दूर्वा अर्पण का एकदंत से अखंड सम्बन्ध—प्रियंका शर्मा

सनातन धर्म में भगवान गणेश की पूजा में महत्व रखने वाली दूर्वा यानि दूब यह एक तरह की घास है जो पूजन में प्रयोग होती है। एक मात्र गणेश ही ऐसे देव है जिनको यह चढ़ाई जाती है। दूर्वा से गणेश जी प्रसन्न होते हैं। दूर्वा गणेशजी को अतिशय प्रिय है। भगवान गणेश की पूजा में दुर्वा चढ़ाने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि श्रीगणेश की पूजा में यदि दुर्वा न हो तो उनकी पूजा पूर्ण नहीं होती। दूः+अवम्‌, इन शब्दों से दूर्वा शब्द बना है। ‘दूः’ यानी दूरस्थ व ‘अवम्‌’ यानी वह जो पास लाता है। 

दूर्वा वह है, जो गणेश के दूरस्थ पवित्रकों को पास लाती है। गणपति को अर्पित की जाने वाली दूर्वा कोमल होनी चाहिए। ऐसी दूर्वा को बालतृणम्‌ कहते हैं। सूख जाने पर यह आम घास जैसी हो जाती है। दूर्वा की पत्तियाँ विषम संख्या में (जैसे ., 5, 7) अर्पित करनी चाहिए। पंचदेव उपासना में भी दुर्वा का महत्वपूर्ण स्थान है। 

श्रीगणेश को दुर्वा इतनी प्रिय क्यों है इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।पुराणों में कथा है कि पृथ्वी पर अनलासुर राक्षस के उत्पात से त्रस्त ऋषि-मुनियों ने इंद्र से रक्षा की प्रार्थना की। तब इंद्र और अनलासुर में भयंकर युद्ध हुआ लेकिन इंद्र भी उसे परास्त न कर सके। तब सभी देवतागण एकत्रित होकर भगवान शिव के पास गए तथा अनलासुर का वध करने का अनुरोध किया। तब शिव ने कहा इसका नाश सिर्फ श्रीगणेश ही कर सकते हैं। तब सभी देवताओं ने भगवान गणेश की स्तुति की जिससे प्रसन्न होकर श्रीगणेश ने अनलासुर को निगल लिया। 

74711


अनलासुर को निगलने के कारण गणेशजी के पेट में जलन होने लगी तब ऋषि कश्यप ने .. दुर्वा की गांठ उन्हें खिलाई और इससे उनकी पेट की ज्वाला शांत हुई। इसी मान्यता के चलते श्रीगणेश को दुर्वा अर्पित की जाती है। इनके अनेक प्रयोग में उनको प्रिय दूर्वा के चढ़ाने की पूजा शीघ्र फलदायी और सरलतम है।
विनायक को 21 दूर्वा चढ़ाते वक्त नीचे लिखे 1. मंत्रों को बोलें यानी हर मंत्र के साथ दो दूर्वा चढ़ाएं और आखिरी बची दूर्वा चढ़ाते वक्त सभी मंत्र बोलें। जानते हैं ये मंत्र –
ॐ गणाधिपाय नमः ,ॐ उमापुत्राय नमः ,ॐ विघ्ननाशनाय नमः ,ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः ,ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः ,ॐ एकदन्ताय नमः ,ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः ,ॐ कुमारगुरवे नमः
मंत्रों के साथ पूजा के बाद यथाशक्ति मोदक का भोग लगाएं। 21 मोदक का चढ़ावा श्रेष्ठ माना जाता है। अंत में श्री गणेश आरती कर क्षमा प्रार्थना करें। कार्य में विघ्र बाधाओं से रक्षा की कामना करें।
गणेश कृपा हेतु गुड़ में दूर्वा लगाकर नंदी (सांड) को खिलाने से रुका हुआ धन प्राप्त होता है। दूर्वा के गणेश बनाकर दूर्वा से पूजा करना महान पुण्यप्रद माना जाता है। श्री गणेश की प्रसन्नता के लिए गणेश को दूर्वा, मोदक, गुड़ फल, मावा-मिष्ठान आदि अर्पण करें। ऐसा करने से भगवान गणेश सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।कुंवारी कन्या या अविवाहित युवक अपने विवाह की कामना से गणेश को मालपुए अर्पण करते हैं तो उनका शीघ्र विवाह होता है।  गणेश चतुर्थी को कार्य सिद्धि हेतु ब्राह्मण पूजा करके गुड़-लवण-घी आदि दान करने से धन प्राप्ति होती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here