गलत स्थान पर किचन/रसोई होने से घर में होती हैं क्लेश/किच किच..


प्रिय पाठकों/मित्रों, रसोईघर (किचिन), घर का एक महत्वपूर्ण भाग है। यदि मनुष्य अच्छा भोजन करता है तो उसका दिन भी अच्छा गुजरता है। दुनिया के हर धर्म में रसोईघर को किसी भी भवन/मकान में बेहद अहम माना जाता है। किसी भी घर की रौनक होती है रसोई  और गृह लक्ष्मी का भी ज्यादातर समय रसोई में ही बीतता है। ऐसे में रसोई का वास्तु के अनुसार होना बेहद जरूरी है क्योंकि इसका सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से होता है।स्वच्छ चित्त, प्रसन्न मन और सर्वोत्तम आहार सभी में रसोई की अपनी भूमिका होती है। रसोईघर, आपके घर का अहम हिस्सा है। यहीं भोजन बनता है जिससे परिवार को भोजन मिलता है। रसोईघर परिवार के हर व्यक्ति के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है। अच्छे स्वास्थ्य और ऊर्जा के लिए रसोईघर का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। यह घर का ऐसा स्थान है जहां साल के .65 दिन काम होता है।


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार वास्तुशास्त्र में आवासीय भवनों में सर्वाधिक महत्व रसोई-कक्ष (पाकशाला) को दिया जाता है। चीन में रसोईघर को घर का खजाना (कोष) माना जाता है। घर का यही वह स्थान है, जो अग्नि से सम्बन्धित है। शास्त्रों में अग्नि की दिशा दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) निधार्रित की गई है। अतः गृह-निर्माण में ताप, अग्नि एवं विद्युत उपकरणों आदि के लिए अग्नि कोण उपयुक्त माना गया है।वास्तुशास्त्र के अनुसार व्यक्ति का संतुलित स्वास्थ्य बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि घर में रसोई कक्ष की स्थिति कैसी है, वह किस दिशा में है और किस दिशा में मुख करके भोजन बनाया जाता है।


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार व्यक्ति का स्वास्थ्य एवं धन-सम्पदा दोनो को रसोईघर प्रभावित करता है। अतः घर का यह सबसे महत्वपूर्ण अंग है, क्योंकि इसमें बने या पकाये गये भोजन को खाकर ही व्यक्ति बाहरी जगत में जाकर कर्म-क्षेत्र में उतरकर दक्षता-पूर्वक कार्य करते हुए सफलता अर्जित करता है। मुख्य रूप से रसोईघर के लिए भवन का अग्नि कोण ही काम में लेना चाहिए।


यदि किसी कारणवश इस दिशा में नहीं बनाया जा सकता, तो रसोई कक्ष को भवन के वायव्य कोण में बनाया जा सकता है, बशर्ते इस कक्ष के अग्नि कोण में ही चूल्हा, गैस या स्टोव रखे जायें। वास्तु नियमों के अनुसार गैस, चूल्हे का प्लेट फार्म अग्नि कोण में पूर्वी दीवार के सहारे एवं वायव्य कोण में रसोईघर है तो भी उस कक्ष के अग्नि कोण में पूर्वी दीवार के सहारे बनाना सर्वाधिक उपयुक्त है। प्लेट फार्म ‘एल’ आकार में पूर्वी एवं दक्षिण की दीवार के सहारे बनाना चाहिए, जिसमें दक्षिणी दीवार के पास रसोई का अन्य सामान रखने के काम मे ले तथा पूर्वी दीवार के पास चूल्हा, स्टोव रखें। इससे बनाने वाली का मुख पूर्व दिशा मे होगा जो कि वास्तुअनुसार सहीं है।


वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार वास्तु शास्त्र  में भी किचन को लेकर कई टिप्स दिए गए हैं।


रसोईघर के लिए उपाय—


विभिन्न ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार रसोईघर को शुभ दिशा में होना चाहिए। यदि रसोईघर सही दिशा या स्थिति में नहीं है तो यह कई प्रकार की समस्या उत्पन्न कर सकता है। वैदिक वास्तुशास्त्र के अनुसार रसोईघर के लिए निम्न उपाय हैं…


—वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार रसोईघर को घर के पूर्व व दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि ये दोनों दिशाएं वायु और प्रकाश का संचालन करती हैं।
—रसोईघर की दीवारों का रंग सफेद रखना चाहिए. सफेद रंग स्वच्छता की निशानी माना जाता है।
—-रसोईघर में टूटे हुए बर्तन, और शीशा कभी नहीं रखने चाहिए। ऐसी चीजें अशुभ साबित हो सकती हैं।
—–जरूरत न होने पर रसोई का दरवाजा बंद ही रखना चाहिए।
—–झाड़ू और पोछे को रसोईघर से दूर रखना चाहिए। ऐसी चीजें घर में अन्न की कमी का आभास कराते हैं।
—-रसोईघर को घर में मुख्य प्रवेश द्वार के सामने नहीं होना चाहिए। ऐसे में विवाद होना संभव है।
—-रसोईघर में बिजली के अत्यधिक उपकरण नहीं रखने चाहिए।
—-रसोईघर में पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए।
—जल और अग्रि साथ-साथ न हों इसके लिए बर्तन धोने का सिंक और पानी के नल चूल्हे से दूर होने चाहिएं।
—गैस चूल्हे के ऊपर सामान रखने के लिए अलमारियों का निर्माण नहीं करवाना चाहिए।
— आपकी किचन में हवा का आवागमन सुगमता से हो सके, इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए।
— आपकी रसोई घर की दीवार से सटा कर, इसके ऊपर या नीचे टॉयलैट नहीं होना चाहिए।
—-यदि आपके किचन में बड़ा छज्जा निकला है तो इससे नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहता है।
— आपकी रसोई घर के एकदम मध्य में बैठकर कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए साथ ही रसोई घर का चूल्हा बाहर बैठे व्यक्ति को दिखाई नहीं देना चाहिए।
—चाकू, कैंची या किसी अन्य कटार को रसोईघर की दीवार पर नहीं लटकाना चाहिए।
—-इस्तेमाल में न आने वाले बर्तन व बासी भोजन को रसोईघर में नहीं रखना चाहिए।
—भोजन कक्ष का निर्माण रसोई घर के नजदीक ही करना चाहिए, यथासंभव पूर्व  या पश्चिम की तरफ हो।इसके साथ साथ इस बात का भी ध्यान रखें की बैठने का आयोजन इस प्रकार हो कि खाने वाले का मुंह दक्षिण की तरफ न हो।भोजन करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर की ओर होना अच्छा माना जाता है। 
—रसोईघर में दिन में पर्याप्त रोशनी आनी चाहिए। रसोईघर में अगर दिन में अंधेरा रहता है तो यह वास्तु के लिहाज से ठीक नहीं है और न ही आपकी सेहत के लिए अच्छा है। रसोईघर की दीवारों का रंग कभी फीका नहीं पड़ने दें। रसोई से धुआं निकलने का पूरा प्रबंध होना चाहिए। दीवारों में अगर दरार या टूट फूट हो जाए तो इसकी मरम्मत तुरंत कराएं।
—-किचन को हमेशा साफ रखें। रात में सोने से पहले किचन की सफाई कर लें। झूठे बर्तन वॉश बेसिन में नहीं छोड़ें। 
—रंग का चयन करते समय भी विशेष ध्यान रखें। महिलाओं की कुंडली के आधार पर रंग का चयन करना चाहिए।
—-रसोई घर में रंगों का आयोजन बहुत हल्का होना चाहिए।वास्तु  अनुसार ही रंगों का चयन हो तो रसोई समृद्धशाली बनती है। किचन में हल्का हरा, हल्का नींबू जैसा रंग, हल्का संतरी या हल्का गुलाबी उपयुक्त होता हैं |
—किचन में कभी भी ग्रेनाइट का फ्लोर या प्लेटफार्म नहीं बनवाना चाहिए और न ही मीरर जैसी कोई चीज होनी चाहिए, क्योंकि इससे विपरित प्रभाव पड़ता है और घर में कलह की स्थिति बढ़ती है।
—पानी के भंडारण, आरओ, पानी फिल्टर और ऐसे सामान जहां पानी संग्रहित किया जाता है, इसके लिए उपयुक्त स्थान उत्तर पूर्व दिशा है।सिंक उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए। बिजली के उपकरण दक्षिण पूर्व या दक्षिण दिशा में रखना अधिक उपयुक्त माना जाता है। प्रिज को पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण पूर्व या दक्षिण पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है।
—-अनाज, मसाले, दाल, तेल, आटा आदि खाद्य सामग्रियों को भंडारण के लिए पश्चिम या दक्षिण दिशा में रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार रसोईघर की कोई भी दीवार शौचालय या बाथरूम के साथ लगी नहीं होनी चाहिए। अगर फ्लैट में रह रहे हैं तो शौचालय और बाथरूम, रसोईघर के नीचे या ऊपर भी नहीं होना चाहिए।
—- खाना बनाते समय किचन में हमेशा अच्छे मूड से जाना चाहिए।
 “कहा जाता है एक हैप्पी कूक इज द बेस्ट कूक”।
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जानिए रसोईघर में सामान रखने के उपयुक्त स्थान —
—चूल्हा, स्टोव या गैस, रसोईघर में इस प्रकार से रखा होना चाहिए कि जातक दरवाजे को देख सके. इससे मनुष्य तनावमुक्त होता है।
—रसोईघर में माइक्रोवेव ओवन को दक्षिण- पश्चिम दिशा में रखना चाहिए, जिसके फलस्वरूप रसोईघर स्वत: ही सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है।
—रेफ्रिजरेटर एक इलेक्ट्रिक मशीन है, जिसे ऐसे स्थान या मंडल में रखना चाहिए जो जातक के लिए विशेष प्रेरक के रूप में हो।
—-दक्षिण दिशा में रेफ्रिजरेटर रखने से नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, क्योंकि दक्षिण दिशा का तत्व ‘अग्नि’ है। जिसके फलस्वरूप दक्षिण दिशा, रेफ्रिजरेटर के ठंडे तापमान से मेल नहीं खाता।
– रसोई घर में यदि वास्तुदोष हो तो पंचररत्न को तांबे के कलश में डालकर उसे ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व के कोने में स्थापित करें।
– निर्माण के समय ध्यान रखे की रसोई घर आग्नेय कोण में हो अगर पूर्व में ही रसोईघर किसी और दिशा में बना हो तो उसमें लाल रंग कर उसका दोष दूर किया जा सकता हैं।
– रसोई घर के स्टेंड पर काला पत्थर न लगवाए।
– रसोई घर में माखन खाते हुए कृष्ण भगवान का चित्र लगाएं। इससे आपका घर हमेशा धन-धान्य से भरा रहेगा।
– खाना बनाते समय गृहिणी की पीठ रसोई के दरवाजे की तरफ न हो, यदि ऐसा हो तो गृहिणी के सामने दीवार पर एक आईना लगाकर दोष दूर किया जा सकता है।
– यदि रसोई का सिंक उत्तर या ईशान में न हो और उसे बदलना भी संभव न हो तो लकड़ी या बांस का पांच रोड वाला विण्ड चिम सिंक के ऊपर लगाएं।
– चूल्हा मुख्य द्वार से नहीं दिखना चाहिए। यदि ऐसा हो और चूल्हे का स्थान बदलना संभव नहीं हो तो पर्दा लगा सकते हैं।
– यदि घर में तुलसी का पौधा न हो तो अवश्य लगाएं। कई रोगों व दोषों का निवारण अपने आप हो जाएगा।
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जानिए वास्तु अनुसार आठों दिशानुसार रसोईघर का प्रभाव (लाभ या हानि)—-


.. ईशान- भवन के ईशान कोण मे रसोई कक्ष का होना अत्यन्त अशुभ है। क्योंकि इससे वंश वृद्धि रूक जाती है, धन की हानि, कम लड़के होना, अत्यधिक खर्चे, मानसिक तनाव और निर्धनता की सूचक है। घर की महिलाओं की खाना बनाने मे रूचि नहीं होगी तथा परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य बिगड़ता जाता है।


.. पूर्व- पूर्व की ओर रसोई होना भी अनुचित है। इससे भी नुकसान होते हैं। वंश परम्परा का रूक जाना, व्यवहार रूखा होना एवं सभी सदस्यों की नीयत खराब होती है।


3. आग्नेय-दक्षिण- पूर्व (आग्नेय) कोण में रसोई या भट्ठी बहुत उत्तम मानी गई है। इस रसोई में बना खाना सभी को संतुष्ट करता है तथा सभी लोग स्वस्थ्य रहते हैं। स्वास्थ्य तथा समृद्धि प्राप्त होती है, लेकिन स्टोर रूम इस कोण में कदापि न बनवायें।


4. दक्षिण- इस दिशा में रसोई रखने से गरीबी, बैचेनी और मानसिक तनाव बने रहेंगे।


5. नैर्ऋत्य- दक्षिण-पश्चिम (नैर्ऋत्य) कोण में रसोई कक्ष होने से शारीरिक और मानसिक रोग पैदा होते हैं। गृह कलेष,  परेशानियां, दुर्धटना का भय बना रहता है। लापरवाहीवश विषाक्त भोजन बन सकता है।


6. पश्चिम- इस दिशा में रसोई कक्ष होगा तो परिवार के सदस्यों में आए-दिन कलह होगी। गृह-क्लेश के साथ तलाक तक की मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।


7. वायव्य- उत्तर-पश्चिम (वायव्य) कोण रसोई के लिए द्वितीय श्रेष्ठ विकल्प है। अगर वायव्य दिशा में रसोईघर बना हो तो घर की बहुंए एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाती पाई जांएगी ओर घर की शांति भंग हो जाएगी। इसलिए वास्तुअनुसार ही रसोईघर को बनाये।


8. उत्तर- यह दिशा रसोई घर के लिए अत्यन्त अशुभ है। यहाँ का रसोईघर विवाद एवं सदाबहार गरीबी का प्रतीक है।  रसोईघर अगर उत्तरदिशा में होगी तो समझिये कि आप कुबेर को जला रहे हैं क्योंकि रसोई में अग्नि तत्व प्रघान होता है। इससे घर में जैविक ऐनर्जी का असंतुलन पैदा हो जाता है। खर्चा बहुत ज्यदा बढ़ जाता है। घर में आर्थिक स्थिती खराब होनी शुरू हो जाती है। जो पैसा उघार ले जाता है वह  वापस देने का नाम नहीं लेता।वास्तुविद पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार रसोईघर में भारी सामान अगर उत्तर दिशा में रखा होगा तो भी घन की रूकावट रहेगी। पैसा आयेगा पर रूक रूक कर आयेगा। आप कमाते जाएंगें  और  पैसा जलता जाऐगा। एक वक्त ऐसा आ जायेगा कि तंग आकर आप अपना मकान बेचने की कोशिश करेगें पर मकान की कोई अच्छी कीमत नहीं मिलेगी क्योंकि उत्तर दिशा में रसोईघर होने से जैविक ऐनर्जी की कमी हो जाती है। इस लिये रसोईघर को वास्तुशास्त्र के नियमो के अनुसार बनाना चाहिये।
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जानिए भोजन बनाते समय मुख की दिशानुसार प्रभाव—-


1. उत्तर- उत्तर की तरफ मुख करके खाना बनाना अत्यन्त अशुभ है। इससे घर व बाहर विवाद बढ़ेंगे। घर में खर्चा बहुत ज्यदा बढ़ जाता है। घर में आर्थिक स्थिती खराब होनी शुरू हो जाती है। जो पैसा उघार ले जाता है वह वापस  देने का नाम नहीं लेता।


2. पूर्व- रसोइया यदि पूर्वाभिमुख होकर भोजन बनाए तो वह प्रसन्नता पूर्वक काम करेगा तथा शास्त्रानुसार भी पूर्व दिशा में मुख खाना बनाने के लिए आदर्श माना गया है।


3. दक्षिण- दक्षिण में मुख करके खाना बनाने से निर्धनता आती है। जोड़ र्दद ,सिर में र्दद ,माइग्रेन होने की समस्या हमेशा बनी रहेगी।


4. पश्चिम- पश्चिम में मुख करके खाना बनाने वाली स्त्री अपने पतियों की तुलना में अपना सौन्दर्य खो देती हैं और शीघ्र ही पतियों से अधिक आयु की दिखाई देने लगती हैं। इस लिये रसोईघर को वास्तुशास्त्र के नियमो के अनुसार बनाना चाहिये।

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