अपनी जन्म कुंडली अनुसार जानिए की इन घरेलु उपायों से केसे करें लक्ष्मी की प्राप्ति —-

दान का महत्व तीनों लोक में विशिष्ट महत्व रखता है। इसके प्रभाव से पाप-पुण्य व ग्रह के प्रभाव कम व ज्यादा होते हैं। इसमें शुक्र और गुरु को विशेष धनप्रदाय ग्रह माना गया है। आकाश मंडल के सभी ग्रहों का कारतत्व पृथ्वी में पाए जाने वाले पेड़-पौधों व पशु-पक्षियों पर पाया जाता है। गाय पर शुक्र ग्रह का विशेष प्रभाव पाया जाता है।

– गाय की सेवा भी इस श्रेणी में विशेष महत्व रखती है। जिस घर से गाय के लिए भोजन की पहली रोटी या प्रथम हिस्सा जाता है वहाँ भी लक्ष्मी को अपना निवास करना पड़ता है।

– साथ ही घर के भोजन का कुछ भाग श्वान को भी देना चाहिए, क्योंकि ये भगवान भैरव के गण माने जाते हैं, इनको दिया गया भोजन आपके रोग, दरिद्रता में कमी का संकेत देता है।

– इसी तरह पीपल के वृक्ष में गुरु का वास माना गया है। अतः पीपल के वृक्ष में यथासंभव पानी देना चाहिए तथा परिक्रमा करनी चाहिए। यदि घर के पास कोई पीपल के वृक्ष के पास से गंदे पानी का निकास स्थान हो तो इसे बंद कराना चाहिए। वृक्ष के समीप किसी भी प्रकार की गंदगी गुरु ग्रह के कोप का कारण बन सकती है।

– घर के वृद्धजन भी गुरु ग्रह के कारतत्व में आते हैं। घर के वृद्धजनों की स्थिति व उनका मान-सम्मान भी आपकी आर्थिक स्थिति को काफी प्रभावित करते हैं। यदि आपके घर में वृद्धों का सम्मान होता है तो निश्चित रूप से आपके घर में समृद्धि का वास होगा, अन्यथा इसके ठीक विपरीत स्थिति होगी।

– व्यय भाव में अशुभ ग्रह की स्थिति भी दरिद्रता का कारक होती है।

– बारहवें भाव के स्वामी ग्रह का दान अवश्य करना चाहिए, क्योंकि इससे आपके व्यय में कमी आती है।

– जन्म पत्रिका के बारहवें भाव में जिस तरह के ग्रह हों उससे संबंधित धन से जीवन में आने वाली विपत्तियों से मुक्ति आती है।

– व्यय भाव में मंगल होने पर व्यक्ति को सांड को गुड़, चना या बंदर को चना खिलाना चाहिए।

– व्यय भाव में गुरु होने पर विद्वान व्यक्ति को शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराना चाहिए, यथासंभव दान करना चाहिए।

– व्यय भाव में शनि होने पर व्यक्ति को काले कीड़े जहाँ रहते हों उस स्थान पर भुना हुआ आटा डालना चाहिए।

– व्यय भाव में सूर्य की स्थिति होने पर लाल मुँह के बंदर को खाद्य सामग्री देना चाहिए।

– राहु की व्यय भाव में स्थिति होने पर कोढ़ी व्यक्ति को दान देना चाहिए। गूगे-बहरे लोगों को दिया गया दान भी फलदायक रहेगा।

– धन की व्यय भाव में स्थिति रहने पर मिट्ठू की सेवा अथवा बकरी को पत्तियाँ वगैरह का सेवन करवाना चाहिए।

– द्रव्य की व्यय भाव में स्थिति होने पर गर्मी के दिनों में प्याऊ की व्यवस्था करवाना चाहिए।

– केतु की व्यय भाव में स्थिति होने पर लंगड़े, अपंग व्यक्ति को दान व यथासंभव सहयोग करना चाहिए।

घर की बहू-बेटियों पर भी शुक्र का कारतत्व है। अतः व्यक्ति को नारी जाति का सम्मान कर बहन-बेटियों की यथासंभव मदद करना चाहिए क्योंकि इनके लिए किया गया कोई भी कार्य आपके पुण्यों में वृद्धि करता है तथा दरिद्रता दूर करने में सहायक होता है। अतः व्यक्ति को अपनी जन्म पत्रिका के छठे व व्यय भाव से संबंधित ग्रहों की जानकारी किसी विद्वान व्यक्ति से लेकर संबंधित दान, जप, पूजन, नियमित रुप से करना चाहिए। साथ ही अन्य व्यक्तियों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करना चाहिए।

छठे भाव के ग्रह का दान करने से रोग, कर्ज व शत्रु नष्ट होते हैं तथा व्यय भाव से संबंधित दान करने से विपत्तियों में कमी आती है। यदि शत्रु, रोग, कर्ज व विपत्ति कम होगी तो निश्चित रुप से धन व समृद्धि बढ़ेगी ही। अतः इस सरल दान, जप को करने से प्रत्येक घर में सुख-समृद्धि व लक्ष्मी का वास होता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here