गुरु पुष्य नक्षत्र .6 मई,..1. —–
16 मई 2013 को गुरुपुष्यामृत योग है –
16-May-2013, 05:34 सुबह से 17-May-2013, 01:23 सुबह तक…
16-May-2013, 05:34 सुबह से 17-May-2013, 01:23 सुबह तक…
जानिए की क्या होता है पुष्य नक्षत्र..????
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–.) के अनुसार सामान्यजन पुष्य नक्षत्र से बहुत गहराई से परिचित नहीं हैं, लेकिन फिर भी इसके अत्यंत शुभ होने के बारे में जानकारी तो जन-जन में है। इस शुभ काल में खरीद-फरोख्त बहुत शुभ मानी जाती है। आइए, गहराई से जानते हैं कि पुष्य नक्षत्र क्या होता है और इस नक्षत्र में जन्मे जातक किस प्रकार अपने जीवन में उन्नति करते हैं।
‘तिष्य और अमरेज्य’ जैसे अन्य नामों से भी पुकारे जाने वाले इस नक्षत्र की उपस्थिति कर्क राशि के 3-20 अंश से 16-40 अंश तक है। ‘अमरेज्य’ का शाब्दिक अर्थ है, देवताओं के द्वारा पूजा जाने वाला। शनि इस नक्षत्र के स्वामी ग्रहों के रूप में मान्य हैं, लेकिन गुरु के गुणों से इसका साम्य कहीं अधिक बैठता है।
जब किसी जातक की कुंडली में चन्द्रमा इस नक्षत्र पर आता है, तो उस व्यक्ति में निम्नलिखित गुण दिखाई देते हैं- ब्राह्मणों और देवताओं की पूजा करने में अटूट विश्वास, धन-धान्य की संपन्नता, बुद्धिमत्ता, राजा या अधिकारियों का प्रिय होना, भाई-बंधुओं से युक्त होना।
देखा जाए तो ये सभी गुण गुरु के हैं और यह इन बातों से सिद्ध भी होता है। पहले गुण को देखें तो- गुरु देवताओं के गुरु है और एक ब्राह्मण ग्रह के रूप में जाना जाता है। इसलिए देवताओं की पूजा एवं ब्राह्मणों का सम्मान इसके गुणों में सम्मिलित होगा ही। जहां तक धन-धान्य से संपन्नता का प्रश्न है, गुरु धन प्रदाता होता है। इस कारण से व्यक्ति धनवान होता है। बुद्धिमत्ता और अन्य गुण तो देवगुरु होने से निश्चित रूप से होंगे ही।
चूंकि विंशोत्तरी दशा में पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि को माना गया है, इसलिए नक्षत्र में शनि के गुण-दोषों को भी देखना जरूरी माना जाता है। जिस जातक का जन्म शनियुक्त पुष्य नक्षत्र में होता है उसमें धर्मपरायणता, बुद्धिमत्ता, दूरदर्शिता, विचारशीलता, संयम, मितव्ययिता, आत्मनिर्भरता, गंभीरता, शांत प्रकृति, धैर्य, अंतर्मुखी प्रकृति, संपन्नता, पांडित्य, ज्ञान, सुंदरता और संतुष्टि होती है।
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार ऐसे जातक किसी भी कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करना पसंद करते हैं। लेकिन कभी-कभी ये शंकालु प्रवृत्ति वाले और कुसंगति में पड़ जाने वाले भी हो सकते हैं। इनके जीवन में 35 से 40 की उम्र अत्यंत उन्नतिकारक होती है। विवाह में कुछ विलंब हो सकता है और कई बार इन्हें अपने परिवार में कठिन परिस्थितियां भी देखना पड़ती हैं।
अच्छे प्रबंधन के कारण व्यवसाय में इन्हें निश्चित रूप से लाभ मिलता है। पर इनके लिए किसी गंभीर रोग की आशंका से इंकार नहीं किया सकता।
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार इस नक्षत्र में उत्पन्न स्त्रियां भी बहुत ही लजीली, शर्मीली और धीमे स्वर में वार्तालाप करने वाली होती हैं। दांपत्य जीवन में ऐसी स्त्रियों को कभी-कभी पति के संदेह का सामना करना पड़ सकता है।
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार पुष्य नक्षत्र में जन्म होने से जातक शांत हृदय, सर्वप्रिय, विद्वान, पंडित, प्रसन्नचित्त, माता-पिता का भक्त, ब्राह्मणों और देवताओं का आदर और पूजा करने वाला, धर्म को मानने वाला, बुद्धिमान, राजा का प्रिय, पुत्रयुक्त, धन वाहन से युक्त, सम्मानित और सुखी होता है।
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार पुष्य नक्षत्र में जन्म होने से जातक मध्यम कद लंबा, गौर श्याम वर्ण, चिंतनशील, सावधान, तत्पर, आत्मकेंद्रित, क्रमबद्ध और नियमबद्ध, अल्पव्ययी, रुढ़िवादी, सहिष्णु, बुद्धिमान तथा समझदार होता है। ऐसा जातक व्यावहारिक, स्पष्टवादी, शीघ्रता से बोलने वाला, आलोचक, विश्वासपूर्ण पद प्राप्त करने वाला, अधिकारी मंत्री, राजा, तकनीकी मस्तिष्क का, अपने कार्य में निपुण तथा सबके द्वारा प्रशंसित होता है। यह साधारण सी बात पर चिंतित हो जाएंगे किंतु विषम परिस्थितियों का साहसपूर्ण सामना करते हैं। यह ईश्वर भक्त तथा दार्शनिक विचारों के होते हुए भी सांसारिक कार्यों में सफल माने जाते हैं। पुष्य नक्षत्र में उत्पन्न जातक की जन्म राशि कर्क तथा राशि स्वामी चंद्रमा, वर्ण ब्राह्मण, वश्य जलचर, योनि मेढ़ा, महावैर यानि वानर, गण देव तथा नाड़ी मध्य है।
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है और नीलम शनि का रत्न है। इसलिए यदि किसी व्यक्ति का जन्म पुष्य, अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में हुआ है, तो उसे नीलम धारण करने से लाभ होता है। जिन जातकों की कुंडली में शनि शुभ भाव के स्वामी के रूप में हों, उनको नीलम धारण करने से बहुत लाभ होता है।
यदि आप भी इस श्रेणी में आते हैं तो नीलम धारण करना आपके लिए शुभ होगा। इसके लिए शनिवार को ही नीलम खरीदें, फिर उसे पंचधातु या स्टील की अंगूठी में जड़वाएं। गंगाजल से उसकी शुद्धि के पश्चात- ‘ॐ शं शनैश्चराय नम:’ शनि के मंत्र का जप करके सूर्यास्त से 1-2 घंटा पहले पहनें।
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार पुष्य नक्षत्र 15 अगस्त की शाम 6. 37 बजे से प्रारंभ होगा, जो अगले दिन शाम 7.51 बजे तक रहेगा। पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है। इसके स्वामी भगवान बृहस्पति हैं।
खरीद-फरोख्त शुभ रहेगी
खरीद-फरोख्त शुभ रहेगी
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार गुरु पुष्य नक्षत्र में वाहन, आभूषण खरीदी करना समृद्धिकारक रहेगा। वहीं इस दिन पदभार ग्रहण करना, नया व्यापार शुरू करना, मंत्र जाप और धार्मिक अनुष्ठान करना शुभकारक होता है।
वर्ष 2013 के पुष्य नक्षत्रों का विवरण—पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(mob.–09024390067) के अनुसार
मई- 15 को शाम 7.45 से 16 को रात 9.45 बजे तक।
जून-11 को रात 3.10 बजे से 13 की तड़के 5.15 बजे तक।
जुलाई-9 को सुबह 10.36 से 10 को दोपहर 12.52 बजे तक।
अगस्त-5 को शाम 5.53 से 6 को रात 8.14 बजे तक।
सितंबर-01 को रात 12.58 से 2 की रात 3.24 बजे तक।
सितंबर- इसी माह का दूसरा योग 29 को सुबह 7.57 से 30 को सुबह 10.26 बजे तक।
अक्टूबर-26 को दोपहर 2.58 से 27 को शाम 5.30 बजे तक।
नवंबर-22 को रात 10.2 से 23 की रात 12.35 बजे तक।
दिसंबर- 19 की शाम 6.12 से 21 की सुबह 6.18 तक।
(रवि पुष्य- 27 जनवरी, 29 सितंबर व 27 अक्टूबर, गुरू पुष्य-18 अप्रैल, 16 मई, 13 जून)
जून-11 को रात 3.10 बजे से 13 की तड़के 5.15 बजे तक।
जुलाई-9 को सुबह 10.36 से 10 को दोपहर 12.52 बजे तक।
अगस्त-5 को शाम 5.53 से 6 को रात 8.14 बजे तक।
सितंबर-01 को रात 12.58 से 2 की रात 3.24 बजे तक।
सितंबर- इसी माह का दूसरा योग 29 को सुबह 7.57 से 30 को सुबह 10.26 बजे तक।
अक्टूबर-26 को दोपहर 2.58 से 27 को शाम 5.30 बजे तक।
नवंबर-22 को रात 10.2 से 23 की रात 12.35 बजे तक।
दिसंबर- 19 की शाम 6.12 से 21 की सुबह 6.18 तक।
(रवि पुष्य- 27 जनवरी, 29 सितंबर व 27 अक्टूबर, गुरू पुष्य-18 अप्रैल, 16 मई, 13 जून)
पंडित दयानन्द शास्त्री”अंजाना”(..–09024390067) के अनुसार इस वर्ष किसी पुष्य नक्षत्र की अवधि डेढ़ तो किसी दिन दो दिन की रहेगी। इसमें रवि व गुरू पुष्य नक्षत्र सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं, जो साल में तीन-तीन हैं। इस वर्ष अमृत सिद्धि योग 18 और शुद्ध सर्वार्थ सिद्धि योग 25 दिन है। इस दौरान भी खरीददारी शुभ व फलदायी मानी जाती