दुआ, गरीब की हो, आमिर ही हो, कबूल होती है | खुदा सबको देता है, झोली खाली किसी की न होती है |


वजह: फरमाया आपने, ये तो न सोचा था ख्वाब में |
गर यूँ ही सेहरे सजते रहे, बकरे यूँ ही कटते रहे |
कोई न फिर साजदार होगा, उसका न कोई राजदार होगा |
पर जिन्दगी का एक उसूल है, करो तो कुबूल है || १ ||

सेहरा ही जिन्दगी को सवाँर देता है |
गवाँर को एक प्यार देता है |
किसी को एक दुलार देता है |
उनको एक मुनार देता है || २ ||

अभी तो लग रहा है की, जिन्दगी छूट रही है |
पर जिन्दगी का तजुर्बा देता है |
जिन्दगी को जीने का सलीका देता है |
जिन्दगी को जानने वजीफा देता है || ३ ||

गर कोई छलांग मारकर, निकल जाता है सेहरे के फूलों से |
तो वह रह जाता है महरूम, जिन्दगी के कुछ नजारों से |
तो जिन्दगी में काटकर जाना ही, बेहतर है |
कम-से-कम फिर तो वापस लौटना पड़ेगा, सबकुछ सहकर || ४ ||

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आपके तार्रुफ़ का, आपकी हौसला अफजाई का,
आपके बड़प्पन का, तहे दिल से शुक्रिया, अदा करता हूँ,

आपने इस जहाँ से मेरा तार्रुफ़ करवाया |
आपने इस जहाँ से मुझे जुड़वाया |
आपने इस जहाँ से मुझे प्यार दिलवाया |
आपका तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया |

दुआ बन्दे ने की, खुदा ने तुरंत क़ुबूल की,
देख अचरज हुआ, ये क्या गजब हुआ,

हाथ उठे दुआ में, तुरंत कबूल हुई वो,
ऐसा असर न देखा कभी,
ऐसा फज़ल न देखा कभी,
हाथ उठे दुआ में, तुरंत कबूल हुई वो,

खुदा अपने बन्दों का, ख्याल इतना रखता है,
दुआ अभी निकली नहीं, इंतजाम पूरा रखता है,

हो जाता है, पूरा वो, जो न सोचा कभी,
मिल जाता है, वो, जो न माँगा अभी,

बदल देता है, दुनिया, बदल देता है, ख्याल,
उनके दिल में भी भर देता है खुशियाँ,
जो करते थे, कभी मुझसे रुशवाईयाँ,

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खुदा अपने बन्दों का,
ख्याल इतना रखता है,
दुआ अभी निकली नहीं,
इंतजाम पूरा रखता है,

हो जाता है, पूरा वो,
जो न सोचा कभी,
मिल जाता है, वो,
जो न माँगा अभी,

बदल देता है, दुनिया,
बदल देता है, ख्याल,
उनके दिल में भी भर देता है खुशियाँ,
जो करते थे, कभी मुझसे रुशवाईयाँ,

बदल जाते हैं, अंदाज़,
पेश आने के किसी के,
हो जाते हैं, वे अपने,
जो कभी थे, बेअपने,

सोच बदल देता है, किसी की, हमारे बारे में,
मददगार भेज देता है, किसी को हमारे द्वारे में,

खुदा के बन्दों पर, रहमत सभी की होती है,
खुदा जब रहम करता है, खिदमत बन्दे की होती है,

बदल दिया मन उसका खुदा ने,
जगा दिया जज्बा, उसमें मदद करने का,
पेश किया मदद का पैगाम उसने,
ख्याल भी न आया उसे, जमाने का,

इस तरह मुझे मदद मिलेगी,
कोई रूह मुझ पर भरोसा करेगी,
यकीन न आया खुद को,
याद किया फिर खुदा को,

खुदा की बन्दगी में सजदा किया,
खुदा की बन्दगी में शुक्रिया किया, 

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