मुझसे मेरा हाल न पूछो —-
–( पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल”)….
यारों यह सवाल ना पूछो,
जिंदा हूँ- इतना “विशाल” काफी है,
अगला-पिछला साल ना पूछो .
मैं रहता हूँ तन्हाई में,
मैं खुश हूँ इस रुसवाई में,
ले मैली चादर वफ़ा की मैं,
रहा ढूंढ खुदा “विशाल” हरजाई में .
इस चाहत की मिसाल न पूछो ,
जेहन में बसे खयाल ना पूछो ,
जिंदा हूँ- इतना “विशाल” काफी है,
अगला-पिछला साल ना पूछो .
—–( पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल”)….

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