जानिए हस्तेरेखा  से तलाक के योग…???

हस्तरेखा और तलाक

कहा जाता है कि विवाह स्वर्ग में तय होते हैं और पृथ्वी पर केवल सम्पन्न होते हैं।  इसी भावना की प्रबलता से हमारे दादा-दादी, नाना-नानी के जमाने से वैवाहिक रिश्ते जन्म भर निभाए जाते रहे हैं।  लेकिन आज बदलती जीवन शैली में मान्यताएं भी बदल रही है।  पति-पत्नि के बीच की छोटी-छोटी तकरारें रिश्तों में कड़वाहट घोल कर तलाक तक ले जाती हैं।  हाथ की रेखाओं में प्रेम विवाह और तलाक आदि सभी की तस्वीर उकेरी रहती है।  जानिए तलाक की ओर उन्मुख होने की स्थितियों में हस्त रेखाओं की क्या स्थिति होती हैः-
 
. शुक्र पर्वत से कोई रेखा निकल कर विवाह रेखा को काटे, हथेली के मध्य इस रेखा पर द्वीप का चिन्ह् हो तो माता-पिता या समाज की राय के विरूद्ध किया गया प्रेम विवाह को न्यायालय द्वारा अमान्य कर दिया जाता है या तलाक हो जाता है।  
. शुक्र पर्वत से कोई रेखा निकल कर सीधी प्रणय रेखा को काटे, इस सीधी रेखा से निकल कर एक खड़ी रेखा जीवन रेखा को काटे तो तलाक की स्थिति बनती है।  
. गुरू पर्वत पर क्राॅस का निशान हो और शुक्र पर्वत से एक प्रभावी रेखा बिन्दु स्थान से आरम्भ हो और जीवन रेखा से बाहर जाने पर किसी उध्र्य रेखा द्वारा काट दिया जाए तो प्रेम विवाह का अंत तलाक के रूप में होता है।  
4 अगर विवाह रेखा की समाप्ति स्थल पर कोण बना हो तो तलाक होता है।  
5 यदि विवाह रेखा उद्गम स्थान पर कोण बनाए तो जातक की अपनी गलती अथवा कमी के कारण तलाक होता है। 

  
6 यदि वृह्द रेखा त्रिभुज से निकल कर विवाह रेखा को काटे, जिस पर कोफ बना हुआ हो तो तलाक होता है।  
7 अगर विवाह रेखा किसी एक सिरे पर कोण बनाए, जिसकी एक शाखा हृदय रेखा की ओर मुड़ती हो तो जातक का तलाक उसके हक में होता है।  
8 यदि विवाह रेखा टूटी हो तो वियोग अथवा तलाक होता है।  यदि विवाह रेखा टूटी हुई हो, परन्तु दोनों सिरे एक-दूसरे के समान्तर चले तो वियोग या तलाक के बाद पुनर्मिलन हो जाता है।  
9 यदि शुक्र पर्वत और हृदय रेखा के बीच द्वीप का चिन्ह् हो, जिसके सिरे पर कोण बनता हो तो तलाक होता है।  
1. यदि शुक्र पर्वत से प्रभाव रेखा निकल कर जीवन रेखा और मस्तिषक रेखा को काटती हुई हृदय रेखा पर कोण बनाकर समाप्त हो जाए तो तलाक होता है।  
11 अगर कोई प्रभाव रेखा जीवन रेखा के ऊपर को जा रही हो और किसी छोटी शाखा को काटती हुई मस्तिषक और हृदय रेखाओं को काटे तो जातक का वैवाहिक जीवन दुखद होता है।  यहाॅं तक कि तलाक भी हो सकता है।  
12 विवाह रेखा के एक सिरे पर सर्प जीभ सी बुनी हो तो तलाक जैसी स्थिति बन जाती है।  
13 जीवन रेखा के बाहर मणिबन्ध पति-पत्नि में कुछ तनाव कराता है, परन्तु सम्बन्ध विच्छेद नहीं कराता है।  
14 यदि एक सीधी रेखा शुक्र पर्वत से चलकर हथेली के मध्य आकर समाप्त हो और समाप्ति पर किसी स्वतंत्रा वर्गाकृति से जुड़ी हो तो तलाक हुआ करता है।  
15 शुक्र पर्वत से निकल कर यदि प्रभाव रेखा आगे बढ़कर विवाह रेखा को काटे तो तलाक की स्थिति बनती है।  
16 यदि जीवन रेखा की उध्र्वगामी शाखाओं को प्रभावी रेखा काटती है तो ऐसा प्रत्येक कटाव सम्बन्ध विच्छेद का सूचक होता है।  
17 यदि शुक्र पर्वत से निकल कर कोई प्रभावी रेखा जीवन रेखा को उध्र्वगामी शाखा मस्तिषक रेखा तथा हृदय रेखा को काटती हो तो जातक को वैवाहिक जीवन में ऐसे कष्ट उठाने पड़ते हैं, जिनकी परिणिति सम्बन्ध विच्छेद या तलाक में होती है।  यदि प्रभावी रेखा प्रणय रेखा को भी काट दे तो सम्बन्ध विच्छेद अवश्य होता है।  
18 अगर शुक्र पर्वत से निकल कर कोई प्रभावी रेखा हृदय रेखा पर द्विशाखी होकर समाप्त होती है तो सम्बन्ध विच्छेद होता है।  
19 गुरू पर्वत पर क्राॅस का निशान हो और शुक्र पर्वत से एक प्रभावी रेखा बिन्दु स्थान से आरम्भ हो और जीवन रेखा से बाहर जाने पर किसी उध्र्व रेखा द्वारा काट दिया जाए तो प्रेम विवाह का अंत तलाक होने के रूप में होता है।  
गुरू का पर्वत विकसित और हथेली खोखली हो, शुक्र पर्वत से प्रभावी रेखा उध्र्व मंगल रेखा से गुजरती हो।  बुध पर्वत पर एक नक्षत्रा हो, भाग्य रेखा पर बने द्वीप चिन्ह् को शुक्र पर्वत से नक्षत्रा की जड़ से निकली कोई रेखा को काटे, भाग्य रेखा को द्वीप चिन्ह् के पश्चात् शनि पर्वत पर अनेक खड़ी रेखाओं द्वारा काटा जाना विशेष रूप से सूर्य रेखा को काट दे।  यदि इन लक्ष्णों में एक भी हो तो तलाक अवश्य होता है।  

 पं0 दयानन्द शास्त्री 
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,  
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार, 
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) 326023
मो0 नं0….

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