलिका पूजा और होलिका दहन नहीं करना चाहिये। सभी शुभ कार्य भद्रा में वर्जित हैं।होलिका दहन से एक माह पूर्व अर्थात् माघ पूर्णिमा को ‘एरंड’ या गूलर वृक्ष की टहनी को गाँव के बाहर किसी स्थान पर गाड़ दिया जाता है, और उस पर लकड़ियाँ, सूखे उपले, खर-पतवार आदि चारों से एकत्र किया जाता है और फाल्गुन पूर्णिमा की रात या सायंकाल इसे जलाया जाता है। परंपरा के अनुसार सभी लोग अलाव के चारों ओर एकत्रित होते हैं। इसी अलाव को होली कहा जाता है। होली की अग्नि में सूखी पत्तियाँ, टहनियाँ, व सूखी लकड़ियाँ डाली जाती हैं, तथा लोग इसी अग्नि के चारों ओर नृत्य व संगीत का आनन्द लेते हैं। बसंतागमन के लोकप्रिय गीत भक्त प्रहलाद की रक्षा की स्मृति में गाये जाते हैं तथा उसकी क्रूर बुआ होलिका की भी याद दिलाते हैं।


होलिका दहन के मुहूर्त के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिये —-


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा का अभाव हो परन्तु भद्रा मध्य रात्रि से पहले ही समाप्त हो जाए तो प्रदोष के पश्चात जब भद्रा समाप्त हो तब होलिका दहन करना चाहिये। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक व्याप्त हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूँछ के दौरान होलिका दहन किया जा सकता है। परन्तु भद्रा मुख में होलिका दहन कदाचित नहीं करना चाहिये। धर्मसिन्धु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार भद्रा मुख में किया होली दहन अनिष्ट का स्वागत करने के जैसा है जिसका परिणाम न केवल दहन करने वाले को बल्कि शहर और देशवासियों को भी भुगतना पड़ सकता है। किसी-किसी साल भद्रा पूँछ प्रदोष के बाद और मध्य रात्रि के बीच व्याप्त ही नहीं होती तो ऐसी स्थिति में प्रदोष के समय होलिका दहन किया जा सकता है। कभी दुर्लभ स्थिति में यदि प्रदोष और भद्रा पूँछ दोनों में ही होलिका दहन सम्भव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।


होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है। यदि किसी अन्य त्यौहार की पूजा उपयुक्त समय पर न की जाये तो मात्र पूजा के लाभ से वञ्चित होना पड़ेगा परन्तु होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है।


फाल्गुन पूर्णिमा 12 मार्च के प्रदोष काल में होलिका दहन करने का विधान रहेगा. 12 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा उदय व्यापिनी है. 12 तारिख को भद्रा पूंछ- 04:21 से 05:.3 और भद्रा मुख- 05:33 से 07:30 का समय रहेग आत: होलिका दहन के लिए 18:27 से 20:25 को शुभ बेला में होलिका-दहन किया जा सकता है. अत: शास्त्रोक्त मतानुसार 12 मार्च को ही होलिका दहन करना शास्त्रसम्मत होगा.


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की रंगवाली होली, जिसे धुलण्डी के नाम से भी जाना जाता है, होलिका दहन के पश्चात ही मनायी जाती है और इसी दिन को होली खेलने के लिये मुख्य दिन माना जाता है।घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिये महिलाएं इस दिन होली की पूजा करती हैं। होलिका दहन के लिये लगभग एक महीने पहले से तैयारियां शुरु कर दी जाती हैं। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है।


12 मार्च 2017
होलिका दहन मुहूर्त- 18:23 से 20:23
भद्रा पूंछ- 04:11 से 05:23
भद्रा मुख- 05:23 से 07:23 


रंगवाली होली- 13 मार्च 2017
पूर्णिमा तिथि आरंभ- 20:23 (11 मार्च)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 20:23 (12 मार्च)
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Holika Dahan Muhurta = 18:30 to 20:53 (DST)
Duration = 2 Hours 22 Mins
Bhadra Punchha = on 12th, March 23:45 to 01:04
Bhadra Mukha = 01:04 to 03:15


Rangwali Holi on 13th, March



Purnima Tithi Begins = 15:12 on 12/Mar/2017


Purnima Tithi Ends = 17:30 on 13/Mar/2017



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होलिका दहन का शास्त्रोक्त नियम—-


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक होलाष्टक माना जाता है, जिसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पूर्णिमा के दिन होलिका-दहन किया जाता है। इसके लिए मुख्यतः दो नियम ध्यान में रखने चाहिए –
1.   पहला, उस दिन “भद्रा” न हो। भद्रा का ही एक दूसरा नाम विष्टि करण भी है, जो कि 11 करणों में से एक है। एक करण तिथि के आधे भाग के बराबर होता है।
2.   दूसरा, पूर्णिमा प्रदोषकाल-व्यापिनी होनी चाहिए। सरल शब्दों में कहें तो उस दिन सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्तों में पूर्णिमा तिथि होनी चाहिए।


होलिका दहन (जिसे छोटी होली भी कहते हैं) के अगले दिन पूर्ण हर्षोल्लास के साथ रंग खेलने का विधान है और अबीर-गुलाल आदि एक-दूसरे को लगाकर व गले मिलकर इस पर्व को मनाया जाता है।


होलिका दहन की पौराणिक कथा—–


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की पुराणों के अनुसार दानवराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा की उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं भजता, तो वह क्रुद्ध हो उठा और अंततः उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुँचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत — होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।


होलिका दहन का इतिहास—-


होली का वर्णन बहुत पहले से हमें देखने को मिलता है। प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी में 16वीं शताब्दी का चित्र मिला है जिसमें होली के पर्व को उकेरा गया है। ऐसे ही विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में मिले एक ईसा से 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी इसका उल्लेख मिलता है। कुछ लोग मानते हैं कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी ख़ुशी में गोपियों ने उनके साथ होली खेली थी।
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जानिए कब करें होली का दहन—-


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की हिन्दू धर्मग्रंथों एवं रीतियों के अनुसार होलिका दहन पूर्णमासी तिथि में प्रदोष काल के दौरान करना बताया है। भद्रा रहित, प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि, होलिका दहन के लिये उत्तम मानी जाती है। यदि ऐसा योग नहीं बैठ रहा हो तो भद्रा समाप्त होने पर होलिका दहन किया जा सकता है। यदि भद्रा मध्य रात्रि तक हो तो ऐसी परिस्थिति में भद्रा पूंछ के दौरान होलिका दहन करने का विधान है। लेकिन भद्रा मुख में किसी भी सूरत में होलिका दहन नहीं किया जाता। धर्मसिंधु में भी इस मान्यता का समर्थन किया गया है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा मुख में होली दहन से न केवल दहन करने वाले का अहित होता है बल्कि यह पूरे गांव, शहर और देशवासियों के लिये भी अनिष्टकारी होता है। विशेष परिस्थितियों में यदि प्रदोष और भद्रा पूंछ दोनों में ही होलिका दहन संभव न हो तो प्रदोष के पश्चात होलिका दहन करना चाहिये।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले और मध्य रात्रि के पश्चात व्याप्त हो तो उसे होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता है।


होलाष्टक—


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होलिका दहन से आठ दिन पूर्व होलाष्टक लग जाता है इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को नहीं किया जाता ना ही कोई धार्मिक संस्कार किया जाता है। यहां तक कि अंतिम संस्कार के लिये भी शांति पूजन करना आवश्यक होता है। 16 मार्च 2017 से होलाष्टक लगेगा।होलाष्टक में कोई भी नया शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इन आठ दिनों में मांगलिक कार्य, गृह निर्माण और गृह प्रवेश आदि के सभी कार्यों पर रोक रहेगी। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होलाष्टक के आठ दिनों में किए गए शुभ कार्य अशुभ फल देते हैं इसलिए इन दिनों कोई भी नया कार्य शास्त्र सम्मत नहीं माना जाता है। होलाष्टक संबंधी पौराणिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दिन से सर्दियों के दिन कम होने लगते है और मौसम की बदलाव आना प्रारंभ हो जाता है। दिन में अच्छी-खासी गर्मी का अहसास होने लगता है।  


होलिका दहन का शुभ मुहूर्त—


माना जाता है कि होलिका दहन अशुभ मुहूर्त में होने पर उस गांव और समाज पर बुरा प्रभाव पडता। गांव और समाज की खुशहाली की भविष्यवाणी भी होलिका की अग्नि से की जाती है।पूर्णमासी के पहले आधे काल में भद्र काल चल रहा होता है तथा इस दौरान किसी भी प्रकार के शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की भद्राकाल में होलिका दहन करने से गांव समाज को हानि उठानी प़डती है। इसलिए भद्राकाल को छोडकर होलिका दहन किया जाता है।  सुख शांति और खुशहाली के लिए होलिका की पूजा के लिए पारंपरिक नियम इस तरह से हैं। पूजा करने वाले श्रद्घालुओं को पूजा आरंभ करने से पूर्व होलिका के पास जाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए। 


होलिका दहन तिथि – 12 मार्च 2017
होलिका दहन मुहूर्त – 18:23 से 20:23
भद्रा पूंछ – 04:11 से 05:23
भद्रा मुख – 05:23 से 07:23
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 20:23 बजे (11 मार्च 2017)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 20:23 बजे (12 मार्च 2017) 
रंगवाली होली – 13 मार्च 2017
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ऐसे करें होली की पूजा (विधि)—-


होलिका दहन से पहले होली का पूजन किया जाता है। पूजा सामग्री में एक लोटा गंगाजल यदि उपलब्ध न हो तो ताजा जल भी लिया जा सकता है, रोली, माला, रंगीन अक्षत, गंध के लिये धूप या अगरबत्ती, पुष्प, गुड़, कच्चे सूत का धागा, साबूत हल्दी, मूंग, बताशे, नारियल एवं नई फसल के अनाज गेंहू की बालियां, पके चने आदि।


होलिका पूजन के समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए—


अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः 
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्‌


इस मंत्र का उच्चारण एक माला, तीन माला या फिर पांच माला विषम संख्या के रुप में करना चाहिए.


पूजा सामग्री के साथ होलिका के पास गोबर से बनी ढाल भी रखी जाती है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं अलग से रख ली जाती हैं। जो मौली, फूल, गुलाल, ढाल और खिलौनों से बनाई जाती हैं। इसमें एक माला पितरों के नाम की, दूसरी श्री हनुमान जी के लिये, तीसरी शीतला माता, और चौथी घर परिवार के नाम की रखी जाती है। इसके पश्चात पूरी श्रद्धा से होली के चारों और परिक्रमा करते हुए कच्चे सूत के धागे को लपेटा जाता है। होलिका की परिक्रमा तीन या सात बार की जाती है। इसके बाद शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक एक कर होलिका को अर्पित किया जाता है। पंचोपचार विधि से होली का पूजन कर जल से अर्घ्य दिया जाता है। होलिका दहन के बाद होलिका में कच्चे आम, नारियल, सतनाज, चीनी के खिलौने, नई फसल इत्यादि की आहुति दी जाती है। सतनाज में गेहूं, उड़द, मूंग, चना, चावल जौ और मसूर मिश्रित करके इसकी आहुति दी जाती है।


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की नारद पुराण के अनुसार होलिका दहन के अगले दिन (रंग वाली होली के दिन) प्रात: काल उठकर आवश्यक नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पितरों और देवताओं के लिए तर्पण-पूजन करना चाहिए। साथ ही सभी दोषों की शांति के लिए होलिका की विभूति की वंदना कर उसे अपने शरीर में लगाना चाहिए। घर के आंगन को गोबर से लीपकर उसमें एक चौकोर मण्डल बनाना चाहिए और उसे रंगीन अक्षतों से अलंकृत कर उसमें पूजा-अर्चना करनी चाहिए। ऐसा करने से आयु की वृ्द्धि, आरोग्य की प्राप्ति तथा समस्त इच्छाओं की पूर्ति होती है। 


सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनाई गई होली में अग्नि प्रज्ज्वलित की जाती है। अंत में सभी पुरुष कुँकू का टीका लगाते है और महिलाएँ होली के गीत गाती है। इस दिन घर के बुजुर्गों के चरण छूकर मंगलमय जीवन का आशीर्वाद लिया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार होली की बची हुई अग्नि और राख को अगले दिन सुबह घर में लाने से घर का और परिवार के सभी सदस्यों का अशुभ शक्तियों से बचाव होता है।  


सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका में अग्नि प्रज्जवलित कर दी जाती है. इसमें अग्नि प्रज्जवलित होते ही डंडे को बाहर निकाल लिया जाता है. सार्वजनिक होली से अग्नि लाकर घर में बनाई गई होली में अग्नि प्रज्जवलित की जाती है. अंत में सभी पुरुष रोली का टीका लगाते है, तथा महिलाएं गीत गाती है. तथा बडों का आशिर्वाद लिया जाता है |इस अग्नि में सेंक कर लाये गये धान्यों को खाने से निरोगी रहने की मान्यता है|
ऎसा माना जाता है कि होली की बची हुई अग्नि और राख को अगले दिन प्रात: घर में लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है. तथा इस राख का शरीर पर लेपन भी किया जाता है |


राख का लेपन करते समय निम्न मंत्र का जाप करना कल्याणकारी रहता है—


वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रम्हणा शंकरेण च । 
अतस्त्वं पाहि माँ देवी! भूति भूतिप्रदा भव ॥
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इस पृष्ठ पर दिया मुहूर्त धर्म-शास्त्रों के अनुसार निर्धारित है। हम होलिका दहन के श्रेष्ठ मुहूर्त को प्रदान कराते हैं। इस पृष्ठ पर दिया मुहूर्त हमेशा भद्रा मुख का त्याग करके निर्धारित होता है क्योंकि भद्रा मुख में होलिका दहन सर्वसम्मति से वर्जित है। होलिका दहन के साथ-साथ इस पृष्ठ पर भद्रा मुख और भद्रा पूँछ का समय भी दिया गया है जिससे भद्रा मुख में होलिका दहन से बचा जा सके। यदि भद्रा पूँछ प्रदोष से पहले और मध्य रात्रि के पश्चात व्याप्त हो तो उसे होलिका दहन के लिये नहीं लिया जा सकता क्योंकि होलिका दहन का मुहूर्त सूर्यास्त और मध्य रात्रि के बीच ही निर्धारित किया जाता है।
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जानिए आपकी राशि और उसके अनुरूप रंग  —
(जानिए आपकी राशि अनुसार किस रंग से खेलें होली)–


प्रिय पाठकों/मित्रों, इस वर्ष 13 मार्च 2017 को गली-महोल्लों से लेकर गांव-शहर तक विभिन्न चेहरे विभिन्न रंगों में एक दूसरे को रंग लताते, भीगते-भिगोते नजर आयेंगें। ऐसे में यदि इस त्यौहार को आप अपनी सूर्य राशि के अनुसार रंगों का प्रयोग करेंगें तो यकीन मानिये आपकी खुशियां और भी अधिक बढ जायेंगी। तो ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री से जानते हैं किसी राशि पर कौनसा रंग चढ़ने से भविष्य होगा रंगीन।


मेष:  ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की इस राशि के जातक उत्साही होते हैं। इस बार होली के पर्व पर यदि आप लाल और गुलाबी रंग का इस्तेमाल करेंगें तो यह आपके लिये काफी भाग्यशाली रहेगा। क्योंकि ये रंग साहस, विश्वास और प्यार के रंग माने जाते हैं जो कि इस राशि के जातकों के विलक्षण भी हैं इसलिये इन रंगों से होली खेलना आपके लिये मंगलदायक रहेगा और आपमें निरंतर उत्साह और उर्जा का संचार रहेगा।


वृषभ: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की वृषभ जातकों के लिए यदि कोई रंग सबसे अधिक अनुकूल है तो वह है हल्का नीला और आसमानी रंग। यह रंग उनमे सहजता प्रदान करता है और उनके जीवन में स्थिरता और सौहार्द लेकर आता है।


मिथुन: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की मिथुन राशि के जातक इस होली पर हल्के हरे रंग से खेल सकते हैं। वैसे नारंगी व गुलाबी रंग भी इनके लिये सही रहेंगें। ये रंग इनमें रोमांच, उत्साह व उर्जा का संचार तो करेंगें ही साथ ही समृद्धि लाने वाले भी साबित होंगें। इस रंग के प्रभाव से आप अपने प्रियजनों और मित्रों के साथ सुखमय और उत्साहपूर्ण त्यौहार का आनंद लेंगे।


कर्क: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की कर्क राशि के जातक भावुक होते हैं इसलिये इन्हें हल्का नीला, चांदी और सफ़ेद रंग से होली का त्यौहार मनाना चाहिये। इससे इन्हें शांति और धीरज तो मिलेगा ही साथ ही इनके चंचल स्वभाव को सफेद रंग काबू में रख संयमी बनायेगा और आपका त्यौहार काफी अच्छे से मनेगा।


सिंह: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की सिंह जातक काफी उर्जावान होते हैं, इनकी प्रचडंता को काबू में रखने के लिये महरुम रंग कारगर होगा। इसके अलावा सुनहरा और तांबा रंग भी इस अग्नि राशि के लिए अनुकूल हैं। इन रंगों के प्रभाव से आपके जीवन में सुखसाधन और संपन्नता आयेगी। साथ ही आपके गतिशील व्यक्तित्व से भी इन रंगों की चमक दमक मेल खाती है।


कन्या: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की आपके लिये गहरा हरा रंग काफी शुभ रहेगा। इस रंग के प्रयोग से आप अपने अंदर एक नई स्फूर्ति एक नये जोश को महसूस करेंगें। यह रंग आपके स्वभाव को भी सौम्य बनायेगा जिससे आप इस जोशीले त्यौहार का खुशी के पूरे उन्माद से आनंद ले पायेंगें।


तुला:  ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया कीसफेद रंग के अलावा आप बैंगनी, भूरा और नीले रंग का इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने आपको धीर और संयमी बनाये रखने के लिये आप हल्के नीले रंग के वस्त्राभूषण धारण कर सकते हैं। इन रंगों के प्रभाव से आप अपने अंदर आश्चर्यजनक रुप से सुधार महसूस करेंगें।


वृश्चिक:  ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया कीगहरे लाल, मरून, और भूरे रंग से ही वृश्चिक रंग पर बेहतर प्रभाव रहेगा| उनमें से अधिक व्यक्तियों को गहरा लाल रंग चुनना चाहिए क्योंकि यह रंग उनके सशक्त व्यक्तित्व को उजागर करेगा| इस रंग को धारण कर होली पर्व पर कहीं भी जाएंगे तो बेहतर महसूस करेंगे|


धनु:  ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया कीपीला और संतरी रंग धनु राशि के जातकों के लिये बहुत अच्छा रहेगा इस होली पर क्योंकि इस राशि के जातक अति उत्साही होते हैं इसलिये यह रंग इनके लिये बहुत उपयोगी होंगें। इससे आपका स्वभाव खुशनुमा तो होगा ही साथ ही उसमें नम्रता का समावेश भी रहेगा।


मकर: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की इस राशि के जातक हल्के नीले व आसमानी रंगों का इस्तेमाल करें। इन रंगों के इस्तेमाल से आपमें सकारात्मक उर्जा का संचार होगा व व्यक्तित्व में स्थिरता भी आयेगी।


कुम्भ: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की इस राशि के जातक गहरे नीले रंग को काफी शुभ माना जाता है। कुम्भ जातक हमेशा कुछ न कुछ नया करने के प्रयास में रहते हैं। इसलिये यह इनमें उर्जा का संचार तो करेगा ही साथ ही व्यस्ता भरे जीवन में शांति व सुकून भी लेकर आयेगा। इस रंग में उपचारात्मक गुण भी मौजूद है जो कुम्भ जातकों के घर के वातावरण में सुधार लाता है|


मीन: ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की मीन राशि के जातकों के व्यक्तित्व में अक्सर चटकते-भड़कते रंग भावनात्मक रुप से अच्छा प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं। लेकिन पीले या हल्के पीले रंग के इस्तेमाल से इनमें अतिउत्साह व जोश का संचार होगा।


अधिक जानकारी के लिये आप ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री से परामर्श कर सकते हैं। 


इन बातों का भी रखें ध्यान—


सबसे पहले प्रात: उठकर भगवान विष्णु, भगवान श्री कृष्ण एवं अपने आराध्य देवों की लाल गुलाल और फूलों से पूजा करें।
आराध्य देवों की पूजा के बाद घर के बड़े-बुजूर्गों से आशीर्वाद लें।
पूजा अर्चना के बाद जरुरतमंदों को कुछ दान करें तो बहुत पुण्य मिलेगा।


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की सभी राशियों के जातक इस बात का विशेष ध्यान रखें कि होली प्राकृतिक रंगों से ही खेलें, प्रेमभाव से खेलें अन्यथा यह आपकी सेहत के लिये तो हानिकारक साबित होंगें ही साथ ही आपके संबंधों में भी सदियों के लिये खटास पैदा हो सकती है। और कहा भी जाता है कि प्यार के रंग से बढकर कोई रंग नहीं होता इसलिये प्रेम भाईचारे के रंग में रंगते हुए होली का यह पवित्र पर्व मनायें। आप सभी को ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री से की और से होली के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
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इस होली पर करें यह टोटके–


तांत्रिक क्रियाओं की दृष्टि से होली का दिन विशिष्ट माना गया है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली पर्व को तंत्र के अभिचार कर्म का प्रयोग करने के लिए विशिष्ट माना जाता है।


—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली की सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर उत्तर दिशा में मुंह करके बैठें। अब सामने किसी बर्तन में चार लघु नारियल व सात लग्न मंडप सुपारी को स्थापित करें। अब कुंकुम चावल से पूजा करके धूप-दीप करें व घी की दीपक जलाएं। जब तक जप चले तब तक दीपक जलते रहना चाहिए। अब पीली सरसौं के दाने उस बर्तन में छिड़कते हुए निम्न मंत्र का जप करें-
मंत्र- क्लीं हौं क्षिप: ऊँ स्वाहा
जप कम से कम एक घंटे तक करें। अब शाम को होलिका दहन के वक्त उस सामग्री को आटे को लोई में लपेट कर होलिका में डाल दें। शीघ्र ही आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी।
—–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की यदि आपके व्यवसाय में लगातार गिरावट आ रही है, तो होली के दिन पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 कौड़ियां बांधकर 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेव नमः का जाप कर होली की 11 परिक्रमा करें। बाद में पीछे मुड़कर न देखते हुए सीधे घर में प्रवेश करें और धन रखने के स्थान पर यह समस्त सामग्री एक साथ रख दें। इस प्रयोग से व्यवसाय में प्रगति आती है।  
—– ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली के दिन पीले वस्त्रों में काली हल्दी के साथ एक चांदी का सिक्का रखकर धन रखने के स्थान पर रख देने से वर्ष भर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।   
—–यदि आपका व्यवसाय मशीनों से संबंधित है, तो आप काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर होली के दिन मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन व्यवसाय के लिए शुभ होती है और परेशान नहीं करती।   
—–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की यदि आपको लगता है कि किसी ने आपके विरुद्ध कोई टोटका कर रखा है तो होली की रात में जहां होलिका दहन हो, उस जगह पर पर एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमंत्रित कौड़ियां दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर अपने घर की मिट्टी के साथ नीले कपड़े में बांधकर बहते जल में प्रवाहित कर दें। जो भी तंत्र क्रिया आप पर किसी ने की होगी वह नष्ट हो जाएगी।  
—- ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होलिका दहन में घर के सभी सदस्यों को अवश्य ही शामिल होना चाहिए । होलिका दहन में चना, मटर, गेंहूँ बालियाँ या अलसी आदि डालते हुए अग्नि की तीन / सात परिक्रमा करें। इससे घर में शुभता आती है। आज कल स्वाइन फ्लू का कहर है अत: हर व्यक्ति होलिका में थोड़ा थोड़ा कपूर भी अवश्य ही डालें जिससे स्वाइन फ्लू के वायरस भी कम हो सके ।
—–होलिका दहन के दिन घर के मुखिया को होलिका में घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता भी अवश्य चढ़ाना चाहिए। तत्पश्चात होली की 3 परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए।. इससे ना केवल सभी कष्ट दूर होते हैं वरन घर में सुख-सम्रद्धि भी बढ़ती है ।
—- ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की जिस दिन होली जलनी हो उस दिन सुबह एक साबूत पान पर साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ रखकर किसी भी मंदिर में शिवलिंग पर चढ़ाएं और भगवान शिव से योग्य जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करें फिर प्रणाम करके वापस आ जाएँ पीछे मुड़कर ना देखें यह प्रयोग लगातार 7 दिन तक करें इससे अतिशीघ्र विवाह होने की सम्भावना बड़ जाती है ।
—-कहते है कि होली के दिन रात्रि के 12 बजे के बाद पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए एवं हाथ में सफेद तिल लेकर पीपल की सात परिक्रमा करके धीरे-धीरे इन तिलों को छोडते जाएं। इसके बाद बिना पीपल को छुए प्रणाम करके पीछे देखे बिना ही वापस घर आ जाएं।। ऐसा करने से शीघ्र ही मनोकामनाएँ पूर्ण होती है ।
—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली के दिन जिस दिन रंग खेलते है उस दिन सुबह स्नान के बाद लाल गुलाल लेकर उसे सबसे पहले घर के मंदिर में देवी देवताओं की मूर्ति / चित्र पर लगाएं फिर उस गुलाल के खुले पैकेट में एक चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपडे में कलावा से बांधकर अपनी तिजोरी में रखें, धन लाभ होगा और धन रुकने भी लगेगा ।
—-होलिका दहन के बाद उसकी थोड़ी भस्म जरूर लाएं, उसका टीका किसी महत्वपूर्ण कार्य में जाते हुए पुरुष अपने मस्तक पर और स्त्री अपने गर्दन में लगाएं, कार्यों में सफलता मिलेगी और धन संपत्ति में भी वृद्धि होगी।
—- होली पर रंग सभी व्यक्तियों को जरूर ही खेलना चाहिए, इससे घर परिवार में प्रेम, सौहार्द्य और सुख का वास होता है । होली पर सबसे पहले ईश्वर को और फिर घर के बड़े बुजुर्गों को रंग लगाकर उनसे आशीर्वाद लेकर ही रंग खेलना शुरू करना चाहिए ।
—- होली में आपस में वैर भाव मिटा कर खुद पहल करके दुश्मनो से भी रंग खेलकर सभी से साफ मन से गले मिलना चाहिए । मान्यता है कि इस दिन पहल करके शत्रुता भुलाने से वर्ष भर आप के शत्रु आपसे पराजित होते रहेंगे ।
—– होली पर अपने घर में आने वाले सभी मेहमानो को कुछ ना कुछ अवश्य ही खिला कर वापस भेजें, इससे भाग्य प्रबल होता है एवं घर में स्थाई लक्ष्मी का वास होता है ।
—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली के दिन लोग दूसरों के अहित के लिए टोने टोटके बहुत करते है और इसके लिए सफेद खाद्य पदार्थों का प्रयोग ज्यादा किया जाता है इसीलिए होलिका दहन वाले दिन सफेद खाद्य पदार्थों का सेवन यथा सम्भव नहीं ही करना चाहिये।
—- होली वाले दिन पूरे दिन अपनी जेब में किसी काले रुमाल या काले कपड़े में काले तिल बांधकर रखें और रात को उसे जलती हुई होलिका में डाल दें। इससे यदि पहले से भी किसी ने कोई टोटका किया होगा तो वह भी समाप्त हो जाएगा।
—–होली के दिन प्रातः से ही किसी भी ऐसे व्यक्ति से जिससे आपका मनमुटाव हों कोई भी वस्तु जैसे पान, इलायची, लौंग, मिठाई आदि न लें,। इस दिन यथासंभव अपना सर भी ढककर रखें ।
—–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की यदि आपको लगता है कि लाख प्रयास के बाद भी आपका व्यापार बढ़ नहीं रहा है तो होलिका दहन से एक दिन पहले फिटकरी के 6 टुकड़े अपनी दुकान / कार्यालय में छोड़ दें और अगले दिन उन्हें लेकर होलिका दहन के समय कपूर और किसी अनाज के साथ चुपचाप जलती हुई होलिका में डाल दें, आपके कारोबार को किसी की नज़र नहीं लगेगी, अगर नज़र लगी होगी तो उतर जाएगी, और कारोबार फलना फूलना शुरू हो जाएगा ।
—-होली वाले दिन प्रात: एक एकाक्षी नारियल लेकर उस पर सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ा कर उसे लाल वस्त्र में बांधकर माता लक्ष्मी से अपने यहाँ पर वास करने की प्रार्थना करते हुए उस नारियल को अपने व्यवसाय स्थल पर रखें, व्यवसाय दिन दूनी रात चौगनी रफ़्तार से बढ़ेगा ।
—- होली के दिन होलिका की राख ला कर उसकी स्याही बना कर लोहे की कील या सिलाई से एक साफ सफेद कागज पर अपना मुकदमा नम्बर और शत्रु का नाम लिखकर दोबारा जाकर होलिका में डाल दें और हाथ जोड़कर मन ही मन अपनी विजय के लिए प्रार्थना करें आपको अवश्य ही सफलता मिलेगी। ध्यान रहे यह क्रिया बिलकुल चुपचाप करें ।
—-ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होलिका दहन के बाद रात में वहां से आग लाकर उससे घर में गोबर के कंडे जलाकर उसमें नारियल की गिरी और गेंहूँ की बालियाँ भून कर खानी चाहिए इससे धन यश और निरोगिता की प्राप्ति होती है ।
—–पूर्णिमा को होली दहन के दिन रात्रि में चांदी के पात्र में कच्चा दूध डालकर पति पत्नी चन्द्रमा को अर्ध्य अवश्य ही दें, इससे पति-पत्नी के संबंधों में प्रगाढ़ता आती है।
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तंत्र रक्षा कवच प्रयोग–
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली की रात्रि में एकांत स्थल पर कुश के आसन पर बैठकर सामने लकड़ी की चौकी पर काला वस्त्र बिछाकर ताम्रपत्र पर बना तंत्र रक्षा ताबीज रखकर नीचे दिए हुए मंत्र की ग्यारह मालाएँ हल्दी की माला के द्वारा जपकर सिद्ध कर लें-
ऊँ ह्री ह्रीं क्लिंम
मंत्र जप के उपरांत काले धागे में ताबीज को डालकर गले में धारण कर लें। यदि किसी व्यक्ति को ऊपर बाधाओं से पीड़ा मिल रही हो, हो तो इस प्रयोग के द्वारा तंत्र रक्षा ताबीज करने से उससे मुक्ति मिलती है।


धन वृद्धि के लिए उपाय—-
अगर आप धन चाहते हैं तो इसके लिए किए जाने वाले टोटके के लिए भी होली उपयुक्त दिन है। आप होली की रात अपने घर में एकांत स्थान पर बैठकर नीचे लिखे मंत्र का जप कमल गट्टे की माला से करें।
इस उपाय से आपके धन में वृद्धि होगी।
मंत्र- ऊँ नमो धनदाय स्वाहा


शत्रु बाधा नियंत्रण हेतु प्रयोग—-
होली की रात्रि में काँसे की थाली में कनेर के 11 पुष्प तथा गुग्गल की 11 गोलियाँ रखकर जलती हुई होली में नीचे दिए हुए मंत्र को जपते हुए जलती हुई होली में डालनी चाहिए।


मंत्र इस पकार है:-


ऊँ ह्लीं हुं फट्।
होली के दिन द्विमुखी दीपक जलाकर मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़क कर रख देना चाहिए। जब वह जलना बंद हो जाए, तो उसे होली की अग्नि में डाल देना चाहिए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चाहिए कि आपको भविष्य में धनहानि का सामना नहीं करना पड़ेगा।


राजकार्य में सफलता——
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की चौराहे पर होली के समीप जाकर होली की उल्टे सात फेरे करें तथा प्रत्येक चक्र पूर्ण होने पर आक का टुकड़ा होली में फेंक दें। इस प्रकार कुल मिलाकर आक की जड़ के सात टुकड़े होली में फेंक दें। यह प्रयोग उस समय करना चाहिए, जब होली में अग्नि प्रज्ज्वलित नहीं हो। आंक का टुकड़ा इस प्रकार फेंके कि वह होली में जाकर गिरे, होली से बाहर नहीं। ऐसा करने से राजपक्ष से चली आ रही बाधाएं दूर होती हैं। यदि किसी विशेष राजधिकारी से परेशानी आ रही हो तो आक के टुकड़ों पर गोरोचन आ रही हो, तो आक के टुकड़ों पर गोरोचन द्वारा अनार की कलम से उसका नाम लिखकर होली में डालना चाहिए।


दुर्घटना से बचाव—–
दुर्घटना से बचाव के लिए होली की रात्रि में होलिका दहन से पूर्व हाथ में पांच काली गुज्जा लेकर होली की पाँच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पाँचों गुंजाओं को सिर के ऊपर पांच बार फेरकर हाथों को सिर के ऊपर उठाकर होली में फेंक देना चाहिए। स्वास्थ्य लाभ हेतु होलिका दहन के समय होली की ग्यारह परिक्रमा लगाते हुए मन ही मन निम्नलिखित मंत्र का जाप करना चाहिए:-
देहि सौभाग्यमारोग्यं, देहि मे परमं सुखं।
रुपं देहि, जयं देहि, यशो देहि, द्विषो जहि।।
होली के बाद भी प्राय:काल इस मंत्र का ग्यारह बार जप अवश्य करना चाहिए।


शनि के दुष्प्रभावों से मुक्ति हेतु प्रयोग—–
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली की संध्या को काले कुत्ते को तेल की चुपड़ी हुई रोटी खिलानी चाहिए। यदि कुत्ता रोटी खा ले तो अवश्य ही शनि ग्रह द्वारा आपको मिल रही। पीड़ा शांत होती है। यदि कुत्ता रोटी नहीं खाए तो शनि को अशुभ मानना चाहिए। काले कुत्ते को घर के द्वार पर अथवा घर के अंदर नहीं लाना चाहिए, अपितु उसके पास जाकर सड़क पर ही रोटी खिलानी चाहिए।


ग्रह दोष निवारण हेतु प्रयोग—
होली की रात्रि में होलिका दहन में से जलती हुई लकड़ी घर पर लाकर नवग्रहों की लकडिय़ों एवं गाय के गोबर से बने उपलों की होली प्रज्ज्वलित की जानी चाहिए। उसमें घर के प्रत्येक सदस्य को देशी घी में भिगोई हुई दो लौैंग, एक बतासा, एक पान का पत्ता चढ़ाना चाहिए। परिक्रमा लगाते समय जौ के दाने उसमें डालते रहें। सर्वार्थसिद्ध योग के दिन होली की राख को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें या बहता हुआ कुएँ में डाल दें।


रोग नाश के लिए उपाय—-
अगर आप किसी बीमारी से पीडि़त हैं तो इसके लिए भी होली की रात को खास उपाय करने से आपकी बीमारी दूर हो सकती है।होली की रात आप नीचे लिखे मंत्र का जप तुलसी की माला से करें।
मंत्र- ऊँ नमो भगवेत रुद्राय मृतार्क मध्ये संस्थिताय मम शरीरं अमृतं कुरु कुरु स्वाहा


भाग्य चमकाने का शक्तिशाली टोटका—-
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली के पर्व से एक दिन पूर्व संध्या काल में जिस पलाश वृक्ष पर बांदा हो उसी पेड को निमंत्रण देकर आएं। कुंकुम-अक्षत, सुपारी नैवेद्य आदि भेंट कर निवेदन करें कि कल्याणकारी कार्य के लिए मैं आपका बांदा ले जाऊंगा। क्षमा करें। होली वाले दिन प्रात: सूर्य उदय हो जाने से पूर्व वह बांदा ले आएं और गन्धाक्षत पुष्प से मंत्रोपचार पूजा करें, देवदारू की धूप दें, मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। अब निम्न मंत्र को 1008 बार जप कर बांदे को अपनी तिजोरी में जहां रकम गहने आदि रखते हैं, रख दें।


ओम वृक्षराज! वमृद्धस्त्वं, त्रिषु लोकेशु वर्तसे।
करू धान्य समृद्धि त्वं, क्षेत्रे कौटोधवर्जिते।।


शीघ्र विवाह के लिए उपाय—–
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली के दिन सुबह एक साबूत पान पर साबूत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं यही प्रयोग अगले दिन भी करें।अतिशीघ्र ही आपके विवाह होने की संभावनाएं बनेंगी।


यदि आप बेरोजगार हैं, और बहुत प्रयत्न करने के बाद भी आपको रोजगार नहीं मिल रहा है तो निराश होने की कोई जरुरत नहीं है। कुछ साधारण तांत्रिक उपाय कर आप रोजगार पा सकते हैं—-
1.आप शनिवार को हनुमानजी के मंदिर में जाकर मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और मंदिर में ही बैठकर लाल चंदन की या मूंगा की माला से 108 बार :-


कवन सो काज कठिन जग माही।जो नहीं होय तात तुम पाहिं।।


मंत्र का जप करें और 40 दिनों तक रोज अपने घर के मंदिर में इस मंत्र का जप 108 बार करें। 40 दिनों के अंदर ही आपको रोजगार मिलेगा।
2. आप शनैश्चरी अमावस्या के दिन एक कागजी नींबू लें और शाम के समय उसके चार टुकड़े करके किसी चौराहे पर चारों दिशाओं में फेंक दें।
3.आप मंगलवार से प्रारंभ करते हुए 40 दिनों तक रोज सुबह के समय नंगे पैर हनुमानजी के मंदिर में जाएं और उन्हें लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं।
4.आप इंटरव्यू में जाने से पहले लाल चंदन की माला से नीचे लिखे मंत्र का 11 बार जप करें:-ऊँ वक्रतुण्डाय हुं |
जप से पूर्व भगवान गणेश की पूजा करें और गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करते हुए दूध से अभिषेक करें।
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—-होली के दिन प्रात:काल हींग के पानी से कुल्ला मुख शोधन करना चाहिए।
—– प्रात:काल उठते ही किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दी गई वस्तु नहीं खानी चाहिए। जो व्यक्ति आपसे मन ही मन विद्वेष भाव रखता हो, उसके द्वारा दी गई वस्तु को नहीं रखना, उसके द्वारा दी गई वस्तु का सेवन करने से बचना चाहिए।
—–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होलिका दहन की रात घर के सभी सदस्यों को सरसों का उबटन बनाकर पूरे शरीर पर मालिश करना चाहिए। इससे जो भी मैल निकले उसे होलिकाग्नि में डाल दें। ऐसा करने से जादू, टोने का असर समाप्त होता है और शरीर स्वस्थ रहता है।
—–गाय के गोबर में जौ, अरसी, कुश मिलाकर छोटा उपला बना लें। इसे घर के मुख्य दरवाजे पर लटका दें। ऐसा करने से नजर दोष, बुरी शक्तियों, टोने-टोटके से घर और घर में रहने वाले लोग सुरक्षित रहते हैं।
—– सिर पर साफा, टोपी आदि पहननी चाहिए। ऐसा करने से सिर पर चावल आदि तांत्रिक वस्तुएँ फेंकने के प्रयोगों से रक्षा होती है।
—- ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की यदि व्यक्ति आपका पहना हुआ वस्त्र, रूमाल आदि मांगे अथवा अन्य किसी युक्ति से ले जाना चाहे, तो उसे ऐसा करने से रोकना चाहिए, क्योंकि अनेक तांत्रिक प्रयोगों में पहने हुए वस्त्र, रुमाल आदि की आवश्यकता होती है तथा उनका प्रयोग होने पर संबंधित व्यक्ति प्रभावित हो जाता है।
—- होली के दिन दूसरे व्यक्ति विरोधी के द्वारा दिया गया दान, इलायची, लौैंग आदि का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस दिन तांत्रिक क्रियाएँ शीघ्र प्रभावी होती हैं।
—–ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की होली की राख को घर के चारों ओर और दरवाजे पर छिड़कें। ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियों का घर में प्रवेश नहीं होता है। माना जाता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।होलिका दहन के बाद अगली सुबह यानी धुलैंडी के दिन होलिकाग्नि की राख को माथे पर लगाएं। इसे लगाने का सही तरीका है बायीं ओर से दायीं ओर तीन रेखा खींचें। इसे त्रिपुण्ड कहते हैं। इसे लगाने से 27 देवता प्रसन्न होते हैं। शस्त्रों में बताया गया है कि पहली रेखा के स्वामी महादेव हैं, दूसरी रेखा के महेश्वर और तीसरी रेखा के शिव।
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होली 2017 के विशेष शुभ मुहूर्त —
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री  ने बताया की 12  मार्च 2017  को 17  बजकर 40  मिनिट  से  13  मार्च 2017  को सुबह 06  बजकर 35  मिनिट तक सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा |


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