जीवन का हाल जानिए हस्त रेखा से—-

हस्त रेखा व्यक्ति के अतीत, वर्तमान और भविष्य जानने की एक प्राचीन विज्ञान है। नारद, वाल्मीकि, गर्ग, भृगु, पराशर, कश्यप, अत्री, बृहस्पति, प्रहलाद, कात्यायन,वराहमिहिरआदि ऋषि मुनियों ने इस पर बहुत काम किया है। इसके बारे में स्कंध पुराण, भविष्य पुराण, बाल्मीकि रामायण, महाभारत, हस्तसंजीवनी आदि ग्रंथो में वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहले समुद्र नामक ऋषि ने इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया इसीलिए इसे सामुद्रिक शास्त्र के नाम से भी जाना जाने लगा। हजारों वर्ष पूर्व हस्तरेखा विज्ञान भारत से ग्रीस, यूनान,मिस्र,फ्रांस, सीरिया आदि देशों में पंहुचा ।
भविष्य जानने की चाहत में आपने किसी हस्त रेखा पढ़ने वाले से अपना हाथ दिखाया होगा या फिर लोगों को ऐसा करते देखा होगा। आपने सोचा है कि हस्तरेखा पढ़ने वाले हमारी हथेलियों को देखकर भविष्य कैसे बताते हैं, वे हमारे स्वास्थ्य एवं स्वभाव व चरित्र की विशेषता को किस तरह जान लेते हैं। हस्तरेखा विषय के जानकारों का कहना है कि केवल हथेली पर दिखाई देने वाली रेखा को देखकर भविष्य कथन नहीं किया जा सकता और न ही आपके विषय में पूरी जानकारी दी जा सकती है। सामुद्रिक ज्योतिष में सटीक भविष्य कथन के लिए त्वचा की प्रकृति व हथेली का रंग भी देखा जाता है।  

ज्योतिष की कई विधा है जिनमें से सामुद्रिक ज्योतिष भी एक है।ज्योतिष में हस्त रेखा का महत्वपूर्ण स्थान है। हम हाथों की रेखाओं द्वारा अपने भविष्य के बारे में जान सकते हैं। जीवन में होने वाली ऊंच-नीच, बीमा‍री, आपकी उम्र आदि के बारे में आसानी से सबकुछ पता चल सकता है। आपके हाथों की रेखाएं  आपके जीवन में आनेवाली मुसीबतों को पहले से आगाह करके हमें संभलने के मौका देते है। 
 सामुद्रिक ज्योतिष में शरीर के अंग त्वचा और रंग को देख कर भविष्य कथन किया जाता है। ज्योतिष की इस विधा में हथेली की रेखाओं का काफी महत्व है इसलिए इसे हस्तरेखीय ज्योतिष के नाम भी जाना जाता है। हथेली के रंगों का सामु्द्रिक ज्योतिष में किस प्रकार प्रयोग होता है यहां हम इसकी चर्चा कर रहे हैं।
 ——————हस्त रेखा किसी भी व्यक्ति के चरित्र को समझने के लिए सर्वोतम विधि है। हाथ या हस्तरेखा व्यक्ति की मानसिकता का दर्पण है। विभिन्न प्रकार के हाथ, हाथों कीआकृतियाँ,हथेलीयां हाथ के रंग,ग्रहों की स्थिति, नख , विशेषचिन्ह, विभिन्न लकीरे मिलकर भिन्न-भिन्न योग बनाती है,जिनका अलग-अलग फल होताहै, इन्ही सब को देख परख कर व्यक्ति का चरित्र चित्रण और भविष्य कथन किया जाता है। हस्तरेखा द्वारा किसी व्यक्ति विशेष का व्यक्तित्व एवं रोगों का फल कथन करना बहुत ही आसान हो जाता है।
——————हथेली का रंग कैसे हमारे विषय में बोलता है आइये, इसे सुनें। सबसे पहले आप अपनी हथेलियों को देखिये फिर किसी और व्यक्ति की हथेली देखिये आप पाएंगे कि आपकी हथेली का रंग और दूसरे व्यक्ति की हथेली के रंग में अंतर है। हथेली के रंग को देखकर हस्तरेखा से भविष्य बताने वाले आपके स्वास्थ्य और स्वभाव के विषय में बताते हैं जैसे आपकी हथेली का रंग बहुत ही पीला है तो आपकी हथेली का रंग कहता है कि आप आपके शरीर में रक्त की कमी हैं संभव है कि आप एनिमिय के शिकार हैं, आप स्वभाव से स्वार्थी हो सकते।

———-हस्तरेखा विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर आपकी हथेली का रंग पीला है तो यह संकेत है कि आप रोगग्रस्त हैं। आपके शरीर में पित्तदोष है। यह बयां करता है कि आपका स्वभाव चिड़चिड़ा है। अगर आपकी हथेली लालिमा लिये हुए है तो यह इस बात का इसारा है कि आप ब्लड प्रैसर की समस्या से परेशान हो सकते हैं। आप अपने गुस्से पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं छोटी छोटी बातों पर आवेश में आ जाते हैं। आपकी हथेली अगर काफी लाल दिखाई देती है तो आपका स्वभाव बहुत ही उग्र हो सकता है आप क्रोध में सीमा से बाहर जा सकते हैं अर्थात मार पीट भी कर सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से इस प्रकार की हथेली होने पर आप मृगी रोग से पीड़ित हो सकते हैं। 
————–आपकी हथेली गुलाबी और चित्तीदार है तो हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार आपका स्वास्थ्य सामान्य है और आप आशावादी और खुशमिज़ाज व्यक्ति हैं। अगर आपकी हथेली का रंग नीला दिखता है तो आप यह समझ सकते हैं कि आपके शरीर में रक्त संचार की गति धीमी है और हो सकता है कि आपके अंदर आलस्य की भावना हो। इस शास्त्र के अनुसार हथेली का रंग गुलाबी है तो स्वास्थ एवं स्वभाव दोनों ही दृष्टि से अत्यंत उत्तम है। 
इस आलेख को पढ़कर आप भी हथेली का रंग देखकर स्वभाव और स्वास्थ्य दोनों का रंग पहचान सकते हैं तो चलिए सबसे पहले अपनी हथेलियों को ही देखते हैं। 
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हस्तरेखा विश्लेषण : ————
हाथ का आकार/आकृति————-
बहुत छोटा हाथ – विद्वान्
छोटा हाथ – भावुक
सामान्य हाथ – सदगुणी
बड़ा हाथ – व्यवहार कुशल
बहुत बड़ा हाथ – परिश्रमी
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त्वचा का रंग:——————– 
बहुत पीला – रक्ताल्पता
पीला – रुग्ण स्वभाव
गुलाबी – हंसमुख स्वभाव
लाल – रक्त की अधिकता
बहुत लाल – हिंसक
अतिरिक्त चिकनी त्वचा – गठिया
शुष्क त्वचा – बुखार
नरम त्वचा – कमजोर जिगर
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मुद्रिका:———- 
प्रत्येक हथेली में नौ क्षेत्र महत्वपूर्ण है:———–
बृहस्पति का पर्वत – आध्यात्मिकता
शनि का पर्वत – गंभीरता
सूर्य का पर्वत – प्रतिष्ठा
बुध का पर्वत – वाणिज्य
मंगल ग्रह उंचा पर्वत – जीवन शक्ति
चंद्रमा का पर्वत – कल्पना
शुक्र का पर्वत – प्रेम
मंगल ग्रह निम्न पर्वत – क्रोध
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अन्य छोटी बड़ी लकीरों के साथ मुख्यतः सात मुख्य लकीरे हथेली में पाई जाती हैं। 
जीवनरेखा – व्यक्ति की आयु, स्वास्थ्य, बीमारी इस रेखासे जाना जाता है।
मस्तिष्क रेखा – व्यक्ति की बौद्धिकता का अध्ययन इससे किया जाता है।
हृदयरेखा – भावनात्मक पक्ष इससे देखा जाता है।
भाग्यरेखा – व्यक्ति के भाग्य, लाभ, हानि के बारे में इस रेखा से जाना जाता है।
सूर्यरेखा – सफलता, पद, प्रतिष्ठा के बारे में इस रेखा से जाना जाता है।
स्वास्थ्यरेखा – इससे स्वास्थ्य एवं व्यापार दोनों के बारे में जाना जाता है।
विवाहरेखा- वैवाहिक जीवन के बारे में इस रेखा से जाना जाता है।
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– जीवन रेखा पर जितनी बार क्रॉस होंगे उस जातक को उसके जीवन में उतनी ही बार खतरों से गुजरना पड़ सकता है।

– जिस जातक की जीवन रेखा गुरु पर्वत से निकलती हो तो ऐसा व्यक्ति उत्तम आचरण वाला, गुणी-धर्मात्मा भी होगा।

– जीवन रेखा पर बिन्दु हो या कटी रेखा भी हो तो उस जातक की मृत्यु हार्ट अटैक से हो सकती है। 

– जिस जातक की जीवन रेखा को चंद्रपर्वत से निकलने वाली रेखा काटे तो उस जातक की मृत्यु जल में डूबकर हो सकती है। 

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– जीवन रेखा पर अन्य शाखाओं का होना उसके जीवन में परेशानियों का संकेत देता है। 

– जिस जातक की जीवन रेखा को बारीक-बारीक रेखाएँ काटती हो तो उसे पारिवारिक जीवन में कष्टों का सामना करना पड़ता है। 

– जीवन रेखा से कोई शाखा बुध पर्वत तक जाए तो उस जातक को व्यापार के क्षेत्र में देश-विदेश में ख्याति दिलाती है। 

– जीवन रेखा के साथ कुछ दूर तक भाग्य रेखा चले तो उसका बुढ़ापा उत्तम कटेगा। 

– जीवन रेखा पर तारे का निशान शुभकारक नहीं होगा उसे तनाव, चिकचिक का सामना करना पड़ेगा। 

– जीवन रेखा पर काला तिल हो तो ऐसे जातक को अकस्मात दुर्घटना का शिकार होना पड़ सकता है। 

– जीवन रेखा मंगल पर्वत पर जाकर समाप्त हो जाए तो उसे किसी हथियार से खतरा हो सकता है। 

– जीवन रेखा पर गोल वृत्त का निशान आत्मघात या अकस्मात मृत्यु का संकेत देती है।

– जीवन रेखा के साथ यदि भाग्य रेखा मिल जाए तो ऐसा जातक अपने जीवन में भाग्यशाली होने के साथ लंबी उम्र भी पाएगा।

– इस तरह से रेखाओं से सरल और सहज तरीके से आप अपने बारे में जान सकते हैं। परंतु आप यदि अधिक जानकारी चाहते हैं तो आपको किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह लेना चाहिए। 

– जीवन रेखा का अंतःशिरा स्पष्ट साफ-सुथरा हो तो उस जातक का बुढ़ापा उत्तम कटेगा।

– जीवन रेखा यदि बीच में से कटी हो और उसके साथ कोई अन्य रेखा चल रही हो तो ऐसे जातक के दुर्घटना के योग तो बनेंगे लेकिन दुर्घटना इतनी छोटी होगी कि जिसका असर तनिक-सा होगा।

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हस्तरेखा से जानिए कौन से क्षेत्र में मिलेगी सफलता

आज जैसे-जैसे वैज्ञानिक विकास हो रहे हैं। वैसे-वैसे समाज में नई-नई सुविधाओं एवं क्षेत्रों का सूत्रपात हो रहा है, तथा कार्यो का वर्गीकरण इस प्रकार हो रहा कि वस्तु का एक हिस्सा कहीं निर्मित हो रहा है तो दूसरा हिस्सा कहीं और तथा सबका सम्मेलन या असेंबल कहीं और! इसी कारण एक ही रोजगार कई-कई शाखाओं में बंट गया है। जैसे जैसे विज्ञान ने तरक्की की है रोजगार की बढती शाखाओं के कारण उसका चयन करना एक कठिन प्रक्रिया होती जा रही है। लोग ज्योतिषियों के द्वारा इसका समाधान ढूंढने का प्रयास करते हैं। और ज्योतिषी मदद भी करते हैं। हस्त रेखा शास्त्र द्वारा भी रोजगार चयन में कुछ सहायता प्राप्त हो जाती है। प्राय: ऎसा देखने में आता है कि अभिभावक अपनी संतान से बहुत ज्यादा अपेक्षा रखते हैं तथा जैसा चलन उस समय चल रहा है वे भी अपनी संतान को वैसे ही चलन की शिक्षा दिलाने को तत्पर हो जाते हैं यह जाने बिना कि उनकी संतान में ऎसी योग्यता भी है या नहीं। व्यवसाय का संबंध पूर्णतः बुध रेखा से है। पर व्यवसाय रेखा के संबंध में किसी तरह का निष्कर्ष निकालने के पहले जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा और सूर्य रेखा की स्थिति एवं उनके पारस्परिक तालमेल तथा प्रभाव का अध्ययन करना जरूरी है। यदि बुध रेखा से निकल कर एक ष्षाखा बृहस्पति पर्वत की ओर जाए, तो जातक को अपनी महत्वाकांक्षा और लोगों का नेतृत्व करने तथा, उनपर नियंत्रण रखने की अपनी योग्यता से, व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है। यदि सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से निकल कर हर्षल तक पहुंचती है, तो इसे अत्यंत श्रेष्ठ मानते हैं। ऐसे व्यक्ति बहुमुखी प्रतिभासंपन्न होते हैं। ये जीवन में जिस कार्य को भी प्रारम्भ करते हैं, उसमें सफलता प्राप्त करते हैं। वे समाज में अत्यधिक ख्याति और सम्मान अर्जित करते हैं; यद्यपि कार्य के प्रारंभ में इनका अत्यधिक विरोध भी होता है।
प्रायः ऐसे व्यक्ति उच्च कोटि के वैज्ञानिक, वकील, दार्षनिक, ज्योतिर्विद, साहित्यकार तथा राजनीतिक व्यक्ति होते हैं। साझेदारीः- जिन अंगुलियों पर तारे का चिन्ह होता है, वह जातक अत्यंत भाग्यषाली होता है। उसकी साझेदारी फलीभूत होती है। उसको जीवन भर सहायक और सहयोगी मिलते रहते हैं। जिन अंगुजियों पर चतुर्भुज का चिन्ह पाया जाता है, ऐसे व्यक्ति स्वावलंबी होते हैं और अपना जीवन अपने बल पर आरंभ करते हैं। पारिवारिक सहयोग नगण्य रहता है। साझेदारी इन्हें फलीभूत नहीं होती है। यदि अंगुलियां अपने आधार पर, जहां हथेली के साथ जुड़ती हैं, अंदर की ओर मोटी हों, तो उनका स्वामी अच्छी वस्तुओं का प्रेमी, स्वार्थी और भौतिकवादी होता है तथा साझेदारी उसके लिए अच्छी नहीं होती।
उच्चाधिकारीः- यदि सूर्य पर्वत पर मत्स्य रेखा हो, हाथ की बनावट सुडौल हो, सूर्य और गुरू पर्वत विकसित हों, भाग्य रेखा स्पष्ट हो, दोनों हाथों की कनिष्ठिका अंगुली सामान्य से अधिक लंबी हो, मंगल क्षेत्र विकसित हो तथा सूर्य रेखा स्पष्ट हो, तो वे उच्च पदों पर कार्यरत होते हैं। चिकित्सकः- मंगल और बुध पर्वत विकसित हों, सूर्य और भाग्य रेखाएं स्पष्ट हां, चंद्र पर्वत विकसित हों, यदि दोनां हथेलियों में उन्नत बुध क्षेत्र पर तीन खड़ी रेखाएं हों, तो चिकित्सक बनने का योग होता है।


यदि बालक चल निकला तो ठीक अन्यथा दूसरे से उसकी तुलनाकर प्रताडित करना शुरू हो जाता है फलत: कुठां एवं असफलता तथा योग्यता की सही उपयोगिता न होने के कारण असंतोष बढता है। अत: सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि बालक किस क्षेत्र में सफल हो सकता है। यदि अंगुलियों के पहले पोरे सबल एवं लम्बे हैं तो बालक में सीखने की ललक अच्छी है वह उच्चा शिक्षा ग्रहण करने में सफल हो जायेगा। यदि अगुंलियों के दूसरे पोरे लम्बे सबल है तो बालक प्रेक्ट्रीकल में चल जायेगा अर्थात् उसमें देखकर सीखने की क्षमता है। ऎसे ही कोई व्यवसाय उसके लिए उचित रहेंगे। इसके विपरीत यदि तीसरा पोरा ज्यादा सबल है तो बालक को उत्पादन, व्यापार व्यवसाय के क्षेत्र में ले जाना ज्यादा उचित होगा। सर्वप्रथम यह तय कर लेना जरूरी है कि बालक किस ग्रह द्वारा संचालित है अर्थात् बालक के हाथ में कौनसा पर्वत क्षेत्र ज्यादा प्रभावी है उसके स्वामी द्वारा ही उसका जीवन ज्यादा प्रभावित रहता है। सामान्यतया कौनसे ग्रह प्रभावी होने से कौनसा क्षेत्र ज्यादा अच्छा रहेगा उसका संक्षिप्त रूप में हम इस प्रकार जान सकते हैं:- 
.. बृहस्पति : राजनीति, सेना या सामाजिक संगठनों में उच्चा पद, अध्ययन, अध्यापन, सलाहकार, कर/ आर्थिक विभाग, कानून एवं धर्म क्षेत्र। 
.. शनि : तंत्र, धर्म, जासूसी, रसायन, भौतिक, गणित, मशीनरी, कृषि, पशुपालन, तेल, डीजल, पेट्रोल, कोयला, खनन इत्यादि कठोर मेहनत वाले कार्य, अनगढ कलाकृतियाँ इत्यादि। 
.. सूर्य : कला, साहित्य, प्रशासन संबंधी। 
4. बुध : इंडोर गेम्स, जहाँ बोलने की ज्यादा आवश्यकता हो, मार्केटिंग, विज्ञान, व्यापार, वकालत, चिकित्सा क्षेत्र, बैंक आदि।
5. मंगल : साहसी कार्य, अन्वेषण खोज, खिलाडी, पर्वतरोहण, खतरों से भरे कार्य, सैनिक, पुलिस, जंगलता या वन क्षेत्र इत्यादि। 
6. चन्द्र : कला, काव्य, जलीय व्यवसाय, तैराक, तरल वस्तुएँ। 
7. शुक्र : कला, संगीत, चित्रकारी या गंधर्व कलाएँ, नाटक इत्यादि, महिला विभाग, कम्प्यूटर, हस्तशिल्प, पयर्टन आदि। 
1. प्रशासनिक सेवाएँ : निष्कंलक अर्थात् शुद्घ भाग्य रेखा अनामिका की तुलना में लम्बी तर्जनी, कनिष्ठा, अनामिका के पहले पोरे को पार कर जाए, शाखायुक्त मस्तिष्क रेखा, अच्छा मजबूत दोषयुक्त सूर्य क्षेत्र तथा श्रेष्ठ अन्य रेखाएँ जातक को प्रशासन संबंधी कार्यो की ओर ले जाने का संकेत करती है। 2. वकालत : अपने उदय के समय मस्तिष्क रेखा एवं जीवन रेखा थोडा गैप लेकर चले तथा मस्तिष्क रेखा के अंत में कोई फोर्क (द्विशाखा) हो, कनिष्ठा का पहला पोरा लम्बा एवं मजबूत हो तथा अच्छा बुध तीन खडी लाइन युक्त हो तथा मजबूत अंगूठे का दूसरा पोरा सबल हो तो यह न्याय के क्षेत्र में ले जाने का संकेत है।
3. मशीनरी : मजबूत शनि, लम्बी गहरी मस्तिष्क रेखा, लम्बी एवं गांठदार अंगुलियाँ जातक का रूझान मशीनरी क्षेत्र में करती है।
4. कृषि : लम्बी शनि अंगुलीं, सबल एवं लम्बा दूसरा पोरा तथा सख्त हाथ कृषि की तरफ रूझान देता है। 
5. अभिनेता : लम्बी एवं शाखायुक्त मस्तिष्क रेखा जिसकी एक शाखा बुध पर जाए, विकसित बुध तथा शुक्र तथा सूर्य एवं अच्छा चन्द्र एवं लम्बी कनिष्ठा अंगुली एक्टर के लिए उपयुक्त है। 
6. गायक : अंगुलियों की तुलना में लम्बी हथेली, कोणाकार अंगुलियाँ, मस्तिष्क एवं जीवन रेखा में प्रारम्भ से ही गैप तथा शाखायुक्त मस्तिष्क रेखा एवं शुक्र व चन्द्र अच्छे हों।
7. एकाउटेंट : अच्छा बुध, सूर्य एवं अच्छी भाग्य रेखा तथा मजबूत अंगूठा एवं अंगुलियों की सबल व विकसित दूसरी संधिगांठ हो। 
8. पाकशास्त्री : लम्बी कनिष्ठा, उठा हुआ शुक्र तथा तर्जनी का विकसित एवं मोटा तीसरा पोरा होना चाहिए। 
9. डाँसर : लचीला अंगूठा, लचीली एवं हथेली की तुलना में लम्बी अंगुलियाँ। 
1.. इंजीनियर : लम्बा अंगूठा, तर्जनी का लम्बा दूसरा पोरा वर्गाकार हथेली, अच्छी संधि गाँठे अंगुलियों की वर्गाकार नोंक, विकसित शनि एवं लम्बी मध्यमा तथा मस्तिष्क रेखा एवं अच्छा बुध इंजीनियर के लिए उपयुक्त है।
11. वैज्ञानिक : अच्छी एवं सफेद धब्बों युक्त मस्तिष्क रेखा तथा अच्छे बुध पर त्रिकोण का चिह्न इस क्षेत्र में ले जाने के लिए उचित है। 
12. चिकित्सक : अच्छे बुध पर तीन-चार खडी लाइने, लम्बी एवं गाँठदार अंगुलियाँ तथा वर्गाकार हथेली तथा अच्छी आभास रेखा चिकित्सा क्षेत्र के लिए उपयुक्त है।
13. सैन्य सेवाएँ : लम्बा एवं सख्त मजबूत अंगूठा, उन्नत शुक्र एवं मंगल अच्छी सूर्य एवं भाग्य रेखा तथा वर्गाकार या चमसाकार अंगुलियाँ सैन्य सेवा के लिए अच्छी है तथा 
अ उक्त के साथ यदि मंगल अति विकसित एवं सख्त है तो थल सेना के लिए उपयुक्त 
ब यदि उक्त के साथ विकसित बृहस्पति एवं मजबूत एवं थोडा सा अन्तराल लिए मस्तिष्क एवं जीवन रेखा का उदय हो तो हवाई सेना 
स यदि उक्त के साथ विकसित चन्द्र एवं हल्कासा चन्द्र की तरफ ढलान लिए मस्तिष्क रेखा हो तो जल सेना के लिए उपयुक्त होगा। 
14. कवि कलाकार या पेन्टर चित्रकार : अच्छा शुक्र एवं चन्द्रमा तथा अंगुलियों के सिरे नुकीले, लचीला हाथ एवं चन्द्र की तरफ झकाव लिए मस्तिष्क रेखा। 
15. अध्यापक : स्पष्ट मस्तिष्क, सूर्य एवं भाग्य रेखा तथा उन्नत गुरू। इस प्रकार हस्त रेखा में संभावित कुछ रोजगारो की जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया शेष फिर अगले अंकों में चर्चा करने की कोशिश करेंगे।

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