आइये जाने की कैसी रहेगी देवउठानी एकादशी (सोमवार) ..  नवम्बर .0.4 को —


क्या हैं विशेष / खास इस देव उठानी एकादशी में—-


इस वर्ष (सोमवार) 03  नवम्बर,2014  को देव उठानी एकादशी /  देव प्रबोधनी एकादशी मनाई जाएगी…
चूँकि सोमवार के दिन का स्वामी चन्द्रमा होता हैं जो की इस दिन मीन राशि में होने के कारण शुभ फल प्रदान करेगा..
इस दिन अबूझ मुहूर्त में सोने -चाँदी की खरीददारी बहुत शुभ एवं लाभप्रद रहेगी…इस दिन खरीदी गयी वस्तु को भगवन विष्णु को अर्पित करने के बाद उसे प्रयोग करने से वह वस्तु शुभ फल करने के साथ साथ स्थायी रूप से रहती  हैं..
इसी प्रकार इस दिन गुरु (वृहस्पति) चन्द्रमा की राशि कर्क में उच्च का रहने के साथ उदित होगा..इस दिन पूर्व फाल्गुनी नक्षत्र होने से इस दिन का प्रभाव और शुभता बढ़ेगी..
इसी प्रकार इस दिन चन्द्रमा, वृहस्पति के प्रभाव वाली राशि मं में रहेगा..और वृहस्पति, चन्द्रमा की राशि कर्क में रहेगा..दोनों राशियों के देवों का यह अंतर और राशि परिवर्तन योग खरीददारी के हिसाब से समृद्धिकारक बन रहा हैं..चूँकि वृहस्पति गृह की सोने(स्वर्ण) और चन्द्र को चाँदी धातु का स्वामी माना जाता हैं..इसलिए इस दिन सोने चाँदी की खरीददारी से लाभ होगा..इस दिन अबूझ मुहूर्त होने से भूमि,भवन  और वाहन भी ख़रीदे जा सकते हैं..


शुभ कार्य (विवाह आदि) नहीं हो पाएंगे–


इस देव उठानी एकादशी पर देव उठने के बाद भी विवाद आदि शुभ कार्य नहीं हो पाएंगे..इसका कारन सूर्य का वर्तमान में तुला राशि में स्थित होना हैं..इसके साथ साथ शुक्र और गुरु का तारा भी अस्त हैं..
16  नवम्बर,2014  को सूर्य, तुला राशि से वृश्चिक में गमन करेगा उसके बाद ही शादी-विवाह आदि शुभ कार्य संभव हो सकेंगे ..
शास्त्रो में सूर्य,चन्द्र,शुक्र एवं गुरु का शुद्धिकरण जरुरी बताया गया हैं..इसी कारण इस बार इस अभुझ मुहूर्त (देव उठानी एकादशी ) पर विवाह अधिक होंगे..


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03  नवम्बर 2014  (सोमवार) को देव प्रबोधिनी एकादशी ( देवउठानी एकादशी ), तुलसी विवाह, भीष्म पंचक प्रारम्भ, तीन वन परिक्रमा (मथुरा) और  मेला पुष्कर (राजस्थान )प्रारम्भ होगा..


सभी एकादशी में कार्तिक शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व है। इसे देवप्रबोधनी एकादशी या देव उठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दिन चार महीने शयन के बाद भगवान विष्णु जगते हैं।शास्त्रों में बताया गया है कि देवप्रबोधनी एकादशी के दिन गन्ने का मंडप सजाकर मंडप के अंदर विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से मांगलिक कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर होती है और पूरा साल सुखमय व्यतीत होता है।जो लोग गन्ने का मंडप बनाकर विष्णु भगवान की पूजा नहीं कर सकते उन्हें देवप्रबोधनी एकादशी से एक दिन निर्जल व्रत रखकर विष्णु भगवान की पूजा तथा विष्णु सहस्रनाम का जप करना चाहिए। इसके अलावा, इस दिन जितना संभव को विष्णु नाम का जप करना चाहिए।


शास्त्रों में बताया गया है कि देवप्रबोधनी एकादशी के दिन देवता भी भगवान विष्णु के जगने पर उनकी पूजा करते हैं। इसलिए पृथ्वी वासियों को भी इस दिन भगवान विष्णु के जगने पर उनकी पूजा करनी चाहिए। पुराणों में बताया गया है कि जो लोग देवप्रबोधनी एकादशी का व्रत रखते हैं उनकी कई पीढ़ियां विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करने के योग्य बन जाती हैं।

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