*द्वादश ज्योतिर्लिंगों के आख्यान*-पवन तलहन



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एक बार मुनियों ने सूतजी से द्वादश ज्योतिर्लिंगों के माहात्म्य को जानना चाहा, तब सूट जी ने कहा——–
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम !
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारे परमेश्वरम!
केदारं हिमवत्प्रिष्ठे [शब्द भेद] डाकिन्यां भीम शंकरं !
वारान सयान च त्र्यम्बकं गौतामीताते !
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारुकावने !
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये!
द्वादशैतानि नामानि प्रातरूरुत्था य पठेत:!
सर्वपापैर्विनिर्मुक्त: सर्वसिद्धिफलं भाभेत!!
मुनिगण! सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैलपर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, ओमकार में परमेश्वर, हिमाचल पर केदार, डाकिनी में भीमशंकर, काशीमें विश्वेश्वर, गौतमी-तट पर त्र्यम्बक, चिताभूमी में वैद्यनाथ, दारुकावन में नागेश, सेतु-बन्ध में रानेश्वर और शिवालय में स्थित घुश्मेश—इन बारह नामों का जो प्रात:काल उठकर पाठ करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है और समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है!

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