माँ बहुत महान होती है…
…(स्मृति-गीत–माँ के प्रति)…(MOTHER’S DAY)
—-पंडित दयानन्द शास्त्री””अंजाना””
मिलता है सच्चा सुख केवल,
ममतामई मां के पावों मे ।
खिलता है मुर्झाया चेहरा,
मां की आंचल के छावों मे ॥
सहती है कितने दुःखों को,
कि हम सदा खुशहाल रहें ।
वो त्याग है देती अपने सुख को,
कि हर सुख मे मेरा लाल रहे ॥
साधना माँ की पूनम बने रात हर
वन्दना ओम नादित रहे हर प्रहर
प्रार्थना हो कृपा नित्य हनुमान की
अर्चना कृष्ण गुंजित करें वेणु-स्वर.॥……..
माँ थी पुष्पा चमन, माँ थी आशा-किरण
माँ की सुषमा थी राजीव सी आमरण
माँ के माथे पे बिंदी रही सूर्य सी-
माँ ही जीवन में जीवन का है अवतरण..॥…..
कभी जब गीले हो जाते बिस्तर,
और जब ठंडी हमे सताती है ।
तब सुखी जगहों पर हमे सुला,
खुद गीले बिस्तर पर सो जाती है ॥
वह त्याग की अनोखी है मिशाल,
व ममता की प्यारी मूरत है ।
हम चाहे जहां कहीं भी रहें ,
हमे उसकी बहुत जरुरत है ॥
अक्षरों ने तुम्हें ही किया है नमन
शब्द ममता का करते रहे आचमन
वाक्य वात्सल्य पाकर मुखर हो उठे-
हर अनुच्छेद स्नेहिल हुआ अंजुमन.॥…….
गीत के बंद में छंद लोरी मृदुल
और मुखड़ा तुम्हारा ही आँचल धवल
हर अलंकार माथे की बिंदी हुआ-
रस भजन-भाव जैसे लिए चिर नवल.॥….
मां से बढ़कर दुनिया मे ,
दिखता नही मिशाल है ।
हर जगह यही सब कहते,
मां होती बहुत महान है ॥
मां होती बहुत महान है ॥
माँ थी पुष्पा चमन, माँ थी आशा-किरण
माँ की सुषमा थी राजीव सी आमरण
माँ के माथे पे बिंदी रही सूर्य सी-
माँ ही जीवन में जीवन का है अवतरण॥
आप का अपना —

—-पंडित दयानन्द शास्त्री””अंजाना””
—.(. —राजस्थान )

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