कैसे देखें तलाक और पुनर्विवाह योग–

तलाक :— सप्तम स्थान, शुक्र व सप्तमेश पाप प्रभाव में हो, सप्तम स्थान में मंगल, शनि, राहु, केतु, हर्षल, नेपच्यून जैसे ग्रहों की दृष्टि हो या ये ग्रह सप्तम स्थान से रहित हो तो वैवाहिक जीवन तनावपूर्ण होकर तलाक तक की नौबत आती है। विशेष कर राहु-केतु, मंगल, नेपच्यून तलाक व संबंध विच्छेद कराते हैं।

अकेला शनि (निर्बल) तलाक तो नहीं कराता मगर वैवाहिक जीवन को नारकीय बना देता है।

पुनर्विवाह योग : —पुनर्विवाह देखने के लिए नवम स्थान का विचार किया जाता है। सप्तम स्थान व शुक्र पाप प्रभाव में हो, मगर नवम स्थान शुभ हो, प्रबल हो तो पुनर्विवाह योग बन जाता है। विशेषकर यदि शुक्र राहु-केतु-नेपच्यून के साथ हो तो वैवाहिक जीवन में दरार-संशय निर्माण हो, पुनर्विवाह योग बनाता है।

विशेष : —यह ध्यान रखना चाहिए कि मंगल, राहु, केतु, नेपच्यून तीव्र गति से कार्य करते हैं अर्थात शीघ्र बुरा-अच्‍छा फल देते हैं मगर शनि देर से प्रभाव दिखाता है। यदि शुक्र व बुध नवम भाव के स्वामी हो तो पुनर्विवाह योग जल्दी बनता है।


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बुध व शनि मित्रग्रह हैं। इनकी युति-प्रतियुति या केंद्र योग शुभ फल देने वाला होता है। ये व्यक्ति सुलझी हुई व गहरी सोच रखने वाले होते हैं। हर बात को विचार कर फिर कहना इनके स्वभाव में होता है।

इस युति के प्रभाव से व्यक्ति लेखन कार्य में रूचि लेता है। उपन्यासकार, इतिहासकार, प्रकाशक, संशोधक, आलोचक, भाषा शिक्षक व लेखकों आदि की कुंडली में यह युति प्रमुखता से देखने में आती है। ये व्यक्ति व्यावसायिक बुद्धि भी रखते हैं। अत: लिखे गए साहित्य को प्रकाशित कैसे किया जाए, यह जुगत लगाने में भी कुशल होते हैं।
समाज में इन व्यक्तियों को मान-सम्मान मिलता है। हाँ, धन की आकस्मिकता रह सकती है। यदि बुध-शनि पर पाप प्रभाव हो तो कार्यों में विलंब तथा श्रवण व वाणी दोष संभव है। ऐसे में बुध व शनि को मजबूत करने के उपाय करना चाहिए।

विशेष : बुध-शनि युति यदि शुभ हो तो इन व्यक्तियों को साढ़ेसाती काल में अत्यंत शुभ फल मिलते हैं।

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