जानिए 6 फरवरी …7 को गुरु का कन्या राशि में (वक्री होने का प्रभाव) परिवर्तन का आपकी राशि पर प्रभाव —


प्रिय पाठकों/मित्रों,6 फ़रवरी 2017 से देव गुरु ‘वृहस्पति ” का कन्या राशि में वक्री हो चूका है, जो 9 जून 2017 तक रहेगा। नवग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह गुरु 11 अगस्‍त को अपने ‌म‌ित्र सूर्य की राश‌ि से न‌िकलकर शत्रु राश‌ि कन्या में प्रवेश करेंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ज्‍योत‌िषशास्‍त्र में गुरु के राश‌ि पर‌िवर्तन को बड़ी घटना के रूप में देखा जाता है क्योंक‌ि यह घटना पूरे एक साल में एक बार होती है ज‌िसका प्रभाव सभी राश‌ियों पर होता है। गुरू शिक्षा, व्यवसाय, मांगलिक कार्य, अध्यात्म, तत्वज्ञान, तीर्थयात्रा के अलावा अध्यापन, लेखन, कला के क्षेत्र के लोगों के लिए भी कारक ग्रह हैं। इसल‌िए इनका प्रभाव अर्थ व्यवस्‍था और समाज‌ पर भी देखा जाता है। तो जानें गुरु के राश‌ि पर‌िवर्तन का क्या असर होगा देश, दुन‌िया और अापकी राश‌ि पर।


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की खगोलीय दृष्टि से, सूर्य के बाद गुरु को, सबसे बड़ा ग्रह माना गया हैै। यह ज्ञान, शिक्षा, विस्तार व विद्वता का प्रतीक हैं। इस मास 11 अगस्त की रात्रि 21.27 पर श्रावण शुक्ल पक्ष, गुरुवार (वीरवार) को गुरु सिंह राशि से निकल कर शत्रु राशि कन्या में प्रवेश कर गए। यह 6 फरवरी, 2017 से 9 जून, 2017 तक वक्री रहेंगे। इनके वक्री होने पर किसी को लाभ तो किसी को हानि होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की ज्योत‌िषशास्‍त्र के अनुसार स‌िंह राश‌ि से कन्या राश‌ि में गुरू का प्रवेश होने से गुरु चांडाल योग समाप्‍त होगा ज‌िससे थोड़ी राहत म‌िलेगी लेक‌िन शत्रु राश‌ि में जाने से गुरु अपना पूर्ण शुभ फल नहीं दे पाएंगे। ज्योत‌िषशास्‍त्र की गणना के अनुसार कन्या राश‌‌ि में गुरु का जाना आर्थ‌िक मामलों में अनुकूल फलदायी नहीं है।

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की देव गुरु, धनु व मीन राशि के स्वामी हैं तथा कर्क में उच्च कहलाते हैं जबकि मकर राशि में यह नीच के हो जाते हैं। धनु राशि में यह शुभ फल कारक हैं। गुरु 6, 8, 12 भाव में हों या नीच राशि में हों या इन भावों के स्वामियों से संबंध हो तो अशुभ परिणाम होते हैं। यह समय-समय पर मार्गी, वक्री और अस्त होते रहते हैं। गुरु विकास, सुख-समृद्धि, धन, वैभव, ज्ञान, आध्यात्म, शिक्षा के परिचायक हैं। यह एक राशि में 12 से 1. महीने रहते हैं। जनवरी 2016 से 1 अगस्त 2016 तक गुरु सिंह राशि में राहु के साथ रहे जिसे गुरु-चांडाल योग कहा जाता है।  


ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की 12 अगस्त से इस राशि परिवर्तन के साथ-साथ यह दुर्योग भी समाप्त हो गया। इसके अतिरिक्त गुरु पर शनि की दृष्टि भी इसी दिन समाप्त हो गई तथा काफी हद तक गुरु की स्थिति और सुदृढ़ हो गई। जिनकी कुंडली में गुरु मुख्य ग्रह हैं या जिनके लग्र का स्वामी गुरु है या जिनकी गुरु की महादशा चल रही है, उनके अच्छे दिन आ गए हैं। 

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री से जानिए आपकी चंद्र राशि के अनुसार गुरु के राशि परिवर्तन के फल —

मेष : धन या न्यायालय संबंधी विवादों को लम्बा न खिंचने दें। जोखिम वाला व्यापार न करें। छात्र प्रतियोगिताओं में सफल रहेंगे। राजनीति से जुड़े लोगों के अच्छे दिन आ गए हैं।

वृषभ : रुके धन की प्राप्ति, पार्टनर, अधिकारी व संतान से अच्छे समाचार मिलेंगे। भूमि संबंधी कार्य निपटेंगे। दांपत्य में सुखद बदलाव आएगा। मान-सम्मान बढ़ेगा।

मिथुन : पुराने रुके व्यावसायिक मामले, स्थानांतरण, प्रोमोशन आदि जैसे लम्बित कार्य पूर्ण होंगे। घर में किसी शुभ कार्य का आयोजन,भूमि व भवन संबंधित लम्बित कार्य, रियल एस्टेट से जुड़े डीलर्स को लाभ होगा।

कर्क : भाग्य के द्वार खुलेंगे। विदेश यात्रा से संबंधित मामले, लम्बित पी.आर. जैसे मसले सुलझेंगे और इमीग्रेशन से जुड़े व्यवसायियों, ट्रैवल एजैंटों आदि का कार्य क्षेत्र बढ़ेगा। जीवन साथी से पूर्ण सहयोग मिलेगा।

सिंह : उधार दिया धन लौटने की संभावना रहेगी। आय के नए रास्ते खुलेंगे। व्यवसाय संबंधी चिंताएं समाप्त होंगी। अविवाहितों के मार्ग भी प्रशस्त होंगे। पारिवारिक चिंताएं भी समाप्त होंगी।

कन्या : इस अगस्त से लेकर सितम्बर 2017 तक का समय अत्यंत सौभाग्यशाली रहेगा। पुराना संघर्ष, वाद-विवाद, तनाव, परेशानियां दूर होंगी। संबंधों में आकर्षण, ताजगी, भाग्य परिवर्तन, रुके कार्य, वैवाहिक संबंध, विवाह आदि जैसे कार्य सम्पन्न होंगे। व्यापार या नौकरी में तरक्की, मान-सम्मान बढ़ेगा।

तुला : गोचर में गुरु 12वें स्थान पर होंगे। यह भाव व्यय, रोग, कानूनी विवाद, विदेश भ्रमण, चोरी आदि का है। वाद-विवाद से बचें। मसले कोर्ट के बाहर ही निपटाना अच्छा रहेगा। रिश्ता तय होने जा रहा हो तो दोबारा सोच लें जल्दबाजी न करें। 

वृश्चिक : आय के साधन बढ़ेंगे, डूबी रकम लौटेगी। छोटे भाई-बहनों, अधीनस्थ कर्मियों से सहयोग रहेगा। सर्विस व व्यापार में उन्नति होगी। राजनीति से जुड़े लोगों को सफलता मिलेगी। सामाजिक कार्यों में लगे लोगों का मान-सम्मान बढ़ेगा। 

धनु : पारिवारिक सुख-समृद्धि में वृद्धि। कोई शुभ कार्य सम्पन्न होगा। भूमि, भवन, वाहन के लम्बित कार्य पूर्ण होंगे। पुराने कार्य निपट जाएंगे। रियल एस्टेट से जुड़े हैं तो अच्छे दिन आ गए हैं। ज्यूलर्स हैं तो पूरी चांदी काटेंगे परन्तु नौकरीपेशा लोगों के अच्छे दिन नहीं कहे जा सकते। 

मकर : गुरु भाग्य स्थान में आकर भाग्यवद्र्धन करेंगे। उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले छात्रों की समस्याएं दूर होंगी। विदेश संबंधी लम्बित कार्यों में सफलता मिलेगी। भवन संबंधी कार्य पूरे होंगे। संतान के लटके काम भी बनेंगे। अच्छा जीवन साथी मिलेगा।

कुंभ : कामों में बाधा, माता-पिता की सेहत में गड़बड़, नकारात्मक सोच, ससुराल से मतभेद, व्यावसायिक संबंधों तथा व्यक्तिगत रिश्तों में कड़वाहट आदि बिंदु हैं जिनके इर्द-गिर्द यह वर्ष घूमेगा।

मीन : सप्तम भाव में गुरु का भ्रमण सुख-समृद्धि व वृद्धि प्रदायक है। रुके कार्य पूर्ण होंगे। पुराना ऋण समाप्त होगा, रुके पैसे आएंगे। व्यापार में वृद्धि के संकेत हैं।


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