आइये जाने और समझे निर्मल बाबा को…

कब , क्यों और केसे यहाँ तक तक पहुंचे ये निर्मल बाबा..???
WHO IS NIRMAL BABA..??? HOW HE GET THIS POSSITION..???

हमारे पवित्र ग्रन्थ गीता में खुद भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान देते हुए कहा था कि “कर्म किए जा, फल की इच्छा मत कर”। फिर गीता ही क्यूँ, संसार के समस्त धर्मों के पवित्र ग्रंथों का सार यही है कि हम यथाशक्ति अपनी सामर्थानुसार कर्म करें, बाकी उसके अच्छे या बुरे परिमाण की चिंता न करें। किसके जीवन में सुख-दुःख नहीं आते? फिर जब हम अपने सुखों की प्राप्ति का जश्न बाबाओं के साथ नहीं मनाते तो दुखों के दूर होने का कारण उनसे क्यूँ पूछते हैं? फिर सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि दुःख हमारे जीवन में आते हैं तो क्या इन तथाकथित बाबाओं को इनसे मुक्ति मिल पाती होगी? कदापि नहीं। ये भी हमारी तरह पांच तत्वों के जीव हैं किन्तु इन्हें पूजकर हम इन्हें भगवान का दर्ज़ा देते हैं। एक आम मनुष्य भगवान कभी नहीं बन सकता है। इन तथाकथित बाबाओं को लेकर पूर्व के अनुभव तो यही कहते हैं कि हमारी अंध श्रद्धा का फायदा उठाकर इनका कद इतना बड़ा हो जाता है जिसकी आड़ में ये गलत काम करने से भी गुरेज नहीं करते। तब शासन से लेकर प्रशासन तक इनके समक्ष निरीह नज़र आता है। हो सकता है मेरे ये तथ्य निर्मल बाबा के लिए गलत साबित हों फिर भी उनके द्वारा अर्जित कथित संपत्ति का ब्यौरा झूठ नहीं बोल रहा। पता नहीं देश की पढ़ी-लिखी जनता इस बात को कब समझेगी कि बाबाओं से उसका भला नहीं होने वाला?
निर्मल को सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया—
मैंने कई बार समझाया अपने साले को, धर्म और विज्ञान दोनों के खिलाफ है निर्मल : नामधारी
झारखंड के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी वैसे तो निर्मल बाबा के करीबी रिश्तेदार हैं लेकिन उनके कारनामों से जरा भी इत्तेफाक नहीं रखते। मीडिया दरबार से हुई बातचीत में नामधारी ने साफ कहा कि वे निजी तौर पर कई बार उन्हें जनता की भावनाओं से न खेलने की सलाह दे चुके हैं।
नामधारी ने स्वीकार किया कि निर्मल बाबा उनके सगे साले हैं। उन्होंने यह भी माना कि वे शुरुआती दिनों में निर्मल को अपना करीयर संवारने में खासी मदद कर चुके हैं। मीडिया दरबार को उन्होंने बताया कि उनके ससुर यानि निर्मल के पिता एस एस नरूला का काफी पहले देहांत हो चुका है और वे बेसहारा हुए निर्मल की मदद करने के लिए उसे अपने पास ले आए थे। निर्मल को कई छोटे-बड़े धंधों में सफलता नहीं मिली तो वह बाबा बन गया।
जब धीरज भारद्वाज ने नामधारी से निर्मल बाबा के विचारों और चमत्कारों के बारे में पूछा तो उन्होंने साफ कहा कि वे इससे जरा भी इत्तेफाक़ नहीं रखते। उन्होंने कहा कि वे विज्ञान के छात्र रहे हैं तथा इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी कर चुके हैं इसलिए ऐसे किसी भी चमत्कार पर भरोसा नहीं करते। इसके अलावा उनका धर्म भी इस तरह की बातें मानने का पक्षधर नहीं है।
”सिख धर्म के धर्मग्रथों में तो साफ कहा गया है कि करामात कहर का नाम है। इसका मतलब हुआ कि जो भी करामात कर अपनी शक्तियां दिखाने की कोशिश करता है वो धर्म के खिलाफ़ काम कर रहा है। निर्मल को मैंने कई दफ़ा ये बात समझाने की कोशिश भी की, लेकिन उसका लक्ष्य कुछ और ही है। मैं क्या कर सकता हूं?” नामधारी ने सवाल किया।
उन्होंने माना कि निर्मल अपने तथाकथित चमत्कारों से जनता से पैसे वसूलने के ‘गलत खेल’ में लगे हुए हैं जो विज्ञान और धर्म किसी भी कसौटी पर जायज़ नही ठहराया जा सकता।
इंदर सिंह नामधारी के साले हैं निर्मलजीत सिंह नरुला उर्फ निर्मल बाबा
मीडिया दरबार को एक पाठक ने मेल भेजकर कर कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। इस मेल के मुताबिक निर्मलजीत सिंह नरुला उर्फ निर्मल बाबा झारखंड के वरिष्ठ राजनेता इंदर सिंह नामधारी के करीबी रिश्तेदार हैं। मेल में दावा किया गया है कि बाबा जी को ठेकेदारी के मैदान में पांव जमाने में नामधारी ने भी मदद की थी, लेकिन मामला जम नहीं पाया।
मेल की मूल प्रति इस प्रकार है:
“निर्मल सिंह नरूला” उर्फ “निर्मल बाबा” टीवी पर लगभग सभी चेनलों पर आने वाला एक ठग है…..जो पैसे के बदले कृपा बाँटने का ढोंग करता है…..!!
अब कुछ जानकारी बाबा के बारे में…..जो शायद आपको मालूम न हो…..!!
=> इस ढोंगी बाबा का ससुराल झारखंड में है और ये दस वर्ष से अधिक समय तक वहाँ गुजार चुका हैं।
=> ये झारखंड के सांसद इंदर सिंह नामधारी का साला हैं।
=> ढोंगी बाबा विवाह के बाद करीब .974-75 के दौरान झारखंड में आया था और लाईम स्टोन का व्यवसाय शुरू किया। मगर उसमें सफल नहीं हुआ . इसके बाद गढ़वा में कपड़े का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन वहां भी सफल नहीं हो सका .
=> एक वक्त ऐसा भी था कि ये निर्मल बाबा काफी परेशानियों से जूझ रहा था . तब बिहार में मंत्री रहे “इंदर सिंह नामधारी” ने माइनिंग का एक बड़ा काम इसे दिलवाया था। तब यह ठेकेदारी का काम करता था. उसी कार्य के दौरान इस पाखंडी बाबा को ‘ज्ञान’ की प्राप्ति हुई, इसके रिश्तेदारों ने ऐसी अफवाह फैलाई .
=> 1984 के दंगे के दौराज जब ये रांची में था, तो किसी तरह से ये अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा था .
=> गोमो में निर्मल नरूला का साढ़ू भाई सरदार नरेन्द्र सिंह नारंग हैं। इनका विवाह भी दिलीप सिंह बग्गा की बड़ी बेटी के साथ हुआ था.
जाहिर है इस ढोंगी ने अपने राजनैतिक रिश्तों के चलते ही सभी विद्रोहियों को बढ़ने का मौका नहीं दिया……
टीवी पर अपना ढोंग दिखा-दिखा कर लोगों को अपने भगवान होने का अहसास करवाने वाले बाबा का खुद का कोई कारोबार नहीं है………!!
मीडिया दरबार ने जब निर्मल बाबा को मेल भेज कर इस बारे में जानकारी चाही तो ऑटोमेटेड रिप्लाइ के जरिए उनका अकाउंट नंबर आ गया और बताया गया कि बाबा जी ने जनवरी से निजी मुलाकात बंद कर दी है।
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दिन में 4 करोड़ से भी ज्यादा कमा लेते हैं निर्मल बाबा—-
एक दिन में 4 करोड़ से भी ज्यादा कमा लेते हैं निर्मल बाबा, मीडिया भी लेता है ‘चढ़ावा’ -धीरज भारद्वाज।।
मात्र डेढ़-दो वर्षों में शोहरत एवं अर्थ की बुलंदियों को छूने वाले निर्मल बाबा वर्तमान में समागम के अलावा क्या करते हैं और अपने भक्तों से मिलने वाली करोड़ों रुपये की राशि से वे क्या कर रहे हैं, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। अगर प्रकृति ने उन्हें दैवीय शक्ति दी है, तो वे लोगों से पैसे लेकर क्यों उनका भला कर रहे हैं? भारत में बाबाओं को लेकर जितनी भी भ्रांतियां घर कर गई हैं उनसे बचने का उपाय निर्मल बाबा के नित सजते दरबार को देखकर तो संभव नहीं लगता। अपने इन निर्मल दरबारों की कमाई से बाबा सरकार को कितना टैक्स देते हैं यह भी फिलवक्त स्पष्ट नहीं है। मीडिया ने भी टीआरपी की जंग में ऐसे बाबाओं को आश्रय देना शुरू किया है जिसे देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि मीडिया की अधोगति क्या होगी? खैर, बाबाओं के इस फैलते जाल के लिए मात्र मीडिया ही दोषी नहीं है। व्यावसायिकता की इस अंधी दौड़ में मीडिया को भी वही करना पड़ रहा है जो उसके अस्तित्व के लिए संभव है। किन्तु पड़े-लिखे लोगों की भीड़ जिस तरह से इन बाबाओं के चक्कर लगाती नज़र आती है उससे लगता है मानो हम आज भी उसी युग में जी रहे हों जहां कर्म से अधिक भाग्य को बलवान माना जाता था।

निर्मल दरबार लगा कर लोगों की हर समस्‍या का आसान समाधान बताने वाले निर्मल बाबा को हर रोज चढ़ावे के तौर पर कितने पैसे मिलते हैं? हर दिन टीवी पर दिख कर दर्शकों और लोगों पर शक्तियों की कृपा बरपाने वाले बाबा जी को किसी ने अन्य बाबाओं की तरह चढ़ावा या पैसा लेकर पैर छूने के लिए मिलते नहीं देखा, लेकिन फिर भी उन्हें हर रोज़ करोड़ों रुपए मिल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि बाबा जी की इस मोटी कमाई का एक बड़ा हिस्सा मीडिया को भी मिल रहा है।
हाल ही में अचानक निर्मल बाबा के भक्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अगर इंटरनेट पर ही बाबा जी की वेबसाइट की लोकप्रियता का आकलन किया जाए तो पता चलता है कि एक साल में इसे देखने वालों की संख्या में 4.0 प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। टीवी चैनलों पर उनके कार्यक्रम के दर्शकों की संख्या में भी भारी इज़ाफा हुआ है। हालांकि उनके समागम का प्रसारण देश विदेश के .5 से भी अधिक चैनलों पर होता है जिन्हें खासी लोकप्रियता भी मिल रही है, लेकिन उनके बीच कोई ब्रेक या विज्ञापन नहीं होता। न्यूज़ .4 पर पिछले हफ्ते उनके कार्यक्रम की लोकप्रियता 52 प्रतिशत रही जो शायद चैनल के किसी भी बुलेटिन या शो को नहीं मिल पाई है।
चैनलों को इन प्रसारणों के लिए मोटी कीमत भी मिल रही है जिसका नतीजा है कि उन्होंने अपने सिद्धांतों और क़ायद-क़ानूनों को भी ताक पर रख दिया है। नेटवर्क 18 ने तो बाबा के समागम का प्रसारण अपने खबरिया चैनलों के साथ-साथ हिस्ट्री चैनल पर भी चलवा रखा है। खबर है कि इन सब के लिए नेटवर्क 18 की झोली में हर साल करोड़ रुपए से भी ज्यादा बाबा के ‘आशीर्वाद’ के तौर पर पहुंच रहे हैं। कमोवेश हरेक छोटे-बड़े चैनल को उसकी हैसियत और पहुंच के हिसाब से तकरीबन 25,000 से 2,50,000 रुपए के बीच प्रति एपिसोड तक।
अब जरा देखा जाए कि चढ़ावा नहीं लेने वाले निर्मल बाबा के पास इतनी बड़ी रकम आती कहां से है? महज़ डेढ़ दो सालों मे लोकप्रियता की बुलंदियों को छू रहे निर्मल बाबा हर समस्या का आसान सा उपाय बताते हैं और टीवी पर भी ‘कृपा’ बरसाते हैं। काले पर्स में पैसा रखना और अलमारी में दस के नोट की एक गड्डी रखना उनके प्रारंभिक सुझावों में से है। इसके अलावा जिस ‘निर्मल दरबार’ का प्रसारण दिखाया जाता है उसमें आ जाने भर से सभी कष्ट दूर कर देने की ‘गारंटी’ भी दी जाती है। लेकिन वहां आने की कीमत 2000 रुपये प्रति व्यक्ति है जो महीनों पहले बैंक के जरिए जमा करना पड़ता है। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे से भी प्रवेश शुल्क लिया जाता है। अगर एक समागम मे 20 हजार लोग (अमूमन इससे ज्यादा लोग मौज़ूद होते हैं) भी आते हैं तो उनके द्वार जमा की गई राशि 4 करोड़ रुपये बैठती है।
ये समागम हर दूसरे दिन किसी इनडोर स्टेडियम में होता है और अगर महीने में 15 ऐसे समागम भी होते हों, तो बाबा जी को कम से कम 60 करोड़ रुपये का प्रवेश शुल्क मिल चुका होता है। बाबा जी को सिर्फ स्टेडियम का किराया, सुरक्षा इंतजाम और ऑडियो विजुअल सिस्टम पर खर्च करना पड़ता है जो कि महज़ कुछ हज़ार रुपय़े होते हैं। समागम कुछ ही घंटो का होता है जिसमें बाबा जी अपनी बात कहते कम और सुनते ज्यादा हैं। महज़ कुछ घंटे आने और कृपा बरसाने के लिए करोड़ों रुपये कमा लेने वाले बाबा जी अपना कार्यक्रम अधिकतर दिल्ली में ही रखते हैं जहां सारी सुविधाएं कम खर्चे में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
इस मोटी कमाई में एक छोटा, लेकिन अहम हिस्सा उस मीडिया को भी जाता है जिसने बाबा जी को इतनी शोहरत दी है। हालांकि अब कुछ अनचाहे हिस्सेदार भी मिलने लगे हैं। पिछले महीने निर्मल बाबा को एक ‘भक्त’ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुलिस तक की मदद लेनी पड़ी। लुधियाना के रहने वाले इंद्रजीत आनंद ने अपने परिवार के साथ मिल कर जालसाज़ी से बाबा जी को भेजे जाने वाले पैसे में से 1.7 करोड़ रुपये अपने और अपने परिवार के खाते में डलवा लिए। पुलिस ने बताया कि निर्मल बाबा ने बैंक को शिकायत दी थी। बैंक ने जांच की, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया।
उनके भक्त अपनी समस्या सुलझाने के लिए सवाल तो करते ही हैं, उन पर पिछले दिनों बरसी कृपा का गुनगान भी करते है। टीवी चैनलों पर उनके भाव विह्वल होकर सुनाए गए अनुभवों का प्रसारण भी किया जाता है जिसमें उसके सभी कष्टों के निवारण का विवरण होता है। लोगों को कार्यक्रम का यही हिस्सा सबसे ज्यादा प्रभावित करता है दरबार में आने के लिए। निर्मल बाबा की बढ़ती लोकप्रियता ने उन्हें चर्चा में ला दिया है। ट्विटर पर उन्हें फॉलो करने वालों की संख्या करी 40 हजार हो चुकी है। रहे हैं। फेसबुक पर निर्मल बाबा के प्रशंसकों का पेज है, जिसे 3 लाख लोग पसंद करते हैं। इस पेज पर निर्मल बाबा के टीवी कार्यक्रमों का समय और उनकी तारीफ से जुड़ी टिप्पणियां हैं।
लेकिन सभी लोग निर्मल बाबा के प्रशंसक नहीं हैं। फेसबुक पर कई लोग उन पर और उनके दावों पर संदेह भी जता रहे हैं। किसी ने उन्हें ‘फ्रॉड’ बताया है तो कोई ‘पैसे हजम करने वाला’। एक शख्स ने तो लिखा है, ‘बाबा बहुत चालाक आदमी है… आपको हाथ दिखाएगा तो आप पर ऊपर वाले की कृपा हो जाएगी…सिर्फ टीवी देखने से भी भला होता है?’ एक दूसरे व्यक्ति ने लिखा है: ‘महाठग जो बुद्धू लोगों को चूना लगा रहा है और लोग हंस रहे है..पता नहीं लोग कब समझेंगे भगवान और आदमी का
फर्क..?’
निर्मल बाबा के जीवन या उनकी पृष्ठभूमि के बारे में बहुत कम लोगों को पता है। उनकी आधिकारिक वेबसाइट निर्मलबाबा. कॉम पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस वेबसाइट पर उनके कार्यक्रमों, उनके समागम में हिस्सा लेने के तरीकों के बारे में बताया गया है और उनसे जुड़ी प्रचार प्रसार की सामग्री उपलब्ध है। झारखंड के एक अखबार के संपादक ने फेसबुक पर निर्मल बाबा की तस्वीर के साथ यह टिप्पणी की है, ‘ये निर्मल बाबा हैं। पहली बार टीवी पर उन्हें देखा। भक्तों की बात भी सुनी। पता चला..यह विज्ञापन है. आखिर बाबाओं को विज्ञापन देने की जरूरत क्यों पड़ती है? सुनने में आया है…ये बाबा पहले डाल्टनगंज (झारखंड) में ठेकेदारी करते थे?’
लेकिन एक दूसरी वेबसाइट निर्मलबाबा.नेट.इन उनके बारे में कई दावे किए गए हैं। वेबसाइट के मुताबिक निर्मल बाबा आध्यात्मिक गुरु हैं और भारत में वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। इस वेबसाइट पर उन्हें दैवीय इंसान बताया गया है। उनकी शान में कसीदे गढ़ते हुए बताया गया है कि किसी भी इंसान का सबसे बड़ा गुण ‘देना’ होता है और निर्मल बाबा लंबे समय से लोगों को खुशियां दे रहे हैं। वेबसाइट का दावा है कि बाबा के पास छठी इंद्रिय (सिक्स्थ सेंस) भी है जिससे मनुष्य को भविष्य में होने वाली घटना के बारे में पहले से ही पता चल जाता है। ग़ौरतलब है कि उनके समागम का शीर्षक ही ‘थर्ड आई ऑफ निर्मल बाबा’ होता है।
हालांकि, निर्मलबाबा.कॉम में बताया गया है कि निर्मलबाबा.नेट.इन एक फर्जी वेबसाइट है, लेकिन इसमें बाबा की तारीफ़ ही छपी है। वेबसाइट के अनुसार, ‘बाबा नई दिल्ली में रहने वाले आध्यात्मिक गुरु हैं। वेबसाइट के मुताबिक वे 10 साल पहले साधारण व्यक्ति थे, लेकिन बाद में उन्होंने ईश्वर के प्रति समर्पण से अपने भीतर अद्वितीय शक्तियों का विकास किया। ध्यान के बल पर वह ट्रांस (भौतिक संसार से परे किसी और दुनिया में) में चले जाते हैं। ऐसा करने पर वह ईश्वर से मार्गदर्शन ग्रहण करते हैं, जिससे उन्हें लोगों के दुख दूर करने में मदद मिलती है।
उनकी इस साईट के मुताबिक निर्मल बाबा के पास मुश्किलों का इलाज करने की शक्ति है। वे किसी भी मनुष्य के बारे मेंटेलीफोन पर बात करके पूरी जानकारी दे सकते हैं। यहां तक कि सिर्फ फोन पर बात करके वह किसी भी व्यक्ति की आलमारी में क्या रखा है, बता सकते हैं। उनकी रहस्मय शक्ति ने कई लोगों को कष्ट से मुक्ति दिलाई है।’ निर्मल बाबा के बारे में जानने के लिए उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की गई तो नंबर लगातार व्यस्त रहे।
निर्मल बाबा के दावों पर कुछ लोग सवाल भी उठा रहे हैं। इंडीजॉब्स. हबपेजेस.कॉम वेबसाइट पर निर्मल बाबा की कार्यशैली और दावों पर कुछ सवाल उठाए गए थे, लेकिन बाद में डिलीट कर दिए गए। हबपेजेस.कॉम पर कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के आर्टिकल प्रकाशित कर सकता है। इस वेबसाइट पर दावा किया गया है कि ऐसे आर्टिकल प्रकाशित करने पर क्लिक के आधार पर वह पैसे भी कमा सकता है।
इस वेबसाइट पर प्रकाशित लेख ‘इज निर्मल बाबा अ फ्रॉड’ में कहा गया था कि उनके इतिहास के बारे में बेहद कम जानकारी उपलब्ध है। वेबसाइट के मुताबिक, ‘वे वर्तमान में समागम के अलावा क्या करते हैं और अपने भक्तों से मिलने वाली करोड़ों रुपये की राशि से वे क्या कर रहे हैं, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। अगर प्रकृति ने उन्हें दैवीय शक्ति दी है, तो वे लोगों से पैसे लेकर क्यों उनका भला कर रहे हैं?
हालांकि अब ये पेज उपलब्ध नहीं है। लेख में लिखा था ‘अगर आपके पास पैसे नहीं हैं, तो निर्मल बाबा आपका चेहरा तक नहीं देखेंगे।’

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निर्मल बाबा के अंधविश्वासी प्रचार अभियान की हवा निकलेगी, जागरुक मीडिया ने संभाला मोर्चा—
इन दिनों बुद्धू बक्से के कई प्रसारण चैनलों पर निर्मल बाबा का दरबार सज़ा हुआ है। हाल ही में अचानक निर्मल बाबा के भक्तों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। अगर इंटरनेट पर ही बाबा जी की वेबसाइट की लोकप्रियता का आकलन किया जाए तो पता चलता है कि एक साल में इसे देखने वालों की संख्या में ४०० प्रतिशत से भी अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। टीवी चैनलों पर उनके कार्यक्रम के दर्शकों की संख्या में भी भारी इज़ाफा हुआ है। हालांकि उनके समागम का प्रसारण देश विदेश के ३५ से भी अधिक चैनलों पर होता है जिन्हें खासी लोकप्रियता भी मिल रही है, लेकिन उनके बीच कोई ब्रेक या विज्ञापन नहीं होता। न्यूज़ २४ पर पिछले हफ्ते उनके कार्यक्रम की लोकप्रियता ५२ प्रतिशत रही जो शायद चैनल के किसी भी बुलेटिन या शो को नहीं मिल पाई है। चैनलों को इन प्रसारणों के लिए मोटी कीमत भी मिल रही है जिसका नतीजा है कि उन्होंने अपने सिद्धांतों और कायदे-क़ानूनों को भी ताक पर रख दिया है। नेटवर्क १८ ने तो बाबा के समागम का प्रसारण अपने खबरिया चैनलों के साथ-साथ हिस्ट्री चैनल पर भी चलवा रखा है। खबर है कि इन सब के लिए नेटवर्क १८ की झोली में हर साल करोड़ रुपए से भी ज्यादा बाबा के ‘आशीर्वाद’ के तौर पर पहुंच रहे हैं। कमोवेश हरेक छोटे-बड़े चैनल को उसकी हैसियत और पहुंच के हिसाब से तकरीबन २५,००० से २,५०,००० रुपए के बीच प्रति एपिसोड तक।
जब से निर्मलजीत सिंह नरुला उर्फ निर्मल बाबा द्वारा फैलाए जा रहे अंधविश्वास के खिलाफ़ मीडिया दरबार ने मुहिम छेड़ी है, तब से सुधी पाठकों और फेसबुक यूजरों का भारी समर्थन मिल रहा है। इसके अलावा भड़ास4मीडिया.कॉम, विष्फोट.कॉम जैसे कई पुराने व स्थापित न्यूज पोर्टलों ने भी खुद आगे आकर हमारा साथ दिया है। अब यह अभियान तेजी से मीडिया में भी फैल रहा है।
पाठकों की प्रतिक्रियाएं भी मीडिया दरबार, दूसरे पोर्टलों और फेसबुक पर खूब मिल रही हैं। इन प्रतिक्रियाओं में अधिकतर निर्मल बाबा के अंधविश्वास से भरे समागमों के प्रचार अभियान के खिलाफ हैं जो यह साबित करता है कि समाज का एक बड़ा तबका प्रगतिशील विचारों वाला है जो इस ढोंग के विरोध में आगे आने की हिम्मत रखता है। कई अखबारों में भी आँखें खोलने वाले लेख छपने लगे हैं।
थर्ड मीडिया और प्रिंट मीडिया के साथ-साथ कुछ टीवी चैनल भी इस अभियान में शामिल हो रहे हैं। देश के पहले एचडी चैनल न्यूज एक्सप्रेस ने भी निर्मल बाबा के अंधविश्वासों के खिलाफ एक जागरुकता अभियान चला दिया है। इस अभियान में फिलहाल ‘थर्ड आई ऑफ निर्बल बाबा’ के नाम से कुछ हास्य-व्यंग्य से भरी झलकियां प्रस्तुत की गई हैं।
इसके अलावा चैनल ने अंधा-युग के नाम से एक बहस भी शुरु करने का फैसला किया है जिसमें  समाज के विभिन्न वर्गों  से आए लोगों की निर्मल बाबा के बारे में राय जानने और उसपर एक सार्थक बहस का मंच बनाने की कोशिश की जाएगी।
क्या अब भी निर्मल बाबा के दरबार में आपबीती सुनाते हैं मंजे हुए आर्टिस्ट?
आर्य मनु।।
मैं आध्यात्मिक मीडिया से जुडा हूँ और अंदर का बहुत कुछ जानते हुए भी कभी उसके बारे में नहीं लिखता. कारण,साफ़ है, मेरी दुकानदारी भी इन्ही के आशीर्वाद से चलती है. दूसरे, समाज का बहुत बड़ा तबका किसी न किसी बाबा के साथ जुड़ा है..और वो भी हद तरीके से, कि कुछ विपरीत तो सुन ही नहीं सकते.
एक आध्यात्मिक चैनल के साथ काम करते करते लगभग हर प्रमुख संत के साथ कार्यक्रम संचालन का मौका मिला. यकीन मानिये, सभी तथाकथित गुरुओं का “परदे के पीछे” अन्य रूप था. केवल और केवल मोरारी बापू को मैंने अभी तक बेदाग़ पाया.
आज इस लेख में निर्मल बाबा की बात करते है. मैं उनके बारे में कुछ उल्टा पुल्टा न लिखते हुए बस कुछ प्रश्न आपके सामने रखना चाहूँगा …
1). फिलहाल बाबा के भारत के 16 राष्ट्रीय चैनलों, और 3 विदेशी चैनलों पर विदेशों में कार्यक्रम चल रहे है. केवल आस्था पर बीस मिनट का मासिक व्यय सवा चार लाख+टेक्स है, तो अन्य राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर कितना लगता होगा ?
2). अगर बाबा के आशीर्वाद से सब कुछ हो सकता है तो इतने चैनल्स पर आने की क्या ज़रूरत?
3). समाचार चैनल्स को विज्ञापन रूपी कार्यक्रम (पेड प्रोग्राम) के रूप मिलने से वे अपने “क्लाइंट” नहीं खोना चाहते, इस से निर्मल बाबा के खिलाफ कोई खबर नहीं चलती…. क्या ये सच है? (बताते चलें, बाबा का हर प्रमुख न्यूज़ चैनल पर सुबह प्रोग्राम आता है)
4). अपने आरंभिक दिनों में नोएडा के फिल्मसिटी में स्थित एक स्टूडियो में शूटिंग करते वक़्त बाबा के सामने जो लोग अपनी समस्या के हल होने का दावा करते थे, वे असली लोग न होकर  “जुनियर आर्टिस्ट” हुआ करते थे ?
5). आज भी ये “आर्टिस्ट” बदस्तूर जारी है..??
6). बाबा के समाधान का एक उदहारण देखिये : आपके घर में गणेश जी की मूर्ति है ? अकेली है? नहीं..तो अकेली लगाओ.. हाँ तो लक्ष्मी जी के साथ लगाओ, इस से समृद्धि आएगी… दक्षिण में है तो उत्तर में लगाओ, उत्तर में है तो दक्षिण में लगाओ… खड़े है तो बैठे हुए गणेशजी लगाओ… बैठे है तो खड़े गणेश जी लाओ… क्या आपने इस स्थिति को महसूस नहीं किया ? माने आपकी हर बात का कोई न कोई जवाब… और फिर हर जगह लक्ज़री की बात !!!
7). बाबा के किसी शहर में जाने से पूर्व वह एक टीम पहले जाकर “मार्केटिंग” का काम संभालती है. और मार्केटिंग भी ऐसी वैसी नहीं… भारी वाली ? क्यों, जबकि बाबा तो अंतर्यामी है.. आपके घर की हर चीज़ आँखे बंद करके देख सकते है ??
8). युवराज के घरवालों के आरोप तो आपको पता होंगे। नहीं पता तो इस वीडियो को देखें
क्या आप को ढोंगी निर्मल बाबा की कमाई का अन्दाज़ा है ?
अगर आपको नही पता है तो फिर आप अच्छे से जान लीजिए..
[1]. 19 विभिन्न चैनल्स, जिसमे सोनी, ज़ी, स्टार ऐसे नेटवर्क है,जिनके मिडल ईस्ट, एशिया पैसिफिक,भी शामिल कर रहा हूँ, पर दिन मे कुल 33 बार बार के प्रोग्राम चलते है. एक प्रोग्राम का औसतन खर्च चार लाख मासिक है (33 से गुना स्वयं कर लीजिए. यह राशि 1 करोड़ बत्तीस लाख रुपये मासिक बनती है.)
[2]. इस पैसे को कवर करना पड़ेगा तो रोज़ प्रोग्राम करना ज़रूरी है अखिर प्रॉफिट भी तो चाहिए ना?
[3]. बाबा के आने वाले माह अप्रैल मे कुल 17 जगह समागम है. औसतन एक जगह 2500 लोगो को एंट्री मिलती है. 2500 का 2000 प्रति व्यक्ति गुना करने पर 50 लाख की राशि सीधे सीधे टिकट से मिल जाती है. इसके बाद चढ़ावे और व्यक्तिगत मिलन की तो बात ही नही कर रहा. अब अगर 17 कार्यक्रम का 50लाख से गुना करूँगा तो…. साढ़े आठ करोड़ से उपर जाएगा. इसमे सवा – सवा करोड़ टीवी वालो को दे दिए तो भी कम से कम 7 करोड़ एक महीने के बचे. अब आप ही बताइए, इनमे से हाल बुकिंग, कर्मचारी वेतन निकालने के बाद बाबा कितना कमा रहा होगा… बाबा के दरबार मे दो साल के child का भी पूरा टिकट लगता है.
[4]. बाबा को किसी भी प्रकार से दिया जाने वाला पैसा नों रिफंडेबल और नों ट्रांस्फ़ेरेबल है. ये सारी जानकारी मैने उनकी खुद की वेबसाइट ( निर्मल बाबा डॉट कॉम ) से ली है. आप खुद चेक कर सकते है.
टी वी चैनलों की ईजाद निर्मल बाबा सिर्फ एक दिन में चार करोड़ कमा कर अपने भक्तों का तो भला करें या न करें पर टी वी चैनलों का भला जरूर कर रहें हैं…!
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निर्मल बाबा के खिलाफ थाने में शिकायत—
आम लोगों के साथ धोखा और छलावा करने के आरोप में निर्मल बाबा के खिलाफ लखनऊ के गोमतीनगर थाने में बुधवार को एक शिकायत दर्ज कराई गई।
लखनऊ निवासी 16 वर्षीया तान्या ठाकुर और 13 वर्षीय आदित्य ठाकुर ने निर्मल बाबा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जिसमें आम लोगों से पैसे लेकर सवाल पूछने और उल्टा-सीधा जवाब देकर धोखा करने के आरोप लगाए गए हैं।
गोमतीनगर थाना प्रभारी मनोज मिश्रा ने बताया कि शिकायत दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद प्राथमिकी [एफआईआर] दर्ज की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि तान्या और आदित्य भारतीय पुलिस सेवा [आईपीएस] अधिकारी अमिताभ ठाकुर की संतान हैं।  वहीं दूसरी ओर नागपुर से प्राप्‍त समाचार के अनुसार अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति का कहना है कि निर्मल बाबा दैविक शक्ति का दावा करके लोगों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं। समिति ने निर्मल बाबा को भुजा हुआ पापड़ फोड़कर दिखाने की चुनौती दी है।
यहां जारी बयान में समिति के कार्याध्यक्ष उमेश चौबे व हरीश देशमुख ने आरोप लगाया कि निर्मल बाबा का दैविक शक्ति का दावा खोखला, निराधार व धार्मिक प्रवृत्ति के कट्टरपंथी लोगों के लिए मानसिक रूप से गुमराह करने वाला है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीवी चैनलों पर नकली भक्तों को पेश कर बाबा अपनी वाहवाही कराते हैं।
समागम में आनेवालों से मोटी रकम ली जाती है। समिति देवधर्म विरोधी नहीं है, लेकिन ढोंगियों को चुनौती देकर बेनकाब करती रही है। यदि बाबा के पास वास्तव में चमत्कारिक शक्तियां हैं, तो बाबा भुजा हुआ पापड़ फोड़ कर दिखा दें। समिति 15 लाख रु. से बाबा को पुरस्कृत करेगी। समिति ने टीवी चैनलों पर चल रहे इन विज्ञापनों पर पाबंदी लगाने की मांग केंद्र सरकार से की है।

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