ये होते हैं चुनाव जीतने के ज्योतिषीय टिप्स और वास्तु टिप्स —-


प्रिय पाठकों, हमारे देश में देश भर में राजनीति  की लहर चलती रहती  है। हमेशा कोई न कोई चुनाव। एक पद के लिए एक हजार प्रत्यासी। सभी का अपना-अपना दावा कि, हमारा चुनाव निकल रहा है, कृपया मेरा सपोट करना। चुनाव तो निकलेगा ही, मगर किसी एक का ही। लेकिन दावा सभी का होता है। ये भी एक विचित्रता ही है। या समाज को ही ग़लतफ़हमी में डाला जाता है। या फिर खुद ही ग़लतफ़हमी में होता है हर प्रत्यासी। और यह ग़लतफ़हमी सचमुच ऐसा वायरस है जो जिंदगी को ही अँधेरे में करके रख देता है। 
      
 पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव के अन्दर प्रत्याशी बनने और चुनाव को जीतने मे बहुत जद्दोजहद करनी पडती है,कोई धन का बल लेकर चुनाव जीतना चाहता है कोई अपने बल और दादागीरी पर चुनाव जीतना चाहता है,किसी के पास दादागीरी और धन दोनों ही नही है तो वह भलमन्साहत से चुनाव जीतने की कवायद करता है। लेकिन सभी कुछ होने के बाद भी जब व्यक्ति चुनाव हार जाता है,तो उसकी जनता ही नही अपनी खुद की आत्मा भी धिक्कारती है कि अमुक कारण का निवारण अगर हो जाता तो चुनाव जीता जा सकता था।  पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव का जीतना और राज करना दोनो ही अलग अलग बातें है,एक साधारण और कम पढा लिखा आदमी भी चुनाव जीत सकता है,और बहुत पढा व्यक्ति भी किसी नेता की चपरासी के अलावा कुछ नही कर सकता है,यह सब आदमी के बस की बात नहीं,यह सब होता है सितारों का खेल,अगर सितारे माफ़िक हों तो सभी कुछ हो सकता है,और अगर सितारे बस में नही है और खिलाफ़ है तो वह बना बनाया काम भी बरबाद होते देर नहीं लगती है। कोई भी ज्योतिषी सितारे खराब है या अच्छे है बता सकता है,खिलाफ़ सितारों के लिये उपाय के अन्दर सितारों को माफ़िक करने का रत्न धारण करवा सकता है टोटका करवा सकता है,


 पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार किसी भी जन्म कुंडली से पता किया जा सकता है कि आपकी कुंडली के सितारे माफ़िक है,या खिलाफ़,और खिलाफ़ है तो किस कारण से है,राज करने का सितारा अगर खराब है तो किस कारण से खराब है,खराबी सितारे के बैठने के स्थान पर है,या सितारा जहां बैठा है वहां पर किसी खराब सितारे की निगाह है,या पडौस में कोई खराब सितारा अपनी नजर रखकर की जाने वाली सभी हरकतें दुश्मनों को सप्लाई कर रहा है,अथवा समय आने पर कोई दुश्मन सितारा अपने राज करने के सितारे से आकर टकराने वाला है,अथवा सितारा जिस स्थान पर बैठा है,वहां पर राज करने के लिये ठंडे माहौल की जरूरत है,और राज करने के लिये टकराने के समय में कोई गर्म सितारा आकर अपने अनुसार गर्मी का माहौल पैदा करने वाला है।


अब करते रहिए दावा और देते रहिए चुनौतियां। होगा वही जो डंके की चोट पर किया जाएगा। और डंके की चोट वही दिखाता है, जो खुद में भी दम रखता है और दाम भी। मेरे खयाल से दुनिया में कुछ असंभव तो है ही नहीं, क्योंकि हर समस्या का समाधान ————– समस्या की तकनीक पर ही निर्भर है। यानी  जैसी समस्या या जरुरत वैसा समाधान अथवा पूर्ति। आज मैं किसी भी चुनाव में विजेता होने का कुछ सटीक उपाय बताऊंगा जिसका विधि पूर्वक प्रयोग किया जाय तो निश्चित ही चुनाव में विजय हासिल किया जा सकता है। ये उपाय सभी तरह के  चुनाव के लिए उपयुक्त होगा। लाभ निश्चित ही मिलेगा। 
     
किसी भी  चुनाव में कुछ बुनियादी बातें प्रत्यासी में होना आवश्यक है। जैसे- कर्मठता, समाजसेवी भावना, व्यवहारशीलता आदि। ईमानदारी की बात मैं नहीं करता यह फैसला चुनाव निकलने के बाद आप करेंगे। अभी समाज में यह चर्चा जरुर होनी चाहिए कि, आप व्यक्तित्व और व्यवहार के राजा हैं, तो आपको चांस दिया ही जा सकता है। फिर तो आप समझ लीजिए 6.% चुनाव जीत गए। अब आता है चुनाव जीतने के लिए संत ऋषिओं  का आशीर्वाद और ग्रन्थ शास्त्रों से चुनी गई कुछ बेजोड़  प्रभावशाली विधिंयां जो आपके पोलिटिक्स प्रयास को पूर्ण सफल बना सकती है। 


यदि आप लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा, जिला पंचायत, जनपद पंचायत, नगर पालिक निगम, ग्राम पंचायत, सोसायटी या अन्य किसी पद के लिए चुनाव लड़ने का सोच रहे हैं, तो यहां वास्तु एवं ज्योतिषानुसार कुछ ऐसी बातें बताई जा रही हैं जिसके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार वास्तु और ज्योतिष के ये छोटे-छोटे टिप्स आप आजमाएंगे तो आपको चुनाव जीतने में किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप अपने प्रतिद्वंद्वी को आसानी से हरा सकते हैं। 


चुनाव जीतने के तीन बल—
इन सब कारणों का पता करने के बाद तीन बलों का सामजस्य बैठाना जरूरी है,वैसे तो यह तीन बल सभी काम के लिये उत्तम माने जाते है लेकिन राज करने वाले के लिये यह तीनो बल हमेशा जरूरी है,इन तीन बलों को पहिचानना बहुत जरूरी होता है,जो इन तीन बलों का सामजस्य बनाकर चल दिया है वह सबसे अधिक तरक्की के रास्ते पर चला गया,और जिसे इन तीनों बलों का सामजस्य नहीं करना आता है वह सब कुछ होते भी बरबाद होता चला जाता है,आइये आपको इन तीनों बलों का ज्ञान करवा देते हैं,अपनी कुन्डली को खोल कर देखिये कि यह तीनों बल आपके किस किस भाव में अपनी शोभा बढा रहे है,और यह तीनो बल आपकी किन किन सफ़लता वाली कोठरियों के बंद तालों को खोल सकते है।


मानव बल—
मानव बल संसार का पहला बल है,किसी भी स्थान पर आपको देखने से पता चलता है,कि जिसके साथ जितने हाथ ऊपर हो जाते वह ही अपनी प्रतिष्ठा को कायम कर लेता है,लेकिन मानव बल भी दो प्रकार का होता है,एक देह बल होता है और दूसरा जीव बल होता है,देह बल की गिनती की जाती है लेकिन जीव बल की गिनती नहीं की जा सकती है,दबाब में आकर देह बल तो साथ रहने की कसम खा लेता है,लेकिन जीव बल का ठिकाना नहीं होता है कि वह अपनी चाहत किसके साथ रखे है,शरीर का किस्सा है कि इसके अन्दर बारह प्रकार के जीव बल विद्यमान है,और जो जीव बल आपके जीव बल से सामजस्य रखता है वही आपको किनारे पर ले जा सकता है,देह बल तो कभी भी बिना जीव बल के दूर हो सकता है,किसी देह के अन्दर किसी प्रकार का जीव बल अपना स्थान बना सकता है,लेकिन जीव बल के अन्दर देह बल अपना कुछ प्रभाव नही दे सकता है। जब मनुष्य जन्म लेता है तो जीव बल एक ही स्थान पर रहता है,अन्य बल अपना प्रभाव बदल सकते है,लेकिन जीव बल कभी भी अपना स्थान नही बदलता है,केवल स्वभाव के अन्दर कुछ समय के लिये अपना बदलाव कर सकता है।


भौतिक बल—
मानव बल के बाद दूसरा नम्बर भौतिक बल का आता है,बिना मानव बल के भौतिक बल का कोई महत्व नही है,भौतिक बल के अन्दर घर द्वार सम्पत्ति सोना चांदी रुपया पैसा आदि आते है,भौतिक बल भी बारह प्रकार का होता है,और इन बारह प्रकार के भौतिक बलों को पहिचानने के बाद मानव बल और भी परिपूर्ण हो जाता है।


दैव बल—
मानव बल और भौतिक बलों के अलावा जो सबसे आवश्यक बल है वह दैव बल कहलाता है,बिना दैव बल के न तो मानव बल का कोई आस्तित्व है और न ही भौतिक बल की कोई कीमत है,मानव बल और भौतिक बल समय पर फ़ेल हो सकता है लेकिन दैव बल इन दोनो बलों के समाप्त होने के बाद भी अपनी शक्ति से बचाकर ला सकता है। दैव बल के अन्दर जो बल आते हैं उनके अन्दर विद्या का स्थान सर्वोपरि है,विद्या के बाद ही शब्द शक्ति की पहिचान होती है,और शब्द शक्ति के पहिचानने के बाद उसी शरीर से या भौतिक बल से किसी प्रकार से भी प्रयोग किया जा सकता है,शब्द शक्ति से व्यक्ति की जीवनी बदल जाती है,शब्द शक्ति से माता बच्चे को आजन्म नहीं त्याग पाती है,और शब्द शक्ति के सुनने के बाद आहत को लेकर लोग अस्पताल चले जाते है।
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बिना राहु की सहायता के चुनाव नही जीता जा सकता है—
 पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार जिस प्रकार से आसमान सभी के सिर पर छाया हुआ है और इसी आसमान से सूर्य भी उदय होता है तारे भी दिखाई देते है तथा चन्द्रमा का उदय होना और अस्त होना भी देखा जाता है.राहु सभी को धारण भी करता है और बरबाद भी करता है इसलिये राहु को विराट रूप मे देखा जाता है,महाभारत के युद्ध मे अर्जुन को मोह से दूर करने के लिये भगवान श्रीकृष्ण ने विराटरूप का प्रदर्शन किया था जिसके द्वारा उन्होने दिखाया था कि संसार उनके मुंह के अन्दर समा भी रहा है और संसार की उत्पत्ति भी उन्ही के द्वारा हो रही है,इस रूप का नाम ही विराट रूप में देखा जाता है.राजनीतिक क्षेत्र मे एक प्रकार का प्रभाव जनता के अन्दर प्रदर्शित करना होता है जिसके अन्दर जनता के मन मस्तिष्क मे केवल उसी प्रत्याशी की छवि विद्यमान रहती है जिसका राहु बहुत ही प्रबल होता है,अक्सर राजनीतिक पार्टिया राहु को प्रयोग करती है उस राहु को वे अपने नाम से और नाम को समुदाय विशेष से जोड कर रखती है.अगर पार्टी समुदाय विशेष से जोड कर नही चलेगी या किसी भी समुदाय को अपने हित के लिये प्रयोग मे लाना चाहेगी तो वह कभी भी किसी भी समय समुदाय विशेष के रूठने पर या किसी भी बात के बनने से वह दूर हो सकता है तथा जीती हुयी जीत भी हार मे बदल सकती है.कोई भी पार्टी चाहे कि वह धन की बदौलत जीत हासिल कर ले यह नही हो सकता है कभी कभी आपने देखा होगा कि एक पार्टी लाखो करोडो खर्च करने के बाद भी जीत हासिल नही कर पाती है और एक बिना पैसे को खर्च किये पार्टी अपनी छवि को सुधारती चली जाती है,इस बात को प्रभाव मे लाने के लिये राहु को विशेष दर्जा दिया जाता है. पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार राहु उल्टा चलता है और इस उल्टी गति को समाज मे फ़ैलाने के लिये लोग पहले जनता के अन्दर भय का माहौल भरते है और उसके बाद अपनी गतियों से जनता मे उल्टे कामो को दूर करने के लिये अपनी स्थिति को दर्शाते है और इसी प्रकार से जनता के अन्दर अपनी छवि को बनाकर अपनी उपस्थिति को प्रदान करते है परिणाम मे वे जीत कर सामने आजाते है.राहु कभी भी अपनी स्थिति को जीवन मे प्रदान कर सकता है सूर्य और राहु के अन्दर यह देखा जाता है कि सूर्य के अन्दर बल कितना है अगर सूर्य की रश्मिया तेज है तो राहु उन्हे चमकाने के लिये अपनी गति को प्रदान करता है और  पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार राहु अगर मजबूत है और सूर्य की गति अगर धीमी है तो जरूरी होता है कि सूर्य अपनी स्थिति को नही दिखा पाता है इस बात को अक्सर देखा होगा कि जन्म लेने के समय यानी सूर्य उदय होने के समय राहु अपनी स्थिति को एक धुंधले प्रकाश के रूप मे सामने रखता है यह बात उन लोगों के लिये मानी जाती है जो अपने बचपने के कारण राजनीति से जुड तो जाते है लेकिन अपने को केवल एक दिशा विशेष से ही सामने ला पाते है अगर बीच का सूर्य यानी दोपहर का सूर्य जो जवानी के रूप मे माना जाता है और वह अपना प्रकाश राहु के द्वारा क्षितिज पर फ़ैला कर आया है तो लोग उस व्यक्ति पर चारों तरफ़ से आकर्षित होकर उसे ही देखने के लिये फ़िर से अपना प्रयास करने लगते है.राहु बुध के साथ मिलकर बोलने की क्षमता देता है तो राहु मंगल के साथ मिलकर अपनी शक्ति से जनता के अन्दर नाम कमाने की हैसियत देता है राहु सूर्य के साथ मिलकर राजकीय कानूनो और राजकीय क्षेत्र के बारे मे बडी नालेज देता है वही राहु गुरु के साथ मिलकर उल्टी हवा को प्रवाहित करने के लिये भी देखा जाता है,राहु शनि के साथ मिलकर मजदूर संगठनो का मुखिया बना कर सामने लाता है तो राहु शुक्र के साथ मिलकर लोगों के अन्दर चमक दमक से प्रसारित होने अपने को समाज मे दिखाने और अपने द्वारा मनोरंजक बातों के प्रति सामने रखने से माना जा सकता है |
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अत: जानिए कुछ खास एवं महत्वपूर्ण उपाय :–


-राहुकाल में चुनावी सभा न करें :  पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार राहुकाल में सभी प्रकार के शुभ कार्य वर्जित होते हैं। इस काल में चुनावी सभा नहीं करें। राहुकाल में की गई चुनावी आमसभा विफल होती है। मतदाता के मन में भ्रांतियां फैलेंगी और प्रत्याशी एवं पार्टी के प्रति नकारात्मक विचार बढ़ेंगे, आमसभा में भी बाधाएं आएंगी, विवादों की स्थितियां बनेंगी। राहुकाल में चुनावी फॉर्म भी नहीं भरना चाहिए। इस काल में फॉर्म भरने से प्रतिद्वंद्वी आप पर भारी पड़ेगा एवं पराजय का सामना करना पड़ता है। राहुकाल का समय प्रतिदिन अलग-अलग होता है।
वार अनुसार राहुकाल का समय निम्नानुसार है:-


वार          समय
सोमवार : प्रात: 7..0 बजे से 9.00 बजे तक।
मंगलवार : दोपहर 3.00 बजे से 4.30 बजे तक।
बुधवार : दोपहर …00 बजे से 1.30 बजे तक।
गुरुवार : दोपहर 1.30 बजे से 3.00 बजे तक। 
शुक्रवार : प्रात: 10.30 बजे से 12.00 बजे तक। 
शनिवार : प्रात: 9.30 बजे से 10.30 बजे तक।
रविवार : दोपहर 4.30 बजे से 6.00 बजे तक।




सोच समझकर करें नक्षत्रों का चयन :–– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार अनादि काल से राजा, महाराजा युद्ध के लिए जाते समय सर्वप्रथम विजय नक्षत्रों का चयन करते थे जिससे शत्रु पर विजय प्राप्त होती थी। इन विजयी नक्षत्रों में ही राजा अपने शत्रु राजा पर आक्रमण पर राज्य अपने अधिकार में लेता था। इन नक्षत्रों में चुनाव का फॉर्म भरना प्रतिद्वंद्वी को स्तंभित करने वाला, मतदाता को आकर्षित करने वाला होकर पद प्राप्ति में सहायक होकर विजय दिलाता है।


अत: प्रत्याशी को अपना चुनावी फॉर्म निम्न वर्णित विजयी नक्षत्रों में ही भरना चाहिए-


रोहिणी, मृगशीर्ष, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, स्वाति, धनिष्‍ठा, शतभिषा, रेवती


—-राजनीतिक जीवन में सफलता के लिये योग्य ज्योतिषाचार्य से सलाह लेकर दायें हाथ की RING FINGER में कृत्तिका नक्षत्र में (RUBY) माणिक्य रत्न 5-1/4 रत्ती का पहने। 1 तथा ‘पुष्प’ नक्षत्र में पुखराज रत्न 5-1/4 रत्ती INDEX FINGER में पहने। 


ध्यान रखें  विजय हेतु शुभ पशु-पक्षी :-— पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार मानव के सबसे निकट पशु और पक्षी ही रहते हैं तथा इनमें स्वामी के प्रति स्वामी भक्ति भी अधिक रहती है। पशु-पक्षियों को किसी भी घटना, चाहे वह अच्‍छी हो या बुरी, की जानकारी पूर्व से ही प्राप्त हो जाती है तथा उनके क्रिया-कलापों में भी घटना के अनुरूप परिवर्तन आता रहता है। यदि पशु और पक्षी की ऊर्जा की सकारात्मक है तो अच्छा परिणाम एवं ऊर्जा नकारात्मक है तो बुरा परिणाम प्राप्त होता है। हम यहां पर उन पशु और पक्षियों का वर्णन कर रहे हैं, जो सीधे-सीधे चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं जिनको दो भागों में विभक्त किया गया है। 


चुनाव परिणाम में शुभ पशु-पक्षी :–– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार निम्नानुसार वर्णित पशु या पक्षियों को मुख्य निवास स्थान अथवा प्रमुख चुनाव कार्यालय में रखने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होकर चुनाव परिणाम पक्ष में होता है- सफेद घोड़ा, मुर्गा, सफेद बैल, कबूतर, लाल गाय, सफेद गाय, हिरण, मच्छर, पतंगा, नेवला, गोकुल गाय, हाथी, मछली, चिड़िया, मोर, मधुमक्खी, काली चींटी, चकोर और भौंरा।


चुनाव परिणाम में अशुभ पशु-पक्षी :— पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार निम्नानुसार वर्णित पशु या पक्षियों को मुख्य निवास स्थान अथवा प्रमुख चुनाव कार्यालय में रखने से नकारात्मक ऊर्जा प्राप्त बढ़ती है जिससे परिणाम बाधित होकर विजय प्राप्ति में अवरोध उत्पन्न करते हैं। अत: उक्त पशु और पक्षी निवास स्थान एवं चुनाव कार्यालय में कदापि नहीं रखना चाहिए। भैंस, बंदर, बछड़ा, बिल्ली, उल्लू, खजूरा, लाल चींटी, लाल कुत्ता, सांप, दीमक, बाघ, कौवा, बिच्छू, बकरा, सिंह, गिद्ध, कान, तोता एवं लाल बैल।


-ध्यान रखें विजय प्राप्ति हेतु पेड़-पौधे :–– प्रत्याशी के घर एवं चुनाव के मुख्‍य कार्यालय में विद्यमान पेड़-पौधे भी विजय एवं पराजय के सूचक होते हैं जिनका वर्णन निम्न प्रकार है- 
* विजयसूचक पेड़-पौधे : रूईदार, तुलसी, मनीप्लांट, पारिजात और औदुम्बर।
* पराजयसूचक पेड़-पौधे : अंगूर, कांटेदार वृक्ष, बबूल, बेर, अनार, पपीता, पलास, इमली, पीपल, बरगद, केतकी।


केसी हो आपके भाषण की दिशा—
उम्मीदवार को चाहिए कि चुनाव के दौरान होने वाली सभाओं में वह अपना मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में रखकर सभा को सम्बोधित करें। जनता को संबोधित करते समय उम्मीदवार का मुंह उत्तर दिशा में जब ही रहेगा जब मंच सभा के स्थान की दक्षिण दिशा की ओर होगा इसी प्रकार पूर्व दिशा की ओर मुंह तब ही रहेगा जब मंच सभा के स्थान की पश्चिम दिशा की ओर बनेगा। इस प्रकार के वास्तुनुकूल मंच पर खड़े होकर चुनावी सभा को सम्बोधित करने से सभा सफल एवं प्रभावी होती है।


– ध्यान रखें ध्वजा वेध का  :–– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार ध्वजा या झंडे का एक विशिष्ट महत्व होता है। वर्तमान में एक पक्ष का प्रतीक ध्वजा का लहराना चुनाव में विजयकारक होता है। प्रत्याशी के निवास स्थान एवं चुनाव के मुख्‍य कार्यालय में लगाई गई ध्वजा का स्थान सुनिश्चित होता है। इस ध्वजा को वेध कर दिया जाए या ध्वजा विपरीत दिशा में लगा दी जाए तो उससे ध्वजा वेध होकर प्रतिद्वंद्वी की ध्वजा फहरा जाती है एवं प्रत्याशी को पराजय का सामना करना होता है। ध्वजा के सामने किसी भी प्रकार का पेड़, खंभा नहीं होना चाहिए। ध्वजा लहराते समय किसी वस्तु आदि से बाधित होकर अटकना नहीं चाहिए।


दिशा अनुसार ध्वजा लगाने का परिणाम :—
पूर्व : कशमकश के साथ विजय।
आग्नेय : विवाद के साथ पराजय।
दक्षिण : अधिक परिश्रम, विजय में बाधादायक।
नैऋत्य : पद, प्रतिष्ठा, शत्रु, दमन एवं विजयश्री।
पश्‍चिम : अधिक परिश्रम के साथ मतदान कम।
वायव्य : विपरीत मतदान के साथ पराजय।
उत्तर : अर्थहानि।
ईशान्य : आकस्मिक विजय।


ध्वजा निवास स्थान या मुख्‍य कार्यालय के नैऋत्य दिशा में ही लगाना चाहिए। इस दिशा की ध्वजा विजय, पद, प्रतिष्ठा देने वाली एवं शत्रु का दमन करने वाली होती है इसलिए ध्वजा नैऋत्य दिशा में ही लगाना चाहिए।




—- ध्यान दीजिये की घर से क्या खाकर निकलें :–– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव फॉर्म भरने जाते समय एवं चुनाव प्रचार हेतु घर से निकलते समय क्या खाकर निकलें जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त हो एवं मतदाता व मतदान प्रत्याशी के पक्ष में हो। वार अनुसार वस्तुओं का निर्धारण कर रहे हैं कि कौन से वार में प्रत्याशी को क्या खाकर निकलना चाहिए।


रविवार : पान।
सोमवार : दूध, चावल।
मंगलवार : गुड़।
बुधवार : खड़ा धनिया।
गुरुवार : जीरा।
शुक्रवार : दही।


—-पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार हत्थाजोड़ी एक जंगली वनस्पति होता है जिसे काफी दुर्लभ माना जाता है। किन्तु असंभव नहीं है। तो इस हत्थाजोड़ी प्राप्त करें जो पूरे विधि-विधान से ग्रहणकाल में सिद्ध किया हुआ हो। यदि आपके नाम से सिद्ध करके मिल जाय तो और उत्तम होगा। इसे प्राप्त करके चाँदी की डब्बी या लाल वस्त्र में करके पीला सिंदूर, कपूर और बिना टूटे चावल के कुछ दाने  के साथ रखें। तत्पश्चात नवार्ण  मंत्र का 21 बार उच्चारण करते हुए सामान्य पूजन करके तिजोरी अथवा अपने पर्स में रखें। पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार जनसंपर्क से लेकर पर्चा दाखिला तक इसे अपने जेब में ही रखें, किन्तु शुद्धता का ध्यान रखें। हथाजोड़ी आपका वोट बैंक ऐसे बढ़ाता जाएगा जैसे दीप से दीप जलाया जाता है। कुछ समय में ही बेतहासा जनसंपर्क चकित करने योग्य होगा। सिद्ध और प्राण प्रतिष्ठित हथजोड़ी प्राप्त करने के इच्छुक लोग पंडित दयानंद शास्त्री से संपर्क कर, इसे प्राप्त कर सकते हैं |
    
-पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव में विजय प्राप्ति हेतु बगलामुखी कवच और त्रिशक्ति कवच प्राप्त करके गले में धारण करें। इसके धारण से विरोधियों  को नर्वस करने में सुविधा मिलेगी। माहौल भी मजबूत बनेगा। ग्रहों  को कंट्रोल करना भी इनका काम है ताकि चुनाव आप का ही निकले। आप चाहें तो स्वयं व्यक्तिगत रूप से अथवा अपने किसी प्रतिनिधि को भेजकर नलखेड़ा (मध्यप्रदेश) स्थित विश्व के सर्वाधिक प्राचीनतम माँ बगलामुखी मंदिर में अपनी विजय हेतु अनुष्ठान करवा सकते हैं | अधिक जानकारी हेतु आप लेखक से भी संपर्क कर सकते हैं |
—-पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री —
– मोबाइल–09669290067 ,
–वाट्स अप -09039390067 ,
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पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार यदि अपने मकान के पूरब उत्तर दिशा में  सम्पूर्ण वास्तु दोष नाशक यन्त्र की स्थापना कर दें तो आपको वास्तु स्थिति का भी सपोट मिले। छोटा-मोटा दोष भी चुनाव के समय में वाधक न बने बल्कि आपको सामाजिक सपोट दिलवाते हुए निश्चित ही भारी विजय प्रदान करे। 
    
आमतोर कई भी राजनेता चुनाव लड़ते समय अपनी जन्म कुंडली या हस्तरेखा के आधार पर ही निराने लेते हें किन्तु वे वास्तु के महत्त्व /प्रभाव को अनदेखा कर देते हें…वे अक्सर पूजा पाठ(कर्मकांड) तथा मन्त्र-यंत्र-तंत्र  का प्रयोग करना नहीं भूलते हें..मंदिरों,मस्जितो और गुरुद्वारों में सर झुकाना भी नहीं भूलते ..विजय प्राप्ति हेतु बड़े बड़े हवं-यज्ञ /अनुष्ठान करवाते हें..


इन सभी उपायों का पूर्ण लाभ तभी संभव हें जब चुनाव लड़ने वाले राजनेता का मकान और ऑफिस वास्तु सम्मत बना हो..इन स्थानों की वास्तु अनुकूलता उसकी विजय की संभावना को बाधा देती हें..


चुनाव में स्थायी रूप से विजय,यश एवं प्रतिष्ठा प्राप्त करने हेतु इन बातों का रखें ध्यान/ख्याल—


01 .– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव लड़ने वाले के मकान की उत्तर दिशा तथा उत्तरी इशान कोण को वास्तु सम्मत होना चाहिए..यदि इन दिशाओं में कोई कोना बढ़ा होगा तो यश एवं प्रसिद्धि दिलाता हें…शुभ होता हें…|
02 .–चुनाव लड़ने वाले के मकान की उत्तर दिशा तथा उत्तरी इशान कोण में वाटर टेंक,किसी प्रकार का बड़ा गढ्ढा मददगार होता हें |
03 .–चुनाव लड़ने वाले के मकान की उत्तर दिशा तथा उत्तरी इशान कोण की दिशा किसी भी रूप में दबी हुई या कटी हुई नहीं होनी चाहिए..इस दोष के कारन उचित यश और प्रसिद्धि  नहीं मिल पति हें..
04 ..–पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव लड़ने वाले के मकान की उत्तर दिशा तथा उत्तरी इशान कोण यदि ऊँचा हें तो वह भी नुकसान,अपयश का कारण बन सकता हें..जिसके कारण चुनाव में विजय संभव नहीं होती…
05 .–चुनाव लड़ने वाले के मकान की उत्तर दिशा तथा पूर्व दिशा की तरफ यदि इशान कोण निचा हो एवं दक्षिण,आग्नेय ,पश्चिम और वायव्य कोण ऊँचे हो तो उनके परिवार में आनंद ,ऐश्वर्य की वृद्धि होगी..वहां निवास करने वालों को विजय,ख्याति और प्रशंसा मिलती रहेगी..
06 .–पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव लड़ने वाले के मकान की उत्तर दिशा तथा उत्तरी इशान में यदि उस मकान में रहने वालों को अपने ड्राइंग रुम के अन्दर की तरफ जाने वाले दरवाजे के सामने की दीवार पर,मध्य में अपना फोटो/चित्र जरुर लगाना चाहिए..संभव हो तो उस फोटो के ऊपर एक लाल रंग का जीरो वाट का लेम्प/बल्ब अवश्य लगवाएं..
07 .–ध्यान देवें….यह लेम्प/बल्ब हमेशा (24 घंटे) जलते रहना चाहिए..इसके प्रभाव से वहां निवास करने वालों के मान-सम्मान,यश,और प्रसिद्धि बढ़ाने में मदद मिलेगी..
08 .–चुनाव लड़ने वाले को अपने आवास/मकान के साथ साथ अपने कार्यालय/ऑफिस में इन वास्तु टिप्स/वास्तु नियमों/वास्तु सूत्रों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए..
09 .–पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव लड़ने वाले के मकान तथा ऑफिस के साथ साथ उस पार्टी के मुख्य/केन्द्रीय कार्यालय का भी वास्तु सम्मत होना अत्यावश्यक हें..
10 .–चाहे जो भी पार्टी हो, यदि उनके मुख्य/केन्द्रीय कार्यालय/ऑफिस वास्तु सूत्र अनुसार बने हुए हें तो उनकी सत्ता में भागीदारी /विजय होने की संभावना में वृद्धि होगी…
11 .– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चनाव लड़ने वाले उम्मीदवार के घर या ऑफिस का पूर्वी, पूर्व ईशान या उत्तर ईशान कोना कटा हुआ या घटा हुआ नहीं होना चाइये | इस दिशा में किसी भी तरह का दोष होना अथवा नेऋत्य से ऊँचा होना भी अनुचित परिणाम देता हैं | उस थान की पूर्व दिशा जितनी अधिक खुली हुयी होगी परिणाम उतने ही उत्तम प्राप्त होने की सम्भावना रहती हैं |
12 .– पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार  जिस उम्मीदवार के घर का उत्तर, पूर्व दिशा और ईशान कोण घर की अन्य दिशाओं और कोणों से नीची होती होती है उनके सफल होने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि वास्त़ु विज्ञान के अनुसार ऐसा वास्तु हमेशा वृद्धि होगी, ऐश्वर्य आनंद की प्राप्ति, विजय, प्रशंसा और ख्याति में सहायक रहती है।


इस प्रकार से वास्तु सम्मत उपरोक्त सुझाव उस उम्मीदवार या पार्टी की सरकार बनने की सम्भावन में वास्तु सहायक/ मददगार साबित हो सकता हें…
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और सबसे जरुरी कुछ बातें—


—-आपके दल से ही कौन मजबुत दावे दार है उस व्यक्ति का नाम पता , पुराने दोस्तो का नाम , रिश्तेदारो का नाम और उसकी पुर्व और वर्तमान की जीवन चर्या ज्ञात करे |
—– उसकी कमजोरी , नशा , शराब , शबाब , उस कमजोरी के साथ देने वाले साथियो को मित्र बनावे और उसका राज , कुकर्म, दु:चरित्र , कमजोरी का पुरा डाटा को जमा करे,यदि पुर्फ हो तो और अच्छी बात है |
—-अपने जाति और दल के सिनियर और समकक्ष लोग भी आपका पता काट सकते है ,जैसे एक जाति से एक आदमी को मँत्री बनाना है और वहाँ दो से अधिक चार पाँच लोग दावेदार है तो आपकी बात नही बनेगी , तो आप शेष अपने प्रतिद्वन्दियो का पुरा लेखा जोखा निकाले,उनकी कमजोर कडी को पकडे ,उनके ही मित्र और रिश्तेदार को फोड ले कुछ लालच दे ,यह काम आप स्वयँ नही कोई विश्वासी व्यक्ति से करावे ताकि आप पर आँच न आऐ |
—–पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार अपने विरोधी – प्रतिद्वन्दी का स्कूल , काँलेज और पास पडोस के उन लोगो को ढुढे जो उसका विरोधी हो उन्हे आदर दे और उनका कमजोरी को जाने कोई केश मुकदमा, आरोप है उसका पेपर निकाले और प्रेस मिडिया , सिनियर प्रशासनिक अधिकारी तथा अपने से बडे लोगो को उपलव्ध करावे |
—अपने विरोधी से सम्बधित झुठा सच्चा प्रोपगण्डा रोज वितरण करावे, दस बीस आदमी को सिर्फ यही काम सोपै जो चाय दुकान , पान, सैलुन, कारपेन्टर आदि की दुकान पर मोखिक चर्चा कराते रहे ,इन्हे कुछ रकम दे दे कि ये आपकी बडाई और विरोधी की बुराई करते रहे , – कहते रहे कि फलाँ ही जीत रहा है |
—-टिकट देने वाले या सलेक्शन टीम और अधिकारियो को गिफ्ट , भेट आदि दे उनके घर जाइऐ , उनके बीबी वच्चो को मिठाई एवँ मनपसन्द वस्तु का भेट दिजीऐ |
—-अपना दो तीन मुखबीर (स्पाई ) अपने विरोधियो के साथ सदैव लगा दिजीऐ |
—-पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार अपने विरोधियो को सदैव मिठ्ठी बात बोले , आदर दे , उनके परिजनो से हिल मिल जाऐ , दिन मे एक दो बार फोन भी कर ले |
— पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार अपने विरोधियो का जन्म तारीख जन्म समय ,जन्मस्थान भी ज्ञात कर ले ,किसी विद्वान से भाग्य भी समझ ले |
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री —
– मोबाइल–09669290067 ,
–वाट्स अप -09039390067 ,
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मेरा ईमेल एड्रेस हे..—-
– vastushastri08@gmail.com,
–vastushastri08@hotmail.com;
— विरोधी का फोटो भी रखे – तँत्र क्रिया मे काम आएगा – माँ बगलामूखी का जप स्त्रोत्र अनुष्ठान करावे, यह चुनाव से 2/3 माह पहले करावे,+ पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री —
– मोबाइल–09669290067 ,
–वाट्स अप -09039390067 ,
—सन्तो. बच्चो और बुजर्गो की सेवा और सम्मान करे , स्कुल . कालेज क्लबो मे जाऐ ।कुछ कार्यक्रम भी आयोजित करावे |
—  पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार चुनाव के समय  हँसमूख रहे और पैर छुकर प्रणाम वडो को करे बच्चो को गले लगावे |
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विशेष –   यदि आप वाकई राजनीति से हैं तो इन विधियों का प्रयोग अवश्य करें, इनका प्रभाव आपको पूरी तरह से सकारात्मक मिलेगा। किन्तु सामग्रियां सिद्ध और शुद्धतम होनी चाहिए। ये दुर्लभ जरुर हैं मगर नामुमकिन नहीं। प्रयास करेगें तो इनकी उपलब्धि कर लेंगे। चूँकि इसका प्रेक्टिकल प्रयोग हमने कुछ लोगों  पर देखा है जो आज सफल हैं। आपको भी पूरी सफलता मिले हमारी शुभकामना है। आवश्यक होने पर हमारे नम्बर पर किसी भी प्रकार की जानकारी ले सकते हैं। 


मेरी तरफ से सभी पार्टियों तथा उम्मीदवारों को अग्रिम शुभ मंगल कामनाएं..विजयी भव…



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