दक्षिणमुखी भवन भी सुखमय—
कभी-कभी किसी भ्रान्तिवश ऐसी मानसिकता बन जाती है कि हम बुरा मान लेते है और इस भ्रान्ति से वास्तुषास्त्रानुसार कोइ भी दिशा अच्छी या बुरी नहीं होती है। सभी दिशाओ की अपनी विषेषतायें होती है। आमतोर पर दक्षिणमुखी भवन को अषुभ माना जाता है लेमिन हमेषा ऐसा नहीं होता है। यदि दक्षिणमुखी भवन का निर्माण वास्तुसम्मत करवाया जाये तो आप यहां भी सुख-समृद्धि व उन्ति प्राप्त कर सकते है।
दक्षिणमुखी भवन व भवन के दक्षिण भाग मे खुला स्थन वहां रहने वालों को शक्ति सम्पन्न बनाता है। अषुभ समझा जाने वाला दक्षिणमुखी भवन सूर्य उर्जा की अधिकता के कारण सभी दिषाऔ के भवनां से अधिक शुभ व श्रेष्ठ होता है, लेकिन इस भवनों को बनाते समय थोडी सतर्कता रखनी चाहिये। जिन भवनों में पूर्वी ईषान बंद हो और दक्षिण तथा दक्षिणी-आग्रेय अधिक खुला हो , वहां निवास करने वाली महिलायें , पुरूषों की तुलना में अधिक शक्ति सम्पन्न हो जाती हैं। राजस्थान विधानसभा भवन इसका उत्कृष्ट उदाहरण हैं। इस विधानसभा का पूर्वी ईशान कोण कटा हुआ हैं , इसी कारण यहां स्त्री शक्ति का आणिपत्य हैं।
गलतफहमी के चलते दक्षिणमुखी प्लाट या मकान के दाम अपेक्षाकृत कम होते हैं इसका कारण वे भ्रांतियां हैं जिनमें लोग मानते हैं कि भवनों में अन्य भवनों की तुलना में वास्तुदोष होने की संभावना अधिक होती हेंैं। इसी भ्रांति के चलते ये भवन कम बिकते हैं। यह मात्र गलत कारण धारणा हैं। दक्षिणमुखी भवन भी शुभ होते हैं। महिलाओं के स्वास्थ्य की दृष्टि से देखे तो दक्षिण दिशा में वास्तुदोष होने पर सबसे बुरा प्रभाव महिलाओं के स्वास्थ्य पर होता हैं , क्योकि दक्षिण दिषा का स्वामी मंगल हैं और स्त्री का कारक ग्रह शुक्र होने के कारण शुक्र , मंगल से ज्यादा पीडि़त हो जाता हैं।यदि किसी जातक के लिये लाभ देने वाली दिषा ही दक्षिण हो तो ऐसे जातक को दक्षिणमुखी भवन से हानि कैसे हो सकती हैं ? सामान्यतया जिन अंकों , ग्रहों , स्थानों एवं भवनों को लेकर मानसिकता होती हैं कि वे अषुीा होते हैं किन्तु वे ही अंक एवं भवन आदि कुछ जातकों के लिये अत्यन्त लाभकारी होते हैं। जैसे .. का अंक सभी के लिये खराब नहीं होता या राहु-केतु प्रत्येक जातक को नुकसान नहीं देते। प्रत्येक जातक की कुन्डली में कुछ ग्रह शुभफलदायक होते हैं तो कुछ ग्रह अषुभ फल चसले हसेते हैं। वैसे ही दक्षिणमुखी मकान या प्लाट भी अनेक जातकों के लिये अत्यन्त शुभ एवं लाभकारी होते हैं।
केवल आषंका एवं आमधारणा के आधार पर दक्षिणमुखी प्लाट , मकान , दुकान को छोड़ देना बुद्विमानी नहीं हैं। जैसे शनि के कुप्रभावों को लेकर अनेक भ्रांतियां हैं, वैसे ही दक्षिणमुखी भवन,प्लाट के बारें में भी जनता आंषकित रहती हैं। सर्वविदित हैं कि न तो शनि सभी लोगों को हानि पहंुचाता हें और न ही दक्षिणमुखी भवन सभी के लिये हानिकारक हैं। ठीक वैसे ही जैसे किसी जातक की कुण्डली में स्थित ग्रह अपने शुभ-अषुभ प्रभाव दिखाते हैं वैसे ही जातक को कोई दिषा लाभ तो कोई दिषा हानि देती हैं। कई व्यवसाय ऐसे हैं, जिनके लिये दक्षिण दिषा लाभदायक होती हैं। ऐसे कार्यक्षैत्र के लिये भी दक्षिणमुखी भवन,प्लाट शुभ एवं लाभकारी हो सकते हैं।
कवल आषंका एवं आमधारणा के आधार पर दक्षिणमुखी प्लाट, मकान दुकान को छोड देना बुद्धिमानी नहीं है। जैसे शनि के कुप्रभावों को लेकर अनेक भ्रंतिया है, वैसे ही दक्षिणमुखी भवन, प्लाट के बरे मे भी जनता आषंकित रहती है। सर्वविदित है कि न तो शनि सभी लोगों को हानि पंहुचाता हैऔर न ही दक्षिणमुखी भवन सभी के लिये हानिकारक है। ठीक वैसे ही जैसे किसी जातक की कुण्डली में स्थित ग्रह अपने शुभ-अषुभ प्रभाव दिखाते है वैसे ही जातक को कोई दिषा लाभ तो कोई दिषा हानि देती है। कई व्यवसाय ऐसे है जिनके लिये दक्षिण दिषा लाभदायक होती है। ऐसी कार्यक्षेत्र के लिये भी दक्षिणमुखी भवन, प्लाट शुभ एवं लाभकारी हो सकते है। दक्षिणमुखी प्लाट या मकान के संबंधमें निर्णय लेने से पूर्व किसी अनुभवी वास्तुविउद एवं ज्योतिर्विद की सलाह अवष्य लें कि वह आपके लिये उपयुक्त है अथवा नही।
पं. दयानन्द शास्त्री
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार,
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) 3.6023
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