*दु:स्वप्न-दोष-निवारण-मन्त्र**

पवन तलहन—



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१—-
ॐ अच्युतं केशवं विष्णु हरिं सत्यं जनार्दनम!
हंसं नारायणं चैव ह्येतन्नामाष्टकं शुभम!!
शुची: पूर्वमुख: प्राज्ञो दशकृत्वश्च यो जपत!
निष्पापोsभवेत्सोsपि दुस्वप्न: शुभवान भवेत्!!
अच्युत, केशव विष्णु, हरि, सत्य, जनार्दन,हंस और नारायण–इन आठ नामों का शुद्ध हो पूर्वमुख बैठकर दस बार जप करने से दु:स्वपन शुखकारक हो जाता है!
२—-
ॐ नम: शिवं दुर्गो गणपतिं कार्तिकेयं दिनेश्वरम !
धर्मे गंगां च तुलसीं राधान लक्ष्मीं सरस्वतीम !!
नामान्येतानि भद्राणि जले स्नात्वा च यो जपेत!
वांच्छितं च लभेत सोsपि दु:स्वप्न: शुभवान भवेत्!!
शिव, दुर्गा, गणपति, कार्तिकेय, सूर्य, धर्म, गंगा, तुलसी, राधा, लक्ष्मी, सरस्वती,–जल से स्नान करके इन ग्यारह नामों का उच्चारण करके नमस्कार करने से सुस्सह स्वप्न शुभ कारक होता है और वांच्छित फल देता है!
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गतिनाशिन्यै महामायायै स्वाहा!
कल्पवृक्षेती लोकानां मन्त्रं सप्तदशाक्षर:!
शुचिश्च दशधा जपत्वा दुस्वप्न शुखवान भवेत्!!
उपर्युक्त मन्त्र पवित्र होकर दस बार जप करने से दुस्वप्न सुख देनेवाला हो जाता है! गजेन्द्र-स्तूति पाठ से भी दुस्वप्न-दोष का नाश होता है!

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