जानिए वास्तु  अनुसार कैसे पेड़ पौधे होते हैं घर के लिए लाभकारी–


प्रिय पाठकों/मित्रों हमारी भारतीय संस्कृति में वृक्षों का अपना महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आयुर्वेद के जनक महर्षि चरक ने भी  वातावरण की शुद्धता के लिए विशेष वृक्षों का महत्व बताया है। अंततोगत्वा भूमि पर उत्पन्न होने वाले वृक्षों के आधार पर भूमि का चयन किया जाता है। 

वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री  बताते हैं की कांटेदार वृक्ष घर के समीप होने से शत्रु भय होता है। दूध वाला वृक्ष घर के समीप होने से धन का नाश होता है। फल वाले वृक्ष घर के समीप होने से संतति का नाश होता है। इनके काष्ठ भी घर पर लगाना अशुभ हैं। कांटेदार आदि वृक्षों को काटकर उनकी जगह अशोक, पुन्नाग व शमी रोपे जाएं तो उपर्युक्त दोष नहीं लगता है।


वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में कैक्टस का पेड़ न लगायें वास्तु शास्त्र के अनुसार घर, दुकान, फैक्ट्री या व्यावसायिक परिसरों में कैक्टस का पेड़ लगाने से मना किया जाता है। कैक्टस में कांटे होते हैं और कांटे वाले कोई भी पौधे घर के आस-पास नहीं होना चाहिए। जिस घर में कांटे होंगे वहाँ पर रहने वाले लोग एक-दूसरे को चूभने वाली बात कहते रहेंगे। कैक्टस मूलतः रेगिस्तान में होता है। इसका अर्थ है कैक्टस ऐसे स्थान पर होता है जहाँ पर कुछ भी नहीं होता। इसलिए कैक्टस के पौधे को घर में लगाने से घर उजाड़ हो जायेगा, घर को रेगिस्तान में बदलते देर नहीं लगेगी। कैक्टस के पौधे से दूध जैसा सफेद द्रव्य निकलता है और वास्तु शास्त्र में दूध वाले पौधे को लगाने से दोष होता है।
  
अपने घर में और आंगन में कौन पेड़-पौधे नहीं लगाना चाहता है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा जिसको प्रकृति से प्यार ना हो। प्रकृति हम इंसानों के लिए एक वरदान है। प्रकृति के पास इंसान की हर समस्या का समाधान और उपाय है। इसलिए आज हम आपको ऐसे पौधों के बारे मे बताने जा रहे हैं। जिसके घर में होने से आपके घर मे न सिर्फ सुख शांति लाएंगे, बल्कि धन की प्राप्ति भी होगी। ये पौधे अपने आप में एक वरदान है।


वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार वास्तुशास्त्र कहता है कि यदि कोई वृक्ष गलत दिशा या स्थान पर लगा दिया जाय तो वह भी दुर्भाग्य का कारण बन जाता है। वराह मिहिर ने अपने वास्तुशास्त्र में इसका विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया है। उनके अनुसार, यदि घर के निकट पलाश, वट,उदुम्बर, पीपल आदि के वृक्ष पश्चिम, उत्तर या पूर्व में हो तो गृहस्वामी आपदाओं तथा कष्टों से घिरा रहता है। लेकिन यदि उत्तर में पलाश, पूर्व में वट, दक्षिण में उदुम्बर और पश्चिम में पीपल का वृक्ष लगा हो तो ये गृहस्वामी को धन-धान्य से परिपूर्ण करते हैं। 


संपूर्ण भवन निर्माण के बाद कभी भी नैऋत्य एवं आग्नेय कोण में उद्यान या बाग-बागीचा नहीं लगाना चाहिए। यदि इस प्रकार का कृत्य किया जाता है तो इसका विनाशकारी परिणाम भुगतना पड़ता है। जो व्यक्ति अपने घर के उद्यान में गलत दिशा में पेड़-पौधे लगाता है, वह जान-बूझकर अनिष्ठ को आमंत्रित करता है। इससे वह स्वयं तो  नष्ट होता ही है, पुत्र-पौत्रों के अनिष्ट तथा धन-हानि का भी कारण बनता है। फलदार, शूल वाले अथवा दूध वाले वृक्ष निवास स्थान के समीप नहीं लगाने चाहिए। ऐसे वृक्षों की छाया एक प्रहर भी घर पर पड़ना शुभ नहीं होता अर्थात् केला, चम्पा, चमेली और पाटल वृक्ष का घर में होना शुभ नहीं है। इससे घर में लक्ष्मी नष्ट हो जाती है। फलतः अनेक कष्टों का सामना करना पड़ता है। 


वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार जो व्यक्ति गृह-परिवार का सुख, शांति और समृद्धि की छाया चाहता है उसे कभी भी अपने घर में पलाश, कचनार, श्लेष्मांतक, अर्जुन एवं करंज आदि के वृक्ष नहीं लगाने चाहिए। ये सभी वृक्ष सुख-शांति छीनने वाले होते हैं।  जिस घर के उद्यान में बेर, केला, अनार और एरंड आदि के वृक्ष पनपते हैं, उस घर में पुत्र-पौत्रों का विकास नहीं हो पाता। यदि कांटेदार वृक्ष घर के अन्दर हों तो गृहस्वामी को सदैव शत्रु भय  सताता रहता है। अगर क्षीर वृक्ष या दुग्ध युक्त वृक्ष घर के उद्यान में हों तो वे लक्ष्मी के प्रवेश में रुकावट पैदा करते हैं। जिस वृक्ष में कांटे, फल एवं दुग्ध-तीनों का सम्मिश्रण हो, वह जनहानि का कारण बनता है। अतः इन सभी अनिष्टकारी वृक्षों को भवन से दूर रखकर इनके दुष्परिणामों से बचना चाहिए।  गृहस्वामी को किसी भी प्रकार के वृक्ष की छाया अपने निवास स्थान पर नहीं पड़ने देना चाहिए। ये वृक्ष चाहे कितने ही श्रेष्ठ क्यों न हों और भले ही स्वर्ण फल देते हों, वे अनिष्टकारी ही सिद्ध होंगे। 


वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि व्यक्ति वृक्षों का शुभ लाभ प्राप्त करना चाहता है तो उसे इस तरह वृक्ष लगाना चाहिए। घर की पूर्व दिशा में बरगद या वट वृक्ष लगाने पर समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यदि उदुम्बर का वृक्ष दक्षिण में, पीपल का वृक्ष पश्चिम में एवं पलाश का वृक्ष उत्तर दिशा में  लगाया जाए तो यह गृहस्वामी को हर दृष्टि से लाभान्वित करते हैं। इसके अतिरिक्त सभी प्रकार के वृक्षों को निवास स्थान के निकट लगाना अशुभ माना गया है। यदि कोई व्यक्ति अपनी वंश-वृद्धि करना चाहता है, तो उसे अपने आवास के उत्तर और पश्चिम दिशा में उद्यान लगाना चाहिए। इससे पुत्र-पौत्रों की संख्या में वृद्धि होती है। अतः व्यक्ति को उद्यान लगवाते समय दिशा विशेष का ध्यान अवश्य रखना चाहिए । जो व्यक्ति पीपल के वृक्ष का रोपण अपने उद्यान में करता है, वह श्री विष्णु धाम की स्थापना करता है। परंतु यह रोपण पूर्ण विधि-विधान के साथ किया जाना चाहिए। ऐसा करने से गृहस्वामी को वैकुण्ठ में स्थान मिलता है। 


वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार जो व्यक्ति बरगद के वृक्ष का रोपण यमक के रूप में (दो वट वृक्षों को लगाना) करता है, वह निश्चित ही शिव धाम को प्राप्त करता है। वहां उसका  स्वागत अप्सराओं एवं गन्धर्वों द्वारा होता है। जो व्यक्ति भगवान महादेव को अति प्रिय बिल्ब वृक्ष अपने आंगन में लगाता है, उसके घर में लक्ष्मी पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहती है। जो व्यक्ति अपने घर के आंगन में आंवले के वृक्ष का रोपण करता है, उसे ब्राह्मणों का आशीर्वाद निरंतर मिलता रहता है। इस प्रकार गृहस्वामी को अनेक यज्ञों का पुण्य एक साथ प्राप्त होता है। जो व्यक्ति तुलसी के पौधे का रोपण अपने आंगन में करता है, वह हजारों वर्षों तक वैकुण्ठ धाम में स्थान पाता है। उचित स्थान पर लगा वृक्ष धन लक्ष्मी के आगमन में सहायक होता है। वह गृहस्वामी को सुख, ऐश्वर्य और धन-धान्य से संपन्न कर देता है। लेकिन गलत दिशा में वृक्ष रोग, भय, निर्धनता और दुखों का कारण बनता है। अतएव भवन निर्माता को किसी भी प्रकार के भवन निर्माण में वास्तु के सिद्धांतों का पूर्णतः पालन करना चाहिए। इससे गृहस्वामी जीवन पर्यन्त मां लक्ष्मी की छत्रछाया में रह सकता है।


सबसे अहम बात अगर आप इन पेड़ों को घर मे रख रहे है तो इनका ख्याल रखना भी आपकी जिम्मेदारी है। जितना ज्यादा ये पेड़ बढ़ेंगे उतना ज्यादा घर मे सुख शांति व धन की प्राप्ति होगी, बल्कि घर के वातावरण में शुद्धि आती है। लेकिन कई बार हम अपने अल्पज्ञान की वजह से घर के लिए गलत पौधों और पेड़ों का चुनाव कर लेते हैं जो बाद में परिवार के लोगों के सुख और शान्ति को प्रभावित करते हैं। वास्तु के अनुसार कांटों वाले पेड़-पौधे घर में नहीं लगाने चाहिए। वहीं जिन पेड़-पौधों की पत्तियों या टहनियों को तोड़ने पर दूध निकलता हो उन्हें घर में नहीं लगाना चाहिए। यह सर्वविदित है कि वृक्ष-वनस्पति हमारे जीवन के विशेष अंग हैं। कुछ वृक्षों को देवता स्वरूप माना गया है। इन वृक्षों के दर्शन-पूजन से विशेष सुख की प्राप्ति होती है। यह मान्यता है कि केला के मूल में विष्णु का निवास है। यदि शमी वृक्ष पर पीपल उग आए तो वह नर-नारायण का रुप है। नीम पर भैरव का निवास है। आक पर कामदेव का निवास है। गूलर, बाँस, बेरिया, पीपल प्रेत के निवास-स्थान माने जाते हैं। तुलसी, पीपल, वट, दूब, अशोक, गूलर, छोंकर, आँवला, अंडी, आक, केला, नीम, कदंब, बेल, कमल को देव समान पूजा जाता है।


आइये वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री जी से जानते हैं कि वो कौन-कौन से पेड़-पौधें हैं, जिन्हें घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।


तुलसी का पौधा—
अक्सर आपने तुलसी के पौधे के कई फायदे सुने होंगे। तुलसी एक अद्भूत औषधि पौधा है। तुलसी में रोग नाश करने का क्षमता होने के साथ तुलसी घर में आने वाली विपत्ति को रोकती है और जिन विपत्ति को रोक नहीं पाती उसका संकेत दे देती है। हिन्दू धर्म के हिसाब से तुलसी को लक्ष्मी का दूसरा रूप माना गया है। तुलसी का पौधा घर में उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा में लगाया जाना चाहिए। इन दिशाओँ में तुलसी का पौधा घर में सकारात्मक ऊर्जा को प्रदान करता है। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को एक तरह से लक्ष्मी का रूप माना गया है। आपके घर में यदि किसी भी तरह की निगेटिव एनर्जी मौजूद है तो यह पौधा उसे नष्ट करने की ताकत रखता है। हां, ध्यान रखें कि तुलसी का पौधा घर के दक्षिणी भाग में नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि यह आपको फायदे के बदले काफी नुकसान पहुंचा सकता है। तुलसी को घर में ईशान या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए।जिस भूमि पर तुलसी के पौधे लगे हों वहां भवन निर्माण करना उत्तम है तुलसी का पौधा अपने चारों  ओर का 5. मीटर तक का वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना गया है।   


बांस का पेड़—
वास्तु में बांस के पेड़ को लेकर ऐसी मान्यताएं हैं कि इस पेड़ को घर में लगाने से घर में सुख समृद्धि और तरक्की होती है। आप कही भी धन और यश के लिए इस पौधे को घर में रख सकतें है। इससे घर में मौजूद नकारात्मक उर्जा भी समाप्त होती है।बांस का पौधा घर में लगाना अच्छा माना जाता है। यह समृद्धि और आपकी सफलता को ऊपर ले जाने की क्षमता रखता है। अगर आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी आपको अपने कार्यक्षेत्र में मनचाही सफलता नहीं मिल रही है तो आपको अपने भवन/कार्यालय में बांस का पौधा लगाना चाहिए। बांस संसार का अकेला ऐसा पौधा है जो हर वातावरण में हर मुश्किलों के बाद भी तेजी से बढ़ता है। इसीलिए इसे उन्नति, दीर्घ आयु और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। भारतीय वास्तु शास्त्र में भी बांस को बहुत शुभ माना गया है। भगवान श्री कृष्ण भी हमेशा अपने पास बांस की बनी हुई बांसुरी रखते थे। सभी शुभ अवसरों जैसे मुण्डन, जनेऊ और शादी आदि में बांस का अवश्य ही उपयोग किया जाता है। 


केले का पेड़—
केला भी एक दिव्य गुणों से भरा पौधा है। केला एक फलदार पौधा होने के साथ घर में सुख और सपत्ति के संकेत देता है। हिन्दू धर्म के अनुसार केला के पौधे में भगवान् विष्णु का वास होता है और जिनके घर में यह पौधा होता है उनके घर की आर्थिक स्थिति कभी ख़राब नहीं होने देता। ईशान कौण की दिशा में केले का पेड़ लगाया जाना शुभ बताया गया है।


हल्दी का पौधा—
हल्दी तुलसी की तरह वरदान प्राप्त पौधा है। यह गुणकारी और चमत्कारी पौधा है। हल्दी सर्व गुण युक्त पौधा है। हल्दी एक मात्र ऐसी वस्तु है जिसका उपयोग हर काम में होता है, जैसे कि पूजा, औषधि, आहार, सौन्दर्य प्रसाधन।


आंवले का पेड़— घर में आंवले का पेड़ लगायें और वह भी उत्तर दिशा और पूरब दिशा में हो तो यह अत्यंत लाभदायक है। आंवले के पौधे की पूजा करने से सभी मनौतियाँ पूरी होती हैं। इसकी नित्य पूजा-अर्चना करने से भी समस्त पापों का शमन हो जाता है। 


अशोक का पेड़— हिन्दू धर्म में अशोक के वृक्ष को बहुत ही शुभ और लाभकारी माना गया है। अशोक अपने नाम के अनुसार ही शोक को दूर करने वाला और प्रसन्नता देने वाला वृक्ष है। इससे घर में रहने वालों के बीच आपसी प्रेम और सौहार्द बढ़ता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से घर में सुख, शांति एवं धन समृद्धि का वास होता है एवं उस घर में किसी की भी अकाल मृत्यु नहीं होती। 


श्वेतार्क का पौधा-श्वेतार्क गणपति का पौधा दूधवाला होता है। वास्तु सिद्धांत के अनुसार दूध से युक्त पौधों का घर की सीमा में होना अशुभ होता है। किंतु श्वेतार्क या आर्क इसका अपवाद है। ऐसी भी मान्यता है कि जिसके घर के समीप श्वेतार्क का पौधा फलता-फूलता है वहां सदैव बरकत बनी रहती है।


अनार का पेड़—
अनार एक गुणकारी पौधा है। वास्तु के अनुसार अनार का पौधा ग्रह दोष को दूर करने और इंसान को समृद्ध बनाने वाला पौधा है। इसका घर में होने से घर ग्रहों के दोष से बचता है।


पारिजात का पौधा—
पारिजात के पौधे के लिए शास्त्रों में लिखा है कि इसका वृक्ष समुद्रमंथन से निकला था। इसके फूल को भगवान पर चढाने से स्वर्ण दान का पुन्य मिलता है और इसके घर में होने से सारे देवता की कृपा घर में बनी रहती है।


शमी का पेड़–
शमी का पौधा घर में होना भी बहुत शुभ माना जाता है। ज्योतिष में इसका संबंध शनि से माना जाता है और शनि की कृपा पाने के लिए इस पौधे को लगाकर इसकी पूजा-उपासना की जाती है। इसका पौधा घर के मुख्य द्वार के बाईं ओर लगाना शुभ है। शमी वृक्ष के नीचे नियमित रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं, इससे शनि का प्रकोप और पीड़ा कम होगी और आपका स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। शमी का पौधा घर में बाहर की तरफ ऐसे स्थान पर लगाएं जिससे यह घर से निकलते समय दाहिनी ओर पड़े।


गुड़हल का पौधा—
अक्सर गुड़हल का फूल को लोग सुंदरता के लिए इस्तेमाल करते है। क्या आप जानते है, घर में गुड़हल का पौधा लगाने से कानून सम्बन्धी सारे काम पूरे हो जाते है। इस पौधे को रखने के लिए दिशा की जरुरत नहीं है, आप कहीं भी इस पौधे को रख सकती है।गुड़हल- गुड़हल का पौधा ज्योतिष में सूर्य और मंगल से संबंध रखता है, गुड़हल का पौधा घर में कहीं भी लगा सकते हैं। गुड़हल का फूल जल में डालकर सूर्य को अघ्र्य देना आंखों, हड्डियों की समस्या और नाम एवं यश प्राप्ति में लाभकारी होता है। मंगल ग्रह की समस्या, संपत्ति की बाधा या कानून संबंधी समस्या हो, तो हनुमान जी को नित्य प्रातः गुड़हल का फूल अर्पित करना चाहिए। माँ दुर्गा को नित्य गुड़हल अर्पण करने वाले के जीवन से सारे संकट दूर रहते हैं। नारियल – नारियल का पेड़ भी शुभ माना गया है । कहते हैं, जिनके घर में नारियल के पेड़ लगे हों, उनके मान-सम्मान में खूब वृद्धि होती है। 


दूब का पौधा— दूब को देवी का रुप माना गया है तथा इसकी पूजा से सुख-सम्पत्ति-संतान की प्राप्ति होती है। दूब गणेश को प्रिय है तथा गणेशजी की पूजा में दूब का होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।


बेल पत्र का पेड़–
आप सभी जानते होंगे कि बेल पत्र भगवान शिव को कितना पसंद है, ऐसा माना जाता है कि बेल पत्र के पेड़ पर भगवान शिव स्वयं वास करते हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें जहाँ बेल का पेड़ होता है वहां पीढ़ी दल पीढ़ी लक्ष्मी जी वास करती है।
———————————————————–
वास्तु अनुसार सभी आठों दिशाओं में पेड़ पौधें, लता ऐसे लगायें:-


उतर दिशा – पलाश, पीले फूल, छोटे पोधे, अमरुद, कैंथ, पाकड़ तथा कमल के फूल। 
पूर्व  दिशा – वट,, कटहल ,आम। पश्चिम दिशा – पीपल ,अशोका , निलगिरी। 
दक्षिण दिशा – उदुम्बर , नीम, नारियल, अशोक ,गुलाब । 
इर्शान दिशा (उतर-पूर्व )—केले का पौधा |

—————————————————————————-
पेड़-पौधों के चयन में यह रखें सावधानी—


वास्तुशास्त्र के नियमानुसार आठों दिशाओं में अलग-अलग पेड़ पौधें, लता आदि लगाने से वास्तु की उर्जा संतुलित रहती है जिससे  घर में सुख शांति, लक्ष्मी की प्राप्ती होती है। 


–सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए। इसे भी  वास्तुशास्त्र ने उचित नहीं माना है, क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले जीव-जंतु का वास होता  है। 
 —जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद, अनार, पलाश आदि के वृक्ष बहुत हों वह भूमि, वास्तुशास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई गई है।   
—भवन निर्माण के पहले यह भी देख लेना चाहिए कि भूमि पर वृक्ष, लता, पौधे, झाड़ी, घास, कांटेदार वृक्ष  आदि नहीं हों।   
–जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं उन्हें कभी भी उस भूमि पर निर्माण नहीं करना चाहिए,  जहां पीपल या बड़ का पेड़ हो।  
—आम, नीम, बहेड़ा तथा काँटेदार वृक्ष, पाकर, गूलर,पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित  कहे गए हैं।  
—-आपके भवन के निकट वृक्ष कम से कम 50  फिट की दूरी पर होना चाहिए ताकि  उसकी छाया भवन पर न पड़े।   


अब अंत में अगर रसोईघर की बात करें तो यहाँ वास्तु के अनुसार पुदीना, हरी मिर्च और धनिया जैसे छोटे पौधे लगाना शुभ बताया गया है। इन पौधों का वैज्ञानिक और वास्तु दोनों का अपना महत्त्व बताया गया है। ये सारे पौधे न केवल प्रकृति अपितू इंसानों के जीवन में भी हरियाली बिखेर देते हैं। घर छोटा हो या बड़ा लेकिन इन पौधों को घर में रखकर आप अपने घर का वातावरण शुद्ध और समृद्ध बना सकते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here