मौनतीर्थ धाम, उज्जैन (मध्यप्रदेश)—वेदज्ञान की अद्भुत पाठशाला—



आइये जाने और समझे मौनतीर्थ, उज्जैन (मध्यप्रदेश) के विभिन्न प्रकल्पों एवं अन्य सामाजिक कार्यों को…


उज्जैन (मध्य प्रदेश)…. देश की धर्मनगरी उज्जैन , एक ऐसा शहर है, जहां शिप्रा नदी उत्तर की तरफ  बह रही है। इसलिए यहां शिप्रा को गंगा तुल्य मानकर गंगा भी कहा गया है। तभी तो इस नदी के घाट को गंगाघाट की मान्यता है और यहां प्रतिदिन हरिद्वार में हर की पौड़ी की तरह ही गंगा आरती भी होती है।


भगवान् श्रीकृष्ण,बलराम,सुदामा की वि‍द्याध्ययन स्थली सांदीपनी आश्रम के समीप ही मौनतीर्थ गंगाघाट के किनारे स्थित है । एक ऐसा धाम, जो न सिर्फ वेद ज्ञान की पाठशाला है बल्कि अध्यात्म चितंन, मानस वंदन का अद्भुत केन्द्र भी है। 


ब्रह्मर्षि श्री श्री मौनी बाबा जी—



पुराणों में वर्णित “ऋषि” के दर्शन परम पूज्य श्री श्री मौनी बाबा के दर्शन करने से हो जाते हैं| तपस्या , साधना, भक्ति के परम धाम मौनी बाबा अपने भक्तो की परम आस्था का केंद्र है | वे सतत मौन रहते है तथा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं| मौनी बाबा के कठोर तप से मौनतीर्थ गंगा घाट का वातावरण चमत्कारिक शांति व प्रसन्नता प्रदान करता है | उनके दर्शन के पश्चात् जीवन के अनेक प्रसंगों में शुभ परिवर्तन के संकेत मिलते है | कहा जाता है कि परम पूज्य मौनी बाबा के दर्शन जीवन में अत्यंत दुर्लभ क्षण में होते है | उनके आशीर्वाद से अनेक भक्त गण लाभ प्राप्त कर चुके है | परम पूज्य मौनी बाबा ब्रह्मर्षि हैं, ऋषि श्रेष्ठ हैं तथा तपस्या रत योगी हैं | उनका प्रत्येक भक्त उनके आशीर्वाद के पश्चात् हुए चमत्कारों से अभिभूत है |परम पूज्य ब्रह्मर्षि श्री श्री मौनी बाबा के दर्शन हेतु मौन तीर्थ आश्रम में संपर्क कर समय निर्धारित करना होता है|


परम पूज्य ब्रह्मर्षि श्री श्री मौनी बाबा के के दिग्दर्शन और श्रीराम चरितमानस कथा के मर्मज्ञ सुमन भाई के कुशल नेतृत्व में यह धाम राष्ट्र व समाज को आध्यात्मिकता के रास्ते पर ले जाकर वेद ज्ञान के माध्यम से चरित्र निर्माण का पाठ पढ़ा रहे हैं। सुमन भाई के शब्दों में आज मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का चरित्र जन-जन को आत्मसात कराने के लिए श्रीराम को मंदिरों से बाहर लाकर चौराहों पर प्रतिष्ठित करने की आवश्यकता है। इसी आवश्यकता को पूरी करने में लगे सुमन भाई जगह-जगह रामकथाओं के माध्यम से राम को आत्मसात कराने का अभियान चलाए हुए हैं। वहीं उनके मौन तीर्थ धाम में करीब एक सौ की संख्या में बाल विद्यार्थी वेद की शिक्षा गुरुकुल वातावरण में प्राप्त कर रहे हैं।


मानस भूषण संत डॉ. सुमन भाई जी—-
पतित पावनी भागीरथी माँ गंगा के किनारे १३ अप्रैल १९५८ को संत श्री सुमन भाई जी का जन्म हरिद्वार में हुआ| मोक्ष दायी हरिद्वार के धार्मिक परिवेश में संत सुमन भाई के मन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान् राम के प्रति सहज ही अनुराग का अंकुरण हुआ |



आधुनिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित होने के बावजूद इस मौन तीर्थ धाम में प्राचीन गुरुकुल परम्परा मौजूद है, जहां विद्यार्थी पीली धोती व सफेद कुर्ते में शुद्ध आचरण व वेद का अध्ययन कर अच्छे नागरिक बनने की तैयारी कर रहे हैं। यहां की गौशाला भी निराली है, जहां पल रही 6. गायों को उनके अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। विभिन्न देवियों व नदियों के नाम से रखे गए इन नामों की नेमप्लेट भी उनके सामने लगी है यानी आप नेमप्लेट देखकर भी गायों को उनके नामों से जान व पुकार सकते हैं। मौन तीर्थ आश्रम में कल्पवृक्ष के दर्शन भी होते हैं, जिसकी पवित्रता को बनाए रखने के लिए वहां नंगे पैर जाया जाता है।


मौनतीर्थ धाम में उस शालीग्राम के दर्शन भी सहजता के साथ होते हैं, जिसे कभी गोस्वामी तुलसीदास ने अपने हाथों से चढ़ाया था। इस धाम में जहां नवग्रह का अनूठा मंदिर है, वहीं नवग्रहों की पूजा कर उन्हें शांत करने की यज्ञशाला भी भव्यता के साथ बनाई गई है। धाम परिसर में वाग्देवी का मंदिर आस्था जगाता है तो धार्मिक प्रवचनों, संत समागम और मानस कथा व्यास सुमन भाई के श्रीमुख से भगवान राम की आदर्श कथा सुनने के लिए भव्य सभागार भी बनाया गया है।


यही नहीं, मौन तीर्थ सेवार्थ फाउंडेशन के तत्वावधान में कला, साहित्य, सस्ंकृति, वीरता, राष्ट्रभक्ति में कुछ अच्छा करने वालों को प्रोत्साहित भी किया जाता है। यहां के विदुषी विद्योत्तमा महर्षि जटायु व मानस वंदन नाम से प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्तर पर दिए जा रहे सम्मानों की अपनी अलग पहचान है।


कई एकड़ क्षेत्रफल में पल्लवित इस धाम से कई धार्मिक, आध्यात्मिक व सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्र-पत्रिकाएं भी प्रकाशित होती हैं, जिनके माध्यम से मौनी बाबा के संदेशों को देश-विदेश तक पहुंचाया जाता है लेकिन शिप्रा नदी के प्रवाह में आए ठहराव या फिर धीमी गति के कारण नदी का जल शुद्ध न रह पाने से साधकों की भावना आहत होती दिखाई पड़ती है, जिससे मध्य प्रदेश सरकार को ध्यान देने की जरूरत है अन्यथा वेद ज्ञान का जो प्रकाश उज्जैन का मौनतीर्थ धाम वेद विद्यालय के रूप में फैला रहा है, उसकी भूरि-भूरि प्रशंसा होनी ही चाहिए, जिसके लिए पूरा मौनतीर्थ मानस परिवार वंदनीय है।


मौनतीर्थ गंगाघाट, उज्जैन के “चित्रकूट” परिसर में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को श्री रामनाम सेवा आश्रम न्यास के उपक्रम श्री सीताराम सेवा संघ द्वारा प्रतिवर्ष चैत्र माह की नवरात्रि पर श्री रामचरित मानस के नवाह्न पारायण का भव्य आयोजन किया जाता है तथा इस तिथि को श्री रामचरितमानस जयंती समारोहपूर्वक मनाई जाती है | शिप्रा के सुरम्य तट पर १०८ ब्राह्मणों द्वारा नौ दिवस तक सतत श्री रामचरितमानस का पाठ किया जाता है |। कदाचित् गीता जयंती की तरह मानस जयंती मनाने का श्रेय अखण्डमौनव्रती श्रीश्री मौनीबाबा की साधना-स्थली मौनतीर्थ उज्जयिनी को ही प्राप्त है। मानसानुरागी संतजनों, भक्तजनों एवं जन-जन से हमारी अपेक्षा है कि ‘मानस जयंती’ राष्ट्रव्यापी स्तर पर आयोजित कर श्रीरामकथा की विराट् प्रसिद्धि और प्रचार-प्रसार की अभिवृद्धि में सहयोग पदान करें। भारतीय साहित्य, संस्कृति एवं दर्शन के मंगलमय संगम रामचरितमानस को ईश्वर का यह वरदान तो प्राप्त है ही—


यावत् स्थास्यंति गिरय: सरितश्च महीतले।
तावद् रामायण-कथा लोकेषु प्रचरिष्यति।।
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श्री राम नाम सेवा आश्रम न्यास—-


पुराणों में प्रसिद्ध एवं सप्तपुरियों में से एक भूतभावन भगवान महाकालेश्वर की पावन नगरी उज्जयिनी में मोक्षदायिनी शिप्रा नदी के तीर पर स्थित सद् गुरुदेव प्रातः स्मरणीय वन्दनीय परमपूज्य श्री श्री मौनी बाबा के आशीर्वाद से एवं मार्गदर्शन में स्थापित राम नाम सेवा आश्रम न्यास संत श्री सुमन भाई जी के सत्प्रयत्नो से लोक कल्याण के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय है | इस न्यास की स्थापना के मूल में यही भावना है कि परमार्थ से बढकर कोई सुख हो ही नहीं सकता | इस न्यास की स्थापना का उद्देश्य बिलकुल स्पष्ट है – “समस्त मानव जाति के परम कल्याण का दिव्य संकल्प”|

श्री राम नाम सेवा आश्रम की गतिविधियाँ—-

सद्साहित्य प्रकाशन: न्यास द्वारा प्रकाशित एवं मुद्रित मासिक पत्रिका मानस वंदन आध्यात्मिक एवं धार्मिक विचारों को जन मानस में प्रसार का सर्वसुलभ माध्यम बन गयी है | इस पत्रिका का प्रकाशन गुरुपूर्णिमा सन १९९८ से प्रारंभ हुआ और अब सम्पूर्ण भारत में इस पत्रिका के सदस्यों की संख्या हजारों में है |इस पत्रिका में परम पूज्य मौनी बाबा के दुर्लभ संदेशों और विचारों का एवं श्री राम कथा के लब्धप्रतिष्ट अनुगायन संत श्री डॉ. सुमन भाईजी के प्रवचनों का समावेश तो हर अंक में आवश्यक रूप से होता है , देश विदेश के समस्त साहित्यकारों, विद्वानों, धर्मगुरुओं व प्रवचनकारों के विचारों व लेखों को भी समुचित स्थान दिया जाता है | पत्रिका भारत के संतों एवं लेखों का प्रकाश लेकर हर माह की ११ तारीख को प्रकाशित होती है |


श्री संदीपनि कृष्ण पुरस्कार :आदिदेव भूतभावन भगवान् महाकालेश्वर की पवित्र नगरी उज्जैन में पुरुषोत्तम लीलापुरुष योगीराज भगवान श्रीकृष्ण ने महर्षि सद्गुरु संदीपनि के आश्रम में रहकर द्वापर युग में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की थी | उनके साथ ही ज्येष्ट भ्राता बलराम एवं बाल सखा सुदामा के संग मुरली मनोहर ने भी इसी आश्रम में बाल्यकाल व्यतीत किया था | उस मधुर स्मृति को अक्षुण बनाये रखने के लिए , न्यास ने श्री संदीपनि कृष्ण पुरूस्कार की स्थापना की है |


मासिक पत्रिका “मानस वंदन” के सदस्यता शुल्क में से १० प्रतिशत राशि इस पुरस्कार के लिए देने का प्रावधान न्यास ने किया है, जो छात्र कल्याण हेतु समर्पित की जाती है | ऐसे छात्र / छात्राएं जिन्होंने हायर सेकंड्री स्तर (माध्यमिक शिक्षा मंडल) पर किसी भी संकाय में संपूर्ण जिले में सर्वाधिक अंक प्राप्त किये हों, इन्हें परम पूज्य मौनी बाबा के पवित्र जन्म दिवस १४ दिसम्बर पर प्रतिवर्ष पुरस्कृत एवं सम्मानित किया जाता है | इसके साथ ही सम्बंधित शाला को वैजयंती भी प्रदान की जाती है |
सुदामा निधि योजना: “”श्रीराम नाम सेवा आश्रम न्यास” द्वारा संचालित विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक, एवं शैक्षणिक गतिविधियों की एक महती योजना का नाम है – “सुदामा निधि योजना”
सुदामा जिस रूप में शिक्षा अध्ययन के लिए अपने मित्र कृष्ण एवं बलराम के साथ गुरु संदीपनि के आश्रम आये थे, वह सर्वज्ञात है | आज भी ऐसे अनेकों मेधावी छात्र है जो अभावों के कारण शिक्षा पूर्ण नहीं कर पाते| ऐसे अभावग्रस्त छात्रों के प्रति नैतिक सामाजिक दायित्व की पूर्ति की द्रष्टि से “सुदामा निधि योजना” का आरम्भ किया गया है, ताकि इस स्थाई कोष के माध्यम से सबको शिक्षा का समान अवसर उपलब्ध हो सके |
संस्कार एवं वराहमिहिर ज्योतिष विज्ञानं केंद्र :‘संस्कार’ न्यास का ही एक विनम्र उपक्रम है | इसके अंतर्गत प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा के शुभ दिन योग्य विद्वान पुरोहितों द्वारा निःशुल्क यज्ञोपवीत संस्कार सम्पन्न कराया जाता है | न्यास द्वारा कर्मकांड, पूजा पद्दती एवं यज्ञ-कर्म आदि विषयों पर समय समय पर शिविर आयोजित किये जाते हैं |
‘वराहमिहिर ज्योतिष विज्ञानं केंद्र ‘ न्यास का एक महत्त्वपूर्ण उपक्रम है | जिसके अंतर्गत ज्योतिष एवं जन्म पत्रिका सम्बन्धी समस्याओं का समाधान होता है | केंद्र द्वारा ज्योतिष विषयक अनुसन्धान और व्याख्यान आदि के आयोजन भी किये जाते हैं |
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श्री क्षिप्रा गंगा आरती
मोक्षदायिनी पुण्यसलिला माँ शिप्रा के सुरम्य तट पर अवस्थित गंगा घाट की छटा ही निराली है | पावन तट पर माता शिप्रा की आरती के भव्य एवं दिव्य रूप के दर्शन करना अनेक जन्मो के पुण्य का फल है | माता शिप्रा की महिमा अवर्णनीय है| बारह वर्षों में आने वाले सिंहस्थ में शिप्रा के पवन जल में स्नान करने समस्त विश्व के श्रद्धालु आते हैं | महाकाल की नगरी उज्जयिनी की यात्रा गंगाघाट पर प्रतिदिन की जा रही “शिप्रा महा-आरती” के साथ ही पूर्णता प्राप्त करती है |
श्रद्धालु अपने जीवन के अविस्मरनीय अवसरों जैसे जन्मदिन, विवाह वर्षगाठ आदि पर शिप्रा गंगा आरती में सहभागिता करते हैं | इस हेतु निर्धारित तिथि को आरक्षित किया जाता है व विधि विधान पूर्वक आरती सम्पन्न होती है | आप इस अवसर पर स्वयं उपस्थित होकर संध्याकाल के अत्यंत मनोरम द्रष्य साक्षात्कार कर सकते हैं |
मोक्षदायिनी पुण्य सलिला क्षिप्रा नदी उज्जयिनी की प्राणदायिनी नदी है और वह तब सर्वाधिक विलक्षण हो जाती है जब वह गंगाघाट के निकट से प्रवाहित होती है | मान्य है कि गंगाघाट वह स्थल है जहाँ शिप्रा उत्तरवाहिनी होकर गंगास्वरूप हो जाती है |
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नवाह्न परायण—-


श्री रामनाम सेवा आश्रम न्यास के उपक्रम श्री सीताराम सेवा संघ द्वारा प्रतिवर्ष चैत्र माह की नवरात्रि पर श्री रामचरित मानस के नवाह्न पारायण का भव्य आयोजन किया जाता है तथा इस तिथि को श्री रामचरितमानस जयंती समारोहपूर्वक मनाई जाती है | शिप्रा के सुरम्य तट पर १०८ ब्राह्मणों द्वारा नौ दिवस तक सतत श्री रामचरितमानस का पाठ किया जाता है |
इस अवसर पर डॉ. सुमन भाई ‘मानस भूषण’ के श्रीमुख से श्री रामकथा का श्रवण भी दुर्लभ अवसर होता है | भक्तिमय वातावरण में श्री रामकथा का स्मरण शांति प्रदान करता है | समस्त धर्मालुजन नवाह्न पारायण के लिए आमंत्रित हैं |
इस हेतु निर्धारित प्रपत्र में विभिन्न जानकारियां प्राप्त की जाती है जैसे गोत्र इत्यादि |
भेंट राशि चेक / ड्राफ्ट / नगद दी जा सकती है | उक्त राशि में ब्राह्मण की दक्षिणा, ब्राह्मण भोजन, वस्त्र स्वल्पाहार आदि सम्मिलित हैं | पारायण के प्रथम दिन अगर आप स्वयं उपस्थित हों तो श्रेष्ट है| न हो सकें तो आपके द्वारा प्रेषित गोत्र आदि की जानकारी के आधार पर ब्राह्मण संकल्प करवाया जाता है |
इस हेतु भेंट राशि २५०० निर्धारित है |
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शालिग्राम दर्शन—-


अधिक मास में भगवान् विष्णु की पूजा अर्चना और शालिग्रामजी के दर्शन का विशिष्ट महत्व है | मंगल नाथ मार्ग स्थित मौन तीर्थ आश्रम परिसर अवस्थित श्रीराम मंदिर में विराजित दुर्लभ शालिग्राम जी के दर्शन व पूजन के लिए श्रद्धालु पहुँच रहे है |
गोस्वामी तुलसीदास द्वारा पूजित ये शालिग्राम जी केवल मौन तीर्थ आश्रम में हैं | मान्यता है की अधिकमास में शालिग्रामजी के दर्शन व पूजन से संचित पापों का क्षय होता है और साधक का जीवन सुख शांतिमय होता है | ५०० वर्षों पूर्व तुलसीदास जी जिन शालिग्राम जी को पूजते थे , वे संयोग से एवं पूज्य श्री सुमन भाई “मानस भूषण” के पुण्य प्रताप से आश्रम में विराजित किये गए है| श्रद्धालु जन प्रतिदिन आश्रम परिसर में शालिग्रामजी के दर्शन का पुण्य लाभ ले सकते है |
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अस्थमा निवारण हेतु दवा—-


जनसेवा को समर्पित मौन तीर्थ सेवार्थ फाउंडेशन द्वारा अस्थमा रोग के निवारण हेतु अस्थमा की औषधि प्रदान की जाती है | ये दवा अस्थमा रोग का अचूक निदान है |
दवा प्रतिदिन प्रदान की जाती है व स्वयं श्री डॉ. सुमन भाई “मानस भूषण” द्वारा प्रातः ७ बजे दवा प्रदान की जाती है |
सर्वे भवन्तु सुखिनः को चरितार्थ करते हुए डॉ. सुमन भाई अपने चिकित्सकीय ज्ञान के साथ पूर्वजों द्वारा उपयोग में लाये जाने योग्य उपायों के ज्ञाता है एवं सरलता पूर्वक अस्थमा के रोगी को स्वस्थ लाभ देते हैं | अस्थमा रोगी सतत लाभ प्राप्त कर रहे हैं|
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श्रावन मास में नित्य रुद्राभिषेक—-


भगवान् महाकालेश्वर की नगरी उज्जयनी की पावन धरा पर पुण्य सलिला शिप्रा के पावन तट पर गंगा घाट पर ब्रह्मऋषि श्री श्री मौनी बाबा जी महाराज एवं पूज्य श्री सुमन भाई मानस भूषण के सानिध्य में श्रावन मास में भगवान् शिव का नित्य रुद्राभिषेक दिनांक २५ जुलाई २०१० से आरम्भ हुआ.
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गोपाल गौसेवा सदन—–


गोपाल कृष्ण की विद्या स्थली उज्जयिनी में गंगा घाट पर श्री राम सेवा आश्रम द्वारा स्थापित “गोपाल गौ सेवा सदन” लोक कल्याण के लिए लोक अनुदान से संचालित प्रेरक अभियान है |
गोपाल गौ सेवा सदन में भारतीय संस्कृति की महिमा के अनुरूप गौ माता का संरक्षण किया जाता है | भारतीय संस्कृति में गौ, गंगा और गोविन्द के समान पूज्य है | धर्म शास्त्रों के अनुसार गौ में सब देवताओं का वास है |
गौ सेवा से गो लोक के वास का पुण्य प्राप्त होता है | गौ सेवा का पुण्य तप, यज्ञ और योग आदि के फल से भी बढ़कर है | पृथ्वी, जननी, और गौ तीनो के मात्र ऋण से कोई मुक्त नहीं हो सकता | गौ जन्म से अंतिम संस्कार तक हमें पवित्र बनती है |
गौ माता ममता और सरलता की मूरत है | गौ माता भूखी रहकर भी अमृत देती है | दूध, दही घी , मख्खन , छेना और छाछ आदि लोक जीवन का आधार बनते हैं | खुर, सींग, बाल, गौमूत्र और गोबर आदि के विविध प्रयोग हैं |
आर्थिक, सामाजिक , धार्मिक और राष्ट्रीय कल्याण की दृष्टी से गौ संरक्षण और सेवा अनिवार्य है | इस राष्ट्रीय कर्त्तव्य की पूर्ति की दिशा में गोपाल गौसेवा सदन एक निष्ठा पूर्ण प्रयास है | इस पुण्य प्रयास में श्रद्धालु भक्त जनों का आर्थिक अनुदान निरंतर अपेक्षित है | विश्वास है की श्रद्दालुओ का निरंतर सहयोग गोपाल गौसेवा सदन का पथ प्रशस्त करता रहेगा |
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स्वयं सिद्ध है श्वेतार्क गणेश—-


मदार को आक अथवा अर्क भी कहते हैं | इसकी शाखाएं पतली लम्बी होती हैं | उत्पत्ति स्थान से ही यह अनेक शाखाएं लेकर बढ़ता है| इसमें कोई एक तना न होकर सभी शाखाएं स्वतंत्र रूप में तने की तरह लम्बी पतली होकर बढती हैं| यों पुराना हो जाने पर यह पौधा कभी कभी १०-१२ फीट ऊंचा हो जाता है और तब मुख्या तने की मोटाई १८-२० इंच तक हो जाती है| परन्तु ऐसे पौधे अपवाद स्वरुप ही कहीं मिलते हैं| अन्यथा यह पौधा कब्रिस्थानों, खंडहरों, रेलवे लाइन के किनारे वाली प्राकृतिक जगहों पर अपने आप उगकर हरियाली की सृष्टि करता रहता है| इसके पत्ते हरे रंग के होते है जिन पर सफ़ेद धूल जैसी भूरी परत पड़ी रहती है | आकार में ये पत्ते बरगद के पत्तों से मिलते जुलते होते है| किन्तु बरगद का पत्ता लाली या कालिमायुक्त हरा होता है , जबकि मदार का पत्ता शुद्ध हरे रंग का होता है|
शिवजी की पूजा में मदार के पुष्प चढ़ाये जाते हैं. यह शिवजी की अनुपम पहनता है कि वे देवाधिदेव होकर भी स्वयं के प्रति सर्वथा उदासीन हैं| भक्तों को विश्व का वैभव देने वाले शिवजी का अपना रहन सहन, निवास और आहार विहार कितना त्यागमय है यह उनके वस्त्रा भूषणों और खाद पदार्थो से स्पष्ट हो जाता है| कोई देवता तस्मै (खीर) प्रेमी है , कोई छपन भोग का आहारी है , कोई नाना प्रकार के फलों मिष्ठानों से तृप्त होता है, परन्तु शिवजी ने उसे आहार बनाया है जिसे पशु भी नहीं खाते | धतूरा, मदार, भांग और अहिफेन ! ऐसे निस्पृह त्यागी उदार और भक्तवत्सल देवता को इसीलिए विश्व में सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है| आज भी रूस यूरोप और सुदूर अमेरिका के देशों में उत्खनन के दौरान कहीं कहीं मूर्ति सहित शिव मंदिर प्राप्त होते हैं| अस्तु मदार का पुष्प शिवजी को अर्पित किया जाता है| और उनके पुत्र गणेश जी की पूजा में भी यह बड़ी श्रद्धा के साथ प्रयोग किया जाता है |
गणेश जी की पूजा में श्वेतार्क का भी विशेष महत्व है | वैसे शिवजी पर भी इसके पुष्प अर्पित किये जाते है| परन्तु जिस आधार पर इसे तांत्रिक जगत में महत्व प्राप्त है वह है इसकी अद्भुत जड़ | इसे श्वेतार्क मूल (सफ़ेद मदार की जड़ ) कहते है| मान्यता है कि श्वेतार्क मूल में गणेश जी का वास होता है और तांत्रिक विधि से वह मूल प्राप्त करके घर में स्थापित की जाये तथा उसका दैनिक पूजन हो तो वह गणेश जी की भांति उस परिवार को श्री समृद्धि से सम्पन्न करके साधक की समस्त भौतिक बाधाओं का शमन कर देती है | परन्तु प्रतिबन्ध यह है कि श्वेतार्क मूल पूर्णतया शास्त्रीय – तांत्रिक ढंग से प्राप्त की जाये और तदनुसार ही उसका पूजन हो |
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अखिल भारतीय मानस परिवार
सामाजिक एवं धार्मिक संस्कारों की अनूठी प्रयोगशाला है अखिल भारतीय मानस परिवार, जिसकी पहचान आज राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो चुकी है | अखिल भारतीय मानस परिवार के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष संत श्री डॉ. सुमन भाई जी ने संस्कारों के सामाजिक क्षरण से दू:खी होकर परम पूज्य मौनी बाबा से मार्गदर्शन प्राप्त किया और उनके निर्देश पर यह संकल्प लिया, जिसके फलस्वरूप जहाँ-जहाँ उनके व्यासत्व में श्री राम कथा महायज्ञ आयोजित होते है, उन स्थानों पर अखिल भारतीय मानस परिवार का भी गठन किया जाता है | आज उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, दिल्ली, गुजरात, पश्चिम बंगाल में ही नहीं अपितु भारत के बाहर अमेरिका आदि देशों में भी मानस परिवार की इकाइयाँ उत्साहजनक रूप से संचालित हो रही हैं |
उद्देश्य :मानस परिवार के सदस्यों की पहचान संस्कारित, सामाजिक प्राणी के रूप में प्रतिष्ठित हो, इस लक्ष्य को द्रष्टिगत रखते हुए मुख्यतः चार उद्देश्य निर्धारित किये गए हैं :
१. सद्कर्म            २. सत्संग
३. स्वधर्म            ४. भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण


मानस परिवार के सदस्य सद्कर्मों से सम्पन्न होते हुए समाज के दलित, असहाय, अपांग अशिक्षित, निर्बल, रोगी जनों की सेवा के लिए सदेव समर्पित रहते हैं | वे स्वधर्म पालन करते हुए बिना किसी बाह्य आडम्बर एवं व्यय भार रहित रूप से एकत्र होकर साप्ताहिक, पाक्षिक एवं मासिक (जैसी भी सुविधा एवं स्थिति हो) रूप से तिथियों पर सत्संग आयोजित करते है | राजनीतिक चर्चा, परनिंदा, और किसी को ठेस पहुँचाने वाली टीका टिपण्णी का निषेध रखते हुए राष्ट्र के प्रति अनुकरणीय निष्ठां एवं समर्पण से ही मानस परिवार को मूलतः परिभाषित करते हैं | श्रीरामचरितमानस में अन्तर्निहित जीवन की सफलता से सूत्रों से जन-जन परिचित हो, मानव का मन अधर्म, अन्याय अज्ञान से परे हो और धर्मं, न्याय और ज्ञानमय कर्म की दिशा में स्वप्रेरित हो, इन मंगल उद्देश्यों से प्रेरित, संत प्रवर पूज्य श्री मौनी बाबा के आशीर्वाद एवं संत श्री डॉ. सुमन भाई जी के कुशल निर्देशन-मार्गदर्शन में पल्लवित हो रहे मानस परिवार की शाखाएं आज देश विदेश में सक्रिय हैं| गाँव गाँव में विस्तृत मानस परिवार का प्रत्येक सदस्य समाज के हर वर्ग को पवित्रता और शांति का पाठ पढ़ रहा है | समाज में आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रवाह के लिए जन चेतना का यह पवन यज्ञ विशाल स्तर पर प्रारंभ हो चुका है | यही कारण है कि मानस परिवार के सदस्य अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं को मुत्तरूप दे रहे हैं, जिनमे निःशुल्क नेत्र शिविर, चश्मा वितरण, एम्बुलेन्स, चिकित्सा सुविधाएँ आदि सम्मिलित हैं | मानस परिवार बधिर जनो को श्रवण यन्त्र भी उपलब्ध करवा रहा है |
अखिल भारतीय मानस परिवार के राष्ट्रीय संत श्री डॉ. सुमन भाई जी की प्रेरणा से सांप्रदायिक सद्भावना के क्षेत्र में विशिष्ट सेवाओं के लिए सामाजिक विभूतियों को सम्मानित भी किया जाता है |
सतीकुंड तीर्थ, हरिद्वार : कनखल (हरिद्वार) में दक्षयज्ञ विध्वंस के समय दक्ष कन्या सती ने जिस स्थान पर देह त्याग किया था, वह कुंड अनेक वर्षों से उपेक्षित था | अवैध कब्जे व गन्दगी के कारण इस पवन स्थान की बहुत दुर्गति हो रही थी | पौराणिक व धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इस स्थान के जीर्णोध्दार हेतु अखिल भारतीय मानस परिवार की हरिद्वार शाखा ने प्रयास किया | धरने आन्दोलन व हड़ताल के माध्यम से शांतिपूर्ण प्रयासों के परिणामस्वरूप केंद्र सरकार तथा उत्तराँचल सरकार ने जीर्णोध्दार करवाया |
कोटितीर्थ कुंड उज्जैन: पौराणिक कथानुसार समस्त सागरों व देश की पवित्र नदियों का जल साक्षात् श्री हनुमान जी ने इस कुंड में एकत्रित किया था |
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री महाकालेश्वर की महिमा अवर्णनीय है | संपूर्ण विश्व में भक्तगण उनके दर्शन कर पुण्य अर्जित करते हैं | श्री कोटितीर्थ कुंड के समीप ही श्री रुद्रसागर है जिसका पानी रिस कर श्री कोटितीर्थ में प्रवेश पर रहा था |
श्री कोटितीर्थ का जल दूषित होने के कारण श्री महाकालेश्वर के अभिषेक योग्य नहीं रह गया था | अखिल भारतीय मानस परिवार की उज्जैन शाखा ने प्रयास किये व परिणामस्वरूप म. प्र. शासन ने व स्थानीय प्रशासन ने श्री कोटितीर्थ कुंड के जीर्णोध्दार के लिए १० लाख रुपये की राशि स्वीकृत की |
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श्री राम कथा—-मानवता का महागान है श्री राम कथा—-


श्री राम की कथा का गान भारत वर्ष की विशिष्ट परंपरा है | राम कथा का प्रसार युगों युगों से जनमानस को आह्ळदित करता रहा है |
श्री राम के जीवन चरित्र के प्रेरक प्रसंग युग युगांतर से श्रवणीय है और आज भी नवीन रोचक व प्रेरक हैं | भारत भूमि की पहचान है “श्री रामकथा ”
परम पूज्य डॉ. सुमन भाई के श्री मुख से निःसृत श्री राम कथा का आनंद एक विशिष्ट आनंद होता है | अत्यंत सरल सुमधुर एवं सुस्पष्ट भाषा में श्री राम के प्राकटय के कारणों से लेकर राज्याभिषेक जैसे समस्त प्रसंगों को डॉ. सुमन भाई अपनी ओजमयी वाणी से साकार कर देते हैं | कथा के मध्य में सुमधुर स्वर में भजनों को पिरोकर श्रोताओं को भाव विभोर कर देते है |
डॉ. सुमन भाई ने रामकथा का अनुगान करते हुए देश विदेश की यात्रायें की हैं | आप देश ही नहीं वरन विदेशों में भी एक अत्यंत लोकप्रिय प्रवचनकार के रूप में विख्यात हैं | कथा करते हुए वे श्रोताओं को श्रीराम का साक्षात् अनुभव करा देते है |
९ दिवसीय कथा भव्यतम स्वरुप में होती है साथी संगतकार सुमधुर संगीत के साथ कथा में सहयोग देते है जिस से कथा श्रवणीय , सुमधुर एवं भावपूर्ण वातावरण का निर्माण करती है | मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम लोकाराधन के साक्षात् स्वरुप है अतः मानवता की महागाथा “श्रीराम कथा ” को डॉ. सुमन भाई के श्री मुख से श्रवण करना बिरला एवं विशिष्ट अनुभव है |
डॉ. सुमन भाई जब श्री रामकथा का गान करते है तो संत समुदाय , अन्य प्रवचनकार भी मंत्र मुग्ध होकर श्री राम कथा का रसपान करते हैं |
डॉ. सुमन के रामकथा की विशिष्ट शैली लोकरंजक एवं प्रेरक है | समाज को रामकथा के माध्यम से प्रेरित करना एक विशेष सेवा है , फलस्वरूप डॉ. सुमन भाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर शोध अध्ययन निरंतर जारी है |
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पता—
डाक्टर पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष,वास्तु एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ),मोब.–09669.90067
द्वारा —मौन तीर्थ सेवार्थ फाउंडेशन,
 2.-बी, मोनी धाम (मौन तीर्थ), संदीपनी आश्रम के निकट, 
मंगलनाथ मार्ग, गंगा घाट, 
उज्जैन (मध्यप्रदेश) पिनकोड–465006 ..

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